- हेमंत पाल
भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा की दो खाली हो रही सीटों में से एक नाम की घोषणा कर दी। इस सीट से पिछड़ा वर्ग की नेता कविता पाटीदार का नाम फ़ाइनल कर दिया। उनका नाम संभावितों की लिस्ट में तो था, पर काफी नीचे। इसलिए इस नाम पर मुहर लगना चौंकाने वाली बात है। भाजपा ने इस बहाने दो निशाने लगाए! पार्टी ने ओबीसी के साथ महिलाओं के प्रति भी अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर दी। इंदौर के बड़े नेताओं की भीड़ में वे पहचाना हुआ नाम नहीं था, पर भाजपा के बड़े नेता भेरूलाल पाटीदार की बेटी होने के नाते उनको पार्टी में तवज्जो मिलती रही है। वे जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं, पार्टी की प्रदेश महामंत्री हैं और हाल ही में घोषित चुनाव समिति में भी उन्हें शामिल किया गया।
मध्यप्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं। इनमें 8 सीटें भाजपा और 3 सीटें कांग्रेस के पास है। इन्हीं में से तीन सीट 29 जून को खाली होंगी, जहां से अभी तक भाजपा के एमजे अकबर और संपतिया उइके और कांग्रेस से विवेक तन्खा थे। प्रदेश विधानसभा में विधायकों की संख्या बल के मुताबिक दो सीटें भाजपा और एक सीट कांग्रेस को मिलेगी। प्रदेश में खाली होने वाली दोनों सीटों पर दिग्गजों के नामों को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। ये भी समझा जा रहा था कि भाजपा की जो दो सीटें रिक्त हो रही है वे संपतिया उइके और एमजे अकबर की है। एक अनुमान यह भी था कि शायद दोनों को फिर से राज्यसभा में भेज दिया जाए, लेकिन पार्टी किसी को भी दोबारा भेजने के पक्ष में शायद नहीं थी।
इन दोनों सीटों पर कई बड़े चेहरों की चर्चा थी। पर, पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने कविता पाटीदार के नाम की घोषणा कर सभी को सकते में ला दिया। कविता पाटीदार का नाम सामने आते ही नए सिरे से राजनीति तेज हो गई। प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव होने हैं, उससे पहले भाजपा ने ओबीसी वर्ग का पत्ता चलकर एक महिला उम्मीदवार को राज्यसभा भेजकर बड़ा दांव चल दिया। खाली होने वाली दो सीटों से इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी लिया जा रहा था। किंतु, कविता की तान में सब ओझल हो गए!
भाजपा की तरफ से बाहरी दावेदारों की बात करें, तो केंद्रीय मंत्री पीय़ूष गोयल का नाम भी सुर्खियों में था, पर उन्हें महाराष्ट्र से भजने के आसार हैं। जबकि, दूसरे चेहरे के लिए पार्टी में जातिगत समीकरण की कोशिश हो रही थी, जो कविता पाटीदार के नाम पर ख़त्म हुई! ओबीसी के अलावा पार्टी में अनुसूचित जाति (एससी) के नाम पर भी विचार हुआ था। अनुसूचित जाति मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य का नाम सामने भी आया। लेकिन, पार्टी को लगा कि राजनीतिक संभावनाओं को देखते हुए एससी के बजाए ओबीसी को साधना ज्यादा जरूरी था। संपतिया उइके महिला जरूर हैं, पर वे आदिवासी वर्ग से आती हैं। भाजपा पिछली बार आदिवासी वर्ग से सुमेर सिंह सोलंकी को राज्यसभा में भेज चुकी है, इसलिए इस बार उइके की जगह कविता पाटीदार को भेजना जरूरी समझा गया।
भाजपा ने कविता पाटीदार को महामंत्री बनाकर अपने इरादों को पहले ही जाहिर कर दिया था। पहली बार किसी महिला नेता को महामंत्री बनाया गया। उन्हें मालवा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग का बड़ा चेहरा माना जा सकता हैं। भाजपा ने ओबीसी उम्मीदवार का नाम आगे बढाकर एक तरह से कांग्रेस को भी चिढ़ा दिया! लम्बे समय से कांग्रेस से अरुण यादव का नाम चर्चा में था! लेकिन, विवेक तन्खा को फिर से राज्यसभा का टिकट देकर कांग्रेस ने सबके लिए रास्ते बंद कर दिए। ऐसे में भाजपा ने ओबीसी नाम को आगे बढाकर इस वर्ग को लुभाने की भी कोशिश पूरी कर ली। बीजेपी ने ट्वीट करके कांग्रेस के जले पर नमक भी छिड़क दिया। भाजपा ने ट्वीट किया 'फर्क साफ है ... उनके अरुण यादव ताकते ही रहे। हमारी कविता पाटीदार दीदी राज्यसभा जा रही है।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और ओबीसी नेता अरुण यादव की इच्छा राज्यसभा में जाने की थी। कहा गया था कि उन्हें खंडवा लोकसभा के उपचुनाव के समय भी यही कहकर मैदान से हटने के लिए मनाया गया था! लेकिन, विवेक तन्खा को फिर से राज्यसभा में भेजकर कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों को लुभाने की कोशिश जरूर की, पर इस जमीनी चुनाव से पहले ओबीसी को नाराज कर दिया। इसलिए कि कांग्रेस बहुत दिनों से प्रदेश में ओबीसी को लेकर राजनीति कर रही है। ऐसे में भाजपा को अच्छा मौका मिला गया और उन्होंने इसे छोड़ा भी नहीं!
