राजनीति में हादसों की कमी नहीं है। किसी नेता को पता नहीं होता कि कब उसके साथ क्या घट जाए! कब कौनसा चुगलखोर हाईकमान के पास हाजरी लगाने पहुंच जाए और सारी जमावट मटियामेट कर दे। इतिहास के पन्ने पलटे जाएं तो ऐसे हादसों की कमी नहीं है, जब रात में मंत्री के तौर पर सोए नेता को सुबह उठते ही चलता कर दिया गया या हाईकमान ने पार्टी का फैसला बताकर इस्तीफा मांग लिया हो। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर दोबारा काबिज होने के अगले दिन ही अर्जुनसिंह को पंजाब कर राज्यपाल बनाकर भेजने के आदेश दिए गए थे।
यह प्रसंग इसलिए कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी आजकल अपनी कुर्सी को लेकर कुछ भयभीत नजर आ रहे हैं। शिवपुरी में दिए अपने भाषण में इस बात के संकेत दिए कि उन्हें हटाने के लिए भूमाफिया धन जमा कर रहा है। क्योंकि, मैंने इनके खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। किसी सामान्य व्यक्ति के लिए मुख्यमंत्री का यह बयान साहस भरी बात हो सकती है, जो भूमाफिया से जरा भी नहीं डरता और उन्हें खुले आम चैलेंज दे रहा है। लेकिन, राजनीतिक नजरिए से डेेढ़ वाक्य के मुख्यमंत्री के इस बयान के कई मतलब हैं। सबसे मार्के की बात तो यह है कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री उस अज्ञात भय से भयभीत है, जो शायद उसे हटाने के लिए कहीं रचा जा रहा है या उसे रचे जाने की जानकारी है। अपने विरोधियों की साजिश का खतरा मुख्यमंत्री ने महसूस किया है और अपने बचाव में यह सब कह डाला! मुख्यमंत्री ने यह नहीं कहा कि उनका इशारा किस भूमाफिया की तरफ है, पर समझने वालों के लिए बयान काफी था! भूमाफिया कौन है, यह किसी को समझाने की भी जरूरत नहीं!
यह भी हो सकता है कि शिवराजसिंह को किसी कारण से अपने हटाए जाने का संकेत मिल गया हो, और सम्मानजनक बिदाई की खातिर उन्होंने यह बयान उछाल दिया। ऐसा इसलिए कि कल को यदि उन्हें अचानक कुर्सी खाली करने का आदेश मिलता है तो हटाए जाने के कारणों के पीछे उनकी अयोग्यता पर अंगुली न उठाई जाए। बात मुख्यमंत्री की योग्यता और अयोग्यता की नहीं, बल्कि कुर्सी खो देने के अज्ञात भय से जुड़ी ज्यादा है। क्योंकि, राजनीति ऐसा पेशा है जहां सत्ता का सुख तब तक ही बना रहता है जब तक कि कोई आपसे ताकतवर नेता चुनौती न दे। शिवराजसिंह चौहान के बयान के पीछे सचाई क्या है, अभी इस बात का खुलासा तो नहीं हुआ पर यह संकेत कई तरह के इशारे कर रहा है।
बीते कुछ दिनों में मध्यप्रदेश की भाजपा राजनीति में बहुत कुछ हुआ। दागी मंत्रियों को लेकर काफी कुछ कहा गया और सफाई देने में भी कोताही भी नहीं की गई। इसी तारतम्य में स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा को पद छोड़ना पड़ा। कुछ और मंत्रियों के नामों को लेकर भी हलचल है, इस बात से सरकार के सूत्र भी इंकार नहीं कर रहे। ऐसे में यदि एक-आध पांसा उल्टा पड़ गया तो तय है कि खतरा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नजर आने लगे। क्योंकि, पैसे में बहुत ताकत है। मुख्यमंत्री भी कह ही चुके हैं कि उन्हें हटाने के लिए धन बल के इस्तेमाल की तैयारी है। अब यदि किसी भी कारण से शिवराजसिंह को मुख्यमंत्री निवास को अलविदा कहना पड़ता है, तो माना यही जाएगा कि उन्हें धन के धक्के ने गिरा दिया, वर्ना वे तो कुर्सी पर पक्का जोड़ लगाकर बैठे थे! लेकिन, कभी-कभी फेविकोल का जोड़ भी कच्चा रह जाता है।
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