- हेमंत पाल
हाल ही में प्रदर्शित यशराज की नई फिल्म 'सैयारा' बॉक्स ऑफिस पर कमाई और लोकप्रियता के नए-नए कीर्तिमान रच रही है। इस फिल्म की कहानी में कुछ नयापन नहीं है। तो फिर चुपके से आकर पर्दे पर अवतरित इस फिल्म में ऐसा क्या है, जो इसने इतनी सफलता और लोकप्रियता प्रदान की! इसका सीधा सा जवाब यही है कि बुढियाते बॉलीवुड के जंगल में 'सैयारा' की नई जोड़ी अहान पांडे और अनीता पड्डा में दर्शकों को नव पल्लव और नवबहार के दर्शन हुए। इसी ताजगी ने 'सैयारा' को सफलता की सीढ़ी पर चढाया है। वैसे तो हिन्दी सिनेमा खुद ही लगभग सवा सौ साल की यात्रा पूरी कर चुका है। लेकिन, इन सवा सौ साल में दर्शकों को हमेशा से युवा सितारों की चाहत होती है, जो बड़े परदे के माध्यम से उनके दिलों को धड़काए रखे तथा हमेशा ताजगी का अहसास कराए। लेकिन, सिनेमा की बाल्यावस्था के दौरान हिंदी सिनेमा को ऐेसे सितारों ने धड़काया, जो खुद तो जवानी की दहलीज पार कर चुके थे। लेकिन उनके आकर्षण में दर्शक दर्शकों तक बंधे रहे। उस समय की बात इस मायने में अलग थी, कि तब सिनेमा को समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता था और सभ्य समाज के कम ही लोग इससे जुड़ पाए थे। जो जुड़े भी थे, वह अपनी जवानी को पार कर चुके थे। लेकिन, आज यह हालत नहीं है। युवकों में मूंछों की कोर निर्मित होते ही वे हीरो बनने की सोचता है तो टीनएज का खिताब पाते ही युवतियां भी कैमरे के सामने खड़ा होने का सपना संजोने लगती हैं।
जब से सिनेमा ने ऐतिहासिक और पौराणिक काल से नाता तोड़ते हुए समाज और युवा समाज से नाता जोड़ा, परदे पर बाली उमर की प्रेम कहानियों ने जन्म लिया। ऐसी कहानियों को स्वाभाविकता देने के लिए युवा कलाकारों को ही सबसे ज्यादा पसंद किया जाता रहा है। यह सिलसिला पिछले एक दो दशक तक बदस्तूर जारी रहा। लेकिन, यदि आज के परिप्रेक्ष्य में बॉलीवुड के सफल सितारों पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि आज के लगभग सभी सफल सितारे जवानी की दहलीज तो क्या प्रौढ़ावस्था की सीमा रेखा को भी पार कर बुढ़ापे की ओर अग्रसर है। ऐसे में तो यही लगता है कि हमारा बॉलीवुड बुढा होता जा रहा है। पचास से लेकर सत्तर के दशक में हीरो ऐसे होते थे, जिनकी उम्र पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था। तब हिंदी सिनेमा पर दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर की तिकड़ी ने बरसां तक राज किया। दर्शक इनकी अदाओं के इतने दीवाने थे, कि उन्होंने कभी इन सितारों की उम्र पर ध्यान नहीं दिया। देव आनंद तो ऐसे सदाबहार हीरो थे, जिन्होंने तीन-तीन पीढ़ियों के दर्शकों को अपने मोह जाल में उलझाए रखा। इन सितारों ने परदे पर भले ही जवानी को शिद्दत के साथ पेश किया, लेकिन खुद जवानी को पीछे छोड़ आए थे।
सत्तर के दशक में जब धर्मेंद्र, मनोज कुमार, विश्वजीत, शशि कपूर, जितेंद्र और राजेश खन्ना ने बॉलीवुड में पदार्पण किया तो वह भी एकदम जवान नहीं थे। इसके बावजूद उन्होंने हर दूसरी फिल्म में कॉलेज स्टूडेंट की भूमिकाएं निभाईं और दर्शकों ने इन्हें भी पसंद किया। खासकर जितेंद्र और राजेश खन्ना को तो जवान ही माना गया। देखा जाए तो परदे पर जवानी की ताजगी की शुरुआत तब हुई, जब राज कपूर ने 'मेरा नाम जोकर' के फ्लॉप होने के हादसे के बाद डिंपल और ऋषि कपूर को लेकर 'बॉबी' का निर्माण किया। इस जोड़ी को देखकर पहली बार यकीन हुआ कि जवानी क्या होती है! इसके बाद कमल हासन और रति अग्निहोत्री की जोड़ी ने 'एक दूजे के लिए' में जवान जोड़ी के रूप में बाली उमर को सलाम कहने के लिए आमदा किया। इस परम्परा को सचिन और रंजीता की जोड़ी ने 'अंखियों के झरोखे से' आगे बढाया। ऋषि कपूर ने नीतू सिंह और पूनम ढिल्लों के साथ मिलकर दर्शकों को जवान बनाए रखने में मदद की।
