Friday, July 14, 2023

अमित शाह की 'मास्टर क्लास' में कौन हुआ ताकतवर!

मध्यप्रदेश भाजपा के लिए 11 जुलाई का दिन महत्वपूर्ण रहा। पार्टी के सबसे ज्यादा ताकतवर नेता अमित शाह ने अचानक भोपाल आकर लंबे समय से चली आ रही सारी अफवाहों और कयासों की धारा को पलट दिया। सत्ता और संगठन में कोई बदलाव न करते हुए उन्होंने चुनावी रणनीति को नया आकार दिया और इसकी कमान भूपेंद्र यादव को सौंपी। प्रदेश अध्यक्ष के पर क़तर दिए गए। जबकि, इस बैठक से कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर की ताकत बढ़ी है! वे सभी चुनाव समितियों के समन्वय की जिम्मेदारी संभालेंगे।   
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- हेमंत पाल

     अमित शाह की मास्टर क्लास में जो संदेश दिए गए और जो सबक नेताओं ने लिया उनका क्रियान्वयन शुरू हो गया। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को बैठक वाली रात दिल्ली लौटना था! लेकिन, उन्हें भोपाल में रुकने को कहा गया। अमित शाह ने तोमर से कहा कि अब आप दिल्ली से ज्यादा भोपाल पर ध्यान दीजिए। अमित शाह की मास्टर क्लास में जो रणनीति तय की गई, उसे लेकर भाजपा के बड़े नेताओं की लगातार बैठकें होगी। बताया जा रहा कि जल्द ही सभी चुनावी समितियां का गठन होना संभव है। वे जल्दी ही अपना काम भी शुरू कर देंगी। इसके अलावा भी चुनाव को लेकर कुछ फैसले इस बैठक में लिए जाएंगे।  
    अमित शाह ने प्रदेश की चुनाव समितियों के समन्वय की जिम्मेदारी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर को सौंपी है। तोमर मध्य प्रदेश को काफी नजदीक से जानते हैं। वे दो बार यहां का चुनाव अभियान संभाल भी चुके हैं। 2008 और 2013 में उनकी अगुवाई में ही मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी। लेकिन, 2018 में उन्हें मध्य प्रदेश के चुनाव की जिम्मेदारी से अलग रखा गया तो सरकार बनाने लायक सीटें भी भाजपा को नहीं मिल सकी थी। मंगलवार की इस हाई पावर मीटिंग में अमित शाह ने जो चुनाव रणनीति बनाई, उसमें प्रदेश को पांच रीजन में बांटकर वहां के स्थानीय मुद्दों के आधार पर रणनीति बनाने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा आदिवासी इलाकों पर भी ध्यान देने को कहा गया है।  
     बैठक में यह भी तय किया गया कि पूरे प्रदेश में विजय संकल्प यात्राएं निकाली जाएं। लेकिन, ये किसी एक नेता के जिम्मे नहीं होगी। बल्कि, पांच रीजन में पांच नेताओं के नेतृत्व में ये यात्राएं निकाली जाएंगी। चुनाव को लेकर कुछ समितियां बनाई जाएंगी, इन समितियों की जिम्मेदारी एक-एक वरिष्ठ नेता को सौंपेंगे। इन समितियों का कामकाज गंभीरता और मुस्तैदी के साथ हो, इसकी देखरेख नरेंद्र तोमर करेंगे। बताते हैं कि मंगलवार की बैठक में अमित शाह ने कई बार नरेंद्र तोमर का नाम लिया और उनसे कहा कि अब आपको दिल्ली से ज्यादा भोपाल में ध्यान देना है। 
      बैठक में अमित शाह ने सभी विधानसभा सीटों की रिपोर्ट मांगी। साथ में यह भी पूछा कि पार्टी कहां बेहतर है और कहां कमजोर है और क्यों!  चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव ये विस्तृत जानकारी पार्टी हाईकमान को सौंपेंगे। सौंपी गई है। शाह ने यादव और सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव को एक प्रारूप भी दिया है। इस प्रारूप के आधार पर हर विधानसभा क्षेत्र की जानकारी इकट्ठा की जाएगी। बूथ स्तर से राज्य स्तर तक अब तक की चुनावी तैयारी की समीक्षा हुई। इसका सीधा संदेश ये भी है कि वीडी शर्मा प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष तो बने रहेंगे, पर उनके पर क़तर दिए गए। उनका सीधा दखल चुनावी रणनीति में नहीं होगा। इसके अलावा इस चुनाव में जन आशीर्वाद यात्रा को लेकर भी कोई फैसला नहीं हुआ। इसके पहले हुई कोर कमेटी की बैठक में भी जन आशीर्वाद यात्रा का मामला नहीं आया था। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि प्रदेश में इस बार विजय संकल्प यात्रा ही निकलेगी, जन आशीर्वाद यात्रा को फिलहाल स्थगित रखा गया है। 
    अमित शाह ने कोर ग्रुप के सदस्यों से यह सवाल भी किया कि वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं! इस सवाल के जवाब में बताया गया कि विजय संकल्प यात्रा निकालने की योजना बनाई गई है। अमित शाह ने इन यात्राओं की सहमति भी दी। तय किया गया कि ये यात्राएं अलग-अलग जिलों से निकाली जाएगी। इस दौरान रोड शो, रैलियां, जनसभाएं होंगी। साथ ही ये निर्देश दिए गए कि प्रदेश के आदिवासी इलाकों पर ज्यादा ध्यान दिया जाए। उन्होंने आदिवासी अत्याचार की हाल की घटनाओं को लेकर भी निर्देश भी दिए। कहा गया कि चुनाव में आदिवासियों के लिए खास कैंपेन चलाया जाए। 
    प्रदेश के संबंध में लंबे समय से देखा जा रहा था कि यहां बदलाव को लेकर हवा गर्म थी। कभी मुख्यमंत्री के बदले जाने की खबरें तो कभी प्रदेश अध्यक्ष की। कई बार इस बात की पुष्टि भी हुई, लेकिन चार राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने के बाद जब मध्यप्रदेश में बदलाव के कोई संकेत नहीं मिले, तो यह लगने लगा था कि अब यहां संगठन की पुरानी टीम ही चुनाव में काम करेगी। लेकिन, टीम की भूमिका बदल दी गई। अब चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव सबसे ज्यादा पावरफुल होंगे और रणनीति के समन्वय की जिम्मेदारी नरेंद्र सौंप दी गई।
     इसका यह भी मतलब लगाया जा सकता है कि प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की भूमिका अब भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव और नरेंद्र तोमर के बाद होगी। अमित शाह किसी भी स्थिति में मध्यप्रदेश में पार्टी को मुकाबले की स्थिति में लाना चाहते हैं, जो पिछले लंबे समय से लगातार पिछड़ रही है। अब देखना यह है कि अमित शाह की मास्टर क्लास का क्या नतीजा निकलता है। क्योंकि, मास्टर क्लास में दिए सबक को जिम्मेदार नेता किस तरह पूरा करते हैं, सब उसी पर निर्भर है। 
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