- हेमंत पाल
मनोरंजन की दुनिया से जुड़े लोगों के लिए इस बार की दिवाली कुछ ख़ास रही। महामारी के कारण बंद पड़े सिनेमाघरों के दरवाजे पूरे खुले और अंदर से अच्छी खबर भी बाहर आई। नवंबर के पहले हफ्ते में रिलीज हुई तीन फिल्मों सूर्यवंशी, अन्नाथे और इटरनल्स को दर्शकों ने पसंद किया और बॉक्स ऑफिस की तिजोरी भर गई। ये मुश्किल दौर के बाद आई ठंडी हवा के झोंके जैसा है। लम्बा संकट काल बीतने के बाद जिस मनोरंजन की उम्मीद की जा रही थी, लगता है दर्शकों को वो मिल गया। अन्यथा कोरोना के काले काल ने समाज के हर हिस्से को अपने-अपने तरीके से नुकसान पहुंचाया। किसी की नौकरी गई, किसी की दुकान बंद हुई, किसी का कारोबार ठंडा पड़कर हाशिए पर चला गया। साथ ही मनोरंजन की दुनिया भी टूटकर बिखर गई। बनती फ़िल्में रुक गई, स्टूडियो पर ताले पड़ गए, रिलीज होने वाली फ़िल्में रोक दी गई, सिनेमाघरों को बंद कर दिया गया। फिल्म निर्माण से जुड़े तकनीशियनों और छोटे कलाकारों के सामने परिवार का पेट भरने की नौबत आ गई। स्थिति ऐसी हो गई कि किसी के पास इस बात का जवाब नहीं था कि अब क्या होगा! मनोरंजन की दुनिया इतनी ज्यादा प्रभावित हुई कि टेलीविजन के सीरियलों की शूटिंग रुकने से उनका प्रसारण तक बंद हो गया। मज़बूरी में कुछ फिल्म निर्माताओं ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी बनी-बनाई तैयार फिल्मों को रिलीज किया, पर इक्का-दुक्का फिल्मों को छोड़कर कोई भी फिल्म दर्शकों को प्रभावित नहीं कर सकी। फिल्मों का बरसों से जमा जमाया कारोबार हाशिए पर चला गया।
सिनेमाघर बंद होने और सामने कोई विकल्प न देखकर कई निर्माताओं ने हिम्मत करके बेमन से ओटीटी प्लेटफार्म पर अपनी फिल्में रिलीज की। लेकिन, इसका प्रतिफल अच्छा नहीं निकला। अमिताभ बच्चन की गुलाबो-सिताबो, अक्षय कुमार की लक्ष्मी, विद्या बालन की शकुंतला देवी, वरुण धवन की कुली नंबर-1, जाह्नवी कपूर की गुंजन सक्सेना, सिद्धार्थ मल्होत्रा की शेरशाह जैसी बड़ी और छोटी फिल्में दर्शकों के सामने आई, जरूर पर बड़े परदे की तरह प्रभावित नहीं कर सकी। इनमें से चंद फिल्मों को दर्शकों का अच्छा प्रतिसाद मिला। लेकिन, अमिताभ बच्चन जैसे कलाकार की 'गुलाबो-सिताबो' और अक्षय कुमार की 'लक्ष्मी' ने तो पानी तक नहीं मांगा। अक्षय कुमार की 'बेल बॉटम' भी पसंद जरूर की गई, पर कोई कमाल नहीं कर सकी। अजय देवगन की 'भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया' को भी ओटीटी के दर्शकों ने नकार दिया। सुशांत सिंह की अंतिम फिल्म 'दिल बेचारा' जरूर ओटीटी पर पसंद की गई, पर इसका कारण एक कलाकार की आखिरी फिल्म को देखकर श्रद्धांजलि देना भर था।
