Friday, August 20, 2021

चार दशक बाद भी 'सिलसिला' थमा नहीं!

हेमंत पाल 

    कुछ फ़िल्में ऐसी बनी जो अलग-अलग कारणों से हमेशा याद रखी जाएंगी। 'मदर इंडिया' को उसकी कहानी के अलावा सुनील दत्त और नरगिस के अभिनय के लिए याद करते हैं। 'मुगले आजम' फिल्म उसकी मेकिंग के लिए फिल्म इतिहास में दर्ज है। 'शोले' को गब्बर सिंह की कभी न भूलने वाली भूमिका के लिए भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे ही 'सिलसिला' को उसकी विवादास्पद स्टार कास्ट के लिए याद किया जाता रहेगा। अमिताभ बच्चन, रेखा और जया बच्चन की फिल्म ‘सिलसिला’ भी ऐसी ही फिल्म थी, जिसे अमिताभ बच्चन की जिंदगी से जोड़कर देखा जाता है। इसे रिलीज हुए 40 साल (14 अगस्त 1981) हो गए, लेकिन लगता नहीं कि इतना लम्बा अरसा गुजर गया। यश चोपड़ा ऐसे निर्देशक माने जाते थे, जिन्हें प्रेम को लेकर दर्शकों की नब्ज का पता था। जैसे ही फिल्म के कलाकारों के नाम सामने आए दर्शकों ने कयास लगा लिया था कि फिल्म की कहानी क्या होगी। ये अमिताभ, जया और रेखा के लव ट्राएंगल की निजी जिंदगी की कहानी तो नहीं थी, पर देखा उसी तरह गया।
    'सिलसिला' को कई कारणों से बड़ी फिल्म माना गया था। उस दौर में विवाहेत्तर रिश्तों के कारण इस फिल्म की कहानी को आधुनिक भी समझा गया। ये भी चर्चा चली कि फिल्म की कहानी अमिताभ, जया और रेखा के रियल लाइफ लव स्टोरी पर आधारित थी। फिल्म महंगी भी थी। ये इकलौती फिल्म थी, जिसमें शशि कपूर ने अमिताभ बच्चन के बड़े भाई का किरदार निभाया था। इससे पहले शशि कपूर फिल्मों में उनके छोटे भाई ही बनते रहे, जबकि उम्र में वे अमिताभ से बड़े थे। यश चोपड़ा को उम्मीद थी कि उन्होंने फिल्म के लिए हरसंभव सभी कुछ किया है, इसलिए फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल करेगी। लेकिन, यश चोपड़ा की उम्मीदें धराशाई हो गई। फिल्म के गीत-संगीत को पसंद किया गया, पर फिल्म नहीं चली। 'सिलसिला' फ्लॉप की कई वजहों में से एक यह भी रही कि फिल्म में जया बच्चन को शुरू में अमिताभ बच्चन की होने वाली भाभी दिखाया गया। बाद में उन्हें अमिताभ की पत्नी बना दिया। अमिताभ और रेखा ने इस फिल्म की शुरुआत में प्रेम के जो अहसास भरे दृश्य कैमरे के सामने दिए थे, वे वास्तविक से अलग नहीं थे।
   अमिताभ बच्चन और रेखा के रिश्तों को लेकर कई कहानियां बॉलीवुड के गलियारों में सुनाई देती रही। इतने साल बाद भी इनका रिश्ता साफ नहीं है। ऐसी स्थिति में किसी डायरेक्टर के लिए अमिताभ के साथ रेखा और जया बच्चन को लेकर फिल्म बनाना आसान नहीं था। लेकिन, ये चुनौती यश चोपड़ा ने ली और उसे पूरा भी किया। वास्तव में तो इस फिल्म की कहानी अमिताभ बच्चन, परवीन बाबी और स्मिता पाटिल को लेकर गढ़ी गई थी। कुछ सीन की शूटिंग भी हो चुकी थी। लेकिन, अमिताभ बच्चन इस कास्टिंग से सहमत नहीं थे। उन्होंने परवीन बाबी और स्मिता की जगह रेखा और जया को लेने की सलाह दी। स्थितियां ऐसी बनी कि अमिताभ के दबाव में यश चोपड़ा को फैसला बदलना पड़ा। परवीन बाबी ने इस बदलाव के लिए अमिताभ को दोषी भी ठहराया था। जबकि, स्मिता पाटिल इसे लेकर लम्बे अरसे तक अमिताभ बच्चन और यश चोपड़ा दोनों से नाराज रहीं। फिल्म की कास्टिंग से स्मिता पाटिल को निकालने का फैसला उन तक पहुंचाने के लिए यश चोपड़ा ने शशि कपूर की मदद ली थी। लेकिन, कास्टिंग में फेरबदल का कारण यश चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन को बताया था। 