आज जिन सितारों को हिट स्टार का दर्जा मिला। उनमें से लगभग सभी ने उस समय सिनेमा में प्रवेश किया, जब वे लगभग जवान थे। इनमें शाहरुख खान, सलमान खान, अजय देवगन, आमिर खान, अक्षय कुमार, गोविंदा, संजय दत्त, सुनील शेट्टी, जैकी श्रॉफ और सनी देओल शामिल हैं। जिस समय शाहरुख खान की 'दीवाना' प्रदर्शित हुई उनके चेहरे से जवानी रही थी। आमिर खान की कयामत से कयामत तक में जूही चावला के साथ उनकी जोड़ी जवां दिलों की धड़कन बनी हुई थी। जैकी श्रॉफ और मीनाक्षी शेषाद्री की 'हीरो' में वाकई हीरो नौजवान था। सलमान की पहली हिट फिल्म 'मैंने प्यार किया' में उनकी और भाग्यश्री की जोड़ी भी एकदम ताजगी से भरपूर थी। अजय देवगन की 'फूल और कांटे' भले ही मारधाड़ से भरपूर थी, लेकिन शक्ल- सूरत और डील डौल से वह कालेज के युवा छात्र ही दिखाई दे रहा था। गोविंदा तो लम्बे समय तक छोटे भाई के रूप में अपनी जवानी का जलवा बिखेरते रहे। जिन लोगों ने सनी देओल और अमृता सिंह अभिनीत उनकी पहली फिल्म 'बेताब' देखी है, उन्हें यह जोड़ी एकदम भोली और मासूम ही लगी है।
आज इन सभी सितारों के चेहरे पर न तो भोलापन है और न मासूमियत बची। आज सनी देओल वह कलाकार हैं जो इस युवा फौज के सबसे बुजुर्ग कलाकार है। आज वह उम्र के 68 बसंत पार कर चुके हैं। उनके साथ कदमताल कर रहे हैं जैकी श्रॉफ जो अब 68 साल के हो चुके हैं और जिस उम्र में वह नायक बने थे, आज उनका बेटा उसी उम्र को पार कर चुका है। इसके बाद नंबर आता है, संजय दत्त का जो 'रॉकी' के समय एकदम दुबले-पतले थे। लेकिन, आज विशाल काया को थाम कर 66 वर्ष की आयु को पार कर चुके हैं। संजय दत्त से दो ही कदम पीछे उनकी ही तरह एक्शन हीरो सुनील शेट्टी जो न केवल 64 साल की वय को लांघ चुके हैं, बल्कि भारतीय क्रिकेट टीम के सितारे केएल राहुल के ससुर भी बन चुके हैं।
चॉकलेटी चेहरे वाले गोविंदा की उम्र इतनी हो चुकी है जितनी उम्र में एक सरकारी कर्मचारी रिटायर हो जाता है। वह साठ साल से आगे निकल चुके हैं। हिंदी सिनेमा पर आज के सुपर स्टार खान बिग्रेड सलमान खान, आमिर खान और शाहरुख खान का दबदबा रहा है। संयोग की बात है कि इस समय इन तीनों खानों की आयु 59 साल है। बॉलीवुड को बुढ़ापे की सौगात देने वाले शेष सफल अभिनेताओं में 58 साल के अक्षय कुमार और 56 साल के अजय देवगन का नाम आता है। इन अभिनेताओं ने भले ही मुख्य नायक की भूमिका से अभी परहेज नहीं किया, लेकिन आज इनकी हिम्मत भी नहीं कि वह पेड़ों के आसपास नायिका के साथ प्रेम गीत गाते दिखाई पड़े। इन सब पर भारी पड़ते हैं, दक्षिण के सुपर स्टार रजनीकांत जो 74 साल के होने के बावजूद परदे पर जवान दिखाई देते है। यह बात और है कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन में अपना असली रूप कभी छिपाया नहीं है।
यदि आज बॉलीवुड में मौजूद जवान नायकों की बात की जाए, तो उनमें कार्तिक आर्यन, सिद्धार्थ मल्होत्रा, वरुण धवन आयुष्मान खुराना, रणबीर कपूर, रणवीर सिंह जैसे गिने चुने नाम ही याद रह पाते है। इनमें भी यदि कार्तिक आर्यन को छोड़ दिया जाए तो रणबीर कपूर और रणवीर सिंह, सिद्धार्थ मल्होत्रा और वरूण धवन शादी कर जवानी को अलविदा कह चुके हैं। इस मामले में हीरोइनों की चर्चा इसलिए भी बेमानी है, क्योंकि परदे पर उनकी जवानी का जीवनकाल बहुत ही छोटा होता है। आज की तमाम नायिकाओं में ऐसी एक भी नायिका नहीं है जिसके चेहरे से जवानी की ज्वाला निकल रही हो। ऐसे में यदि यह कहा जाए कि बॉलीवुड बूढा होता जा रहा है तो यह चिंतनीय है। क्योंकि, दर्शक परदे पर हमेशा ताजगी ही देखना चाहता है। गनीमत है कि 'सैयारा' की नवबहार ने इसमें प्राण फूंकने का काम किया है।
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