Saturday, December 24, 2022

फिल्मों को भी खूब भाई गोवा की रंगीन जिंदगी!

 - हेमंत पाल

     दिसम्बर का महिना आते ही देशभर के पर्यटक अपना झोला लेकर गोवा की तरफ निकल पड़ते हैं। 25 दिसम्बर और 31 दिसम्बर को तो गोवा के तटों पर सैलानियां का सैलाब दिखाई पडता है। गोवा का यह सैलाब केवल भौगोलिक पृष्ठभूमि ही नहीं, सिनेमा के परदे पर भी अकसर दिखाई देता है। संयोग की बात है कि 61 साल पहले दिसंबर माह की 19 तारीख को गोवा पुर्तगालियां की उपनिवेषिता से आजाद होकर भारतीय गणतंत्र का हिस्सा बना, तब से अब तक गोवा और उसके आसपास की दृष्यावलियां कई फिल्मों में दिखाई दी। लेकिन, गोवा की आजादी को लेकर अभी तक कोई प्रभावशाली फिल्म नहीं बनी। जितनी भी फिल्में बनी, उन्होंने दर्शकों पर अपना प्रभाव जरूर छोड़ा। 
    गोवा की आजादी को लेकर सबसे पहले 1965 में कॉमेडियन, अभिनेता और निर्माता-निर्देशक आईएस जौहर ने 'जौहर महमूद इन गोवा' फिल्म बनाई थी। इस फिल्म के प्रति जौहर कितने गंभीर थे, इसका पता इसी से चलता है, कि उन्होंने इसका प्रदर्शन 1 अप्रैल 1965 को किया। लेकिन, इस फिल्म ने आईएस जौहर की लॉटरी लगा दी। जौहर, महमूद, सोनिया साहनी, सिमी गरेवाल और कमल कपूर अभिनीत यह फिल्म अपने गानों के कारण खूब चली। कल्याणजी-आनंदजी ने इस फिल्म के लिए यह दो दीवाने दिल के, अंखियो का नूर है तू और 'धीरे रे चलो मोरी बांकी हिरनिया' जैसे कर्णप्रिय गीतों की रचना की थी।
    गोवा स्वतंत्रता संग्राम पर दूसरी फिल्म 1983 में प्रदर्शित 'पुकार' थी। अमिताभ बच्चन, टीना मुनीम, जीनत अमान, रणधीर कपूर, प्रेम चोपडा, श्रीराम लागू अभिनीत इस फिल्म का निर्देशन रमेश बहल ने किया था। कहानी के मुताबिक, इस फिल्म का कथानक आजादी से पहले वाले गोवा पर केंद्रित था। फिल्म में क्रांतिकारियों का एक समूह पुर्तगाल से आजादी के लिए लडता है। यह फिल्म अपने कथानक के बजाए 'समंदर में नहाकर और भी रंगीन हो गई हो' जैसे गरमा-गरम गीत के कारण चर्चित तो हुई, पर बॉक्स आफिस पर धराशायी हो गई थी। इसके बाद गोवा के स्वतंत्रता संग्राम पर कोई उल्लेखनीय फिल्म नहीं बन पाई। लेकिन, गोवा की लोकेशन पर कई फिल्में बनने लगी। जिनमें गोवा के चर्चों और मंदिरों से लेकर समुद्री तट का भरपूर दोहन हुआ। 
     कोंकण के होने के कारण गुरूदत्त को गोवा की लोकेशंस खूब लुभाती थी। गोवा की पृष्ठभूमि पर गुरूदत्त ने क्राइम फिल्म 'जाल' का निर्माण किया था। देव आनंद और गीता बाली अभिनीत इस सफल फिल्म के गीत 'ये रात ये चांदनी फिर कहां' और 'चोरी चोरी मेरी गली आना है बुरा' आज भी सुने जाते हैं। गोवा में फिल्माई गई फिल्मों में रति अग्निहोत्री और कमल हासन अभिनीत 'एक दूजे के लिए' बेहद सफल हुई थी। ओल्ड पेट्टो ब्रिज, डोना पाउला चेट्टी, शांता दुर्गा मंदिर और हार्वालेम वाटर फाल्स की सुंदर लोकेशन पर फिल्माए दृश्यों को दर्शकों ने बेहद पसंद किया था। डायरेक्टर होमी अदजानिया की फिल्म 'फाइंडिंग फैनी' की शूटिंग भी गोवा में ही हुई थी। 
     संजय लीला भंसाली को भी गोवा की लोकेशन कुछ ज्यादा ही अच्छी लगती है। सलमान, मनीषा कोईराला और नाना पाटेकर जैसे कलाकारों को लेकर उन्होंने 'खामोशी : द म्यूजिकल' फिल्म बनाई। इसमें दर्शकों ने ओल्ड गोवा, अंजुना बीच, सालिगांव चर्च और रिवर क्रुज के दृश्यों का आनंद लेते हुए मधुर संगीत का आनद उठाया। इसके बाद संजय लीला भंसाली ने गोवा की पृष्ठभूमि लेकर खूबसूरत फिल्म 'गुजारिश' बनाई, जिसमें ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या राय की केमिस्ट्री को सराहा तो गया। लेकिन, अपने विषय के कारण यह बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं कर पायी। यदि किसी फिल्म ने गोवा को सबसे ज्यादा लोकप्रिय बनाया, तो वह थी अनिल कपूर, दीपिका और रणवीर सिंह की फिल्म 'दिल चाहता है।' इसमें गोवा के चापोरा फोर्ट को बहुत सुंदरता के साथ सेल्यूलाइड पर उतारने का प्रयास किया गया था। इसका नतीजा यह हुआ कि गोवा की सैर पर जाने वाले 'दिल चाहता है' में दिखाए फोर्ट को जरूर देखते हैं।
