Sunday, June 8, 2014

मध्यप्रदेश कांग्रेस : कमलनाथ और सिंधिया ने बचाई लाज

- हेमंत पाल 
   कांग्रेस को मध्य प्रदेश में किसी चमत्कार की उम्मीद तो नहीं थी, पर इस बात का भरोसा जरूर था कि लोकसभा चुनाव में वे 6 से 8 सीटें जीत जाएंगे! लेकिन, जब नतीजे आए तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस को करारी हार झेलना पड़ी। पार्टी के दो ही दिग्गज कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ऐसे रहे, जो पार्टी की लाज बचाने में सफल रहे। इस बात का अंदाजा कांग्रेस को विधानसभा चुनाव के नतीजों से ही हो गया था। इसमें बावजूद पार्टी ने चुनाव के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई। विधानसभा में करारी हार के बाद भी गुटबाजी और अहं कांग्रेस के नेताओं में चरम पर था।  
  उत्तर भारत के अन्य राज्यों की ही तरह मध्य प्रदेश में भी नरेंद्र मोदी और भाजपा की आँधी लहर के सामने कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 12 सीटों पर जीत दर्ज करके अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी के बड़े नेता दिग्विजय सिंह से लेकर कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया यह भरोसा जताते रहे कि इस बार के नतीजे भी बेहतर ही होंगे, मगर ऐसा नहीं हुआ!  
  प्रदेश की 29 में से 27 संसदीय सीटें भाजपा के खाते में गई। सिर्फ 2 संसदीय सीटें छिंदवाड़ा और गुना कांग्रेस के खाते में गए! छिंदवाड़ा से कमलनाथ जीते, तो गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जीत दर्ज की। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया, राहुल गांधी टीम की मीनाक्षी नटराजन जैसे अपनी सीट नहीं बचा पाए! छिंदवाड़ा से कमलनाथ और गुना से सिंधिया ने एक-एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है। इस जीत से कांग्रेस को काफी हद तक राहत भी मिली! क्योंकि, हर तरफ से आ रही हार की खबरों के बीच इन दो क्षेत्रों से जीत की खबर आई! 
 भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा चुनाव की शुरुआत से ही कह रहे थे कि गुना और छिंदवाड़ा में ही भाजपा व कांग्रेस के बीच मुकाबला है। उनकी यह बात सही निकली। नतीजे आने के बाद वे कुछ कमी रह जाने की बात स्वीकार रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भाजपा को 27 सीटों पर मिली जीत का श्रेय जनता को देते हुए कहा कि ये विश्वास की जीत है। अब राज्य के साथ पक्षपात नहीं होगा। कांग्रेस के नेतृत्व की सरकार लगातार राज्य के साथ पक्षपात करती रही अब ऐसा नहीं होगा और राज्य तेजी से प्रगति करेगा। कमलनाथ ने कांग्रेस की हार के कारण जनहित में किए गए कार्य और योजनाओं को जनसामान्य तक नहीं पहुंचाना बताया। उन्होंने कहा कि बीते 10 वर्षो में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने जनसामान्य का जीवन स्तर बदलने के लिए कई योजनाएं चलाईं मगर उनका प्रचार ठीक से नहीं हो सका। पहले विधानसभा चुनाव में और अब लोकसभा चुनाव में मिली पराजय ने कांग्रेस के सामने सवाल खड़े कर दिए हैं कि आने वाले समय में वह राज्य में होने वाले नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव में मुकाबला कर भी पाएगी या नहीं, ये कहना मुश्किल है। 
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