Saturday, May 10, 2014

दंभ, दावे और चुनौतियाँ


  इस बार देश का आम चुनाव कई बातोँ को लेकर अनोखा है। संभवतः ये पहला चुनाव है, जिसमें पार्टियां नही व्यक्ति चुनाव लड रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से राहुल गाँधी को केन्द्र में रखकर चुनाव लड़ा जा रहा है, तो भाजपा ने अपने चुनाव का दारोमदार पूरी तरह नरेन्द्र मोदी को सौंप रखा है! चुनाव के व्यक्ति केन्द्रित होने के कारण दंभी बातें की जा रही है और मनमर्जी के दावे किए जा रहे हैं। ऐसे में किसी को इस बात का अहसास नहीं है कि उनके सामने भविष्य मे किस तरह की चुनौतियाँ खडी होँगी और उनका सामना किस तरह हो सकेगा!
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 * हेमंत पाल 
 भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का कहना है कि देश को संकट से उबारने के लिए जनता उनको केवल साठ महीने दें, तो वे चौकीदार बनकर देश की सेवा करेंगे! लेकिन, राहुल गांधी कहते हैं कि देश को एक चौकीदार नहीं चाहिए, वे तो सारे 125 करोड़ लोगों को ही चौकीदार की नौकरी देंगे! पर, इन 125 करोड़ लोगों को कोई वेतन भी मिलेगा या नहीँ इसका वे कोई जिक्र नहीं करते! फिर राहुल गांधी किस अधिकार से 125 करोड़ नियुक्ति पत्र जारी करेंगे और इन 125 करोड़ों में राहुल गांधी खुद शामिल क्यों न हों? इन नेताओं ने राजनीति को एक व्यापार बनाकर रख दिया है। कहीं बाप-बेटे तो कहीं माँ-बेटे तो कहीं पति-पत्नी एक साथ मिलकर सत्ता सुख भोगते हैं और हिन्दुओं को चौकीदार की भूमिका और मुसलमानों को अधिकारी की भूमिका में रखना चाहते हैं! ऐसे में पूछा जा सकता है कि आने वाले दिन किसके अच्छे और किसके बुरे साबित होंगे?
  लोकसभा चुनाव के धुँवाधार प्रचार अभियान मे उभरे दंभ और दावोँ को देखकर सवाल उठता 
है कि भाजपा ने जद(यू) की नाराज़गी की चिन्ता न करते हुए भी आख़िर नरेंद्र मोदी पर दाँव क्यों खेला? इस सवाल को इस तरह भी रेखांकित किया जा सकता है कि एनडीए के अस्तित्व को दाँव पर लगाकर भाजपा ने नरेंद्र मोदी को कमान क्यों सौंपी? इस सवाल का जवाब तलाशते समय एक बात सामने आती है कि एनडीए का असली अस्तित्व इस बात पर निर्भर करता है कि भाजपा लोकसभा चुनावों में अपने बलबूते पर 200 से ज्यादा सीटें जीतकर दिखाए! पूरे चुनाव अभियान को देखते हुए भाजपा इतना तो समझ ही चुकी है कि यदि ऐसा नहीं हो सका तो एनडीए भाजपा के लिए  बोझ बन जाएगा। आज भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती 200 सीटों का आंकड़ा पार  एनडीए के लिये 272 जुटाना है! 
  देश में कांग्रेस के खिलाफ आम जनता के मन में ग़ुस्सा है, इस बात  इंकार नहीं! इसमें लगातार बढ़ रही महँगाई सबसे बड़ा कारण है। सरकार ईमानदारी और महंगाई, दोनों मोर्चों पर बुरी तरह असफल हुई है। इसके बाद भी कांग्रेस ने प्रचार मे दावे करने में कोइ कसर नहि छोड़ीं! ऐसे समय में भाजपा के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस के प्रति जनता के ग़ुस्से को कैसे अपने पक्ष में भुनाया जाए? क्योंकि, एक बात निश्चित है यदि इस बार भी भाजपा पिछड़ जाती है और सत्ता पूरी तरह सोनिया गाँधी के हाथों में सिमट जाएगी, जिसके नतीजे भाजपा के लिए ख़तरनाक होंगे। 
  भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को इसलिए भी दांव पर लगाया है कि वे देश की आम युवा पीढ़ी में आशा का संचार करते हैं! जबकि, देश का वर्तमान राजनैतिक नेतृत्व युवा पीढ़ी को निराशा की ओर ही नहीं धकेलता बल्कि उसे पूरी व्यवस्था के प्रति ही अनास्थावान बनाता है। गुजरात में मोदी ने अपने राजनैतिक और प्रशासकीय कौशल दिखाया है और विकास के प्रतिमान स्थापित किए! उससे मोदी के नेतृत्व के प्रति देश के आम मतदाता के मन में उनकी विश्वसनीयता बढ़ी है। मोदी की सबसे बड़ी पूँजी उनकी बेदाग़ छवि है। उन पर कोई भी आजतक भ्रष्टाचार का आरोप लगाने का साहस नहीं कर पाया! जबकि, वर्तमान राजनीति में किसी नेता को ईमानदार कहने के लिए काफ़ी हिम्मत जुटाना पड़ती है! लेकिन, सौ टके का एक ही सवाल है कि क्या मोदी भाजपा के लिए 200 से ज्यादा सीट और एनडीए के लिये 272 का जादुई आँकड़ा जुटा पाएंगे?
