- हेमंत पाल
टीवी को आए 6 दशक से ज्यादा हो गए। लेकिन, इतने लंबे अरसे बाद भी यदि दर्शकों की पसंद पर खरे उतरे सीरियलों का जिक्र किया जाए, तो ऐसे सीरियल उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। इन्हीं में से एक है क्राइम-इन्वेस्टिगेशन शो 'सीआईडी' जो अपने बहुप्रतीक्षित दूसरे सीजन के साथ वापस आ गया। करीब 21 साल तक ये नॉन स्टॉप प्रसारित होता रहा। इसके बाद ये 6 साल तक छोटे परदे से गायब हो गया था। अब ये फिर अपने उसी कलेवर के साथ वापस लौट आया। जिस तरह फिल्मों का दूसरा सीजन आता है 'सीआईडी' की वापसी भी कुछ उसी तरह हुई। शो के वही तीन प्रमुख किरदार हैं जिनमें कोई बदलाव नहीं किया गया। इसके प्रमुख किरदार प्रद्युम्न सिंह हैं, जो 'सीआईडी' के एसीपी की भूमिका में हैं। '
सीआईडी' 1998 में 'सोनी टीवी' पर आना शुरू हुआ था। 2018 तक इस शो ने छोटे परदे के दर्शकों का मनोरंजन किया। एसीपी प्रद्युम्न सिंह और इंस्पेक्टर दया का आज भी लोग जिक्र करते हैं। इसके चर्चित डायलॉग 'कुछ तो गड़बड़ है' और 'दया दरवाजा तोड़ो' लोगों की बातचीत का जैसे हिस्सा बन गए। 6 साल के लंबे अंतराल के बाद 'सीआईडी' फिर छोटे परदे पर उसी चैनल पर वापस आ गया। शो के कलाकार अपने अभिनय की बदौलत घर-घर में मशहूर थे। अब एक बार फिर पसंदीदा किरदारों की छोटे परदे पर वापसी हो गई। लंबे अरसे बाद फिल्मों के प्रति दर्शकों की रूचि फिर बढ़ने लगी है। फ़िल्में हिट और सुपरहिट होने लगी। इसके अलावा ओटीटी जैसा विकल्प भी दर्शकों की पसंद में शामिल हो गया। ऐसे में टीवी सीरियल दर्शकों की रूचि से बाहर होने लगे हैं।
इस माहौल में 'सीआईडी' की वापसी अलग तरह का सुकून है। अपराध कथाओं पर आधारित ये सीरियल भले ही चैनल पर बंद हो गया था, पर इसकी दो एपिसोड लंबी कहानियां कई बार दिखाई देती रही। टीवी पर 'सीआईडी' की अहमियत वैसी ही थी, जैसी रामानंद सागर के 'रामायण' और बीआर चोपड़ा की 'महाभारत' के अलावा 'हम लोग' और 'बालिका वधु' जैसे सीरियलों की रही। सीरियल के हर एपिसोड में किसी रोचक आपराधिक केस की गुत्थी 'सीआईडी' की टीम सुलझाती रही। कथानक की रोचकता और डायरेक्शन ने दर्शकों को इससे बांध रखा था। लेकिन, 6 साल के लिए जो साथ छूट गया था, वो फिर जुड़ गया। एसीपी के किरदार में शिवाजी साटम, आदित्य श्रीवास्तव और दयानंद शेट्टी की तिकड़ी पर ही इस सीरियल का दारोमदार रहा, वही आज भी है। 'सीआईडी-2' के एपिसोड सोनी टीवी के साथ अब ओटीटी 'सोनी लिव' पर भी आने लगे। बहुचर्चित किरदार एसीपी प्रद्युम्न सिंह, इंस्पेक्टर अभिजीत और दया अपनी इन्वेस्टिगेशन करने वापस आ गए।
टेलीविजन पर दो दशकों तक चलने वाले सीरियलों का इतिहास काफी लम्बा है। इसके सामने सास-बहू पुराण और पारिवारिक षड्यंत्रों वाले सीरियलों को तब तक खींचा जाता रहा, जब तक दर्शक उससे बिदकने न लगें! लेकिन, लम्बा चलकर भी जो शो दर्शकों की पसंद बने रहे, तो उन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है। 'रामायण' और 'महाभारत' जैसे धार्मिक ग्रंथों पर बने सीरियलों के बरसों तक चलने के अपने कारण हैं। उनका कथानक कई मोड़ लिए होता है। इनके कथानक को बीच में ख़त्म नहीं किया जा सकता। जबकि, अधिकांश लम्बे चलने वाले सीरियलों की कहानी को रबर की तरह तब तक खींचा जाता है, जब तक वो टूट न जाए! ऐसे में 'सीआईडी' जैसे किसी टीवी सीरियल का लगातार 21 साल मनोरंजन करना मायने रखता है। उसके बाद भी यदि दर्शकों में उसकी लोकप्रियता बनी हुई है, तो ये एक बड़ी उपलब्धि कही जाएगी! सोनी टीवी के अपराध आधारित सीरियल 'सीआईडी' ने ये कामयाबी हासिल की थी। ये शो अपने पहले सीजन में दो दशक तक से दर्शकों का मनोरंजन करता रहा और आज भी इसे पसंद करने वाले कम नहीं हुए। इस शो में हर बार नए केस आते रहते हैं, जिन्हें सीआईडी की पूरी टीम मिलकर हल करती है।
