Monday, August 5, 2019

पहले नहीं देखा होगा, आत्मविश्वास का ये अंदाज!

#Kamalnath

   कमलनाथ की अपनी एक राजनीतिक शैली है, जो अमूमन राजनीतिकों में बहुत कम देखी जाती है! वे कम बोलते हैं, बेवजह बयानबाजी नहीं करते! कभी किसी ने उन्हें खुलकर ठहाके लगाते नहीं देखा! उनके चेहरे के हावभाव ही बहुत कुछ बताते हैं। उन्हें समझकर उनके मिजाज का अंदाजा लगाया जा सकता है! याद किया जाए तो कुछ यही शैली अर्जुन सिंह की भी रही है! जिस तरह लोगों ने कभी अर्जुन सिंह को खुलकर हँसते नहीं देखा, ऐसा ही कुछ कमलनाथ के बारे में भी कहा जाता है। उनकी भाव-भंगिमाएं से ही उनके आत्मविश्वास का अंदाजा होता है। वे जब प्रधानमंत्री से मिलते हैं, तो एक पैर पर दूसरा पैर चढ़ाकर बेतकल्लुफी वाले अंदाज में बैठते हैं! उनका ये अंदाज कहीं से उन मुख्यमंत्रियों की तरह दिखाई नहीं देता, जो याचक की तरह नरेंद्र मोदी के सामने बैठते हैं! ये भी देखा गया कि वे अपने फैसलों पर अडिग दिखाई देते हैं। विपक्ष की बयानबाजी से भी कमलनाथ विचलित नहीं होते! बीते महीनों में न तो वे कभी अपनी सरकार की अस्थिरता से परेशान लगे और न सरकार के निर्दलीय और अन्य पार्टियों के विधायकों को साधने की कोशिश की! अपनी घोषणाओं लागू करने के मामले में भी वे किसी की परवाह करते कम ही दिखाई देते हैं।        
000 