धीरे-धीरे हवा बदली, कोरोना का प्रकोप कम हुआ, जीवन सामान्य हुआ और लोग घरों से निकले, कामकाज शुरू हुआ और इसके साथ ही सिनेमाघरों में भी रौनक बढ़ने लगी। जहाँ सिर्फ आधी सीटों पर ही दर्शकों को बैठने की अनुमति थी, वहां कुछ राज्यों को छोड़कर दिवाली से सिनेमाघरों की सभी सीटों के लिए टिकट मिलने लगे। अक्षय कुमार की सूर्यवंशी, रजनीकांत की 'अन्नाथे' और हॉलीवुड फिल्म 'इटरनल्स' रिलीज हुई और चल पड़ी। ये स्थिति 19 महीने बाद आई। फ़िल्मी दुनिया को जिस दीवाली का इंतजार था, वह समय आ गया। इन तीन फिल्मों ने जो कारोबार किया, वह निर्माताओं की उम्मीद से बहुत ज्यादा अच्छा रहा। अच्छी कमाई होने से मायूस बॉक्स ऑफिस भी खिलखिलाने लगा। 'सूर्यवंशी' के निर्माता रोहित शेट्टी ने फिल्म की रिलीज के लिए करीब डेढ़ साल तक इंतजार किया। पहले यह फिल्म मार्च 2020 में रिलीज होने वाली थी। लेकिन, महामारी के कारण सिनेमाघर बंद होने से यह रिलीज नहीं हो सकी थी। अब बदले माहौल से शाहरुख खान की नई फिल्म 'पठान' और आमिर खान की 'लाल सिंह चड्ढा' और रणवीर सिंह की '83' को भी उम्मीद बंधी है कि दर्शक उन्हें देखने सिनेमाघर तक आएंगे।
दक्षिण के सितारे रजनीकांत की फिल्म 'अन्नाथे' के लिए एडवांस बुकिंग होना, वास्तव में अप्रत्याशित घटना ही मानी जाएगी। रिलीज हुई तीसरी फिल्म है 'इटरनल्स' जिसने अच्छा कारोबार किया। 'अन्नाथे' ने तो पहले सप्ताहांत करीब 73 करोड़ का कारोबार किया। इन तीनों फिल्मों ने महाराष्ट्र में भी अच्छा कारोबार किया। जबकि, वहां सिनेमाघरों को 50 प्रतिशत क्षमता के साथ शुरू किया गया है। फिल्मों का करीब 30% कारोबार मुंबई में होता है। बॉक्स ऑफिस पर इन फिल्मों की कमाई से साबित होता है कि आगे आने वाली फिल्मों के लिए रास्ता खुल गया है। फिल्म कारोबार के जानकारों का मानना है कि पिछले कोरोना कल के डेढ़ सालों में फिल्म इंडस्ट्री को 10 से 12 हजार करोड़ का नुकसान हुआ। इस नुकसान की जल्दी पूर्ति होना तो संभव नहीं है, पर शुरुआत में रिलीज हुई तीन फिल्मों को दर्शकों ने जिस तरह हाथों-हाथ लिया है, उससे संभावनाओं के नए दरवाजे जरूर खुले हैं।
कोरोना काल के बाद पहली बार इस साल रक्षाबंधन के मौके पर दर्शकों ने सिनेमाघरों का रुख किया था। अक्षय कुमार फिल्म 'बेल बॉटम' को दर्शकों और समीक्षकों की तरफ से अच्छी प्रतिक्रिया भी मिली थी। लेकिन, फिल्म ने जितनी कमाई की, उस हिसाब से देखा जाए तो देशभर में सिनेमा से मनोरंजन का 40% बाजार बचा था। बेल बॉटम' की पहले दिन की कमाई 2.75 करोड़ थी, दूसरे दिन भी 2.75 करोड़ रुपए का बिजनेस रहा, जबकि तीसरे दिन फिल्म ने 3.25 करोड़ रुपए का बिजनेस किया था। पहले वीकेंड में फिल्म ने 13 करोड़ से थोड़ा ज्यादा कारोबार किया। ये उस समय की बात है, जब महाराष्ट्र के सभी सिनेमाघर बंद थे। लेकिन, फिर भी संकटकाल में फिल्म को रिलीज करना वास्तव में हिम्मत का ही काम था। जबकि, अजय देवगन की 'भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया' जैसी फिल्म सिर्फ इसलिए नकार दी गई, कि