- हेमंत पाल
इस दुनिया में कई चीजें ऐसी हैं, जिनका संबंध हमारे जीवन से जुड़ा होता है। चाहे वह घर हो, आंगन हो या घर की प्यारी सी छत ही क्यों न हो। छत पर जीवन की कई प्रिय और अप्रिय घटनाएं घटती हैं। सर्दियों में लोग छत पर धूप सेंकते दिखाई देते हैं, तो कभी तनहाई में तारे गिनते नजर आते हैं। यही छत है जिस पर रात-बेरात होने वाली हलचल सांसे बढा देती है। इसी छत पर बरसती चांदनी रात सुकून देती है। कहने का मतलब यह है कि छत हमारे जीवन हमारे और हमारे सुख-दुख का अभिन्न अंग है। जब हम छत से जुड़े रहते हैं, तो सिनेमा की नजर इस छत से अछूती कैसे रह सकती है। ऐसी दर्जनों फिल्में हैं जिनमें छत ने अहम भूमिका निभाई हैं। कई फिल्मों के गीतों में छत को कई तरह से जोड़ा गया। ऐसा नहीं कि छत का संबध केवल फिल्मों में अभिनेत्रियों तक ही सीमित है। यह छत कई बार फिल्मकारों के लिए अभिशाप भी बनकर आई। इसी छत से कूदकर मनमोहन देसाई ने आत्महत्या की थी, इसी छत ने दिव्या भारती जैसी अभिनेत्री को छिन लिया। 'तीसरी मंजिल' और 'बाजीगर' की कहानी ही लड़कियों को छत से धकेलने से शुरू हुई थी। 'दीवाना' में शाहरुख खान छत से टपक कर प्यार के लिए बलिदान करता है, तो 'तेजाब' का नायक इतना झकास है कि वो प्रेमिका को पटाने की खातिर छत से छलांग लगा देता है।
वैसे तो छत केवल दो अक्षरों का शब्द हैं, लेकिन इन दोनों में अक्षरों में 14 से लेकर 24 रीलों की फिल्में समाई होती है। ऐसी कई फिल्में हैं, जिनमें छत का बहुत उपयोग किया गया। फिल्मों में कहीं तो छत प्रेमियों का मिलन स्थल होता है, तो कहीं बदमाशों के छिपने का ठिकाना। कई हिंदी फिल्मों की छतों पर कई एक से बढ़कर एक गीत फिल्माए गए। इन्हीं छतों छुप छुपकर प्रेम प्रसंग भी दिखाए। कई फिल्मों में नायक और खलनायक के बीच उठा पटक का नजारा भी दर्शकों ने यहीं देखा। इसी छत पर बरसात में नायक-नायिका मदमस्त होकर भीगते रहते हैं, तो छत पर खड़ी उदास नायिका अपना विरह गीत भी इसी छत पर गाती दिखाई देती है। हॉरर फिल्मों में भी छत पर सफेद कपड़ों में मोमबत्ती थामें रहस्यमी स्त्री दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देते है। रामसे ब्रदर्स की कई फिल्मों में छत पर ऐसे डरावने दृश्य देखे गए।
जब से फ़िल्में बनना शुरू हुआ, घरों और महलों की छतें कथानक का प्रमुख हिस्सा रही। यदि सिनेमा के स्वर्णयुग की बात की जाए, तो इस दौर की तिकडी देव आनंद, दिलीप कुमार और राज कपूर ने भी कई फिल्मों में छत का दीदार किया है। इस तिकड़ी में देव आनंद ऐसे कलाकार थे, जिनका छत से कुछ ज्यादा ही नाता रहा है। उनकी फिल्मों के कई हिट गीत फिल्मों में फिल्माए गए, तो किसी फिल्म के क्लाइमेक्स में भी छत का इस्तेमाल किया गया। देव आनंद की फिल्मों में छत पर फिल्माए गीतों में 'असली नकली' का तेरा मेरा प्यार अमर, 'लव मैरिज' का कहां जा रहे थे कहां आ गए हम और धीरे धीरे चल चांद गगन में था। 