Saturday, January 29, 2022

कमलनाथ और दिग्विजय के बीच 'सब कुछ' सामान्य नहीं!

   कांग्रेस की मध्यप्रदेश राजनीति में ऊपर से सब कुछ सामान्य दिखाई दे रहा हो, पर है नहीं! कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच सामंजस्य लग रहा हो, पर वास्तव में इन दोनों बड़े नेताओं में भी मतभेद उभरते लग रहे हैं। कई बार ऐसे मौके आए, जब इनमें खींचतान हुई है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से किसानों की समस्याओं को लेकर मुलाकात का समय न मिलने पर दिग्विजय सिंह ने सीएम हाउस के सामने जो धरना दिया, उसने इन नेताओं के बीच मतभेदों को कुछ ज्यादा ही चौड़ा कर दिया। इस राजनीतिक घटनाक्रम की परतें अब खुलकर सामने आ गई। जो कुछ सामने आया, उससे लग रहा है कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच फासले बढे हैं और राजनीतिक माहौल भी अनुकूल नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिग्विजय सिंह को मुलाकात का समय न देने के बाद स्टेट हैंगर पर कमलनाथ से आधे घंटे बात करने से कांग्रेस की राजनीति में अंदरूनी कलह पनपने लगा है।
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- हेमंत पाल

