Sunday, December 13, 2020

साधारण से हर्षद की असाधारण कहानी!

हेमंत पाल

    नोरंजन की दुनिया पर कोरोना लॉक डाउन ने बहुत गहरा असर डाला है। सिनेमाघरों के बंद होने के बाद दर्शकों का बड़ा वर्ग वेब सीरीज देखने में व्यस्त हो गया! सबने अपनी पसंद के मुताबिक ओटीटी प्लेटफॉर्म चुन लिए। लेकिन, कुछ वेब सीरीज ऐसी भी आई, जिन्हें हर तरह के दर्शकों ने पसंद किया। इन्हीं में से एक है 'सोनी-लिव' पर आई हंसल मेहता की 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' जो शेयर बाजार में हुए एक बड़े घोटाले पर आधारित है। 1992 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में हुए घोटाले में हर्षद मेहता चर्चा में आए थे। ये वेब सीरीज़ उसी घोटाले की परतें खोलती है। इस वेब सीरीज़ को आईएमडीबी (इंटरनेट मूवी डाटाबेस) पर 9 से ऊपर की रेटिंग मिली। इसे अब की देश की 'मोस्ट लाइक्ड इंडियन वेब सीरीज़' बताया जा रहा है। सुचिता दलाल की किताब पर बनी इस वेब सीरीज में दिखाया गया कि कैसे हर्षद मेहता पूरे शेयर मार्केट को चलाने लगता है। इस वेब सीरीज़ हर्षद मेहता की किरदार प्रतीक गांधी ने निभाया, जिसे बहुत ज्यादा पसंद किया गया। उनकी आँखें, बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग डिलीवरी और अभिनय ने पात्र के किरदार के साथ पूरा न्याय किया। हंसल मेहता सच्ची घटनाओं पर फ़िल्में बनाते आए हैं। उनकी यह वेब सीरीज ऐसी ही घटना पर केंद्रित है। 
  हर्षद मेहता के जीवन का शुरूआती समय बहुत परेशानियों में बीता था। साधारण से परिवार के हर्षद ने लम्बे समय तक आर्थिक मुश्किलों को भोगा था। इस वेब सीरीज की शुरुआत भी हर्षद की ऐसी ही मुश्किलों को दिखने के साथ की गई। इसके बाद भी हर्षद के सपने बहुत बड़े थे। वह साधारण जिंदगी नहीं जीना चाहता था। लेकिन, उसे कभी गैर कानूनी सोच वाला व्यक्ति भी नहीं बताया गया। वह बैंक में क्लर्क का काम करता है, सड़क पर सामान बेचता है। इसी के बीच वह एक दिन संयोग से शेयर मार्केट की तरफ रुख कर लेता है। इसके बाद उस मार्केट की दुनिया में हर्षद इतना खो जाता है कि असाधारण व्यक्ति बन जाता है।  
     वेब सीरीज में बताया गया कि वो किसी उसूल के काम करता है और रिस्क लेने में देर नहीं करता! वो ‘रिस्क है, तो इश्क है’ वाला जुमला हमेशा बोलता रहता है और शेयर मार्केट में पैसा लगाता है। जल्दी ही वह मार्केट में अपना नाम बना लेता है और भाई अश्विन मेहता के साथ खुद की कंपनी खोल लेता है। खुद पैसे बनाने और दूसरों को हिस्सा देने के चक्कर में हर्षद शेयर मार्केट के साथ ही मनी मार्केट का बिग बुल बन जाता है। बैंकिंग सिस्टम की कमज़ोर कड़ियों को परखकर हर्षद ने सारा गोलमाल किया था। बताया गया है कि जब बैंकों को पैसे की ज़रूरत पड़ती थी, वे सरकारी बॉन्ड को कुछ समय के लिए गिरवी रखकर पैसा लेते थे! हर्षद बैंकों से 15 दिन का लोन लेता और उसे शेयर मार्केट में लगा देता। 15 दिन में वो बैंक को मुनाफे के साथ पैसा लौटा देता था।  
   निर्देशक हंसल मेहता को सच्ची घटनाओं पर फ़िल्में बनाने के लिए पहचाना जाता है। ओमर्टा, शाहिद और 'अलीगढ़' जैसी फ़िल्में बना चुके हंसल को अलग तरह की विचारधारा और कहानियों को नया ट्विस्ट देने के लिए जाना जाता है। उन्होंने हर्षद मेहता के इस कारनामे को बहुत शिद्दत से ओटीटी के परदे पर उतारा है। इस वेब सीरीज की सबसे बड़ी खासियत है समयकाल, जिसका फिल्म में बहुत ध्यान रखा गया है। 'स्कैम 1992' की पूरी कहानी में बेहद कसावट है, कहीं कोई झोल दिखाई नहीं देता। इस वेब सीरीज़ में संवाद, फोटोग्राफी, अभिनय, कास्टिंग के साथ उस समय के शेयर मार्केट का जो माहौल बनाया, वो बेहद दिलचस्प है और वही इस वेब सीरीज की जान है। 
   देश के बैंकिंग सिस्टम को हिला देने वाले इतने बड़े घोटाले के बाद भी हंसल मेहता ने हर्षद मेहता को कहीं खलनायक की तरह पेश नहीं किया! कहानी को इस तरह फिल्माया गया है कि दर्शक खुद तय करें कि हर्षद ने जो किया वो सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था या उसने सिस्टम की खामियों में अपना फ़ायदा ढूंढा था। वास्तव में ये घोटाला था भी नहीं! जिस दर्शक को शेयर बाज़ार की बारीकियों का पता न हो, उसे यह वेब सीरीज़ बोर नहीं करती। ये मनोरंजक होने के साथ शेयर मार्केट, मनी मार्केट और इस पूरे कारोबार की जानकारियां देती है। अलग सा विषय होने के बावजूद 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' इसलिए पसंद की गई, क्योंकि इसकी पटकथा और इसका संपादन बेहद चुस्त और रोचक है। इसके लिए हंसल मेहता के साथ हर्षद मेहता का किरदार निभाने वाले प्रतीक गाँधी की भी तारीफ करना होगी कि उनके अभिनय ने दर्शकों को बांधकर रखा!
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