हेमंत पाल
भारतीय जनता पार्टी ने दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने रंग में रंगने की योजना बनाई है! पार्टी पहले उन्हें अपनी विचारधारा के सेनेटाइजर से सेनेटाइज़ करके उनका राजनीतिक संक्रमण दूर करेगी! फिर उन्हें अपने रंग में रंगेगी, ताकि वे भाजपा की विचारधारा और अनुशासन को समझ लें! भाजपा को ये जरुरत इसलिए महसूस हुई कि बाहर से आने वाले कार्यकर्ता अपने अलग ही रंग में होते हैं, जिससे कई पार्टी में मुश्किल खड़ी हो सकती है। अभी सबसे बड़ा खतरा 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव हैं, जिसमें वे सिंधिया समर्थक उद्दंडता दिखा सकते हैं, जो न तो भाजपा को रास आएगा और न उसके खांटी कार्यकर्ताओं को! जानकारी मिली है कि भाजपा ने 'संघ' के सहयोग से इन कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण सत्र की योजना बनाई है। फिलहाल ये विचार ही है, जिसे जल्दी कार्यरूप दिया जाएगा।
अब कहा जा सकता है कि कांग्रेस (या अन्य किसी पार्टी) से भाजपा में आने वाले कार्यकर्ताओं को अब आसानी से राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा। उन्हें भाजपा की सदस्यता लेने के बाद पार्टी की रीति-नीति, अनुशासन और प्रतिबद्धता से प्रशिक्षित किया जाएगा। भाजपा की चुनाव अभियान समिति में उठे इस मुद्दे को लेकर पार्टी ने गंभीरता दिखाई है। भाजपा के वयोवृद्ध नेता विक्रम वर्मा ने इस गंभीर मसले पर विचार रखा था! जानकारी के मुताबिक पार्टी संगठन और 'संघ' ने इस दिशा में एक प्रशिक्षण योजना बनाने के संकेत दिए हैं। लेकिन, इस योजना को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
भाजपा और अन्य राजनीतिक पार्टियों में सबसे बड़ा अंतर अनुशासन और राजनीतिक सोच का है। पार्टी के ज्यादातर सदस्य आरएसएस (संघ) से निकले हैं, इसलिए वे राष्ट्रवादी नज़रिए, अनुशासन और पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता को समझते हैं। लेकिन, ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद उनके खेमे के कई लोग भाजपा में आ रहे हैं। जहाँ उपचुनाव होना है, वहाँ के उनके समर्थक भाजपा में आने लगे! इससे पार्टी में भीड़ तो बढ़ी है, पर ये खतरा भी खड़ा हो गया कि नए सदस्य क्या भाजपा के कठोर अनुशासन और पार्टी के प्रति सोच को समझ सकेंगे! इस समस्या का अंदाजा इसलिए हुआ कि ये समर्थक व्यक्ति केंद्रित राजनीति के पोषक हैं और अपने नेता को ही प्रचारित करने की कोशिश में रहते हैं। इससे भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं को आपत्ति आ रही है। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विक्रम वर्मा जैसे कई पुराने नेताओं ने भी पार्टी को इस पर विचार करने को कहा है। पार्टी की बैठकों में भी इस मसले पर विचार-विमर्श हुआ और 'संघ' ने भी पार्टी को संभावित खतरे से अवगत कराया।
जानकारी के मुताबिक पार्टी ने दूसरी पार्टियों से आने वाले नए कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने का विचार किया है। इसके लिए संघ की भी मदद लिए जाने की सूचना है। इस सत्र में नए कार्यकर्ताओं को पार्टी विचारधारा, राष्ट्रवादी सोच और अनुशासन की शिक्षा दी जाएगी। उन्हें ये भी सिखाया जाएगा कि भाजपा में व्यक्ति केंद्रित राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है! भाजपा कैडर बेस पार्टी है, जहाँ आगे बढ़ने के लिए कोई शार्ट कट नहीं होता! पार्टी विचारधारा से शिक्षित करने के अलावा बाहर से आने वाले इन नेताओं और कार्यकर्ताओं को भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं के साथ आपसी मेलजोल रखने की भी शिक्षा दी जाएगी। संगठन स्तर पर होने वाले इस प्रशिक्षण सत्र को संघ के जरिए चलाए जाने की योजना है! पर, अभी इस संबंध कोई अंतिम फैसला होना बाकी है।
भाजपा को इस बात की भी आशंका है कि ग्वालियर-चंबल इलाके में उपचुनाव के दौरान पुराने पार्टी कार्यकर्ताओं और सिंधिया के साथ आए लोगों में आपसी तनाव हो सकता है। क्योंकि, यहाँ की 15 विधानसभा सीटों पर भाजपा के वे उम्मीदवार चुनाव में उतरेंगे, जो पहले कांग्रेस में थे। इनके साथ भाजपा में आए कार्यकर्ताओं का अपना जोश है, जो वहाँ के पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं को शायद रास न आए! विक्रम वर्मा का भी कहना है, कि भाजपा की चुनाव लड़ने की शैली और कांग्रेस की शैली में अंतर हैं! ये कहीं तनाव का कारण न बने, इसलिए नए कार्यकर्ताओं को मूल विचारधारा की जानकारी देना भी जरुरी है।
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