     जब जया और रेखा को लेकर फिल्म शुरू करना तय हुआ तो दोनों से वादा भी लिया गया कि शूटिंग में किसी तरह की दिक्कत नहीं आना चाहिए। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं! यश चोपड़ा के लिए फिल्म शूट करना आसान नहीं रहा। रेखा और जया के बीच जो तनाव था, वो शूटिंग में भी कई बार महसूस किया गया। फिल्म की शूटिंग के दौरान सेट पर माहौल काफी तनाव भरा रहता था। इसकी वजह थी अमिताभ, जया और रेखा। यही वक्त था, जब अमिताभ-रेखा की खबर सुर्खियों में थी। सेट पर यश चोपड़ा मन ही मन हनुमान चालीसा का पाठ करते थे, कि किसी तरह शूटिंग पूरी हो जाए। 'सिलसिला' बनने के दौरान यश चोपड़ा पूरे समय बेहद तनाव में रहे। इस फिल्म के लिए जया बच्चन का राजी करना आसान नहीं था। शुरुआत में जया फिल्म के लिए राजी भी नहीं थीं, लेकिन उनकी एक शर्त थी फिल्म की हैप्पी एंडिंग चाहिए थी। फिल्म की कहानी में अमित मल्होत्रा (अमिताभ बच्चन) चांदनी (रेखा) से एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर खत्म करके शोभा मल्होत्रा (जया बच्चन) के पास लौट आता है। इसी हैप्पी एंडिंग के लिए जया बच्चन फिल्म करने के लिए राजी हुई थी। अमिताभ बच्चन के लिए भी ये दौर बहुत मुश्किल भरा रहा। 
   इस फिल्म की दिक्कतें यहीं तक सीमित नहीं थीं। यश चोपड़ा फिल्म में रेखा के पति के किरदार में संजीव कुमार को चाहते थे। लेकिन, संजीव ने फिल्म करने से साफ मना कर दिया। वे खुद को अमिताभ से सीनियर मानते थे, इसलिए साइड रोल करना उन्हें ठीक नहीं लगा था। इससे पहले दोनों 'शोले' (1975) और 'त्रिशूल' (1978) में ऐसे ही रोल कर चुके थे। यश ने संजीव को बहुत मनाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने इसके बाद यश ने संजीव कुमार से कहा कि आप एक बार स्क्रिप्ट तो सुन लीजिए! बात रखने के लिए संजीव यश से कहानी सुनाने लगे। आधी कहानी निकल चुकी थी, तभी एक सीन आया और संजीव कुमार ने यश चोपड़ा को रोक दिया। इसके बाद उन्होंने अपने ऑफिस फोन लगाया और इस फिल्म के लिए डेट बुक करने के लिए कह दिया। ये फिल्म का वही सीन था, जब अमिताभ, संजीव, रेखा और जया एक रेस्त्रां में बैठे होते हैं, डांस करने की बारी आती है, तो अमिताभ जया के बजाए अपने साथ रेखा को ले जाते हैं। 
   फिल्म को भव्य बनाने की तैयारियां हो चुकी थीं। लेकिन, यश चोपड़ा फिल्म के गीत-संगीत को भी कुछ ख़ास बनाना चाहते थे। उन्होंने गीत के लिए साहिर लुधियानवी से बात की, उन्होंने यशराज की कई फिल्मों में गाने लिखे थे। लेकिन, उन्होंने 'सिलसिला' के गीत लिखने से मना कर दिया। क्योंकि, कुछ ही दिन पहले ही साहिर की माताजी का निधन हुआ था। इसके बाद यश ने जावेद अख्तर से बात की, जिनकी ख्याति सलीम खान के साथ फ़िल्में लिखने के लिए थी। यश चोपड़ा के लिए भी वे दीवार, त्रिशूल और 'काला पत्थर' लिख चुके थे। जावेद गजलें और कविताएं भी लिखते थे, पर ये बात कुछ करीबी लोगों को ही पता थी। यश ने उनसे इस फिल्म के गाने लिखने को कहा। किसी तरह जावेद मान गए, जो बतौर गीतकार उनकी पहली फिल्म थी। जावेद अख्तर ने फिल्म के लिए जो पहला गाना लिखा, वो था 'देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए!' 