'माया' का तस्वीर तेरी दिल में, 'बारिश' का कहते हैं प्यार किसको पंछी जरा बता दे काफी लोकप्रिय हुए हैं। विजय आनंद की फिल्म 'नौ दो ग्यारह' के क्लाइमेक्स में जब खलनायक सभी को बंदूक की नोक पर रखकर अल्टीमेटम देता है, तब देव आनंद के पास छत से नीचे कूदने के लिए एक मिनिट का समय रहता है। विजय आनंद ने इस एक मिनिट के दृश्य को घड़ी के कांटों के साथ इतनी खूबसूरती से फिल्माया था कि दर्शक सीट से चिपके रहते हैं।
राज कपूर का भी छत से नजदीकी रिश्ता रहा। फिल्म ’छलिया’ में डम डम डिगा डिगा छत पर खड़े राज कपूर दर्शकों को गुदगुदाते हैं। इसी फिल्म के क्लाइमेक्स में राज कपूर और प्राण की धुआंधार लड़ाई भी छत पर ही होती है। इस तिकडी के तीसरे नायक दिलीप कुमार की फिल्म 'नया दौर' का ओपी नैयर के संगीत निर्देशन में 'तुझे चांद के बहाने देखूं, तू छत पर आजा गोरिए' पैरों को थिरकने को मजबूर कर देता है। राजेश खन्ना की फिल्म 'अजनबी' में दो गीत छत पर ही फिल्माए गए थे। पहले गीत 'एक अजनबी हसीना से मुलाकात हो गई' में प्रेम की शुरूआत थी, तो 'भीगी भीगी रातों में' दोनों को पानी में मस्त होकर भीगते हुए दिखाया था। 'करण अर्जुन' का आइटम सांग 'छत पर सोया था बहनोई में तुझे समझ के आ गई, मुझको लाला जी माफ करना गलती मारे से हो गई’ भी छत की महिमा मंडित करता है। 'निकाह' फिल्म का गीत 'दोपहर की धूप में वो तेरा छत पर नंगे पैर आना याद है' प्रेम के अतिरेक को शिद्दत के साथ प्रस्तुत करता है। इसी छत को जब अटारी कहा जाता है, तो गीतकार 'मोरी अटरिया पर कागा बोले' जैसे गीत लिख डालते हैं। तो कभी 'छत के ऊपर दो कबूतर' जैसे गीत प्रेम प्रसंग को परिभाषित करते दिखाई पड़ते हैं।
अब गानों का ज़िक्र छिड़ा है, तो याद करें कि छत पर फिलमाए गानों का पिक्चराईज़ेशन भी कमाल का होता था। फिर चाहे वो 'छोटी सी आशा' हो या फिर 'छैंया-छैंया!' यह गाना अपने खूबसूरत ददृश्यों के कारण हमेशा याद किया जाता है। हरी-भरी वादियों में ट्रेन की छत पर मटक कर गाती मलाइका अरोड़ा की पहचान ही उस गाने की बदौलत ही इंडस्ट्री में बनी थी। विनोद संधू की फिल्म 'एजेंट विनोद' टेरर पर आधारित फिल्म थी, जिसमें एक मधुर गाना रचा गया था ’कुछ तो है तुझसे राब्ता’ गीतकार अमिताभ भट्टाचार्य और संगीतकार प्रीतम द्वारा रचित इस गीत को निर्देशक श्रीराम राघवन ने अद्भुत तरीके से फिल्म में जगह दी थी।
पारिवारिक फिल्मों में भी छत फिल्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। राजश्री की फिल्मों में सारा परिवार छत पर बैठा कभी पकवानों का लुत्फ लेता है, तो कभी बैठकर अंताक्षरी या गाने बजाने की महफिल सजा लेता है। करण जौहर की फिल्मों में भी इसी छत पर करवा चौथ के दृश्यों को बहुत खूबसूरती से फिल्माया गया। इसके बाद तो कई फिल्मों में नायिकाएं छत पर छलनी में दीया रखकर अपने पति का चेहरा देखते दिखाई देती है या छलनी लिए इंतजार करती दिखाई देती हैं। जबकि, पति सौतन के साथ दूसरी छत पर मौजूद होता है। सलमान की फिल्म 'बीबी नंबर-वन' में ऐसा ही दृश्य था, तो 'घर वाली बाहर वाली' में भी छत पर ऐसा ही प्रसंग फिल्माया गया था।
