Saturday, July 11, 2020

असली एनकाउंटर भी फ़िल्मी पुलिस जैसे!

हेमंत पाल

   पुलिस की भूमिका को लेकर लोगों के मन में हमेशा ही ये जिज्ञासा होती है कि क्या असल पुलिस वाले भी फ़िल्मी पुलिस जैसे ही होते है! ये जिज्ञासा स्वाभाविक है! क्योंकि, खाकी वर्दी के अंदर इंसान बसता है! लेकिन, जब ये इंसान वर्दी पहनता है, तो असल पुलिस और फ़िल्मी पुलिस में ज्यादा फर्क नहीं रह जाता! यही कारण है कि दर्शकों को फिल्म की भ्रष्ट पुलिस, राजनीतिकों के सामने पुलिस का दब्बू अंदाज और आम आदमियों पर ज्यादतियों जैसी बातें सही लगती है। सिर्फ यही नहीं गुंडे, बदमाशों के खिलाफ किए जाने वाले असली और फ़िल्मी एनकाउंटर तक एक जैसे लगते हैं। उत्तरप्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को पकड़कर पुलिस ने उसे जिस तरह एनकाउंटर किया गया, वो बिल्कुल फ़िल्मी अंदाज है। ऐसी कम से कम एक दर्जन फ़िल्में बन चुकी है, जिनमें बदमाशों को इसी तरह फर्जी एनकाउंटर में मारते दिखाया गया।
     एनकाउंटर का नाम सुनते ही 2004 में आई नाना पाटेकर की फिल्म 'अब तक छप्पन' की याद जरूर आती है। यह फिल्म मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक पर बनी थी। फिल्म में 56 लोगों का एनकाउंटर बताया गया था। नाना पाटेकर ने इसमें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट साधु अगाशे का किरदार निभाया था। संजय दत्त की 'वास्तव' भी गैंगस्टर पर बनी फिल्म थी। इसमें मुंबई के अंडरवर्ल्ड के जीवन की कड़वी सच्चाईयों को दिखाने की भी कोशिश की गई थी। माना गया था कि ये फिल्म मुंबई के गैंगस्टर छोटा राजन के जीवन पर आधारित थी। लेकिन, इसमें हीरो का एनकाउंटर नहीं होता! अजय देवगन और इमरान हाशमी की फिल्म 'वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई' में भी गैंगबाजी को गंभीरता से फिल्माया गया था।
    इस तरह की फिल्मों में एक 'बाटला हाउस' थी, जो दिल्ली के बाटला हाउस इलाके में संदिग्ध आतंकवादियों के एनकाउंटर पर बनी थी। इस घटना में पुलिस की दो संदिग्ध आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई, जिसमें उन्हें मार दिया जाता है। निखिल के निर्देशन में इसी आधार पर बनी फिल्म में एनकाउंटर को बखूबी ढंग से फिल्माया गया था। फिल्म में जॉन अब्राहम ने उस पुलिस अफसर संजीव कुमार यादव का किरदार निभाया था, जिसने असली एनकाउंटर को अंजाम दिया था। फिल्म में यह साबित करने की कोशिश की गई थी कि ये एनकाउंटर फेक नहीं था। इसी तरह 'शूटआउट ऐट वडाला' कुख्यात अपराधी मन्या सुर्वे के एनकाउंटर पर बनी थी। पुलिस ने 1982 में उसे वडाला इलाके में मार गिराया था। फिल्म में जॉन अब्राहम गैंगस्टर बने थे और अनिल कपूर ने एनकाउंटर करने वाले पुलिसवाले की भूमिका निभाई थी। 'शूटआउट ऐट लोखंडवाला' 1991 में गैंगस्टर माया डोलस और मुंबई पुलिस की मुठभेड़ पर बनी फिल्म थी। इस फिल्म में दिनदहाड़े होने वाला एनकाउंटर खासा सुर्खियों        में रहा!
    फिल्म 'खाकी' में संदिग्ध आतंकवादी को छोटे शहर से पकड़कर मुंबई तक लाने का मिशन था। इस फिल्म में अजय देवगन ने उस पुलिस वाले का किरदार निभाया था, जो आतंकवादी का साथ देता है। अंत में अजय देवगन को एनकाउंटर में मार दिया जाता है। रोहित शेट्टी की फिल्म 'सिम्बा' में रणवीर सिंह की मुंह बोली बहन के साथ बलात्कार और मर्डर हो जाता है। पुलिस वाला बना रणवीर बहन के हत्यारों को एनकाउंटर में मार देता है। सलमान खान की फिल्म 'गर्व' भी कुछ इसी तरह की कहानी थी। इसमें सलमान खान ने पुलिस का रोल निभाया है। बहन के बलात्कार का बदला वह आरोपियों का एनकाउंटर करके लेता है।
    अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के दोनों भाग धनबाद के कोल माफिया और गैंगवार से प्रेरित है। फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने फैजल खान का किरदार निभाया था, जो फहीम खान से प्रेरित था। फिल्म में तो फैजल खान के किरदार की मौत हो जाती है, मगर असल में फहीम को हजारीबाग जेल में उम्र कैद की सजा मिली थी। फिल्म के उस सीन ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं जिसमें फैजल खान रामाधीर की गोलियों से भूनकर हत्या कर देता है।
   अजय देवगन और विवेक ओबरॉय की फिल्म 'कंपनी' अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम और छोटा राजन के अलग होने की घटना से प्रेरित थी। इसमें पहली बार विवेक ओबरॉय दिखाई दिए थे। रामगोपाल वर्मा निर्देशित यह फिल्म अपने समय की हिट फिल्म थी। इसमें गैंगवार को बेहद क्रूरता से फिल्माया गया था। मुंबई के एक माफिया डॉन अरुण गवली पर बनी फिल्म 'डैडी' में गवली के माफिया डॉन से राजनीति तक के सफर को दिखाती है। अर्जुन रामपाल ने इसमें अरुण गवली की भूमिका की थी। इमरान हाशमी भी ‘मुंबई सागा’ में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का किरदार निभाने वाले हैं। इस फ़िल्म को संजय गुप्ता बना रहे हैं। इसके अलावा जॉली एलएलबी-2, रईस, एनकाउंटर : द किलिंग और शागिर्द भी ऐसी फ़िल्में थीं जिनमें एनकाउंटर के सीन     फिल्माए गए थे।
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