होली वैसे तो रंगों का त्यौहार है, पर सिनेमा के शुरूआती समय में जब फ़िल्में ब्लैक एंड व्हाइट हुआ करती थीं, तब भी होली प्रसंग फिल्माए और पसंद किए गए। फिल्मों में होली फिल्माने की शुरुआत 1940 में फिल्म 'औरत' से हुई। इसके बाद 1944 में दिलीप कुमार की पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा’ आई। ये भी ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों का दौर था। जब फिल्मों में रंग भरे और होली फिल्माई गई, तब दिलीप कुमार 'आन' में निम्मी के साथ दिखाई दिए। फिल्मकारों को मस्ती भरा गाना फिल्माने का मौका मिलता है।
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- हेमंत पाल
होली यानी रंगों वाला त्यौहार। ऐसा त्यौहार जिसमें सिर्फ मस्ती का मूड रहता है। दिल से लेकर दिमाग तक में रंग भरे होते हैं। इस त्यौहार ने जीवन के हर पक्ष पर अपना असर दिखाया। क्योंकि, रंग हमारे जीवन के हर पहलु से जुड़ा है और हर रंग कई गहरे अर्थ दर्शाते हैं। हमारे शरीर की आभामंडल में भी कई रंग हैं। अगर हम अपने आंतरिक रंग के प्रभाव और अर्थ को भूल गए हैं, तो अपने हाथों में रंग भरकर होली के दिन हम किसी दूसरे को रंग लगाते हैं। होली के रंग ऊर्जा, जीवंतता, और आनंद के प्रतीक होते हैं। हरा रंग हरियाली खुशहाली का प्रतीक है। जबकि, लाल रंग शक्ति और दृढ़ता दर्शाता है। पीला रंग प्रसन्नता दिखाता है। गुलाबी रंग में प्रेम बसता है। नीले रंग में विशालता बसी है। श्वेत रंग को शांति का प्रतीक माना जाता है। केसरिया संतोष या त्याग का प्रतीक है और बैंगनी रंग ज्ञान से जुड़ा है। यहां तक कि फिल्मों में भी यह त्यौहार सबसे पसंदीदा बन गया। फिल्मी परदे पर दर्शक कई दशकों से त्योहारों का जश्न मनते देखते आ रहे है। फिल्मों में सबसे ज्यादा होली के त्यौहार को मनाया जाता है। लेकिन, इसे आश्चर्य ही माना जाना चाहिए कि अभी तक होली नाम से सिर्फ दो फिल्में आई। एक थी 'होली' और दूसरी 'होली आई रे।' 1967 में 'भक्त प्रहलाद' बनी, जिसमें होली का धार्मिक आधार बताया गया।
कई फिल्मों में होली सीक्वेंस के गाने फिल्माए गए। लेकिन, जब फिल्मों में रंग नहीं भरे थे और ब्लैक एंड व्हाइट फ़िल्में बनती थी, तब भी फिल्मकारों ने होली के सीन फिल्माए। ये जानते हुए कि दर्शकों को परदे पर रंग नहीं दिखेंगे। फिर भी ऐसे दृश्य फिल्माए और उन्हें सराहा गया। साल 1940 में आई फिल्म 'औरत' में सबसे पहले होली सीन दिखाया गया था। यह फ़िल्म ब्लैक ऐंड व्हाइट थी, इसलिए इसमें होली के रंग परदे पर नहीं दिख पाए। फिल्म में एक गाना भी था, जिसके बोल थे 'आज होली खेलेंगे साजन के संग।' गायक अनिल विश्वास ने इस गीत को गाया और वे ही इसके म्यूजिक डायरेक्टर भी वही थे। होली को लेकर आया यह पहला गाना काफी हिट रहा। इस फिल्म को महबूब खान ने बनाया था। इस फिल्म को इसलिए भी याद किया जाता है, कि फिल्मों में होली दृश्य फिल्माने की शुरुआत यहीं से हुई। इसके बाद इसके बाद 1944 में दिलीप कुमार की पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा’ आई। यह भी ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म थी, जिसमें भी होली दृश्य फिल्माया गया था।
इसके बाद 50 के दशक में महबूब खान की ही फिल्म 'आन' आई। इसमें दिलीप कुमार और निम्मी की जोड़ी थी। इनके साथ नादिरा ने भी 'आन' में अहम किरदार निभाया था। इस फिल्म ने होली के सीन में रंग भरा था। 'आन' में होली का गाना था 'खेलो रंग हमारे संग।' इस गाने में दिलीप कुमार और निम्मी ने रंगों के त्योहार को दिखाने के लिए ऐसी शानदार अदाकारी की। ये पहली बार था जब परदे पर होली के दृश्य रंगीन दिखाए गए। 'आन' का गाना भी लंबे समय तक दर्शकों में लोकप्रिय रहा था। नादिरा की ये डेब्यू फिल्म थी। अपनी पहली होली दृश्य वाली फिल्म 'औरत' महबूब खान को इतनी रास आई कि उन्होंने इस कथानक को 17 साल बाद 1957 में फिर बनाया जिसका नाम 'मदर इंडिया' था। यह फिल्म आज भी अपने दमदार कथानक के लिए याद की जाती है और हिंदी की कालजयी फिल्मों में से एक है। 'मदर इंडिया' 1957 में रिलीज हुई थी और ब्लॉकबस्टर साबित हुई। इसके बाद वी शांताराम की फिल्म 'नवरंग' में 'चल जा रे हट नटखट …' फिल्माया गया। इसके बाद से फिल्मों में होली सीक्वेंस डालने का सिलसिला चला आ रहा है। होली के सीन और गाने फिल्म को हिट कराने की गारंटी माने जाने लगे। लगने लगा मानो, सिनेमा और होली के बीच चोली-दामन का साथ हो। फिल्मों में होली दृश्य की अहमियत होती है, पर कई बार फिल्म से ज्यादा इसके होली गीत चर्चित होते हैं और यादगार बन जाते है।
