कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा करीब आधी पूरी कर ली। मध्यप्रदेश से निकलकर अब वे राजस्थान में प्रवेश कर गए। उनके बुरहानपुर से मध्यप्रदेश प्रवेश के बाद जिस तरह के कयास लगाए जा रहे थे, वे धराशायी हो गए। न तो पार्टी में कोई सेबोटेज हुआ और भीड़ में कोई कमी आई। उनके साथ लोग लगातार जुड़ते रहे! बेशक उनमें तमाशबीन भी होंगे, पर विपक्ष के वे दावे तो हाशिए पर चले गए कि राहुल के साथ कौन चलेगा! इस यात्रा के नतीजे जो भी हों, पर राहुल गांधी की वो 'पप्पू' वाली छवि तो खंडित हुई ही है, जो गढ़ी गई थी! सवाल ये भी है कि वे यदि 'पप्पू' ही हैं तो फिर घबराहट किस बात की!
राहुल गंतव्य की तरफ बढ़ रहे हैं। केरल से शुरू हुई 'भारत जोड़ो यात्रा' को लेकर कांग्रेस का जो मकसद था, वो काफी तक पूरा होता नजर आ रहा है। लेकिन, इसका असल नतीजा 2024 का लोकसभा चुनाव होगा! पर, अभी तक की यात्रा का निष्कर्ष निकाला जाए तो राहुल ने जनता को व्यक्तिगत रूप से उम्मीद से ज्यादा आकर्षित तो किया है। फिर भी उनका जनसम्पर्क का तरीका हो या भाषण देने की अनौपचारिक शैली!
यात्रा से पहले और यात्रा के दौरान कई तरह के दावे किए गए। हर बार कहा गया कि इस यात्रा की सफलता संदिग्ध है! आखिर कोई, क्यों राहुल के साथ चलेगा! पर साथ चलने वालों की भीड़ लगातार बढ़ती गई। राहुल गांधी ने इंदौर में अपनी प्रेस कांफ्रेंस में भी कहा कि जब केरल से यात्रा शुरू की थी, तो मीडिया ने कहा था कि यहां तो ठीक है, कर्नाटक में दिक्कत आएगी, वहां राहुल के साथ कौन खड़ा होगा! लेकिन, कर्नाटक की भीड़ देखकर कहा गया कि महाराष्ट्र में तो सबसे ज्यादा समस्या है। पर, वहां भी लोगों का जबरदस्त प्रेम मिला। फिर दावा किया गया कि मध्यप्रदेश में तो राहुल गांधी की यात्रा की सफलता संदिग्ध है। लेकिन, मुझे मध्यप्रदेश में जनता का जो स्नेह मिला वो बाकी सभी राज्यों से बहुत ज्यादा है। अब कहा जाने लगा कि राजस्थान में दिक्कत आएगी!
राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' को तीन महीने होने वाले हैं। इस दौरान राहुल गांधी और कांग्रेस ने क्या पाया, अभी यह निष्कर्ष सामने नहीं आया। लेकिन, अभी तक इस यात्रा का जो मूल्यांकन किया गया, वो यात्रा की सफलता का संकेत है। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश की इस बात में बहुत दम है कि इस यात्रा से असली राहुल गांधी जनता के सामने आए हैं। आशय यह कि विरोधी पार्टी ने राहुल गांधी की जिस तरह की छवि बनाई थी, वो काफी हद तक धुल गई। अब लोगों ने जिस राहुल को नजदीक से देखा, महसूस किया वो उस छवि से बहुत अलग हैं, जिसका अब तक प्रचार किया जाता रहा है।
केरल से शुरू हुई ये यात्रा कर्नाटक होते हुए महाराष्ट्र तक पहुंची और अब मध्यप्रदेश में है। राहुल ने करीब आधी यात्रा पूरी कर ली। पर वे जहां से भी गुजरे उस किसी भी राज्य में कांग्रेस की सरकार नहीं है। मध्यप्रदेश के बाद जब राहुल सोयत कलां से राजस्थान में प्रवेश करेंगे, तब इस यात्रा की असली परीक्षा होगी। क्योंकि, वहां कांग्रेस की सरकार है और साल भर बाद उसे विधानसभा चुनाव का सामना भी करना है।
