Wednesday, July 1, 2015

किसका झंडा गड़ेगा, कोई दावा नहीं, असमंजस बरक़रार!

गरोठ विधानसभा उपचुनाव 


- हेमंत पाल 
   गरोठ में मतदान की सेज सज चुकी है। गुरुवार शाम 5 बजे से प्रचार का शोर भी थम गया! महीनेभर के धुंआधार प्रचार के बाद अब हार-जीत का गणित मतदाता के पाले में है। सड़क पर अपना प्रचार दम दिखाने के बाद अब मतदाताओं के प्रभावित करने की कोशिशें चल रही है। भाजपा को राज्य सरकार के कामकाज से जीत का भरोसा है! उधर, कांग्रेस ने सरकार की कमजोरी दिखाकर मतदाताओं से अपना मानस बदलने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा संगठन ने गरोठ में जीत का झंडा गाड़ने के लिए सारा दम लगा दिया! उधर, कांग्रेस ने भी प्रचार में कोई कमी नहीं रखी! दिग्विजय सिंह, कमलनाथ ने अपना पूरा जोर लगा दिया! जबकि, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने तो यहाँ डेरा दाल दिया था! इस नजरिए से कहा जा सकता है कि दोनों ही पार्टियों ने प्रचार में कोई कमी नहीं रखी! 
  चुनाव प्रचार के अलावा कांग्रेस और भाजपा ने एक दूसरे के गढ़ों में सेंध लगाने की भी कोशिशें की! भाजपा और संघ में उम्मीदवार को लेकर जो अनबन शुरू में दिखाई दी थी, कांग्रेस में उस दिशा में भी अपना दांव चला है! लेकिन, कहा नहीं जा सकता कि कांग्रेस अपनी इस रणनीति में किस हद तक कामयाब होगा! भाजपा ने भी कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष सोजतिया के गढ में पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी! करीब 20 दिन के धुँवाधार चुनाव प्रचार और सेंधमारी के बाद अभी तक की स्थिति में कहा नहीं जा सकता कि जीत का झंडा किसके पाले में गड़ेगा! नतीजा चाहे जो हो, पर हार-जीत का अंतर बहुत बड़ा शायद न हो, जैसा राजेश यादव की जीत में दिखाई दिया था!
   प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने उपचुनाव मामले में मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर मंदसौर में पदस्थ कुछ सरकारी अधिकारियों की शिकायत भी की थी! उनका आरोप था कि ये अधिकारी उपचुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। यादव ने पत्र में मंदसौर के संयुक्त मुख्य निवार्चन अधिकारी, राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी और मौजूदा जिला निवार्चन अधिकारी को लेकर आशंका जताई थी! अरुण यादव का कहना था कि संयुक्त निर्वाचन पदाधिकारी एसएस बंसल मंदसौर की गरोठ विधानसभा क्षेत्र के ही रहने वाले हैं। जबकि, राज्यस्तरीय नोडल अधिकारी संजय सिंह भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अजयप्रताप सिंह के रिश्तेदार है।
मंदसौर जिले में आजादी के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का खासा दखल रहा है। यही कारण है कि भाजपा विधायक राजेश यादव के निधन से खाली हुए गरोठ विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में भी संघ की भूमिका महत्वपूर्ण है। राजनीतिक मिजाज को देखें तो गरोठ पर कभी किसी एक दल का लंबे समय तक वर्चस्व नहीं रहा! 1990 से अब तक हुए 6 विधानसभा चुनावों में तीन बार भाजपा और तीन बार ही कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। राजेश यादव के निधन से गरोठ के लिए फिर उपचुनाव हो रहा है। ये उपचुनाव भाजपा विधायक के निधन के कारण हो रहा है, इसलिए स्वाभाविक तौर पर सहानुभूमि का लाभ भाजपा को मिलने की थोड़ी संभावना है। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में 12 साल से काबिज हैं, इसका फायदा भी भाजपा उम्मीदवार चंदनसिंह सिसौदिया को मिल सकता है। लेकिन, राजनीतिक मिजाज और भाजपा के प्रति लोगों की बेरुखी के कारण किसी भी पार्टी की जीत का दावा नहीं किया जा सकता! 
   1990 के बाद अब तक हुए 6 चुनावों में से 3 बार कांग्रेस के जिस नेता ने जीत दर्ज की वे सुभाष सोजतिया हैं। सोजतिया का गरोठ में अच्छा प्रभाव भी है। 2008 में उन्होंने राजेश यादव को तो हराया ही, इससे पहले 1993 तथा 1998 के चुनाव में भी उन्होंने लगातार जीत दर्ज की। 1993 में भाजपा उम्मीदवार हरकचंद हरसोला साढ़े 3 हजार, जबकि 98 में भाजपा के राधेश्याम मांदलिया को 21 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। मांदलिया 1990 में कांग्रेस के सुभाष अग्रवाल को लगभग साढ़े 12 हजार वोटों के अंतर से हराकर विधायक बने थे।
     जहाँ तक सरकारी तैयारियों की बात है तो गरोठ क्षेत्र की सीमाएं सील की जा चुकी है! निर्वाचन के दौरान कानून व्यवस्था सामान्य बनाए रखने हेतु धारा 144 के प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए गए हैं। इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र की धर्मशाला, होटल, सराय, लॉज, सामुदायिक भवन, रेस्ट हाउस, रिसोर्ट, धार्मिक स्थलों एवं निजी आवासों पर रह रहे बाहरी क्षेत्र के व्यक्ति को निर्वाचन इलाका उपरोक्त अवधि के लिए खाली कराना होगा। गरोठ विधानसभा उपचुनाव में 2 लाख 18 हजार 246 मतदाता (1 लाख 12 हजार 421 पुरूष मतदाता एवं 1 लाख 05 हजार 824 महिला मतदाता) अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इस उपचुनाव के लिए गरोठ विधानसभा क्षेत्र में कुल 261 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। विधानसभा क्षेत्र को कुल 41 जोन में बांटा गया है। 

No comments: