Saturday, January 23, 2021

परदे की दुनिया में आस्था का मज़ाक

- हेमंत पाल

    लॉकडाउन के दौरान जब सिनेमाघर बंद हो गए और फिल्म के शौकीनों के पास कोई विकल्प नहीं बचा, तब ओटीटी प्लेटफॉर्म की डिमांड बढ़ी! लोगों ने वेब सीरीज देखना शुरू किया और इसके साथ ही इसकी खामियों पर भी नजर पड़ी। खुलेआम गालियों और अश्लील दृश्यों के अलावा वेब सीरीज की एक सबसे बड़ी खामी हिंदू देवी-देवताओं के प्रति निरर्थक टिप्पणियाँ और उनका मजाक उड़ाना भी है! 'तांडव' ऐसी ही एक वेब सीरीज है, जिसे लेकर लोगों का विरोध सामने आया। इस वेब सीरिज़ का नाम नृत्य के एक रूप 'तांडव' पर रखा, जो भगवान शिव समेत हिंदू देवताओं से जुड़ा है। आरोप है कि इस वेब सीरीज में भगवान शिव के बारे में कुछ आपत्तिजनक बातें भी कही गई! इस तरह का ये पहला मामला नहीं है। कुछ दिन पहले एक अन्य वेब सीरीज 'ए सूटेबल बॉय' पर भी मंदिर की पवित्रता भंग करने का आरोप लगा था। एक ही एपिसोड में कई बार मंदिर परिसर में चुंबन दृश्य फ़िल्माए गए। पटकथा के अनुसार मुस्लिम युवक को हिंदू महिला प्रेम करती है! लेकिन, सवाल उठता है कि सभी चुंबन दृश्य मंदिर परिसर में ही क्यों फिल्माए गए!  
    पहले फिल्मों में और अब वेब कंटेंट में हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करना एक शगल बन चुका है। फिल्मकारों को लगता है कि ऐसे विवाद उठेंगें तो दर्शक आकर्षित होंगे और फिल्म या वेब सीरीज चलेगी। सैफ अली खान ने चर्चित वेब सीरीज 'सेक्रेड गेम्स' में सरदार की भूमिका निभाई है। इसमें  सैफ का किरदार सरताज नाम का सरदार था, जो एक दृश्य में हाथ में पहनने वाला कड़ा निकालकर फेंक देते हैं, जिसे लेकर विवाद खड़ा हुआ था। अपहरण, गंगाजल और 'आरक्षण' जैसी हिट फिल्म बनाने वाले प्रकाश झा की वेब सीरीज 'आश्रम' को लेकर भी विवाद हुआ था। सीरीज में बॉबी देओल ने बाबा निरालापुर काशीपुर वाले का किरदार निभाया है। इस पर भी रोक लगाने की मांग उठी थी। 
   लॉकडाउन के बाद ओटीटी पर रिलीज हुई अक्षय कुमार की फिल्म 'लक्ष्मी' (जिसका नाम पहले 'लक्ष्मी बॉम्ब' था) को लेकर भी विरोध पनपा था। निर्माता ने सोचा होगा कि फिल्म के नाम के साथ 'बॉम्ब' लगाने से फिल्म हिट हो जाएगी। लेकिन, विरोध के कारण फ़िल्म का टाइटल बदलना पड़ा। यह तमिल में बनी फिल्म 'कांचना' का हिंदी रीमेक था। तमिल फिल्म में बुराई पर अच्छाई की जीत होने पर पार्श्व में गीता के श्लोक सुनाई देते हैं। जबकि, 'लक्ष्मी' में ऐसा कुछ नहीं है। देखा जाए तो रीमेक में 'कांचना' के वे सारे दृश्य नहीं फिल्माए गए, जहां हिंदू धर्म की अच्छाइयों को दर्शाया गया था। यही कारण रहा कि 'लक्ष्मी' एक हिंदू विरोधी फिल्म बनकर रह गई! इससे पहले विरोध होने पर संजय लीला भंसाली की फिल्म 'राम लीला' का नाम बदलकर 'गोलियों की रासलीला-रामलीला' रखा गया था। फिल्म में दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह मुख्य भूमिकाओं में थे। फिल्म का नाम सामने आने के बाद इतना विवाद हुआ कि निर्माता को फिल्म का नाम बदलना पड़ा। कई हिंदूवादी संगठनों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किए और सिनेमाघरों को नुकसान पहुँचाने की धमकी दी थी, इसके बाद ही फिल्म का नाम बदला गया। 
