- हेमंत पाल
मध्य प्रदेश की राजनीति आजकल आदिवासी केंद्रित बन गई। राज्य से लगाकर केंद्र तक की भाजपा सरकार आदिवासियों को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। इसलिए कि 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों ने भाजपा को जोर झटका दिया था। इसका असर ये हुआ कि पहली बार में राज्य में भाजपा की सरकार नहीं बनी! बाद में कैसे बनी और किसने बनवाई, वो एक अलग मामला है। लेकिन, पिछले सालभर से भाजपा पूरी तरह से आदिवासियों को अपने पाले में खींचने में लगी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या डॉ हीरालाल अलावा की शादी में भाजपा नेताओं का जमावड़ा भी क्या किसी रणनीति का हिस्सा है!
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धार के जिले के मनावर के कांग्रेस के विधायक डाॅ.हीरालाल अलावा 2 मई की रात विवाह बंधंन में बंध गए। उन्होंने अग्नि को साक्षी मानकर आदिवासी समाज के रीति रिवाज से सिविल जज की तैयारी कर रहीं जागृति ध्रुर्वे के साथ शादी की। विधायक व जागृति ने एकदूसरे को वरमाला पहनाकर फेरे लिए। विधायक हाथ में तलवार लेकर घोड़ी पर सवार होकर निकले। ये शादी अपने पैतृक गांव में ही करने के पीछे भी यही कारण है कि डॉ अलावा इसके जरिए इलाके को अपनी ताकत और नेताओं को अपनी पकड़ दिखाना चाहते थे और इसमें वे सफल भी रहे। भैंसलाई में धूमधाम से आतिशबाजी के साथ उनकी बारात निकाली गई। लेकिन, यह शादी अपने पीछे कुछ ऐसे सवाल छोड़ गई, जिसके जवाब आने वाला समय देगा!
कांग्रेस विधायक डॉ हीरालाल अलावा की शादी के प्रसंग ने सामाजिक और सामंजस्य का नया रूप दे दिया। इस शादी में कांग्रेस के साथ प्रदेश के कई भाजपा नेता जुटे! खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी विशेष रूप से वहां पहुंचे। उनके साथ मंत्री, विधायक और संगठन के पदाधिकारी भी थे। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सबसे पहले पहुँचने वाले विशिष्ट मेहमानों में थे। मनावर की पूर्व भाजपा विधायक रंजना बघेल भी शादी में मुस्कुराकर फोटो खिंचवाती दिखाई दीं, जिनसे डॉ अलावा की हमेशा नोकझोंक चलती रहती है! कांग्रेसी विधायक की शादी में तीर-कमान लेकर मुख्यमंत्री का नृत्य भी एक इशारा है। दरअसल, प्रदेश में आदिवासी सीटों की ताकत और उसके राजनीतिक गणित को देखते हुए दोनों ही पार्टियां इस वोट बैंक पर नजरें लगाए हैं। इसलिए कांग्रेस विधायक की शादी में मुख्यमंत्री न केवल पहुंचे, बल्कि उनके साथ झूमे भी। मुख्यमंत्री ने विधायक की शादी के फोटो अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से पोस्ट भी किए।
डॉ हीरालाल अलावा कांग्रेस के विधायक हैं, इसलिए कांग्रेस के नेताओं को तो आना ही था! पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह भी शुभकामना देने पहुंचे। कमलनाथ के साथ कांग्रेस के आदिवासी वर्ग का बड़ा चेहरा और विधायक कांतिलाल भूरिया भी थे। धार जिले के कई विधायकों के अलावा निमाड़-मालवा के कांग्रेस विधायक भी शादी में शरीक हुए। तीन कांग्रेस के तीन विधायकों के नाम तो निमंत्रण पत्र में ही थे। डॉ अलावा ने गांधी परिवार को भी न्यौता था और प्रियंका वाड्रा को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित भी किया! लेकिन, कांग्रेस के दिल्ली दरबार से कोई शादी में नहीं आया! बताया तो यहां तक जा रहा कि गांधी परिवार से उन्हें शुभकामना संदेश भी नहीं भेजा गया। जबकि, प्रचारित किया गया था कि प्रियंका ने आने का वादा किया है।
वास्तव में ये शादी से ज्यादा एक राजनीतिक जमावड़ा दिखाई दिया। क्योंकि, डॉ हीरालाल अलावा की पहचान सिर्फ कांग्रेस के विधायक तक सीमित नहीं है। वे पेशे से डॉक्टर हैं। मनावर से चुनाव लड़ने से पहले डॉ अलावा 'एम्स' दिल्ली में डॉक्टर और सहायक प्रोफेसर भी रह चुके हैं। उन्होंने एम्स से ही डॉक्टरी की पढ़ाई की। 2012 से 2015 तक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर रहे। 2016 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और आदिवासियों की आवाज उठाने वाला संगठन 'जयस' खड़ा किया था। वे इस सक्रिय संगठन के संरक्षक हैं और आदिवासियों के बीच अपनी अच्छी पैठ रखते हैं। उन्होंने अपनी शादी में जिस तरह से दोनों पार्टियों के राजनीतिकों की भीड़ जुटाई और अपने चुनाव क्षेत्र के गाँव के गाँव को आमंत्रित करके भव्य भोज किया, वो उनकी भविष्य की राजनीतिक रणनीति का संकेत है। इस पूरी शादी के कार्यक्रम और इसे मिली पब्लिसिटी को राजनीतिक नजरिए से देखा जाए, तो उसके कई मतलब निकाले जा सकते हैं।
2018 के विधानसभा चुनाव में जब डॉ हीरालाल अलावा के चुनाव में खड़े होने की हवा चली, तो वे अपने आदिवासी संगठन 'जयस' से ही मैदान में उतरने वाले थे। उनकी तरफ से सारी तैयारी और एलान भी हो चुका था। लेकिन, बताते हैं कि दिग्विजय सिंह ने उन्हें कांग्रेस के चिन्ह पर चुनाव लड़ने के लिए मना लिया। कांग्रेस की ये रणनीति कामयाब भी रही और डॉ अलावा ने चुनावी गठबंधन के तहत अपना आदिवासी वोट बैंक को कांग्रेस के पक्ष में मोड़ दिया। इससे 15 साल से बना भाजपा का गढ़ टूट गया। उन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री रंजना बघेल को करीब 40 हज़ार वोटों से मात दी थी। लेकिन, वे कांग्रेस को लेकर बहुत ज्यादा गंभीर कभी दिखाई नहीं दिए! वे एक राजनीतिक समझौते के तहत कांग्रेस के झंडे के तले जरूर आ गए, पर अभी भी पूरी तरह कांग्रेसी नहीं बन पाए।
राजनीतिक संकेत बताते है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी संगठन 'जयस' की बड़ी भूमिका को समझा जा सकता है। सत्ता पक्ष से लेकर विपक्षी नेताओं तक को अपनी शादी का न्यौतने की एक वजह यह भी समझी जा रही है कि 'जयस' 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले अपनी राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन करना चाहता था, जिसमें वो सफल रहा। लेकिन, सालभर बाद होने वाले चुनाव में वो क्या फैसला करेगा और किस पार्टी की तरफ झुकेगा ये जानना बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि, 'जयस' मध्य प्रदेश से गुजरात और राजस्थान तक अपनी पैठ बना रहा है। ऐसे में इस संगठन पर कांग्रेस के साथ भाजपा की भी नजरें टिकी हैं।
कांग्रेस विधायक की शादी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, कैलाश विजयवर्गीय समेत कई भाजपा नेताओं के आने को सहज स्वाभाविक सद्भावना नहीं माना जाना चाहिए! संभवतः ये भाजपा की भविष्य की रणनीति का कोई हिस्सा हो! क्योंकि, डॉ अलावा भले ही पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत गए हों, पर उनका दिल अभी भी 'जयस' के लिए ही ज्यादा रमता है। भाजपा की चुनावी रणनीति में इस बार आदिवासी पहले नंबर पर हैं, इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा डॉ हीरालाल अलावा को अपने पाले में लाने की कोशिश कर सकती है! लेकिन, ये सवाल अभी अनुत्तरित है कि वे भाजपा उम्मीदवार बनेंगे या 'जयस' की राजनीतिक पहचान बनाने के लिए उसके बैनर पर चुनाव लड़ेंगे! यदि ऐसा कुछ होता है तो शायद 'जयस' मनावर तक सीमित न रहे! उसका दायरा मालवा-निमाड़ की कुछ और विधानसभा सीटों तक फ़ैल सकता है।
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