     संतूर वादक शिवकुमार शर्मा और बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया की भी बतौर संगीतकार ये पहली फिल्म थी। इस फिल्म के लिए सात गाने रिकॉर्ड किए गए। इनमे 'खुद से जो वादा किया' फिल्म में नहीं था और 'नीला आसमान सो गया' का एक ही वर्जन फिल्म में था। सात में से दो गाने अमिताभ ने जुड़वाए जो 'नीला आसमान' के अलावा होली गीत 'रंग बरसे भीगे' था। ये होली गीत अमिताभ के पिता डॉ हरिवंशराय बच्चन की लिखी कविता थी, जिस पर गाना बनाया गया और इसे गाया भी अमिताभ ने ही। 'नीला आसमां खो गया' से जुड़ा भी एक किस्सा है। जब फिल्म 'जमीर' की शूटिंग हो रही थी तो शम्मी कपूर और अमिताभ बच्चन ने मिलकर ये ट्यून खुद बजाई थी। बाद में इसे फिल्म 'सिलसिला' में शम्मी कपूर की अनुमति लेकर ही अमिताभ बच्चन ने प्रयोग किया।
     फिल्म बन जाने के बाद इसकी डबिंग में भी कई अड़चने आई। अमिताभ बच्चन ने 'याराना' को जल्दी पूरी करने की कोशिश में 'सिलसिला' की डबिंग को लम्बे समय तक टाला। यश चोपड़ा इससे काफी परेशान भी हुए। रेखा ने भी डबिंग के दौरान दिक्कत दी। वे जब भी डबिंग करने पहुंचती तो पहले जया बच्चन के सीन दिखाने की जिद करती। वे किसी भी सीन में जया से पिछड़ना नहीं चाहती थी। फिल्म पूरी होने के बाद यश चोपड़ा ने चैन की सांस ली थी लेकिन अमिताभ से उनकी जमकर खटपट हो गई थी। इसके बाद उन्होंने न तो चोपड़ा से कभी बात की और न ही उनके साथ किसी भी फिल्म में काम किया। करीब 19 साल तक दोनों में अनबन रही।
     यश चोपड़ा ने सिनेमा के अंदर रोमांस की नई परिभाषा को गढ़ा है। उन्होंने हर वक्त के साथ दर्शकों की पसंद को समझा और ऐसी फ़िल्में बनाई जो फिल्म इतिहास में दर्ज हुई। अमिताभ बच्चन, रेखा और जया बच्चन की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'सिलसिला' भी अपनी कास्टिंग की वजह से चर्चा में रही। इन तीनों से किसी ऐसी फिल्म में अभिनय करवाना इसलिए आसान नहीं था, क्योंकि फिल्म की कहानी इनकी निजी जिंदगी को प्रभावित करती थी। परदे पर जिस जोड़ी को सबसे ज्यादा रूमानी माना जाता है, उनमें अमिताभ-रेखा से ज्यादा कोई जोड़ी हिट नहीं रही। दोनों के बीच जो अहसास दिखाई देता था, वो कभी फ़िल्मी नहीं लगा। दोनों के बीच वाकई में प्यार जैसा कुछ था या नहीं ये सवाल आज 40 साल बाद भी अनुत्तरित है। आज भी जब ये दोनों सामने आते हैं, तो देखने वाले उनकी आँखों में वही अहसास खोजते दिखाई देते हैं, जिसके चर्चे आम हैं।  
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