Monday, February 5, 2024

तीन दशक बाद भी नहीं बनी दूसरी 'डर'

- हेमंत पाल

     फिल्म इंडस्ट्री में हर कलाकार कि कुछ दिनों अपनी एक पहचान बन जाती है, कि वो किस तरह के किरदारों में फिट रहेगा। मनोज कुमार देशभक्ति वाली फिल्मों के हीरो माने गए और हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्मों में गोविंदा को पसंद किया जाता रहा है। सलमान खान, रितिक रोशन और टाइगर श्रॉफ को एक्शन हीरो की पहचान मिली, लेकिन शाहरुख़ खान पर इस तरह का कोई ठप्पा नहीं लगा। उन्होंने रोमांटिक फ़िल्में इतनी शिद्दत से की, कि उन्हें रोमांस का बादशाह मान लिया गया। लेकिन, बीच में उन्होंने बाजीगर, डर और 'अंजाम' जैसी फिल्मों में एंटी हीरो वाले रोल करके अपनी इमेज को खंडित करने का भी साहस किया। कोई भी रोमांटिक हीरो विलेन जैसे किरदार निभाने की रिस्क नहीं लेगा, पर शाहरुख़ ने लिया। आज भी शाहरुख़ किसी इमेज में नहीं बंधे और अपने करियर के उत्तरार्ध में पठान, जवान और फिर 'डंकी' में जलवा दिखाया। उनकी फिल्मों में सबसे अलग फिल्म रही 'डर' जिसने शाहरुख़ को अभिनेताओं की भीड़ में सबसे अलग खड़ा किया। ये भी खासियत माना जाना चाहिए कि 'डर' जैसी कोई दूसरी फिल्म नहीं बनी।           
      ये संभवतः फिल्म फिल्म इतिहास की पहली ऐसी फिल्म थी, जिसके दर्शकों ने नायक से ज्यादा खलनायक को पसंद किया। दर्शकों की आंखे खलनायक की मौत पर नम हुई। 24 दिसंबर 1993 को यश चोपड़ा की फिल्म डर रिलीज हुई थी। इस फिल्म को 30 साल हो गए। ये ट्राइंगल लव स्टोरी थी, जिसमें शाहरुख़ खान के साथ जूही चावला और सनी देओल की मुख्य भूमिका थी। फिल्म में शाहरुख़ की भूमिका ऐसे प्रेमी की थी, जो नायिका को हर हालत में पाना चाहता था। खलनायक का किरदार निभाने के बावजूद शाहरुख़ हीरो बन गए थे। फिल्म की वजह से शाहरुख खान की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि सनी देओल चिढ गए थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि 'डर' की रिलीज के बाद 16 साल तक सनी और शाहरुख़ ने एक-दूसरे से बातचीत नहीं की। बात इतनी बिगड़ी थी कि दोनों ने एक-दूसरे से दूरी बना ली। बाद में सनी देओल ने खुद कहा था कि वो महज उनका बचपना था। दरअसल, एकतरफा प्यार करने वाले की भूमिका निभाकर शाहरुख़ का किरदार राहुल मेहरा रोल मॉडल बन गया था। उन्हें बेस्ट विलेन का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला।       
       'डर' से एक महीने पहले रिलीज हुई फिल्म 'बाज़ीगर' में भी शाहरुख़ ने विकी की भूमिका निभाई थी, वो भी 'डर' के राहुल से बहुत अलग नहीं थी। दोनों में ही वे एंटी हीरो थे। दोनों किरदारों में शाहरुख़ ने जो काम किया, उससे दर्शकों में घृणा का भाव पैदा होना था, लेकिन दोनों ही फ़िल्मों कि विरोधाभासी बात थी की उसमें दर्शकों कि सहानुभूति शाहरुख़ के साथ रही। 'डर' का हीरो वास्तव में तो सनी देओल था, फिर भी इसे शाहरुख़ की फिल्म ही माना जाता है। शाहरुख़ के चेहरे पर कहीं भी नकारात्मकता का भाव दिखाई नहीं देता, फिर भी यदि उन्हें एंटी हीरो के रूप में पसंद किया गया, तो ये सिर्फ उनकी एक्टिंग का ही असर था। 'बाजीगर' में भी उनका नेगेटिव रोल था। फिल्म में काजोल लीड रोल में थी, जबकि शिल्पा शेट्टी सपोर्टिंग रोल में। शिल्पा को अपने प्यार में फंसाकर शाहरुख़ उसका मर्डर कर देते हैं। फिर काजोल अपनी बहन के हत्यारे का पता लगाती है। 