जहां तक राहुल की इस यात्रा की सफलता और असफलता की बात है तो निश्चित रूप से सफलता का आंकड़ा अनुमान से ज्यादा है। कांग्रेस और राहुल गांधी की यात्रा का प्रबंधन करने वाली टीम ने भी अनुमान नहीं लगाया था, कि राहुल के प्रति लोगों का झुकाव इतना जबरदस्त होगा। जिस तरह से राहुल का रास्ते में स्वागत हो रहा है, वो अद्भुत, अविश्वसनीय और विरोधियों को चिढ़ाने वाला है। जो लोग राहुल के साथ यात्रा कर रहे हैं, उन्हें भी आश्चर्य है कि यह नहीं सोचा गया था कि हर जगह राहुल का इतना जबरदस्त स्वागत होगा।
राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' को तीन महीने होने वाले हैं। इस दौरान राहुल गांधी और कांग्रेस ने क्या पाया, अभी यह निष्कर्ष सामने नहीं आया। लेकिन, अभी तक इस यात्रा का जो मूल्यांकन किया गया, वो यात्रा की सफलता का संकेत है। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश की इस बात में बहुत दम है कि इस यात्रा से असली राहुल गांधी जनता के सामने आए हैं। आशय यह कि विरोधी पार्टी ने राहुल गांधी की जिस तरह की छवि बनाई थी, वो काफी हद तक धुल गई। अब लोगों ने जिस राहुल को नजदीक से देखा, महसूस किया वो उस छवि से बहुत अलग हैं, जिसका अब तक प्रचार किया जाता रहा है।
केरल से शुरू हुई ये यात्रा कर्नाटक होते हुए महाराष्ट्र तक पहुंची और अब मध्यप्रदेश में है। राहुल ने करीब आधी यात्रा पूरी कर ली। पर वे जहां से भी गुजरे उस किसी भी राज्य में कांग्रेस की सरकार नहीं है। मध्यप्रदेश के बाद जब राहुल सोयत कलां से राजस्थान में प्रवेश करेंगे, तब इस यात्रा की असली परीक्षा होगी। क्योंकि, वहां कांग्रेस की सरकार है और साल भर बाद उसे विधानसभा चुनाव का सामना भी करना है।
जहां तक राहुल की इस यात्रा की सफलता और असफलता की बात है तो निश्चित रूप से सफलता का आंकड़ा अनुमान से ज्यादा है। कांग्रेस और राहुल गांधी की यात्रा का प्रबंधन करने वाली टीम ने भी अनुमान नहीं लगाया था, कि राहुल के प्रति लोगों का झुकाव इतना जबरदस्त होगा। जिस तरह से राहुल का रास्ते में स्वागत हो रहा है, वो अद्भुत, अविश्वसनीय और विरोधियों को चिढ़ाने वाला है। जो लोग राहुल के साथ यात्रा कर रहे हैं, उन्हें भी आश्चर्य है कि यह नहीं सोचा गया था कि हर जगह राहुल का इतना जबरदस्त स्वागत होगा।
वे जिस भी इलाके से गुजर रहे हैं, वहां के छोटे-बड़े लोग राहुल का हाथ पकड़ने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहे रहे हैं। महाराष्ट्र से निकले तो राहुल गांधी को समर्थन देने फिल्म निर्देशक और कलाकार अमोल पालेकर और उनकी पत्नी भी नजर आए। टीवी एक्ट्रेस रश्मी देसाई भी दिखाई दी। इस यात्रा में कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के अलावा ब्लॉक कार्यकर्ता और स्थानीय नेता भी शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस ने नेताओं के अनुसार, इस पदयात्रा को जनता का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। इस यात्रा का संबंध चुनाव से नहीं
कांग्रेस के नेता कई बार कह चुके हैं कि राहुल गांधी की इस यात्रा के अगुवाई में पूरे देश में की जा रही यात्रा का किसी भी राज्य के चुनाव से कोई संबंध नहीं है। अगर इसके प्रभाव का आकलन करना है, तो यह 2024 के लोकसभा चुनाव में ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा कहा कि राहुल गांधी कोई ब्रांड नहीं हैं कि उनकी रीब्रांडिंग करना पड़े। भारत जोड़ो यात्रा से पहले भाजपा ने सोशल मीडिया पर उनकी खास छवि बना दी थी। भाजपा ने कभी सही राहुल गांधी को चित्रित नहीं किया। भारत जोड़ो यात्रा नए राहुल गांधी को नहीं, असली राहुल गांधी को दिखा रही है। भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी की छवि में पूरी तरह से बदलाव आया। आज मीडिया या सोशल मीडिया में राहुल गांधी वैसे नहीं हैं, जो 70-80 दिन पहले थे। उन्होंने कहा कि 3,570 किमी लंबी यात्रा का फायदा यह है कि राहुल बिना किसी बिचौलिए के, लोगों के साथ सीधे संपर्क में हैं। नतीजा यह कि असली राहुल गांधी सबके सामने हैं, सबके पास हैं।