- हेमंत पाल


    राजनीति में चुनौतियां स्वीकारना और जद्दोजहद करके जीतना कमलनाथ की राजनीति की खूबी रही है। अपने करियर में उन्होंने कई उतार-चढाव देखे, राजनीतिक साजिशों को समझा और उनसे बाहर भी निकले! विधानसभा चुनाव से पहले जब कमलनाथ को पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंपी थी, तब किसी को भरोसा नहीं था कि वे संगठन को इतना मजबूत कर सकेंगे कि राज्य में 15 साल से काबिज भाजपा को पटकनी दे दें! लेकिन, कमलनाथ ने ये कारनामा कर दिखाया! पार्टी को उन्होंने हमेशा जीत का भरोसा दिलाया, जो सच भी साबित हुआ! किनारे पर बहुमत होने के बावजूद उन्हें कभी समर्थन जुटाने की जद्दोजहद करते नहीं देखा गया! वे तो कभी सरकार गिरने के भय से भी भयभीत नहीं लगते! अनुमान के विपरीत उन्होंने न तो बाहरी समर्थकों को पद की लालीपॉप दी और ऐसा कुछ किया जो उनकी कमजोरी दिखाए!   
     मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुस्कुराहट तब देखने नहीं, समझने लायक होती है, जब भाजपा नेता उनकी सरकार गिराने की बात करते हैं। वे कभी अपनी पार्टी की राजनीतिक ताकत की बात नहीं करते, बल्कि भाजपा को अपना घर संभालने की सलाह देते हैं। उनका आत्मविश्वास विधानसभा में भी साफ़ नजर आता है। बड़बोले भाजपा नेताओं की बोलती उन्होंने जिस तरह की बंद की, वो उनके आत्मविश्वास के अलावा रणनीति कौशल भी बताता है। कमलनाथ ने बीते महीनों में भाजपा को जमीन दिखाने में कसर नहीं छोड़ी! किसान ऋण माफी को लेकर विपक्ष ने उन्हें कई बार निशाने पर लिया, पर लगा नहीं कि वे कभी विचलित हुए हों! यदि कोई ये कहे कि दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य और पार्टी के दूसरे क्षत्रपों को साधकर भरोसे के साथ 5 साल निकालना आसान नहीं है! लेकिन, लगता है अब यही बात कमलनाथ की ताकत बन गई, जो उनके शुभचिंतकों, आलोचकों और महत्वाकांक्षी नेताओं के लिए छुपी नहीं है! उनकी कटाक्ष वाली मुस्कुराहट में कई राज छुपे होते हैं और उनके इसी अंदाज में उनकी ताकत को समझना होगा! राजनीति का अपना ये स्टाइल वे छुपाना भी नहीं चाहते!
  किनारे पर बैठे बहुमत के बावजूद कमलनाथ में इतनी निश्चिंतता क्यों और कैसे नजर आती है, ये सवाल अहम है! क्योंकि, उन्होंने प्रदेश की सियासत की बारीकियों को अच्छी तरह समझ लिया है। वे बात बात पर चुनौती देने वाले भाजपा नेताओं की ताकत का भी अंदाजा लगा लिया। वे देख भी चुके हैं कि बॉस इशारे पर सरकार गिराने का दावा करने वालों की बातें कितनी खोखली थी, ये स्पष्ट भी हो चुका है। उन्हें अपनी रणनीति पर भरोसा है, कि कोई उनकी सरकार का बाल भी बांका नहीं कर सकता! वे कांग्रेसी निर्दलियों के अलावा सपा और बसपा का भरोसा तो जीत ही चुके हैं, भाजपा के भी घोषित और अघोषित विधायक भी उनके पाले में हैं। उन्हें अपने प्रबंधन पर भरोसा है! कमलनाथ अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी प्रबंधन क्षमता, साख, अनुभव और दूरदर्शिता को विपक्षियों ने परख लिया है। कमलनाथ की मुस्कुराहट भी आसान नहीं है! उसमें छुपी रणनीति सिर्फ उन्हें जानने समझने वालों को पकड़ में आती है। लेकिन, उसमें भी आशा, संभावना या ताकत ही नहीं विश्वास ज्यादा नजर आता है। इस सबको मुख्यमंत्री कमलनाथ का पावर स्ट्रोक समझा जाए या फिर वक्त का तकाजा, यह समय बताएगा! लेकिन, सरकार की मजबूती को लेकर वे हमेशा ही आत्मविश्वास से भरे भरे ही नजर आए! 
    बात सिर्फ कमलनाथ की भंगिमाओं से आत्मविश्वास झलकने की ही नहीं है! अपने वादों को लेकर भी उनका अड़े रहना, उनकी अजब कार्यशैली का नमूना है। वे सिर्फ घोषणा नहीं करते, उसपर अडिग भी रहते हैं। कांग्रेस ने अपने विधानसभा चुनाव के वचन पत्र में प्रदेश के उद्योगों में स्थानीय लोगों को 70% रोजगार देने का वादा किया था। क्योंकि, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के लोगों के कारण मध्यप्रदेश में स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती है। इसके बाद काफी विवाद हुआ, लेकिन कमलनाथ सरकार ने अपने कदम पीछे नहीं हटाए! जब उन्होंने घोषणा की, तो विपक्ष ने अपने अंदाज में हमला किया। जमकर होहल्ला हुआ, पर कमलनाथ बेअसर रहे! अपने वादे से तस से मस नहीं हुए और आदेश जारी कर दिया कि कंपनियों को टैक्स में छूट और अन्य लाभ पाना हो तो इस आदेश का पालन करना होगा! लेकिन, इस घोषणा को लेकर भाजपा का तंज समझ से परे रहा। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि कमलनाथ सरकार पहले उद्योग धंधे तो लगाए! स्थानीय लोगों को आरक्षण तो वे उसके बाद ही दे पाएंगे! ये भी सवाल किया कि ये बताएं कि वे दावोस गए थे, तो कितना निवेश लाए? जब उद्योग ही नहीं तो रोजगार कैसे देंगे? 15 साल तक सरकार चलाने वाली भाजपा के नेता को ये तंज करने से पहले सोचना था, कि उद्योग नहीं हैं, तो ये जिम्मेदारी शिवराज सरकार की ज्यादा है, न कि कमलनाथ सरकार की! जिस सरकार ने 15 साल तक सरकार चलाई, वो खुद ऐसे सवाल करे तो बात गले नहीं उतरती!
  राजनीतिकों के बारे में अमूमन ये धारणा बनी रहती है, कि वे 'अच्छे लोग' नहीं होते! लेकिन, राजनीतिक जीवन में काम करने की ‘कमलनाथ शैली’ ने उन्हें हमेशा ही 'अच्छा आदमी’ होने का आभास दिलाया। इस वजह से कमलनाथ के चाहने वालों की फेहरिस्त लंबी है। वे लोगों से देशी अंदाज में बात करते हैं। उनकी इस अदा को लोग पसंद भी करते हैं। कई बार उनके शब्द लोगों को गुदगुदाते भी हैं। कलाकारी तो नहीं कर रहे, हवा में बातें मत करना, कमलनाथ की चक्की देर से पीसती है, लेकिन बारीक पीसती है या उनका तो सिर्फ मुंहभर चलता है, विपक्ष में मेरे लायक और नालायक दोनों तरह के दोस्त हैं! ऐसी गुदगुदी करने वाली बातों के बीच उनकी पारखी नजरें सामने वाले की खूबियों और खामियों को परखती रहती है। उन्होंने चार दशक तक केंद्र की राजनीति की, इसलिए उन्हें सीधे जनता और मीडिया से संवाद का मौका कम ही आया है। पहली बार वे राज्य की राजनीति कर रहे हैं, वो भी पूरे आत्मविश्वास के साथ! डगमगाते समर्थन में वे अपने पैर संभलकर जरूर रख रहे हैं, लेकिन ये तय है कि फिसलेंगे नहीं!   
------------------------------------------------------------------------

No comments: