Saturday, August 28, 2021

दर्शकों का दिल चुराने वाले ये फिल्मी चोर

- हेमंत पाल

   फिल्म के कथानकों में 'चोर' फार्मूला लम्बे अरसे से हिट रहा। क्योंकि, फिल्मों में हीरो की छवि कुछ इस तरह गढ़ी गई है, कि वो जो भी करे, सही होता है! फिर चाहे वो गुंडागर्दी, आवारागर्दी हो या फिर चोरी-डकैती! उसके गलत कामों को भी कथानकों में घुमा-फिराकर सही साबित किया जाता है! दर्शकों की पसंद और हिंदी फिल्मों का फार्मूला यही है। फिल्म में यदि हीरो चोर है, तो ऐसा कारण बताया जाता है कि दर्शकों को उससे सहानुभूति हो जाती है और उसका चोरी करना जायज लगता है। अशोक कुमार की 'किस्मत' से लगाकर 'धूम' सीरीज तक यही मसाला इस्तेमाल किया जा रहा है! इतिहास को टटोला जाए तो 'चोर' शीर्षक से बनी ज्यादातर फिल्में और गाने पसंद किए गए। इसलिए कि कथानकों में 'चोर' का कैरेक्टर ब्लैक-शेड वाला न होकर ग्रे-शेड वाला होता है, जो नायिका से लेकर दर्शकों का दिल चुराकर बॉक्स ऑफिस लूटने में सफल होता है। 
     हिंदी फिल्मों में हीरे चुराने वाले चोर भी बहुत नज़र आए। लेकिन, उन्होंने हीरोइन का दिल चुराने में भी कसर नहीं छोड़ी! फिल्म यदि दो भाईयों पर आधारित है और उसमें एक भाई पुलिसवाला है, तो यकीन मानिए दूसरा भाई चोर ही होगा और हीरोइन भी पुलिस वाले भाई के बजाय चोर पर ही डोर डालती है। फिल्मों के ये चोर या तो अकेले चोरी करते थे या पूरी गैंग ये काम करती है। फिल्मों में नायक कभी रोटी के लिए चोरी करता है, तो कभी बीमार मां की दवाई के लिए। कभी तो नायक चोरी करता ही नहीं और उस पर चोरी का इल्जाम लगता है। ऐसे चोरों की बेबसी गीतों में सुनाई देती है जैसे 'नया जमाना' के गीत 'चोरों को सारे नजर आते हैं चोर!' कुछ दिल चोर तो हद ही करते हैं। वे अपनी महबूबा पर रौब गांठते हुए कहते हैं 'चांद चुरा के लाया हूं।' सलीम जावेद ने तो अपनी फिल्म 'दीवार' में अमिताभ के हाथ पर 'मेरा बाप चोर है' लिखकर हिन्दी सिनेमा में चोर शब्द को न केवल अमर कर दिया, बल्कि बॉलीवुड को चोर विषय पर हिट फिल्म बनाने का एक फार्मूला भी बता दिया है। 
    चोर फॉर्मूले के हिट होने का बड़ा सबूत यह है कि पहली सुपर हिट फिल्म कहलाने का श्रेय 1943 में बनी ज्ञान मुखर्जी की अशोक कुमार की फिल्म 'किस्मत' को जाता है। कोलकाता के एक सिनेमाघर में इस फिल्म ने लगातार साढ़े तीन साल चलने का रिकार्ड भी बनाया। मुंबई के मराठा मंदिर टॉकिज में भी 1975 में प्रदर्शित 'शोले' का लगातार पांच साल से ज्यादा चलने का 32 साल का रिकॉर्ड रहा! 'किस्मत' में अशोक कुमार ने चोर की भूमिका निभाई, तो 'शोले' के दोनों नायक धर्मेंद्र और अमिताभ भी चोर ही थे। साठ के दशक में आई फिल्म 'हाफ टिकट' (1962) में किशोर कुमार एक हीरा स्मगलर का पीछा करते रहे। हीरा चोर हीरो फार्मूले की पहली फिल्म 'ज्वेल थीफ' थी, जिसमें दर्शक देव आनंद को आखिरी तक दर्शक चोर समझते हैं, पर क्लाइमेक्स में अशोक कुमार चोर निकलता है। देव आनंद भी हर दूसरी फिल्मों में चोर ही नहीं, महिला दर्शकों के चितचोर भी बनें। राजकपूर ने 'आवारा' में चोर की भूमिका निभाकर दुनियाभर में वाहवाही लूटी, तो उनके भाई शम्मी कपूर भी ज्यादातर फिल्मों में चोर बने। शम्मी कपूर ने 'हम सब चोर हैं' में काम किया था। सबसे छोटे भाई शशि कपूर तो इससे एक कदम आगे निकले। वे एनसी सिप्पी की एक फिल्म में न केवल चोर बने, बल्कि उन्होंने 'चोर मचाए शोर' का भी खूब शोर मचाया। 'चोर चोर' के हीरो खुद विजय आनंद थे। 