सीटों के समीकरण 

 देश के दक्षिणी राज्यों में पुदुच्चेरी समेत पांचों राज्यों में लोकसभा की 130 सीटें हैं! सीटों के हिसाब से भाजपा यहां कर्नाटक को छोडकर लगभग शून्य है। असम सहित उत्तर-पूर्व के सिक्किम समेत सभी आठों राज्यों में लोकसभा की 25 सीट हैं। लेकिन, भाजपा की उपस्थिति यहां सांकेतिक ही है। पश्चिम बंगाल और ओडीशा में फिर लोकसभा क़ी दृष्टि से भाजपा लगभग नदारद है। इन दोनों राज्यों में लोकसभा की 63 सीटें हैं। इन सारे इलाकों में भाजपा कभी सशक्त नहीं रही। भाजपा को असली लड़ाई उत्तरी भारत के मैदानों में लड़नी है, जिसमें पंजाब, हरियाणा,  हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत भाजपा की शक्ति के हिसाब से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड भी शामिल किया जा सकता है। भाजपा के लिए इस पूरे इलाके में लोकसभा की कुल 326 सीटें हैं। इन सभी में भाजपा का अपना मज़बूत संगठनात्मक ढाँचा है और भाजपा ने सबसे ज्यादा मेहनत भी यहीं की है। मोदी की असली परीक्षा इसी कुरुक्षेत्र में होने वाली है। 
उत्तर भारत की चुनौती 
  कल्याण सिंह के भाजपा से निकलने के बाद उत्तर प्रदेश मे भाजपा का जनाधार सिमट गया था! यहाँ की राजनीति धीरे-धीरे जातीय आधार पर सपा और बसपा के बीच सिमटकर रह गई! इस प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। भाजपा को इसी क्षेत्र से सबसे ज्यादा सीट जीतने की उम्मीद है। मोदी अच्छी तरह जानते हैं कि गंगा यमुना के इन मैदानों में जब तक वे दलदल में फँसी भाजपा का रथ खींचकर यमुना एक्सप्रेस हाईवे पर खड़ा नहीं कर देते, तब तक वे अपनी जीत क आधार तय नहीं कर पाएंगे। बनारस से चुनाव लड़ना मोदी की इसी रणनीति क हिस्सा है। रणनीति बनाकर मोदी ने अमित शाह को उत्तर प्रदेश भी इसीलिए भेजा है। 
  नए परिप्रेक्ष्य में भाजपा के लिए चुनौती जदयू का साथ न रहना भी है। क्योंकि, बिहार में जितनी ज़रुरत भाजपा को जदयू की है, उससे कहीं ज़्यादा ज़रुरत जदयू को भाजपा की! व्यावहारिक रुप से अब जदयू बिहार का क्षेत्रीय दल है, जिसे राज्य में सत्ता में आने के लिए भाजपा की ज़रुरत रहेगी! इसी बिहार और उत्तर प्रदेश में मोदी का जादू सबसे ज़्यादा चल सकता है। कहा जाता है कि बिहार और उत्तर प्रदेश की राजनीति ही सबसे ज़्यादा जाति के आधार पर संचालित होती है। मोदी के पास इन दोनों प्रदेशों के लिए कारगार कार्ड है और यहाँ पार्टी ने सब्से ज्यादा मेहनत भी की है। 
  भाजपा के पास हिन्दुत्व का कार्ड तो है ही, उसने उत्तर भारत के प्रदेशों में ओबीसी होने का तुरुप का पत्ता भी चला है। भाजपा के पास नरेन्द्र मोदी के बहाने विकास का सबसे ज्यादा सशक्त सूत्र भी है। इन तीनों कार्डों के मिश्रण का जादू इन प्रदेशों में चल गया, जिसकी संभावना बहुत ज़्यादा है तो मोदी वहाँ अपने सभी विरोधियों पर क़हर ढा सकते हैं। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में मोदी के दूत अमित शाह के पहुंचने से सबसे ज्यादा घबराहट सपा और बसपा में ही देखी गई! भाजपा के लिए चुनौती किसी भी हालत में एनडीए को बचाए रखना नहीं, बल्कि अपनी सीटों की संख्या 200 से ऊपर निकालने की है। यदि भाजपा ने यह शर्त पूरी कर ली तो एनडीए भी करीब 100 सीटों का जोड़ लगा सकता है, जो भाजपा की चाहत भी है। लेकिन, यदि भाजपा 200 सीटों से ऊपर नहीं निकल सकी तो नरेन्द्र मोदी की सात महीने की मेहनत पर पानी फ़िर जायेगा! मोदी और भाजपा के लिए असली चुनौती इसी शर्त को पूरी करने की है। क्योंकि, सारे दावे और दंभ इसी चुनौती के इर्द-गिर्द हैं। 
कांग्रेस के दावे 