     सलमान खान के जीजा आयुष शर्मा की पहली फिल्म 'लवरात्रि' का नाम भी ‘लवयात्री’ किया गया था। इस फिल्म के नाम को लेकर भी आपत्ति आई थी। हिंदू संगठनों का आरोप था कि फिल्म के नाम से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचती है। ओटीटी पर रिलीज हुई फिल्म 'लूडो' को लेकर भी सवाल उठे। इस फिल्म में चार कहानियों को एक में पिरोया गया! लेकिन, आरोप है कि निर्देशक अनुराग बासु ने यहाँ भी अपनी हिंदू विरोधी सोच का तड़का लगाने का मौका नहीं छोड़ा। हिंदू धर्म और संस्कृति को निशाना बनाने के लिए उन्होंने पांडवों को गलत और कौरवों को सही करार दिया, वहीं ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूपों का भी उपहास बनाया। 
    आमिर खान की फिल्म 'पीके' को लेकर हिंदू संगठनों ने बहुत विरोध किया था। उनका कहना था कि फिल्म में हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत किया गया। फिल्म के ऐसे दृश्य हटाने की मांग भी उठी थी। इस फिल्म में एक पाखंडी संत को बहुत ज्यादा महिमा मंडित किया गया था! लेकिन, इतने विरोध और मामला अदालत तक जाने के बावजूद न तो फिल्म पर रोक लगी और न कोई दृश्य हटाया गया। उत्‍तराखंड में 2013 में आई प्राकृतिक आपदा की पृष्‍ठभूमि पर बनी फिल्‍म 'केदारनाथ' भी विवादों में रही। इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि इस फिल्म ने हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाया है। इस पर लव जिहाद को भी बढ़ावा देने का आरोप लगा था। फिल्म के टीजर में सुशांतसिंह राजपूत और सारा अली खान के बीच एक चुंबन दृश्य दिखाया गया। इसके पोस्टरों में टैगलाइन थी 'लव इज ए पिलग्रिमेज' जिस पर आपत्ति जताते हुए कहा गया था कि यह हिंदू धर्म पर हमला है। क्योंकि, केदारनाथ करोड़ों हिंदुओं की आस्था को व्यक्त करता है। 
    हिंदू आस्था के प्रति गंभीर विचार रखने वालों का कहना है, कि ऐसी फिल्में और वेब सीरीज दिखाकर हिंदुओं की धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाई जाती है। 'गोलियों की रासलीला : राम लीला' में राम की भूमिका को गलत तरीके से दर्शाया गया था। जोधा-अकबर में भी तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और अकबर को सकारात्मक ढंग से दिखाया था। 'बाजीराव मस्तानी' में भी मस्तानी को सीधा दिखाया गया, लेकिन वास्तव में मस्तानी बेहद सख्त और राजा के हर फैसले में दखलंदाजी करने वाली थी। प्रियंका चोपड़ा ने हॉलीवुड में जो 'क्वांटिको' शो किया, उसमें भी हिंदू आतंकवाद की कहानी दिखाई गई है। इसमें पाकिस्तान को पीड़ित पक्ष दिखाया है। अगर सिनेमा को देश और समाज का आईना माना जाता है, तो समाज के हर धर्म का ध्यान रखा जाना चाहिए। यदि वास्तव में फिल्मों में समाज का सही चेहरा दिखाया जाता है, तो परदे पर सभी धर्मो के बारे में दिखाना जाना जरुरी है। सिर्फ एक धर्म को निशाने पर रखकर दूसरे धर्मो को नज़रअंदाज़ किया जाता रहा, तो इससे देश में बदलाव नहीं होगा बल्कि विवाद ही पनपेंगे। 
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