    फिल्मों में कुछ छोटे-मोटे चोर होते हैं, तो कुछ लंबा हाथ मारने वाले शातिर चोर! बीआर चौथा की फिल्म 'वक्त' में राजकुमार ऐसे ही रौबदार चोर बने थे। कभी-कभी तो फिल्म के कॉमेडियन को भी यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। फिल्मों के कई निर्माता-निर्देशकों को 'चोर' विषयों पर फिल्में बनाने या निर्देशित करने में महारत हासिल थी। गुरुदत्त ने भी पहले 'चोर' विषय पर 'सीआईडी' और '12'ओ क्लॉक' जैसी फ़िल्में बनाई थी। चोर बनने वाले कुछ बड़े अभिनेताओं में धर्मेन्द्र भी हैं, जिनकी करियर की पहली बड़ी हिट फिल्म 'फूल और पत्थर' (1966) थी, जिसमें वे चोर बने थे। बाद में 'शालीमार' और 'दो चोर' में भी वे चोर का किरदार किया। 1979 में आई राकेश कुमार की फिल्म 'मिस्टर नटवरलाल' में अमिताभ बच्चन चोर थे। इसके बाद 'डॉन' और 'कांटे' में भी अमिताभ चोरी करते दिखाई दिए। 'आँखें' में वे दो अंधों की मदद से बैंक में चोरी करवाते हैं। 'बंटी और बबली' में अभिषेक बच्चन और रानी मुख़र्जी चोर जोड़ी बने थे। हिन्दी फिल्मों में शायद ही कोई अभिनेता हो, जिसने कभी चोर का किरदार अदा न किया हो! मनोज कुमार जैसा देशभक्त कलाकार भी 'बेईमान' में चोर का चरित्र निभा चुके हैं। 1970 में रिलीज हुई मनमोहन देसाई की फिल्म 'सच्चा झूठा' में राजेश खन्ना का डबल रोल था, एक में वे चोर ही थे। चोरी पर बनी अनुभव सिन्हा की फिल्म 'केश' में अजय देवगन और सुनील शेट्टी थे। 
   'द बर्निंग ट्रेन' में भी एक हीरे के चोर की थी। 'डेल्ही बेली' की कहानी भी हीरे-जवाहरात की चोरी पर थी। कृष्णा शाह की 'शालीमार' में धर्मेंद्र सहित कुछ दूसरे चोर हीरा चोरी करने की चुनौती स्वीकार करते हैं। 'हीरा पन्ना' की पूरी कहानी हीरे के नेकलेस की चोरी पर घूमती रही। चोर शीर्षक से बनी फिल्मों में ज्वैल थीफ, चोरी मेरा काम, चोर-चोर, दो चोर, तू चोर में सिपाही, हम सब चोर हैं, अलीबाबा चालीस चोर, चोर मचाए शोर, बम्बई का चोर, चोर और चांद, थीफ ऑफ बगदाद, बैंक चोर, नामी चोर, महाचोर, चोर बाजार प्रमुख है। कुछ ऐसी फिल्में भी हैं, जिनमें नायक तो शरीफ होता है, लेकिन नायिकाएं चोर। जीनत अमान, मुमताज, हेमा मालिनी और श्रीदेवी ऐसी भूमिकाओं में खूब जमी। 'शान' में परवीन बाबी और बिंदू हीरा चोर बनी थी। 'डॉली की डोली' में सोनम कपूर भी चोर बनी थी, जो शादी की पहली रात गहने चुराकर फरार हो जाया करती थी। नीतू सिंह की एक फिल्म का शीर्षक ही 'चोरनी' था।
    2014 में आई 'हैप्पी न्यू ईयर' में शाहरुख़ खान अपनी गैंग के साथ हीरे की चोरी करने विदेश पहुँच जाते हैं। फराह खान ने तो 'तीस मारखां' में भी अक्षय कुमार को चोर बनाया था। साजिद नाडियादवाला की फिल्म 'किक' में सलमान खान ने भी चोर का किरदार किया था। विक्रमजीत सिंह की फिल्म 'रॉय' में रणबीर कपूर ने चोरों पर फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर कबीर का किरदार किया था। नीरज पांडेय की 'स्पेशल-26' में अक्षय कुमार हीरा व्यापारी के शो रूम में फर्जी इनकम टैक्स ऑफिसर बनकर गैंग के साथ चोरी करते हैं। निर्देशक दिबाकर बनर्जी की फिल्म 'ओए लक्की लक्की ओए' ने नेशनल अवॉर्ड, फिल्मफेयर अवार्ड, आईफा अवार्ड जीते।यह फिल्म सुपर चोर के नाम से प्रसिद्ध बंटी की रियल लाइफ पर आधारित थी। फिल्म में अभय देओल ने बंटी चोर के किरदार को बेहतरीन ढंग से निभाया। अब्बास-मस्तान की फिल्म 'प्लेयर्स' में सभी किरदार चोरी करते दिखे। अभिषेक बच्चन, नील मुकेश, बिपाशा बसु, बॉबी देओल, आफताब शिवदासानी, जॉनी लीवर 10 करोड़ के सोने की चोरी के लिए प्लान बनाते हैं। फिल्म 'लुटेरा' में रणवीर सिंह ने भी चोर की भूमिका निभाई थी। 
   चोरों पर फ़िल्में बनाने में यशराज बैनर को महारत है। उनकी 'धूम' सीरीज आधुनिक तकनीक से चोरी करने वाले चोरों पर ही है। 'धूम' की सफलता के बाद 'धूम-2' और 'धूम-3' बनाई गई। तीनों ही 'धूम' फिल्मों को अच्छी सफलता मिली। 'धूम-3' तो हिंदी की सबसे सफल छह फिल्मों में एक है। यशराज बैनर ने चोर और चोरी पर कुछ और फ़िल्में बनाई है। 2014 में आई फिल्म 'गुंडे' में रणवीर सिंह और अर्जुन कपूर कलकत्ता के कोयला चोर थे। इससे पहले रणवीर सिंह ने 'लेडीज वर्सेस रिक्की बहल' में चोर की भूमिका निभाई थी। 'बदमाश कंपनी' में चार दोस्त एक कंपनी बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग करते हैं। इस बैनर की फिल्म 'बंटी और बबली' भी बड़ी हिट फिल्मों में शामिल है। लेकिन, अमिताभ और आमिर की 'ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान' ऐसी फ्लॉप हुई कि उसने पानी नहीं माँगा।  
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