बहुत सी फिल्में ऐसी है, जिनमें छत से पतंग उड़ाई गई। सलमान खान 'सुल्तान' में छत पर पतंग लूटते दिखाई पडते है, तो 'हम दिल चुके सनम' में चुपके चुपके ऐश्वर्या से प्रेम करते दिखते हैं। 'एक था टाइगर' में भी सलमान ने एक छत से दूसरी छत पर छलांग लगाने के कारनामे दिखाए थे। 'दिल्ली-6' में भी छत पर कई पारिवारिक सीन फिल्माए गए थे। राजकुमार भी 'वक्त' और 'एक से बढकर एक' में छत पर ऐसे ही कारनामे दिखा चुके हैं। देश-विदेश में जितनी भी ऐसी फिल्म जिनमें म्यूजियम से बेशकीमती हीरो की चोरी दिखाई गई, उनमें हीरो अक्सर छत से ही आता है। फिल्मों में ऐसे कई सीन दर्शकों ने देखे होंगे, जिनमें छतों का अच्छा उपयोग किया गया। धर्मेंद्र की फिल्म 'जुगनू' में भी चोर बना नायक छत से लटककर ही कड़ी सुरक्षा में रखा हीरा उड़ा ले जाता है।
बहुत सी फिल्में ऐसी है, जिनमें छत से पतंग उड़ाई गई। सलमान खान 'सुल्तान' में छत पर पतंग लूटते दिखाई पडते है, तो 'हम दिल चुके सनम' में चुपके चुपके ऐश्वर्या से प्रेम करते दिखते हैं। 'एक था टाइगर' में भी सलमान ने एक छत से दूसरी छत पर छलांग लगाने के कारनामे दिखाए थे। 'दिल्ली-6' में भी छत पर कई पारिवारिक सीन फिल्माए गए थे। राजकुमार भी 'वक्त' और 'एक से बढकर एक' में छत पर ऐसे ही कारनामे दिखा चुके हैं। देश-विदेश में जितनी भी ऐसी फिल्म जिनमें म्यूजियम से बेशकीमती हीरो की चोरी दिखाई गई, उनमें हीरो अक्सर छत से ही आता है। फिल्मों में ऐसे कई सीन दर्शकों ने देखे होंगे, जिनमें छतों का अच्छा उपयोग किया गया। धर्मेंद्र की फिल्म 'जुगनू' में भी चोर बना नायक छत से लटककर ही कड़ी सुरक्षा में रखा हीरा उड़ा ले जाता है।
मकानों की छत, कभी ट्रेन में डकैती या लूटपाट करके भागते अपराधियों पर अनगिनत फिल्में बनी हैं। ’द ग्रेट ट्रेन रॉबरी’ थीम पर कई हिंदी फ़िल्में बनी। इन फिल्मों के सीन देखकर कई बार दर्शकों के रौंगटे खड़े हो जाते हैं। होमी वाडिया की फिल्म में वाडिया का घोड़ा चलाती हुई रेलगाड़ी की छत पर सरपट भागती है। उस दौर में ट्रिक फोटोग्राफी जैसा कुछ नहीं था, इसके बावजूद रेल की छत पर ऐसे दृश्य फिल्माए जाते रहे। 'शोले' का शुरूआती दृश्य भी ऐसा ही था, जिसमें संजीव कुमार के साथ अमिताभ और धर्मेंद्र ट्रेन पर हुए डाकुओं के हमले को ट्रेन की छत से ही नाकामयाब करते हैं। सलमान खान की ’टाइगर-3’ में भी वे छत पर एक्शन सीन करते नजर आएंगे। 'पठान' में जब सलमान खान टाइगर के कैरेक्टर में शाहरुख़ खान की मदद करने आते हैं, तो एक सीन ये आता है, जब ट्रेन नीचे खाई में गिरती है और दोनों छत की साइड पकड़कर लटके होते हैं। अभी कई फिल्मों में छत के ऐसे कई सीन और गाने आना बाकी है, जिनमें 'छत' छायी रहेगी।
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