संजय शुक्ला कांग्रेस के बहुत बड़े नेता नहीं है! वे इंदौर शहर की छह विधानसभा सीटों में से एक के विधायक हैं और पहली बार चुने गए। उनकी राजनीति की शुरुआत पार्षद से हुई थी! कांग्रेस ने उन्हें अगले निकाय चुनाव में इंदौर से महापौर पद का उम्मीदवार भी बनाया है। लेकिन, अभी इस नेता का जिक्र इसलिए कि कोरोनाकाल में उन्होंने अपनी सक्रियता से अपना कद इतना बढ़ा लिया कि कांग्रेस के अलावा भाजपा के सारे नेता भी उनके सामने बौने नजर आने लगे! उनकी पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि भाजपा की रही है, पर आज वे इंदौर में कांग्रेस के बड़े नेताओं की गिनती में आ गए। इसलिए कि कोरोना संक्रमण के दौर में वे अकेले नेता हैं, जो जनता के साथ कंधे से कंधा लगाकर खड़े हैं। जनता की परेशानियों में जिस तरह साथ दे रहे हैं, उन्हें इंदौर का सोनू सूद कहा जाने लगा है!
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- हेमंत पाल
राजनीति का अपना अलग ही गणित होता है। यहाँ रातों-रात कोई जननेता तभी बनता है, जब जनता उसे अपना हमदर्द समझती है। जब जनता को लगता है कि उनके साथ खड़ा नेता निस्वार्थ भाव से उनकी मदद कर रहा है, तो वे भी उसके साथ हो जाते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि संजय शुक्ला ने कोरोना पीड़ित लोगों को लेकर कुछ ऐसे बड़े कदम उठाए, जिसने उन्हें सीधे जनता से जोड़ दिया। उन्होंने कुछ ऐसी घोषणाएं भी की, जिनसे उनकी ऐसी छवि बन गई, जो निश्चित रूप से महापौर पद के चुनाव में उनके लिए मददगार साबित हो सकती है। अभी तक उनकी पहचान इंदौर के क्षेत्र क्रमांक-एक के विधायक के रूप में थी, पर अब वे पूरे शहर में ऐसे नेता की तरह पहचाने जाने लगे हैं, जो संकट की इस घड़ी में जनता के साथ हैं। उनकी सक्रियता को देखकर लोग अब उन नेताओं को ढूंढ रहे हैं, जो नेतागिरी में तो हमेशा आगे रहते हैं, पर आज जब जनता को उनकी जरूरत है, तो कोई नजर नहीं आ रहा! भाजपा के कुछ नेता तो हर समय प्रशासन के साथ गलबहियां करते ही दिखाई दे रहे हैं! वे सरकारी मीटिंगों में बेवजह कुर्सी तोड़ते दिखाई देते हैं या 'क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप' की बैठकों में प्रशासन के पक्ष में हाथ खड़े करते हैं! उन्हें इस बात का अहसास नहीं कि उनका ये काम जनता को कितना रास आ रहा है!
शहर में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए संजीवनी मानी जाने वाले रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कमी पड़ी, तो इसे खरीदने वालों की दवा बाजार में हज़ारों लोगों की भीड़ लग गई! सुबह से लाइन में लगे इन लोगों को इंजेक्शन मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी, पर वे लाइन में लगे रहे। भूख और प्यास लगने पर भी किसी ने लाइन से हटने की कोशिश नहीं की। ये त्रासदी जब मीडिया ने उजागर की, तो दूसरे दिन संजय शुक्ला बिस्कुट और पानी लेकर लाइन में खड़े लोगों के बीच पहुँच गए। इसके बाद वे कांग्रेस के दूसरे नेताओं के साथ कलेक्टर से मिले और 5 हज़ार रेमडेसिवीर इंजेक्शन की मांग करते हुए कलेक्टर के सामने ब्लेंक चैक सामने रख दिया। वे उन गरीब मरीजों के लिए इंजेक्शन चाहते थे, जो इसे 10 और 15 हज़ार में खरीदने में असमर्थ हैं। उन्हें इंजेक्शन मिले या नहीं, ये अलग मसला है, पर उनकी इस कोशिश ने लोगों का दिल जीत लिया। उनकी आर्थिक सम्पन्नता इतनी है कि उनके ब्लैंक चैक पर शंका भी नहीं की जा सकती।
इसके बाद उन्होंने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए पहल करते हुए अपने हॉस्टल को सरकार को सौंपने की घोषणा की। कांग्रेस विधायक ने इंदौर के प्रभारी बनाए गए मंत्री तुलसीराम सिलावट के सामने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए इस हॉस्टल में 200 बिस्तरों वाला अस्पताल खोलने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि इस समय कोरोना के मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि स्वास्थ्य विभाग यहाँ अस्थाई अस्पताल शुरू करे। अभी शैक्षणिक गतिविधियां बंद होने से उनका यह हॉस्टल खाली है। उन्होंने यह प्रस्ताव भी किया कि यदि हॉस्टल को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए उपयोग में लाया जाता है तो वे यहाँ भर्ती मरीजों के इलाज, दवाइयां और भोजन की व्यवस्था खुद के खर्च पर करेंगे। कोरोनाकाल के इस संकट में पहली बार इंदौर के किसी जनप्रतिनिधि ने जनता की मदद करने के लिए इस तरह का प्रस्ताव रखा है।