यात्रा में राहुल गांधी के साथ हजारों की संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो अलग-अलग राज्यों से अपना समर्थन दिखाने के लिए पहुंच रहे हैं। राहुल गांधी को महिलाओं से लेकर बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं का भी समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस ने 'भारत जोड़ो यात्रा' की तस्वीरों को शेयर करते हुए ट्वीट किया था 'इस विशाल विविधता के लोगों को जोड़ना जहां हमारी समृद्ध विरासत, संस्कृति, प्रेम और सम्मान भारत के ताने-बाने के रंगीन धागे हैं।' ख़ास बात ये कि राहुल गांधी भी इस यात्रा को सकारात्मक रूप से ले रहे हैं। कभी वे रास्ते में फुटबॉल खेलते नजर आते हैं, कभी बच्चों के साथ तस्वीर खिंचवाते दिखाई देते हैं। कुछ महिलाएं राहुल से मिलकर भावुक होते भी दिखाई दी। कहीं लोग ढोल और नगाड़े के साथ लोग राहुल की यात्रा में पहुंचते दिखाई देते हैं। .
कांग्रेस के नेता कई बार कह चुके हैं कि राहुल गांधी की इस यात्रा के अगुवाई में पूरे देश में की जा रही यात्रा का किसी भी राज्य के चुनाव से कोई संबंध नहीं है। अगर इसके प्रभाव का आकलन करना है, तो यह 2024 के लोकसभा चुनाव में ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा कहा कि राहुल गांधी कोई ब्रांड नहीं हैं कि उनकी रीब्रांडिंग करना पड़े। भारत जोड़ो यात्रा से पहले भाजपा ने सोशल मीडिया पर उनकी खास छवि बना दी थी। भाजपा ने कभी सही राहुल गांधी को चित्रित नहीं किया। भारत जोड़ो यात्रा नए राहुल गांधी को नहीं, असली राहुल गांधी को दिखा रही है। भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी की छवि में पूरी तरह से बदलाव आया। आज मीडिया या सोशल मीडिया में राहुल गांधी वैसे नहीं हैं, जो 70-80 दिन पहले थे। उन्होंने कहा कि 3,570 किमी लंबी यात्रा का फायदा यह है कि राहुल बिना किसी बिचौलिए के, लोगों के साथ सीधे संपर्क में हैं। नतीजा यह कि असली राहुल गांधी सबके सामने हैं, सबके पास हैं।
यात्रा में राहुल गांधी के साथ हजारों की संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जो अलग-अलग राज्यों से अपना समर्थन दिखाने के लिए पहुंच रहे हैं। राहुल गांधी को महिलाओं से लेकर बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं का भी समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस ने 'भारत जोड़ो यात्रा' की तस्वीरों को शेयर करते हुए ट्वीट किया था 'इस विशाल विविधता के लोगों को जोड़ना जहां हमारी समृद्ध विरासत, संस्कृति, प्रेम और सम्मान भारत के ताने-बाने के रंगीन धागे हैं।' ख़ास बात ये कि राहुल गांधी भी इस यात्रा को सकारात्मक रूप से ले रहे हैं। कभी वे रास्ते में फुटबॉल खेलते नजर आते हैं, कभी बच्चों के साथ तस्वीर खिंचवाते दिखाई देते हैं। कुछ महिलाएं राहुल से मिलकर भावुक होते भी दिखाई दी। कहीं लोग ढोल और नगाड़े के साथ लोग राहुल की यात्रा में पहुंचते दिखाई देते हैं। .
