Wednesday, October 22, 2025

फिल्मों के कथानक को मोड़ देता करवा चौथ

- हेमंत पाल

    हिंदी फिल्मों में करवा चौथ का त्यौहार पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण की भावना को रेखांकित करने का सांस्कृतिक प्रतीक बन गया। इस बहाने त्योहार की लोकप्रियता में भी इजाफा और यह उत्सव अब देशभर में मनाया जाने लगा। करवा चौथ को फिल्मों ने पारंपरिक धार्मिक व्रत से सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव में बदल दिया। यह आज समाज में बेहद लोकप्रिय हो चुका और लगातार बढ़ रहा है। इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि हिंदी फिल्मों में करवा चौथ को भावनात्मक, पारंपरिक और रोमांटिक अंदाज में दिखाया गया है। फिल्मी दृश्यों में यह त्योहार पति-पत्नी के रिश्ते, प्यार, विश्वास और बलिदान का प्रतीक तो बनाता ही है, दर्शकों के दिल में भी खास जगह बना ली। कई फिल्मों में करवा चौथ के बहाने रिश्तों की मजबूती, संघर्ष और विश्वास को खूबसूरती से दिखाया गया। फिल्मों के इन दृश्यों की पारंपरिक पोशाक, पूजा की थाली, छलनी और चंद्रमा के इंतजार के दृश्य भारतीय संस्कृति की गहराई को प्रस्तुत करते हैं। आधुनिक फिल्मों में भी यह त्यौहार प्रेम और समर्पण की नई परिभाषा देता है, जैसे 'एनीमल' जैसी फिल्म में करवा चौथ का लंबा भावनात्मक दृश्य है। 
      यदि यह पड़ताल की जाए कि फिल्मों में करवा चौथ का चलन कब शुरू हुआ! तो इतिहास बताता है कि इसे पहली बार 1964-1965 में आई ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म 'बहू बेटी' में दिखाया गया था। इसमें करवा चौथ व्रत का जश्न फिल्माए गए गाने 'आज है करवा चौथ सखी' के जरिए दिखाया था। इस गाने को आशा भोसले ने गाया और इसमें माला सिन्हा और मुमताज की अदाकारी थी। इसके बाद 1970-80 के दशक में कई फिल्मों में करवा चौथ के दृश्य देखे गए। लेकिन, व्रत को लोकप्रिय बनाने और इसे प्रचलित करने में 90 के दशक से लेकर 2000 के बाद की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। करवा चौथ के दृश्य फिल्मों में अकसर रोमांटिक और पारिवारिक भावनाओं को उभारने के लिए फिल्माए जाते रहे हैं। खासतौर पर उन फिल्मों में जहां पति-पत्नी के बीच दूरियां रहती है या रिश्तों में तनाव उभरता है। जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, हम दिल दे चुके सनम, कभी खुशी कभी ग़म, बागवान, हम आपके हैं कौन और 'बाबुल' में करवा चौथ के सीन बेहद यादगार और लोकप्रिय रहे। इन फिल्मों ने करवा चौथ के व्रत को न केवल उत्तर भारत में बल्कि चारों तरफ लोकप्रिय बना दिया। 
     सबसे पहले करवा चौथ का फिल्मांकन फिल्म 'बहू बेटी' में जरूर हुआ, जिसे एक गीत जरिए दर्शाया था। 1978 में पहली बार 'करवा चौथ' नाम से पूरी फिल्म बनी, जिसके निर्देशक थे रामलाल हंस। 1990-2000 के दशक में 'करवा चौथ' का चलन कुछ ज्यादा बढ़ा। खासकर दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995) और 'हम दिल दे चुके सनम' (1999) जैसी फ़िल्में इन्हें ज्यादा फिल्माया। देखा जाए तो अभी तक दर्जनों फिल्मों में 'करवा चौथ' के दृश्य देखे गए, जो त्योहार की लोकप्रियता और सांस्कृतिक महत्व दर्शाते हैं। 1960-70 के शुरुआती दौर में 'करवा चौथ' त्यौहार का पारंपरिक स्वरूप सामने आया। उस दौर में करवा चौथ को धार्मिक और पारिवारिक व्रत के रूप में दिखाया गया। इस त्योहार पर में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं। 1990-2000 के दौर में इसमें रोमांटिक और सामाजिक बदलाव दिखाई दिया। 90 के दशक में यश चोपड़ा जैसे निर्देशकों की फिल्मों ने करवा चौथ को रोमांटिक और ग्लैमरस रूप में प्रस्तुत करना शुरू किया। 
    'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' और 'हम दिल दे चुके सनम' जैसी फिल्मों ने करवा चौथ के सीन को बेहद लोकप्रिय बनाया, जहां पति-पत्नी के बीच के प्रेम और त्याग को नाटकीय और भावुक अंदाज में दिखाया गया। इसके साथ ही इस त्योहार की पारंपरिकता में आधुनिकता का समावेश हुआ, व्रत के पीछे के भाव और रिश्तों की गहराई को दिखाया गया। लेकिन, 2000 के बाद इसका रूप विविधता वाला हो गया और इसमें व्यवसायीकरण दिखाई देने लगा। फिल्मों में करवा चौथ के दृश्य अब पारंपरिक व्रत से आगे बढ़कर फैशन, ग्लैमर और कंज्यूमैरिज्म का हिस्सा बन गए। कई फिल्मों में करवा चौथ में सामाजिक और वैवाहिक मुद्दों को भी छुआ जाता रहा है। साथ ही गाने, सजावट और त्योहार की प्रस्तुति में बदलाव आया, जो दर्शकों के सांस्कृतिक अनुभव को नया रूप देता है। फिल्मों के साथ ही टीवी सीरियलों ने भी इस त्योहार को घर-घर में पहुंचा दिया। 
      करवा चौथ पर बनी फिल्मों के कुछ यादगार दृश्य ऐसे हैं, जो पति-पत्नी के प्रेम, त्याग और पारिवारिक भावनाओं को अद्भुत ढंग से दर्शाते हैं। 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में शाहरुख खान और काजोल का छत पर करवा चौथ मनाते हुए सीन बेहद लोकप्रिय है। इसमें काजोल की भूमिका एक चालाक और प्रेमपूर्ण पत्नी की रही, जो व्रत के दिन बीमार बनकर शाहरुख को चुपके से पानी पिलाती है। 'हम दिल दे चुके सनम' में सलमान खान और ऐश्वर्या राय का करवा चौथ सीन पारंपरिक गुजराती रीति-रिवाजों के साथ, खूबसूरती से फिल्माया गया। फिल्म में करवा चौथ का सीन दो बार आता है, जिसमें ऐश्वर्या राय अपने पति के लिए व्रत रखती है। 'कभी खुशी कभी ग़म' में कई परिवारों के साथ करवा चौथ का भव्य रूप दिखाया गया। काजोल, शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, ऋतिक रोशन और करीना कपूर के करवा चौथ वाले सीन भव्यता और पारिवारिक भावना से भरपूर हैं। जबकि, 'बागबान' के कथानक में हेमा मालिनी पति अमिताभ बच्चन से दूर होने के बावजूद करवा चौथ का व्रत रखती है। फिल्म का भावुक और यादगार दृश्य पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। ऐसे दृश्यों में 'बाबुल' भी ऐसी ही फिल्म है, जिसमें सलमान खान, रानी मुखर्जी, अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी के साथ करवा चौथ के सीन में पति-पत्नी दोनों अपनी-अपनी पार्टनर के लिए व्रत रखते हैं, जो एक अलग ही भावनात्मक दृश्य है।
      करिश्मा कपूर और सुष्मिता सेन फिल्म 'बीबी नंबर-1' में सलमान खान के लिए व्रत रखती हैं। इसमें करवा चौथ त्यौहार नाटकीय बदलाव लेकर आता है। फिल्म 'इश्क विश्क' में शाहिद कपूर और अमृता राव के बीच करवा चौथ का सीन रोमांटिक मोड़ बनता है, जब शाहिद को पता चलता है कि अमृता ने उसके लिए व्रत रखा है। आमिर खान और करिश्मा कपूर की फिल्म 'राजा हिंदुस्तानी' में करवा चौथ का दृश्य अपनी भावुकता के लिए यादगार बन गया। सलमान खान और प्रीति ज़िंटा की फिल्म 'दिल ने जिसे अपना कहा' में करवा चौथ सीन ने भी दर्शकों के दिलों को छुआ था। 'हम तुम्हारे हैं सनम' फिल्म में भी करवा चौथ का प्रसंग प्रेम और पारिवारिक रिश्तों को बखूबी से दर्शाता है। इन फिल्मों के ये सभी दृश्य सिनेमा में करवा चौथ के महत्व और सांस्कृतिक रंग को परिभाषित करने में सफल रहे। खासकर शाहरुख-काजोल के 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' और सलमान-ऐश्वर्या के 'हम दिल दे चुके सनम' के इस त्योहार के दृश्य सबसे अधिक क्लासिक और फेमस माने जाते हैं। साथ ही ये प्रसंग इस त्यौहार को हिंदी सिनेमा में एक प्रेम और समर्पण के प्रतीक के रूप में लोकप्रिय बनाने में सहायक रहे। 
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