Wednesday, September 27, 2023

दूसरी सूची ने भाजपा की रणनीति का इशारा कर दिया!

- हेमंत पाल

      भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा से जिस तरह चौंकाया था, उससे कहीं ज्यादा दूसरी लिस्ट से चौंकाया। इसलिए कि इस दूसरी लिस्ट में भाजपा ने 39 उम्मीदवारों में अपनी सारी ताकत झोंक दी। सात सांसदों को विधायक का चुनाव लड़ने के लिए उतार दिया, जिनमें तीन केंद्रीय मंत्री हैं। एक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर तो भाजपा की चुनाव अभियान समिति के मुखिया हैं। जबकि, एक सांसद पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। भाजपा ने 39 उम्मीदवारों के बहाने अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को यह संदेश भी दे दिया, कि वे चुनाव जीतने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे। फिर उन्हें इसके लिए कुछ भी करना पड़े। सबसे दिलचस्प मुकाबला तो इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-एक बन गया, जहां से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को एक बार चुनाव जीते संजय शुक्ला के मुकाबले में उतार दिया गया। इस वजह से प्रदेश में यह सीट सबसे ज्यादा दिलचस्प हो गई।
      इसे संयोग माना जाना चाहिए या कोई चुनावी टोटका कि पिछली बार भी भाजपा ने फिर 39 उम्मीदवारों की ही लिस्ट जारी की। यह लिस्ट अप्रत्याशित कही जाएगी, क्योंकि अभी इस लिस्ट के आने की कोई हलचल नहीं थी। पार्टी ने विधानसभा की चुनाव अभियान समिति के मुखिया नरेंद्र तोमर को भी दिमनी से चुनाव लड़ाने का फैसला किया। इसके अलावा नरसिंहपुर से प्रहलाद सिंह पटेल, जबलपुर (पश्चिम) से राकेश सिंह, सीधी से रीति पाठक, सतना से गणेश सिंह, निवास सीट से फग्गन सिंह कुलस्ते और गाडरवारा से उदय प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया गया। सात सांसदों और पार्टी के एक राष्ट्रीय महासचिव के नाम इसी पर प्रसंग में देखे जा सकते हैं। यहां तक कि पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह भी जबलपुर (पश्चिम) से चुनाव लड़ेंगे। ये उन सीटों के उम्मीदवारों की लिस्ट है जहां से भाजपा 2018 में चुनाव हारी थी। वैसे 230 सीटों वाली विधानसभा में अभी तक 78 उम्मीदवारों की घोषणा भारतीय जनता पार्टी कर चुकी है। अभी भी 152 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जाने हैं। इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं, कि पार्टी कई और बड़े नामों को मैदान में उतार सकती है। इस सूची में इमरती देवी समेत ज्योतिरादित्य सिंधिया के पांच समर्थकों के नाम भी हैं। जबकि, 11 नए चेहरों को भी जगह मिली। 
   इस लिस्ट की दूसरी चौंकाने वाली बात है उम्मीदवारों की लिस्ट में कैलाश विजयवर्गीय का नाम होना। वे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं और पार्टी के बड़े नेता हैं। उन्हें इंदौर के क्षेत्र क्रमांक-एक से चुनाव मैदान में उम्मीदवार बनाया गया। वे कांग्रेस के संजय शुक्ला के सामने चुनाव लड़ेंगे। कैलाश विजयवर्गीय का मैदान में उतरना यह दर्शाता है कि पार्टी इस बार जीत का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। फिर चाहे उसे किसी को भी चुनाव लडना पड़ेगा। 
      इस बात को याद किया जा सकता है, कि कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के सामने छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि यदि पार्टी कहेगी तो मैं छिंदवाड़ा जाकर चुनाव लड़ना चाहूंगा। लेकिन, उन्हें उन्हीं के शहर में कांग्रेस के एक ताकतवर उम्मीदवार के सामने उतार दिया गया। इस वजह से इंदौर के क्षेत्र-एक का चुनाव बेहद रोचक और रोमांचक हो गया। क्योंकि, दोनों ही उम्मीदवार किसी भी मामले में एक दूसरे से कम नहीं हैं।
     भाजपा की दूसरी सूची में सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इसमें पांच ऐसे वरिष्ठ नेताओं को टिकट दिया गया, जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा सकते हैं। ये हैं नरेंद्र तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, कैलाश विजयवर्गीय और राकेश सिंह। यदि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है, तो यह माना जाना चाहिए कि इनमें से कोई न कोई मुख्यमंत्री बन सकता है। नरेंद्र तोमर को चुनाव की जंग में उतारने का सीधा आशय यही लगाया जा रहा। 230 सीटों में से अभी भाजपा ने 78 उम्मीदवार घोषित किए हैं। दूसरी लिस्ट में जिस तरह के उम्मीदवारों के नाम हैं, उससे साबित होता है कि होने वाला विधानसभा चुनाव बेहद रोमांचक होगा।
    दूसरी सूची में नाम हैं, उससे ये तो स्पष्ट हो गया कि भाजपा ने जिन बड़े नेताओं को मैदान में उतारा है, वे पार्टी की रणनीति भी दर्शाते हैं। भाजपा ने अपने करीब सभी भारी भरकम नेताओं को दांव पर लगाकर अपनी जीत जिद को तो दिखा दिया, पर किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बताया। यहां तक कि नरेंद्र तोमर भी लिस्ट में शामिल हो गए, जिन्हें भाजपा ने चुनाव अभियान की कमान सौंपी है। इन नेताओं के अनुभव और कार्यशैली से निश्चित रूप से शिवराज सिंह प्रभावित होंगे। यह भी साबित हो गया कि यदि भाजपा की सरकार भी बनी, तो भी शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी का दावेदार नहीं बनाया जाएगा। शिवराज सिंह के विकल्प के रूप में नरेंद्र सिंह तोमर का नाम पहले भी सामने आ चुका है। 
    केंद्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारने के पीछे भाजपा की मजबूरी कही जाए या रणनीति! पर, पार्टी का यह प्रयोग उसकी कमजोरी ज्यादा नजर आ रहा है। दूसरी लिस्ट से यह भी साफ हो गया कि पार्टी के आलाकमान शिवराज सिंह चौहान को लेकर बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है। जब कैलाश विजयवर्गीय की उम्मीदवार दूसरी लिस्ट से सामने आई, तो उन्होंने भी आश्चर्य व्यक्त किया। उनका कहना था कि ये पार्टी का आदेश है। मुझसे कहा गया था कि मुझे कोई ज़िम्मेदारी दी जाएगी और मुझे ना नहीं करना है। जब सूची जारी की गई, तो मुझे भी आश्चर्य हुआ। मैं संगठन का सिपाही हूँ, जो कहा जाएगा, वही करूंगा। 
    अभी तक जो 78 टिकट घोषित किए गए, उनमें सबसे ज़्यादा 22 मालवा और निमाड़ अंचल के हैं। ये भाजपा और संघ का पुराना गढ़ रहा है। इसके बाद महाकौशल के 18 उम्मीदवारों की घोषणा की गई। जबकि, ग्वालियर-चंबल संभाग से 15 नामों की घोषणा हुई। इस सूची से एक बात और स्पष्ट हुई कि पार्टी को 'सत्ता विरोधी लहर' का अंदेशा है और उससे निपटने के लिए उसके पास यह आखिरी तीर था, जिसे चला दिया गया। अब कहीं ऐसा न हो कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी किसी विधानसभा सीट से उतार दिया जाए। 
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