राहुल गांधी ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली 'भारत जोड़ो यात्रा' का संदेश यह है कि भारत को बांटा नहीं जा सकता और नफरत नहीं फैलाई जा सकती। यह यात्रा श्रीनगर में समाप्त होगी और हम यह संदेश देंगे कि भारत को बांटा नहीं जा सकता, नफरत नहीं फैलाई जा सकती। यात्रा का यही मकसद भी है। उन्होंने कहा कि भारत में तीन-चार अरबपति हैं। वे जो चाहे कर सकते हैं। उन्हें जो भी व्यवसाय चाहिए, वे कर सकते हैं चाहे हवाई अड्डा, बंदरगाह, सड़क, बुनियादी ढांचा, दूरसंचार या बैंकिंग हो, लेकिन देश के युवा नौकरी चाहते हैं तो उन्हें वह नहीं मिलता।
गुजरात में यात्रा बनी मुद्दा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भले ही गुजरात से होकर नहीं गुज़र रही हो। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सियासी हमलों इस पदयात्रा को राज्य विधानसभा चुनाव के प्रचार-युद्ध का बड़ा मुद्दा बना दिया। पहले मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में पदयात्रा को निशाना बनाया, इसके बाद कांग्रेस को उन पर पलटवार करने का मौका मिल गया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पदयात्रा पर प्रधानमंत्री के बयानों को उनकी ‘बौखलाहट’ का नतीजा बताया।
प्रधानमंत्री के चुनावी भाषण का जवाब देते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा का मकसद देश में बढ़ती आर्थिक गैर-बराबरी, सामाजिक विभाजन और राजनीतिक तानाशाही के माहौल में देश की अंतरात्मा को जगाना है। जो लोग इन हालात से चिंतित हैं, गांधीवादी रास्ते में यकीन करते हैं और देश के संविधान के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं, उनका यात्रा में स्वागत है। लेकिन, प्रधानमंत्री इस यात्रा की आलोचना करने के लिए अपनी चिर-परिचित 'बदनाम करो और भड़काओ' की सियासत का सहारा ले रहे हैं। साफ दिख रहा है कि वे पिछले करीब तीन महीनों के दौरान यात्रा को मिले जन-समर्थन से हताश और बौखलाए हुए हैं।
गुजरात में यात्रा बनी मुद्दा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भले ही गुजरात से होकर नहीं गुज़र रही हो। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सियासी हमलों इस पदयात्रा को राज्य विधानसभा चुनाव के प्रचार-युद्ध का बड़ा मुद्दा बना दिया। पहले मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में पदयात्रा को निशाना बनाया, इसके बाद कांग्रेस को उन पर पलटवार करने का मौका मिल गया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पदयात्रा पर प्रधानमंत्री के बयानों को उनकी ‘बौखलाहट’ का नतीजा बताया।
प्रधानमंत्री के चुनावी भाषण का जवाब देते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा का मकसद देश में बढ़ती आर्थिक गैर-बराबरी, सामाजिक विभाजन और राजनीतिक तानाशाही के माहौल में देश की अंतरात्मा को जगाना है। जो लोग इन हालात से चिंतित हैं, गांधीवादी रास्ते में यकीन करते हैं और देश के संविधान के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं, उनका यात्रा में स्वागत है। लेकिन, प्रधानमंत्री इस यात्रा की आलोचना करने के लिए अपनी चिर-परिचित 'बदनाम करो और भड़काओ' की सियासत का सहारा ले रहे हैं। साफ दिख रहा है कि वे पिछले करीब तीन महीनों के दौरान यात्रा को मिले जन-समर्थन से हताश और बौखलाए हुए हैं।
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