संजय शुक्ला ने ऑक्सीजन बनाने की 10 ऑटोमेटिक मशीन लगाने की भी घोषणा की। वे चाहते हैं कि इससे अस्पताल में भर्ती होने के इंतजार में बैठे मरीजों की जान बचाई जा सकेगी। क्योंकि, कांग्रेस की एक टीम ने जब अस्पतालों का दौरा किया तो देखने में आया कि बिस्तर के अभाव कई मरीज एम्बुलेंस में पड़े हैं! ऑक्सीजन के अभाव में कई की सांसे भी उखड़ जाती है। अस्पताल में डॉक्टर्स ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है। बड़ी संख्या में मरीज ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं। बहुत से मरीज अस्पताल में भर्ती होने के लिए इंतजार में हैं। उनका भी ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है। अस्पतालों में दौरे के समय उन्हें कुछ डॉक्टरों ने बताया कि ऑक्सीजन बनाने वाली ऑटोमेटिक मशीन 'ऑक्सीजन कंसंट्रेटर' की शहर में बहुत जरूरत है। यदि यह मशीन लगाई जाती है, तो कई मरीजों की जान बच सकती है। संजय शुक्ला ने तत्काल जानकारी लेकर अपनी तरफ से दस मशीन लगाने की घोषणा की। 45 हज़ार से डेढ़ लाख रुपए कीमत की ये मशीनें हवा से ऑक्सीजन खींचकर मरीज की ऑक्सीजन की पूर्ति करती है। उन्होंने शहर के समाजसेवियों और संगठनों से भी मशीनों की अपील की! इसका असर ये हुआ कि कई लोग इस पहल में उनका साथ देने के लिए राजी हो गए। अब ये मशीनें सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, एमटीएच हॉस्पिटल और एमआरटीवी हॉस्पिटल के परिसर में तंबू लगाकर लगाई जाएगी। इससे उन मरीजों को लाभ मिलेगा, जो इलाज के लिए अस्पताल लाए जाते हैं, पर बिस्तर खाली नहीं होने पर उन्हें भर्ती नहीं किया जाता।
संजय शुक्ला को अस्पताल के दौरे से ये जानकारी भी मिली कि अस्पतालों में मरीजों के इलाज पर पूरी तरह ध्यान भी नहीं दिया जा रहा। ऑक्सीजन की कमी के साथ-साथ रेमडेसिवीर इंजेक्शन के लिए भी मारामारी है। उन्हें पता चला कि यूनिक अस्पताल में 78 मरीज ऐसे हैं, जिन्हें तत्काल इंजेक्शन की जरूरत है। जबकि, मंगलवार को अस्पताल को सिर्फ 27 इंजेक्शन दिए गए। बुधवार को कोई इंजेक्शन नहीं भेजा गया। जबकि, मरीज को लगातार 5 दिन यह इंजेक्शन दिया जाना जरूरी है। ऐसी ही जानकारी दूसरे अस्पतालों से भी मिली। विधायक जब शहर के वर्मा हॉस्पिटल पहुंचे, तो मरीजों के परिजनों ने बताया कि अस्पताल के मैनेजमेंट ने उनसे कहा है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन नहीं है, आप खुद इंतजाम करें। लेकिन, संजय शुक्ला के पहुँचने पर अस्पताल से 24 इंजेक्शन निकले! अब विधायक अपनी टीम के साथ अब शहर के सभी अस्पतालों की हालत जानेंगे और खामियों का पता लगाएंगे। वे अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों से भी बात कर रहे हैं, ताकि असलियत का पता लगाया जा सके।
संजय शुक्ला ने सोशल मीडिया पर जनता के नाम एक अपील भी जारी की है। इसमें कहा गया कि अगर आपके परिजन इंदौर में किसी भी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में कोरोना बीमारी के कारण भर्ती है और उनको रेमडेसिवीर इंजेक्शन की जरूरत है, आप मुझसे सीधे संपर्क करें। उन्होंने इस अपील के साथ दो मोबाइल नंबर भी जारी किए हैं। लोगों ने उनसे संपर्क किया और उन्हें मदद भी मिली। इंदौर के लोगों का कहना है कि पहली बार वे किसी नेता को इस तरह सक्रिय देख रहे हैं। क्षेत्र क्रमांक-एक के लोगों के लिए ये नई बात नहीं है, पर इंदौर में पहली बार कोई ऐसा नेता सामने आया जो अस्पतालों में नकेल डालने के साथ प्रशासन के सामने खड़ा होकर सवाल कर रहा है! ऐसे में लोग संजय शुक्ला में मुंबई के सोनू सूद की छवि देख रहे हों, तो कोई गलत भी नहीं है!
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