- हेमंत पाल
कई महीने के लम्बे इंतजार के बाद मुख्यमंत्री ने प्रदेश के निगम, मंडलों और प्राधिकरणों के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों और कुछ विकास प्राधिकरणों की घोषणा कर दी। इसमें 25 अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और प्राधिकरण में तैनाती की गई है। नियुक्तियों की पूरी सूची में सिंधिया समर्थकों की भरमार है, जो स्वाभाविक भी है। क्योंकि, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से विद्रोह किया था, तब उनके साथ भाजपा में आने वालों को सम्मानजनक पद देने का वादा लिया गया था। जो जीते, उन्हें मंत्री बना दिया गया और जो हार गए, उनका राजनीतिक पुनर्वास अब निगम, मंडल के जरिए किया गया है। सिंधिया इसके लिए लम्बे समय से सक्रिय थे और अंततः उन्होंने अपने लोगों को कुर्सियां दिला ही दी। लेकिन, आज घोषित निगम, मंडलों के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों और प्राधिकरण अध्यक्ष के नाम में कुछ नाम चौंकाने वाले हैं। इन नाम की घोषणा से कई भाजपा नेताओं के हाथ के तोते उड़ गए।
घोषित की गई इस सूची का एक स्पष्ट संकेत है, कि इसमें तीन तरह के लोगों का ही ध्यान रखा गया। एक तो सिंधिया समर्थकों का, दूसरे नंबर पर वे संगठन मंत्री रहे, जिन्हें पद से हटाया गया था। राजनीतिक पुनर्वास में तीसरे नंबर पर वे लोग रहे, जिन्हें पार्टी के संगठन में जगह नहीं मिल सकी थी। संगठन मंत्रियों के बारे में कहा गया था कि राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश ने शिकायतों के बाद संगठन मंत्रियों को हटाया था। आजकल उनका ठिकाना भोपाल में ही है। इस घटना के बाद इनके पुनर्वास का अंदाजा नहीं था, पर मुख्यमंत्री ने इन्हें निगम, मंडलों और प्राधिकरणों की सूची में शामिल करके सबको चौंका दिया। भाजपा के अंदरखाने की ख़बरें बताती है कि ये सिर्फ मुख्यमंत्री के चाहने से ही हुआ है।
निगम-मंडलों में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए लोगों को प्राथमिकता दी गई। शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने निगम-मंडलों में बहुप्रतीक्षित नियुक्तियों की घोषणा तो कर दी, पर इसने कई मूल भाजपा नेताओं को निराश कर दिया। विधानसभा उपचुनाव में जनता से नकारे गए इमरती देवी, रघुराज कंसाना, गिर्राज दंडोतिया और एंदल सिंह कंसाना को यहाँ उपकृत किया गया है। पिछले साल राज्यसभा चुनावों में हार का सामना करने वाले विनोद गोटिया को भी कुर्सी सौंपी गई। पिछले साल मार्च में सत्ता विद्रोह हुआ था। उसके बाद कोरोनाकाल शुरू हो गया। लेकिन, इस बीच भाजपा की सरकार बनाने के मददगार नेताओं को हाशिए पर रख दिया गया था। लेकिन, ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार अपने समर्थकों के पुनर्वास में लगे रहे। कई बार लगा कि आज या कल में ही घोषणा होगी, पर मसला लगातार टलता रहा। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इन पर ध्यान दिया और कुछ को खुश और कुछ को दुखी कर दिया है।
पूर्व मंत्री और ज्योतिरादित्य सिंधिया की घनघोर समर्थक इमरती देवी को मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष जैसा बड़ा पद दिया गया। एंदल सिंह कंसाना स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष नियुक्त किए गए। रघुराज कंसाना मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के अध्यक्ष होंगे और अजय यादव को उपाध्यक्ष बनाया गया। राज्यसभा चुनाव में हारे विनोद गोटिया को पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष और नरेंद्र सिंह तोमर को उपाध्यक्ष पद दिया गया। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे गिर्राज दंडोतिया को मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया। जबकि, जसवंत जाटव को राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम का अध्यक्ष का पद दिया गया।
जयपाल चावड़ा को इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है। ध्यान देने वाली बात यह कि जयपाल सिंह चावड़ा इंदौर के नहीं, बल्कि देवास के निवासी हैं! पर, उन्हें इंदौर विकास प्राधिकरण की कुर्सी सौंपी गई। ये नियुक्ति इसलिए भी चौंकाने वाली है कि इंदौर के नेताओं को हाशिए पर रखकर ये नियुक्ति हुई। रणवीर जाटव को संत रविदास मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। पूर्व संगठन मंत्री शैलेंद्र बरुआ अब पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष होंगे और प्रहलाद भारती उपाध्यक्ष। मुन्नालाल गोयल राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम के अध्यक्ष और राजकुमार कुशवाहा को उपाध्यक्ष बनाया गया है।
सावन सोनकर को अध्यक्ष राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम और रमेश खटीक को इसी निगम में उपाध्यक्ष बनाया है। जबकि, नागरिक आपूर्ति निगम में उपाध्यक्ष राजेश अग्रवाल को बनाया गया। राजेश अग्रवाल बदनावर के नेता हैं और ये कई बार विधायक का टिकट मांग चुके हैं। लेकिन, इन्हें कभी नहीं मिला। एक बार इन्होंने पार्टी से विद्रोह करके निर्दलीय चुनाव भी लड़ा था। राजवर्धन दत्तीगांव के उपचुनाव के समय उन्हें मुख्यमंत्री समेत कई भाजपा नेताओं ने आश्वस्त किया था कि उन्हें कोई बड़ा पद दिया जाएगा। उसी का नतीजा है कि उन्हें निगम में उपाध्यक्ष बनाया गया।
सावन सोनकर के नाम का अनुमान किसी को अनुमान नहीं था। वास्तव में उन्हें भी सिंधिया समर्थकों की सूची में शामिल माना जा सकता है। बताते हैं कि सांवेर में तुलसी सिलावट के उपचुनाव में सावन सोनकर और राजेश सोनकर ने उनकी मदद की थी। राजेश सोनकर को तो जिला भाजपा अध्यक्ष बना दिया गया, अब सावन सोनकर को उसी प्रतिबद्धता का इनाम मिला है। इससे स्पष्ट संदेश जाता है, कि भाजपा में पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता से ज्यादा बड़े नेताओं से निकटता फायदा देती है। उपचुनाव हारे सिंधिया जिन समर्थकों को इस सूची में जगह दी गई उनमें राज्य बीज और फार्म विकास निगम में अध्यक्ष बनाए गए मुन्नालाल गोयल भी हैं। राजकुमार कुशवाहा को इसी निगम में उपाध्यक्ष बनाया गया। पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम में रघुराज कंसाना को अध्यक्ष और अजय यादव को उपाध्यक्ष बनाया गया।
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