उसे दर्शकों ने ओटीटी पर देखा था। इस फिल्म से जो उम्मीद गई थी, फिल्म उस कसौटी पर भी खरी नहीं उतरी। घर बैठे दर्शकों को फिल्म का स्क्रीनप्ले बेहद कमजोर लगा। फिल्म को डायरेक्शन के मामले में भी ठीक नहीं पाया गया। ये प्रतिक्रिया सही है या गलत, पर देखा गया है कि कोरोना काल में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित फिल्मों को दर्शकों की प्रतिक्रिया ने ही हिट या फ्लॉप किया।माउथ पब्लिसिटी के कारण कई अच्छी फ़िल्में भी नहीं देखी गई।
कोरोना की पहली लहर के कमजोर पड़ने के बाद इस साल मार्च में जब कई राज्यों में आंशिक रूप सिनेमाघर खुले, तो कुछ फिल्म निर्माताओं ने हिम्मत की। रूही, मुंबई सागा और 'संदीप और पिंकी फरार' रिलीज हुई। लेकिन, तीनों ही फ़िल्में दर्शकों को पसंद नहीं आई। लेकिन, ये हिम्मत ज्यादा दिन नहीं चली और अप्रैल में महामारी की बढ़ती विकरालता के बाद नई फिल्मों के प्रदर्शन पर फिर रोक लग गई। मुंबई में सिनेमाघरों के बंद रहने के कारण कंगना रनौत की 'थलाईवी' जैसी फिल्म धराशाई हो गई। इसका कारण यह कि ओटीटी प्लेटफार्म और सिनेमाघरों के दर्शकों में काफी अंतर है। सबसे बड़ा फर्क माहौल का पड़ता है। दर्शक जब सिनेमाघर में बैठता है, तो उसके आसपास भी दर्शक होते हैं और एक फिल्म देखने का ख़ास तरह का माहौल बनता है, जो ओटीटी पर कभी नहीं बन सकता! सिनेमाघर में दर्शक को पूरी फिल्म एक बार में देखना पड़ती है, जबकि ओटीटी पर किस्तों में फिल्म देखी जाती है, जो दर्शक को बांधकर नहीं रख पाती।
दिवाली पर मनोरंजन का बाजार फिर खुलने के बाद दिसंबर भी फिल्म कारोबार के लिए संभावनाओं से भरा देखा जा रहा है। सलमान खान की 'अंतिम' और जॉन अब्राहम की 'सत्यमेव जयते-2' भी नवम्बर में रिलीज होना है। 'अंतिम' में सलमान के साथ आयुष शर्मा हैं। आयुष की पहली फिल्म 'लव यात्री' नहीं चल सकी थी। बहनोई आयुष के करियर की मदद के लिए सलमान खान पारस पत्थर साबित हो सकते हैं। लेकिन, 'अंतिम' के सामने जॉन अब्राहम की फिल्म अपना असर दिखा सकती है। नवंबर में ही सैफ अली और रानी मुखर्जी की 'बंटी और बबली-2' भी परदे पर उतरेगी। इसके बाद पृथ्वीराज, शमशेरा, जयेशभाई जोरदार जैसी फ़िल्में बनकर तैयार है। कोरोना काल के बाद 'यशराज फिल्म्स' के लिए आने वाला समय भी कुछ ख़ास है। आदित्य चोपड़ा अपनी सर्वकालीन हिट फिल्म 'दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे' को ‘कम फॉल इन लव’ के नाम से नए कलाकारों के साथ परदे पर उतारने जा रहे हैं। लेकिन, अब सिनेमाघरों के खुलने और लगातार तीन फिल्मों के हिट होने के बाद बॉक्स ऑफिस पर अच्छे परिणामों की उम्मीद बढ़ी जरूर है। लेकिन, फिर भी ये सवाल जिंदा है कि क्या फिल्म इंडस्ट्री में सब कुछ पहले जैसा हो सकेगा, जो महामारी से पहले था।
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