      फिल्मों में हास्य और स्टंट का घालमेल करने वाले रोहित शेट्टी ने अपनी 'गोलमाल' श्रृंखला में गोवा का खास उपयोग किया। रोहित ने अपनी इस श्रृंखला की अब तब बनी तमाम फिल्मों में दोना पाउला बीच, फोर्ट अगुआडा और पणजी स्थित जीएमसी काम्पलेक्स की लोकेशंस को रोमांचक अंदाज में पेश करने में सफलता पायी। गोवा की पृष्ठभूमि का उपयोग करके सफलता का कीर्तिमान बनाने में अजय देवगन की फिल्म 'सिंघम' भी उल्लेखनीय है। इस फिल्म के एक्शन सिक्वेंस में दोना पाउल जेट्टी का इस तरह से उपयोग किया गया कि अब जो पर्यटक गोवा में यहां जाते हैं, तो गाइड यह बताना नहीं भूलते कि इस जगह पर जयकांत शिर्के के गुंडों और बाजीराव के बीच जमकर मारपीट हुई थी। इस फिल्म का निर्देशन भी रोहित शेट्टी ने किया। उनकी एक फिल्म 'दिलवाले' में भी गोवा की लोकेशंस का जमकर उपयोग किया। फिल्म में दिखाया गया कि शाहरूख खान और वरूण धवन गोवा में रहकर कार रिपेयरिंग वर्कशॉप चलाते हैं। इस फिल्म में यूं तो पूरे गोवा के दर्शन होते है, लेकिन इसकी ज्यादातर शूटिंग पंजिम चर्च पर हुई थी। शाहरूख खान की एक अन्य फिल्म 'जोश' में भी गोवा की पृष्ठभूमि दिखाई गई।
      रोहित शेट्टी और संजय भंसाली की तरह ही अजय देवगन के लिए भी गोवा की लोकशंस भाग्यशाली साबित हुई। रोहित शेट्टी की फिल्मों के अलावा अजय देवगन की सफल सस्पेंस फिल्म 'दृष्यम' को भी गोवा में ही फिल्माया गया। फिल्म का नायक विजय सालगांवकर गोवा में केबल टीवी केबल का व्यवसाय करता है। वह अपने परिवार के साथ सत्संग और खरीददारी के लिए पंजिम जाता है। उसका घर भी गोवा की सुंदर लोकेशन पर स्थित है। इन फिल्मों के अलावा रोहन सिप्पी निर्देशित क्राइम थ्रिलर 'दम मारो दम' भी उल्लेखनीय है, जिसमें निर्देशक ने 2 से 3 हजार लोगों की भीड़ एकत्रित कर गोवा के अरपोरा मार्केट में शूटिंग की थी। गोवा की पृष्ठभूमि पर आधारित कुछ उल्लेखनीय फ़िल्में है गो गोवा गोन, फाइंडिग फेनी, डियर जिंदगी, लेडिज वर्सेस रिकी बहल, नाम शबाना, भूतनाथ, दिल चाहता है, गोलमाल, सिंघम, दम मारो दम, दिलवाले और 'दृश्यम!'  
     1972 में महमूद निर्मित अमिताभ की फिल्म 'बाम्बे टू गोवा' में केवल नाम ही गोवा का था, पूरी फिल्म बस में ही फिल्मायी गई थी। जब फिल्म रिलीज हुई, तो यह अमिताभ बच्चन या शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म नहीं थी। वास्तव में, यह महमूद की कॉमेडी फिल्म थी, जिसे दर्शक कुछ घंटों के मनोरंजन की उम्मीद में देखने आए थे। उन्हें इससे कुछ और मिला तो वह बोनस था। हिन्दी फिल्मों के अलावा हॉलीवुड की कुछ फिल्मों में भी गोवा को शामिल किया गया। इन फिल्मों दूसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित जासूसी फिल्म द सी वोवेल्स, बोर्न सुपरमेसी, शेडो आफ द कोबरा और द लेटर्स, बेंकाक हिल्टन शामिल है। फिल्मों की लोकेशन और पृष्ठभूमि के अलावा गोवा का लोक संगीत भी फिल्मों में काफी पसंद किया गया है। संगीतकार-प्यारेलाल के गुरू एंथोनी गोंसाल्विस भी गोवा के ही थे। उन्हें श्रृद्धांजलि देते हुए प्यारेलाल ने 'अमर अकबर एंथोनी' का गीत 'माय नेम इज एंथोनी गोंसाल्विस' रचा था। गोवा की पृष्ठभूमि पर आधारित गीत 'ना मांगू सोना चांदी' को श्रोताओं ने खूब सराहा है।
      गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर की जिंदगी पर भी फिल्म बनाने की तैयारी शुरू हो गई। फिल्म मेकर्स इसे स्व पर्रिकर के जन्मदिवस पर इस फिल्म को रिलीज करने की योजना बना रहे हैं। इसे दो भाषाओं हिंदी और कोंकणी में रिलीज किया जाएगा। फिल्म के प्रोड्यूसर स्वप्निल शेतकर के मुताबिक, पर्रिकर की सभी उपलब्धियों और उनसे जुड़े विवादों को फिल्म में दिखाया जाएगा। कहानी में मुख्य रूप से 2000 में उनके पहली बार मुख्यमंत्री बनने से पहले की घटनाओं को भी शामिल किया जाएगा, जिनके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते। 
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