वैसे फिल्मों की होली और उससे जुड़े गाने हमेशा से ट्रेंड में रहे। लेकिन, 50 के दशक तक फिल्मी दुनिया रंगीन हो चुकी थी। इस वजह से होली जैसे त्योहारों की चमक सिल्वर स्क्रीन पर भी अलग ही रंगत से नजर आने लगी थी। 'आन' के बाद फिल्मी परदे पर होली को फिल्माने का एक चलन-सा शुरू हो गया। कई फिल्मों में रंगों के सीन फिल्माए गए। आज भी कई ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें उनके होली दृश्यों की वजह से ही याद किया जाता है। फिल्मों में होली सीन कई बार कहानी में नया मोड़ देने के साथ दर्शकों को यादगार अनुभव भी देते हैं। शोले (1971), सिलसिला (1981), दामिनी (1993), मोहब्बतें (2000), बागबान (2003), गोलियां की रासलीला-राम-लीला (2013) ऐसी ही फ़िल्में हैं। 'मदर इंडिया' का 'होली आई रे कन्हाई…' क्लासिक होली गाने के तौर पर याद किया जाता है। इस गाने को होली पार्टियों में आज भी बजाया जाता है।
होली गीतों की एक खासियत यह भी है कि कई गीतों में आंचलिक लोकगीतों की गूंज होती है। होली के धमाल में फिल्मी होली गीतों की रंगत का तो कहना ही क्या! ऐसे गीतों में तन रंग लो पिया जी मन रंग लो, होली आई रे, दिल में होली जल रही है, आओ रे आओ खेलो होली बिरज में, जोगी जी धीरे धीरे, मल के गुलाल मोहे आई होली आई रे, अपने रंग में रंग दे मुझको. हर रंग सच्चा रे सच्चा,लेटस प्ले होली, बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी जैसे कई गीतों की लोकप्रियता बरकरार है। अमिताभ बच्चन और रेखा पर संजीव कुमार के साथ फिल्माया गया फिल्म 'सिलसिला' के होली गीत 'रंग बरसे भीगे चुनर वाली' ने तो लोकप्रियता के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। फिल्मों ने एक से बढ़कर एक यादगार होली गीत दिए, जो दिलों को स्पंदित करते हैं।
इसके बाद फिल्म 'शोले' के गीत 'होली के दिन' ने भी रिकॉर्ड बनाया, जिसे धर्मेंद्र और हेमा मालिनी पर दिल को छू लेने वाले अंदाज़ में फिल्माया गया था। गीत की मिठास, मोहक नृत्य और रंग-अबीर के भव्य सेट दर्शक आज तक भूल नहीं पाए। फिल्म 'डर' का गीत जिसे शाहरुख खान पर फिल्माया गया 'अंग से अंग लगाना, सजन हमें ऐसे रंग लगाना' भी यादगार होली गीतों में जुड़ गया। ये चुनिंदा होली गीत दर्शकों के दिल की धड़कन बन गए और होली की मस्ती में छा गए। सत्तर और अस्सी के दशक में तो फिल्मों में होली गीतों की अहमियत इतनी बढ़ गई थी, कि लगभग हर साल एक दो फिल्मों में होली गीत होते ही थे।
वी शांताराम की फिल्म नवरंग का 'अरे जा रे हट नटखट ना छू रे मेरा घूंघट' गीत उस दौर का फिल्माया गया बेहतरीन गीत था जो आज भी बुजुर्गों का प्रिय गीत हैं। राजेश खन्ना और आशा पारेख पर फिल्माया गया 'कटी पतंग' का गीत 'आज न छोड़ेंगे बस हमजोली खेलेंगे हम होली' हुड़दंग वाले गीत की श्रेणी में आता है। 'फागुन' फिल्म में धर्मेंद्र और वहीदा रहमान पर फिल्माया गया 'पिया संग होली खेलूं फागुन आयो रे' गीत का सुमधुर संगीत आज भी लोगों को याद है। राजश्री की 'नदिया के पार' में ग्रामीण परिवेश में सचिन और नवोदित अभिनेत्री साधना सिंह पर फिल्माया गया गीत 'जोगी जी धीरे-धीरे' को भी लोग भूले नहीं। इसी दशक में आईं फिल्म 'आखिर क्यों' में स्मिता पाटिल, टीना मुनीम और राकेश रोशन पर फिल्माया गया गीत 'सात रंग में खेल रही हैं दिल वालों की टोली रे' और मशाल फिल्म का गीत 'होली आई देखो होली आई रे' भी खूब पसंद किए गए।
इसके बाद फिल्मों में धीरे-धीरे होली गीत कम देखने को मिले। वर्ष 2000 में फिल्म 'मोहब्बतें' में शाहरुख खान पर 'सोनी सोनी अंखियों वाली' होली गीत फिल्माया गया, जिसने युवाओं को आकर्षित किया। इसके बाद अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की फिल्म 'बागबान' में भी 'होली खेले रघुवीरा अवध में' बहुत ही आकर्षक रूप से फिल्माया गया। बेहद दिलकश और मनमोहक अंदाज में फिल्माया गया 2005 में आईं फिल्म वक्त का गीत 'डू मी फेवर लेट्स प्ले होली' अक्षय कुमार और प्रियंका चोपड़ा पर फिल्माया आधुनिकता के रंगों में रंगा युवाओं की पसंद बना। फिल्मी गीतों के साथ-साथ बृज, भोजपुरी, राजस्थानी होली गीतों की एक लंबी सूची है।
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