     इसके बाद शाहरुख ने माधुरी के साथ 'अंजाम' में भी निगेटिव रोल निभाया था। शाहरुख खान की इस तीसरी फिल्म में कोई लीड हीरो नहीं था। शुरुआत में लगता है कि शाहरुख ही हीरो हैं। लेकिन, आखिरी तक आते-आते ऐसे हालात बन जाते हैं, कि वे ही विलेन निकलते हैं। इसमें माधुरी दीक्षित हीरोइन थी और दीपक तिजौरी ने माधुरी के पति का छोटा सा किरदार निभाया था। शाहरुख खान ने फिल्मों में एंटी-हीरो का किरदार निभाने के बारे में एक इंटरव्यू में कहा था कि वे कभी हीरो का किरदार निभाना नहीं चाहते थे। बार-बार अच्छे आदमी का किरदार निभाना और गुड पप्पी आई जैसे जैसा अच्छा बना रहना कुछ समय बाद बोरिंग होने लगता है। उन्होंने कबूल किया कि उन्हें पर्सनली बुरे आदमी का किरदार निभाना ही ज्यादा पसंद है। 
     यह भले उस समय कि सुपरहिट फिल्म थी, लेकिन इसे बनाने में यश चोपड़ा को पसीना आ गया था। सबसे मुश्किल थी फिल्म की कास्टिंग। इस एंटी हीरो वाली फिल्म में यशराज ने कई लोगों से बात की, पर कोई भी स्थापित हीरो ऐसा किरदार निभाने के लिए राजी नहीं हुआ। 'डर' में शाहरुख खान से पहले आमिर खान, रितिक रोशन, संजय दत्त और अजय देवगन समेत कई कलाकारों ने जब शाहरुख वाला रोल ठुकराया। बताते हैं कि यश चोपड़ा ने एक बार तो आमिर ख़ान और दिव्या भारती को फ़ाइनल ही कर दिया था। क्योंकि, वे पहले आमिर के साथ 'परंपरा' में काम कर चुके थे। लेकिन, आमिर के अपने अलग ही नखरे थे। उन्हें फिल्म में दिव्या भारती के बजाए जूही चावला चाहिए थीं। यश चोपड़ा ने वो भी किया। पर, फिल्म के कुछ सीन को लेकर भी आमिर को आपत्ति थी। यह उन्हें मंज़ूर नहीं था। आख़िरकार आमिर ने ही फिल्म छोड़ दी। सनी देओल बड़े स्टार थे। उन्हें डायरेक्टर ने पहले राहुल मेहरा और सुनील मल्होत्रा में से एक किरदार चुनने को कहा। सनी ने पॉजिटिव वाला सुनील मल्होत्रा कैरेक्टर चुन लिया। क्योंकि, कोई भी अपनी रियल लाइफ इमेज के चक्कर में राहुल वाला किरदार नहीं करना चाहता था। जब राहुल वाला रोल ऋषि कपूर को दिया तो उन्होंने भी एंटी हीरो बनने से मना कर दिया था। ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा 'खुल्लम खुल्ला' में इस बात का खुलासा भी किया। उन्होंने लिखा 'जब यश चोपड़ा ने मुझे 'डर' का यह रोल दिया तो मैंने उनसे कहा कि मैं विलेन के रोल के साथ न्याय नहीं कर सकता। मैंने अभी आपके साथ 'चांदनी' की है। मैंने फ़िल्म 'खोज' में नेगेटिव रोल किया था और वो फ्लॉप हुई। आप शाहरुख़ को ले सकते हैं। मैंने उसके साथ काम किया है और वो काबिल और स्मार्ट लड़का है। 
