Friday, July 17, 2020

एक और कांग्रेस विधायक ने पाला बदला, भाजपा ने सुरक्षा की खातिर विकल्प चुना!

हेमंत पाल 

    मध्यप्रदेश में कांग्रेस विधायकों की गिनती एक और कम हो गई! बुरहानपुर जिले की नेपानगर सीट से विधायक सुमित्रा देवी कासडेकर ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दुपट्टा धारण कर लिया। इसके साथ ही 114 विधायकों का काफिला घटते-घटते 90 तक आ गया। अभी कहा नहीं जा सकता कि बीच रास्ते में कितने विधायक और कांग्रेस से बिछुड़ेंगे! क्योंकि, भाजपा ने कांग्रेस के तालाब में काँटा डाल रखा है! उसे उम्मीद है कि कुछ और विधायक दाना खाने आएंगे और फंसेंगे। भाजपा की ये सियासी चाल सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। भाजपा सिंधिया-खेमे की जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त नहीं है, इसलिए सिंधिया खेमे से अलग कांग्रेस विधायकों को तोड़ने का दूसरा विकल्प तलाशा जा रहा है। 
   सप्ताहभर के अंदर प्रदेश में कांग्रेस को ये दूसरा राजनीतिक झटका लगा। बड़ा मलहरा के प्र्दुयमनसिंह लोधी के बाद नेपानगर की विधायक सुमित्रा देवी कासडेकर ने पार्टी छोड़ दी। उधर, भाजपा का दावा है कि कुछ और विधायक संपर्क में हैं। ऐसे विधायकों की संख्या 10 बताई जाती है, जो कांग्रेस छोड़ने के लिए बोरिया-बिस्तर बांधकर बैठे हैं! सप्ताहभर में 2 विधायकों के भाजपा में आ जाने के बाद अभी 8 और कौनसे हैं, ये देखना बाकी है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव से जुड़ी सुमित्रा देवी ने अचानक पाला बदल क्यों किया, फिलहाल इसका जवाब किसी के पास नहीं है! अरुण यादव के नजदीकी नेता भी इस घटना को अप्रत्याशित मान रहे हैं। लेकिन, कांग्रेस का कहना है कि सुमित्रा को भी पद और पैसे का लालच देकर खरीदा गया है। वे बेहद लोप्रोफाइल वाला अनजान सा चेहरा रही हैं और बहुत कम वोटों से चुनाव जीती थीं। जबकि, सुमित्रा देवी का कहना है कि उनके कहने से कमलनाथ ने तबादले नहीं किए और न मिलने का टाइम दिया!
   पिछले सप्ताह बड़ा मलहरा से कांग्रेस के विधायक प्रद्युमन सिंह लोधी ने भी पार्टी छोड़ी थी और उसके 6 घंटे बाद ही उन्हें केबिनेट मंत्री के दर्जे वाले निगम का अध्यक्ष बना दिया गया था। संभव है कि ऐसा ही कोई लालच का पत्ता सुमित्रा देवी के सामने भी फेंका गया होगा। इस घटना पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का कहना है 'मुझे चिंता नहीं है। मुझे पता था कि कुछ लोग हैं जो छोड़ देंगे, इसलिए वे चले गए। यह आश्चर्य की बात नहीं है। भाजपा विधायकों को बुला रही है, उन्हें पैसे और अलग-अलग पोस्ट दे रही है।' जबकि, राजनीति के गलियारों में चल ख़बरों में कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कई विधायकों को तोड़ने का मिशन है। इस चर्चा के बाद कमलनाथ ने कुछ विधायकों से मुलाकात भी की थी। लेकिन, किसी ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया। 
   उपचुनाव से पहले कांग्रेस के लिए ये नया झटका है। पहले 22 विधायकों ने एक साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पार्टी से बगावत करके कमलनाथ की 18 महीने पुरानी सरकार गिरा दी! अब 2 विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। पिछले दिनों मुरैना में हुई वर्चुअल रैली में बागी विधायक एदलसिंह कंसाना की इस बात को किसी न गंभीरता से नहीं लिया था, कि कांग्रेस के 15 विधायक उनके संपर्क में हैं। अब ये बात सही साबित हो रही है कि संपर्क के जरिए सौदेबाजी जारी है। जिसका सौदा हो रहा है, वो भाजपा के पाले में आता जा रहा है। बुंदेलखंड के 4 और महाकौशल के एक विधायक के जल्द टूटने के भी दावे किए जा रहे हैं। पिछले दिनों कमलनाथ ने दमोह के विधायक राहुल सिंह और बंडा के तरबतसिंह को भोपाल बुलाकर इसी संदर्भ में बात की थी! लेकिन, दोनों ने ही ऐसी किसी आशंका से इंकार किया।      
   लाख टके का सवाल ये है कि जब भाजपा के पास सिंधिया के साथ आए 22 विधायकों की सीटें खाली हैं, फिर कांग्रेस से और विधायक क्यों तोड़े जा रहे हैं! समझा जा रहा है कि भाजपा के आंतरिक सर्वे के मुताबिक ज्यादातर सिंधिया समर्थक उपचुनाव जीतने की स्थिति में नहीं हैं। यदि ऐसा होता है, तो शिवराजसिंह सरकार मुसीबत में आ जाएगी! यही कारण है कि भाजपा ने कांग्रेस की कुछ और कमजोर कड़ियों पर वार करने की तैयारी की है, ताकि उनके चुनाव जीतने पर सरकार सुरक्षित रहे। इसके अलावा एक कारण ये भी है कि भाजपा अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतिक दबाव को कम करना चाहती है! वो नहीं चाहती कि सिंधिया अपने रिमोट कंट्रोल से शिवराज-सरकार चलाए! यदि सिंधिया के खाते वाली सीटों के अलावा उपचुनाव होंगे और उम्मीदवार जीतेंगे तो भाजपा उन्हें अपने हिसाब से चला सकती है।   
 ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में 22 विधायक आए थे। आगर-मालवा और जौरा विधानसभाओं की सीटें पहले से खाली थी। समझा जा रहा था कि प्रदेश में 24 सीटों पर उपचुनाव होंगे। लेकिन, 2 और कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद अब खाली सीटों संख्या 26 हो गई है जहाँ  उपचुनाव होंगे। मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सदस्य हैं, इनमें 22 ने पहले ही इस्तीफा दे दिया और 2 का निधन हो गया। 26 सीटें खाली होने से विधानसभा में सदस्य संख्या 204 हो गई है। कांग्रेस के फ़िलहाल 90 विधायक हैं और भाजपा के पास 107 हैं। सदन में 4 निर्दलीय, 2 बसपा और एक विधायक समाजवादी पार्टी से है। 
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