इन दोनों सीटों पर कई बड़े चेहरों की चर्चा थी। पर, पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने कविता पाटीदार के नाम की घोषणा कर सभी को सकते में ला दिया। कविता पाटीदार का नाम सामने आते ही नए सिरे से राजनीति तेज हो गई। प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव होने हैं, उससे पहले भाजपा ने ओबीसी वर्ग का पत्ता चलकर एक महिला उम्मीदवार को राज्यसभा भेजकर बड़ा दांव चल दिया। खाली होने वाली दो सीटों से इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी लिया जा रहा था। किंतु, कविता की तान में सब ओझल हो गए!
भाजपा की तरफ से बाहरी दावेदारों की बात करें, तो केंद्रीय मंत्री पीय़ूष गोयल का नाम भी सुर्खियों में था, पर उन्हें महाराष्ट्र से भजने के आसार हैं। जबकि, दूसरे चेहरे के लिए पार्टी में जातिगत समीकरण की कोशिश हो रही थी, जो कविता पाटीदार के नाम पर ख़त्म हुई! ओबीसी के अलावा पार्टी में अनुसूचित जाति (एससी) के नाम पर भी विचार हुआ था। अनुसूचित जाति मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य का नाम सामने भी आया। लेकिन, पार्टी को लगा कि राजनीतिक संभावनाओं को देखते हुए एससी के बजाए ओबीसी को साधना ज्यादा जरूरी था। संपतिया उइके महिला जरूर हैं, पर वे आदिवासी वर्ग से आती हैं। भाजपा पिछली बार आदिवासी वर्ग से सुमेर सिंह सोलंकी को राज्यसभा में भेज चुकी है, इसलिए इस बार उइके की जगह कविता पाटीदार को भेजना जरूरी समझा गया।
भाजपा ने कविता पाटीदार को महामंत्री बनाकर अपने इरादों को पहले ही जाहिर कर दिया था। पहली बार किसी महिला नेता को महामंत्री बनाया गया। उन्हें मालवा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग का बड़ा चेहरा माना जा सकता हैं। भाजपा ने ओबीसी उम्मीदवार का नाम आगे बढाकर एक तरह से कांग्रेस को भी चिढ़ा दिया! लम्बे समय से कांग्रेस से अरुण यादव का नाम चर्चा में था! लेकिन, विवेक तन्खा को फिर से राज्यसभा का टिकट देकर कांग्रेस ने सबके लिए रास्ते बंद कर दिए। ऐसे में भाजपा ने ओबीसी नाम को आगे बढाकर इस वर्ग को लुभाने की भी कोशिश पूरी कर ली। बीजेपी ने ट्वीट करके कांग्रेस के जले पर नमक भी छिड़क दिया। भाजपा ने ट्वीट किया 'फर्क साफ है ... उनके अरुण यादव ताकते ही रहे। हमारी कविता पाटीदार दीदी राज्यसभा जा रही है।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और ओबीसी नेता अरुण यादव की इच्छा राज्यसभा में जाने की थी। कहा गया था कि उन्हें खंडवा लोकसभा के उपचुनाव के समय भी यही कहकर मैदान से हटने के लिए मनाया गया था! लेकिन, विवेक तन्खा को फिर से राज्यसभा में भेजकर कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों को लुभाने की कोशिश जरूर की, पर इस जमीनी चुनाव से पहले ओबीसी को नाराज कर दिया। इसलिए कि कांग्रेस बहुत दिनों से प्रदेश में ओबीसी को लेकर राजनीति कर रही है। ऐसे में भाजपा को अच्छा मौका मिला गया और उन्होंने इसे छोड़ा भी नहीं!
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