     फिर वो फिल्म आमिर ख़ान और अजय देवगन के पास चली गई। दोनों ने फिल्म नहीं की और आख़िरकर शाहरुख़ ने वो रोल किया। यशराज की इस फिल्म के लिए पहली पसंद जूही चावला नहीं, बल्कि रवीना टंडन और दिव्या भारती थी। लेकिन, दोनों अभिनेत्रियों ने फिल्म से मना कर दिया। ऐश्वर्या राय को भी अप्रोच किया गया था। लेकिन, वहां भी बात नहीं बनी। अंततः जूही को ही फिल्म मिली। यश चोपड़ा को 'डर' का आइडिया उनके बेटे उदय और एक्टर रितिक रोशन ने दिया था। दोनों ने साथ में निकोल किडमैन की हॉलीवुड फिल्म 'डेड कॉल्म' (1989) देखी थी, जो इसी थीम पर बनी थी। उदय को फिल्म बहुत पसंद आई, उन्होंने बड़े भाई आदित्य को भी ये फिल्म दिखाई। उन्होंने भी इसके कथानक को पसंद किया। बात यश चोपड़ा तक पहुंच गई। उन्होंने भी फिल्म देखी और तय किया कि इस तरह कि फिल्म बनाई जाना चाहिए। फिल्म का नाम 'किरण' तय किया गया जो फिल्म की मुख्य किरदार थी। उस समय रितिक रोशन एक शॉर्ट फिल्म बना रहे थे, जिसका नाम 'डर' था। ये नाम यश चोपड़ा की इस फिल्म के साथ बहुत मैच हो रहा था। यश ने 'किरण' के बजाए 'डर' नाम रखना चाहा। लेकिन, एक पेंच यह फंस रहा था कि डरावनी फिल्म बनाने वाले रामसे ब्रदर्स ने अपनी किसी भूतहा फिल्म के लिए यह नाम रजिस्टर्ड करवाया था। यश चोपड़ा ने उनसे बात की, तो उन्होंने ये नाम उन्हें दे दिया। इस घटनाक्रम से समझा जा सकता है कि 'डर' जिन हालत में बनी, वो आसान नहीं था। हर कदम पर यश चोपड़ा को परेशानी उठाना पड़ी और वो हल भी होती गई। सीधा सा मतलब यह कि शाहरुख़ को सुपर स्टार बनाने वाली इस फिल्म के आइडिए का जन्म रितिक रोशन के दिमाग में हुआ था। 
       'डर' में शाहरुख खान को हीरोइन के किरदार किरण का नाम लेते हुए हमेशा हकलाते हुए दिखाया गया। शाहरुख के उस सीन को लोग आज भी कॉपी करते हैं। इसका कारण था यश चोपड़ा के साथ की एक घटना। वास्तव में इसके पीछे साइकोलॉजिकल कारण है। एक क्लासमेट था जो हकलाता था। इस पर रिसर्च की गई तो पता चला कि कैसे किसी व्यक्ति का दिमाग एक ही तरह की ध्वनि सुनने में अटक जाता है। ये एक शॉर्प करंट की तरह होता है, जिस वजह से व्यक्ति को पूरा शब्द पढ़ने में दिक्कत होती है। फिल्म के एक सीन में शाहरुख़ ख़ान सनी को चाकू मारने वाले थे। इस सीन को लेकर यश चोपड़ा से उनकी काफी बहस भी हुई थी। उनका कहना था कि फिल्म में वे एक कमांडो है। उन्हें एक लड़का चाकू मार देगा, तो फिर वे कमांडो किस काम के! इस सीन की शूटिंग के दौरान सनी बहुत गुस्से में थे। उन्होंने अपने दोनों हाथ अपनी जेब में डाल लिए। बताते हैं कि उनका चेहरा बिल्कुल तमतमा रहा था। गुस्से में बांधी गई मुट्ठी ने उनके पैंट की दोनों जेबें फाड़ दी थी। सनी का कहना था कि उनके साथ इस फिल्म में ज़्यादती हुई। उनका जो किरदार लिखा गया था, उससे अलग तरीके से शूट किया गया। उनसे ज़्यादा शाहरुख़ के किरदार पर फोकस किया गया। 'डर' के बाद सनी ने न तो यशराज के साथ कोई फिल्म की और न शाहरुख़ के साथ। 
      एक बात यह भी है कि 'डर' के लिए साइन कर लिए जाने के बावजूद यश और आदित्य चोपड़ा को शाहरुख़ पसंद नहीं थे। यश को हनी ईरानी का लिखा फिल्म का प्लॉट बहुत पसंद था। शाहरुख़ उन दिनों 'किंग अंकल' की शूटिंग कर रहे थे। यश चोपड़ा ने उसके कुछ रशेज देखे और एक्टिंग देखकर शाहरुख़ को फिल्म के लिए ले लिया। लेकिन, शाहरुख़ की काबिलियत को भांपने के लिए सबसे पहले होली वाला 'अंग से अंग लगाना' गाना शूट किया गया। जिसमें शाहरुख़ की एक्टिंग देखकर तो यश चोपड़ा भी चौंक गए। इसके बाद सनी देओल के बजाए शाहरुख़ के किरदार पर फोकस किया गया और आज तक 'डर' जादू बरक़रार है। 
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