    राजनीतिक गलियारों में एक वीडियो खासी चर्चा में हैं। यह वीडियो दिग्विजय सिंह द्वारा सीएम हाउस के सामने दिए गए धरना स्थल का है। ये तब का है, जब कमलनाथ स्टेट हैंगर पर शिवराज से बात करके सीधे धरना स्थल पर पहुंचते हैं। वीडियो में जो कुछ संवाद दिग्विजय और कमलनाथ के बीच सुनाई और दिखाई दे रहे हैं, उससे जाहिर है कि दोनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। ये भी समझा जा रहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि भाजपा अपनी राजनीति से दोनों नेताओं में फूट डाल रही हो! गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मजाक में इसका इशारा तो दे ही दिया। एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह के बीच मुलाकात को लेकर मुद्दा गरमाया! दूसरी तरफ शिवराज और कमलनाथ के बीच स्टेट हैंगर पर एक-दूसरे का हाथ थामे और मुस्कुराते दिखाई दिए। करीब आधे घंटे तक दोनों नेता बात करते रहे। इसके बाद से ही ये कयास लगाए जाने लगे कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा! पार्टी के इन दोनों बड़े नेताओं में तल्खी बढ़ने लगी है। क्योंकि, इस एक घटना ने प्रदेश की राजनीति को ही नहीं, कांग्रेस के अंदर की राजनीति को भी खदबदा दिया। अब इन दो विपरीत प्रसंगों के राजनीतिक मतलब निकाले जाने लगे। 
   मुख्यमंत्री से स्टेट हैंगर पर मुलाकात करने के बाद कमलनाथ का सीधे दिग्विजय के धरने पर आना और मीडिया को सफाई देना भी समझ से परे रहा। उन्होंने बताया 'मैं स्टेट हैंगर पर छिंदवाड़ा से आया था, मुख्यमंत्री कहीं जा रहे थे, तभी हमारी मुलाकात हुई। यह पहले से तय नहीं था, अचानक मुलाकात हुई! मुझे धरने की भी जानकारी नहीं थी। शिवराज जी ने मुझसे कहा, देखिए दिग्विजय सिंह धरना दे रहे हैं! हालांकि, मुझे धरने की जानकारी नहीं थी। सीएम ने कहा मैं तो टाइम दे दूं, मुझे क्या तकलीफ होगी।' उधर, मुख्यमंत्री का भी उसी दिन एक वीडियो सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि 'मैं जा रहा था, वो आ रहे थे! स्टेट हैंगर पर हमारी राम राम हुई, बस!' जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था।     
  धरना स्थल पर कमलनाथ-दिग्विजय साथ-साथ बैठे थे। तब कमलनाथ और दिग्विजय के बीच जो बात हुई, वो गौर करने वाली थी! इस तल्ख़ बातचीत का जो वीडियो सामने आया, जिसमें दोनों नेता धरना स्थल पर सार्वजनिक रूप से बात करते दिखाई दिए। वहाँ और भी लोग और मीडिया सब मौजूद थे। कमलनाथ बोले 'हम (दिग्विजय सिंह) तो मिले थे, चार दिन पहले, दिग्विजय साहब को बताना था।' इस पर दिग्विजय सिंह ने कहा 'आपको बताने की जरूरत ही नहीं थी।' तो कमलनाथ ने बोले 'ये बात मुझे नहीं बताई चार दिन पहले हम मिले थे, उसके बाद मैं छिंदवाड़ा चला गया।' इस पर दिग्विजय सिंह का जवाब था 'बात ये है कि हम तो डेढ़ महीने से समय मांग रहे थे। ... अब मुख्यमंत्री से मिलने के लिए आपसे क्यों समय मांगे!' दिग्विजय सिंह ने ये बात तल्खी से कही थी। इस पर कमलनाथ झुंझलाकर बोले 'देट्स ट्रू!' दरअसल, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच जो बातचीत हुई, वो दो बड़े नेताओं के बीच सार्वजनिक स्थल पर हुई सामान्य चर्चा नहीं कही जा सकती। दोनों के बीच बेहद तनाव के हालात नजर आए। संवाद भी ऐसे नहीं थे कि उन्हें सहजता लिया जाए!
     धरने के दो दिन जब दिग्विजय सिंह को शिवराज सिंह के दफ्तर से मुलाकात का समय मिला तब उनके साथ कमलनाथ भी गए। लेकिन, इस मुलाकात के खास मायने थे। दिग्विजय सिंह की मुख्यमंत्री से मुलाकात तो हुई, लेकिन वे किसानों के साथ अकेले नहीं मिल पाए। उनके साथ कमलनाथ जो थे। ध्यान देने वाली बात ये, कि जब मुलाकात हो रही थी, तब मुख्यमंत्री के सामने किसानों का मुद्दा कमलनाथ ने रखा। दिग्विजय सिंह उनसे दूर खड़े रहे। मुलाकात के बाद दिग्विजय और कमलनाथ दोनों नेताओं के बयान सामने आए। कमलनाथ ने कहा कि मैं दिग्विजय सिंह के साथ सीएम हाउस गया था। मैंने ही कहा दिग्विजय से मैं साथ जाऊंगा।
   उधर, भाजपा नेता और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी इस मामले में चिकोटी लेकर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच मतभेद पनपने का इशारा किया। उन्होंने कहा कि कमलनाथ को दिग्विजय सिंह पर भरोसा नहीं होगा, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री से अकेले नहीं मिलने दिया। कमलनाथ जी की दिग्विजय सिंह के प्रति इतनी अविश्वसनीयता ठीक नहीं है। गृह मंत्री ने कहा कि यह अविश्वसनीयता दोनों की मित्रता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाती है। वैसे सार्वजनिक रूप से तो यह दोनों अपनी मित्रता का दावा करते दिखते हैं! लेकिन, सच कुछ और दिखा रहा है।
   कमलनाथ की अपनी अलग ही राजनीतिक शैली है। वे दोस्ती वाली राजनीति करके विरोधियों को घेरते हैं। जबकि, दिग्विजय सिंह मुद्दों पर आक्रामक रवैया अपनाते हैं और तंज शैली में बयान देते हैं। ऐसे में कहीं न कहीं दोनों के बीच मतभेद होने लगे हैं! दोनों नेताओं ने कभी इस बारे में खुलकर कुछ नहीं कहा। लेकिन, जिस तरह से प्रदेश में राजनीतिक स्थितियां बन रही है, उससे लग रहा है कि दोनों के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है। इस बात से इंकार नहीं कि दोनों के बीच तनाव के ये हालात पहले नहीं थे। सिंधिया के कांग्रेस से जाने के बाद जब दोनों के सामने तीसरा कोई नहीं था, तो मतभेद भी पनपने लगे। 
        ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस की स्थितियां ज्यादा ही बदली है। सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ही पार्टी दो बड़े नेता बचे हैं। दोनों का अपना अलग जनाधार है। दोनों राजनीति के पके हुए खिलाड़ी हैं। राजनीति करने का दोनों का अपना ही स्टाइल है। सिंधिया जब तक कांग्रेस में थे तब तक कमलनाथ और दिग्विजय सिंह में बेहतर तालमेल था. लेकिन अब स्थितियां बदलने लगी है। क्योंकि, दोनों नेता प्रदेश में अपना अकेले का वर्चस्व चाहते हैं और इस वजह से कई मुद्दों पर दोनों में मतभेद भी हैं। ऐसे में शिवराज सिंह भी कम नहीं है। उन्होंने दोनों को साथ रखते हुए भी उनके बीच एक महीन रेखा खींची है। उन्होंने स्टेट हैंगर पर कमलनाथ को पूरा समय दिया और फिर किसानों से मुलाकात के वक़्त भी बजाए दिग्विजय को उसका श्रेय लेने के, कमलनाथ को ज्यादा भाव दिए।  
    ज्योतिरादित्य सिंधिया वाले मामले को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच लम्बा घटनाक्रम चला। जब सिंधिया अपने समर्थकों को लेकर बेंगलुरु गए थे, तब दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ को विश्वास दिलाया था, कि मैं सब मामला संभाल लूंगा! कमलनाथ भी निश्चिंत थे, कि सिंधिया का सेबोटेज कामयाब नहीं होगा! लेकिन, जब सिंधिया ने अपने समर्थकों ने कांग्रेस छोड़कर सरकार गिरा दी, उसके बाद दोनों नेताओं के बीच पहली बार दरार उभरी। जबकि, कमलनाथ की सरकार के दौरान समझा जाता था कि कई मामलों में दिग्विजय सिंह ही फैसले लेते हैं और ये सही था। लेकिन, सिंधिया-प्रसंग के बाद दोनों में जो तनाव उभरा, वो कई जगह सामने आया। लेकिन, धरना विवाद ने इस दरार को और चौड़ा कर दिया है। कुल मिलाकर प्रदेश में कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के बीच दूरियां बढ़ती जा रही है और इसका पूरा खामियाजा कांग्रेस पार्टी को भुगतना पड़ रहा है।
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