'सीआईडी' की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है कथानक की कसावट और रोचकता के साथ कलाकार का अभिनय। एसीपी प्रद्युम्न सिंह के नाम से शिवाजी साटम इस शो के केंद्रीय पात्र हैं। इसके अलावा आदित्य श्रीवास्तव, दयानंद शेट्टी, दिनेश फड़नीस, श्रद्धा मुसले, अंशा सय्यद और नरेंद्र गुप्ता जैसे कलाकारों की टीम ने जो किया वो कामयाबी का शिखर बन गया। यह शो अपराध और हत्या के रहस्यों को सुलझाने वाली पैचीदा कहानी के लिए जाना जाता रहा है। दो दशक किसी एक शो का परदे पर बने रहना आसान नहीं है। यह शो दुनिया में सबसे लम्बे समय तक चलते रहने वाले शो की लिस्ट में भी शामिल किया गया था। शो के निर्माता और एसीपी प्रद्युम्न बने शिवाजी साटम ने खुद एक बार कहा था कि उन्हें कभी आभास नहीं था कि 'सीआईडी' का सफर इतना लम्बा होगा। 'सीआईडी' पूरी दुनिया में सबसे लंबे समय तक चलने वाला शो बना, तो इसके पीछे दर्शकों का लगाव ही रहा।
छह साल पहले 27 अक्टूबर 2018 को जब 21 साल तक चलने के बाद यह शो बंद होने वाला था, तब इसे लेकर कई तरह की चर्चा मीडिया में थी। उन्हीं में से एक थी चैनल और शो के प्रोड्यूसर के बीच सब कुछ ठीक नहीं है, इसलिए शो को बंद किया जा रहा। दया का किरदार निभाने वाले दयानंद शेट्टी ने भी कहा था कि शो के बंद होने की बात सुनकर मैं स्तब्ध हूं। शो सक्सेसफुली चल रहा था, फिर क्या वजह थी कि इसे ऑफ एयर किया जा रहा। जब ये शो बंद हुआ, इसके 1546 एपिसोड दिखाए जा चुके थे। दर्शकों के कई ग्रुप ने शो को चालू रखने की मांग की थी। अचानक शो बंद होने से दर्शक बेहद निराश हुए थे और उन्होंने चैनल-मेकर्स से इसे बंद करने का कारण भी पूछा। लेकिन, किसी के पास कोई ठोस कारण नहीं था। इसलिए माना गया कि ये चैनल का ही फैसला है। जिस समय 'सीआईडी' का प्रसारित हो रहा था, उसी समय सोनी चैनल पर ही 'क्राइम पेट्रोल' भी दिखाया जाता था। यह शो भी अपराध कथाओं पर आधारित था। इसमें भी इन्वेस्टिगेशन दिखाई जाती थी। इसके अलावा एक अन्य चैनल पर 'सावधान इंडिया' भी दिखाया जाता था। इन दो शो से 'सीआईडी' को काफी टक्कर मिली थी। हालांकि, दया उस चुभन को लंबे समय तक नहीं भूले कि कैसे 'सीआईडी' के साथ सब कुछ खत्म हो गया था। 2018 में शो ऑफ-एयर हुआ, किसी को इसका कारण नहीं पता था। शो अच्छा चल रहा था लेकिन ऑर्गेनाइज्ड तरीके से इसे टारगेट किया गया। उनका तो ये भी कहना था कि 2016 से ही चैनल इसे बंद करने की कोशिश में था। आखिरकार 2018 में उन लोगों ने शो बंद कर ही दिया।
1998 में जब 'सीआईडी' शुरू हुआ था, तब टीवी पर कोई क्राइम इन्वेस्टिगेशन आधारित शो नहीं था। इसके बाद कई चैनलों पर ऐसे शो शुरू हुए, पर 'सीआईडी' की लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ा। यही कारण है कि जब तक ये शो चलता रहा सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले टीवी क्राइम शो में एक बना रहा। इस शो के डायलॉग 'दया, दरवाजा तोड़ दो' और 'कुछ तो गड़बड़ है' सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हुए। लॉकडाउन के दौर में जब सिनेमाघरों के दरवाजे बंद कर दिए गए और सीरियलों की शूटिंग पर भी रोक लग गई थी, तब घरों में बंद दर्शकों के लिए टीवी पर 'रामायण' और 'महाभारत' के साथ 'सीआईडी' के पुराने सीरियल भी दिखाए गए थे। तब भी दया ने कहा था मुझे नहीं पता था कि 'सीआईडी' रोज सुबह फिर से आ रहा है। लोग मुझे कॉल और मैसेज करके बताते कि आप सभी को टीवी पर फिर से देखना अच्छा लग रहा है। तब मुझे पता चला कि लॉकडाउन में चैनल ने शो को फिर से दिखाने का फैसला किया है। मुझे बहुत ख़ुशी हुई थी। अब, जबकि 'सीआईडी' का दूसरा सीजन परदे पर है दया निश्चित रूप से बहुत खुश होंगे। क्योंकि, दरवाजा तो दया जैसे ताकतवर कलाकार ही तोड़ करते हैं!
---------------------------------------------------------------------------------------------------------
No comments:
Post a Comment