  एक चुनावी सभा में कांग्रेस की सबसे ताक़तवर नेता सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी देश की जनता को स्वर्ग बनाने का झूठा सपना दिखा रहे हैं, जबकि भाजपा का खुद का रास्ता ही तबाही वाला है। सोनिया गांधी ने मोदी पर हमला करते हुए कहा कि भाजपा के मुख्य प्रचारक नरेंद्र मोदी की बातों से लगता है कि चुनाव का नतीजा आ चुका है और वे सिंहासन पर बैठ गए! सोनिया ने कहा कि मोदी एक अहम बात भूल गए हैं कि चुनाव का नतीजा वे नहीं, बल्कि जनता तय करेगी। मुझे विश्वास है कि जनता कांग्रेस का रास्ता चुनेगी।
  सोनिया गांधी ने सैनिकों की शहादत का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा कुर्सी के लिए शहीदों के नाम का इस्तेमाल करती है। हमारे जवान अपनी जिंदगी की परवाह न करके हमारी और देश की सुरक्षा करते हैं। उनकी सेवाओं का सम्मान करते हुए ही 'वन रैंक वन पेँशन' लागू की गई। सोनिया ने अपने चुनावी भाषणों में अपने यूपीए शासन की उपलब्धियां भी गिनवाईं। कहा कि भाजपा सरकार गले तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी। यूपीए ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गांव-शहरों के बुनियादी ढांचों को मजबूत करने के लिए योजनाएं लागू कीं। बच्चों को शिक्षा, स्कूल में भोजन, आरटीआई जैसा मजबूत अधिकार दिया। किसानों के कर्ज माफ किए। कांग्रेस के राज में गरीब, दलित, पिछड़ों, आदिवासियों और महिलाओं को ध्यान में रखकर तमाम योजनाएं बनाई गईं। 
'आप' बिगाड़ेगी समीकरण 
 आम आदमी पार्टी के संयोजक और उत्तर प्रदेश के बनारस से उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल ने अपने प्रचार का आधार नरेन्द्र मोदी और राहुल गाँधी को बनाया। उनका कहना है कि नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों बड़े उद्योगपतियों के हाथों बिके हुए हैं। केजरीवाल ने बनारस के रोहनिया विधानसभा क्षेत्र के टिकरी गांव मे कहा कि मोदी और राहुल अंबानी के हाथों बिके हुए हैं और जीतने के बाद ये उनका ही काम करेंगे। आम आदमी की समस्याओं से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। केजरीवाल कुछ मोदी समर्थकों से भी मिले और उनसे सवाल किया कि क्या आप मोदी से कभी मिले हैं? वे तो सिर्फ हेलीकॉप्टर में उड़ने वाले नेता हैं। जनता की समस्याओं को समझने लिए जनता के बीच रहना पड़ता है। जनता से रूबरू हुए बिना वह जनता की समस्याओं को क्या समझेंगे?
तीसरे मोर्चे के तर्क 
  संभावित तीसरे मोर्चे के प्रमुख नेता और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने नरेंद्र मोदी को झूठा व्यक्ति बताया। उन्होंने कहा कि मोदी ने गुजरात को चौपट कर दिया है। गुजरात के विकास के बारे में उनके सारे दावे झूठे हैं। उनकी पोल खुल रही है। मुलायम सिंह ने कहा कि गुजरात में लाखों नौजवान बेरोजगार हैं। सरकार 10 लाख युवाओं का पंजीकरण ही नहीं होने दे रही है। 85 प्रतिशत महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं। वहां के 21 जिलो में पेयजल संकट है। वहां 8 घंटे भी बिजली नहीं आती है। गुजरात के विकास की बातें झूठी हैं। 
  यादव ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर भी आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने किसानों की समस्याओं की अनदेखी की, जिससे किसानों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सपा किसानों की समस्याओं को अच्छी तरह से समझती है। इसीलिए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई बड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने दावा किया कि चुनाव के बाद अगली सरकार तीसरे मोर्चे की बनेगी और सपा तीसरे मोर्चे का सबसे बड़ा दल होगी।
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