- हेमंत पाल
मध्यप्रदेश में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, ये सवाल अब गौण नहीं रहा। पार्टी और सरकार के हर कोने से संभावित मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अलग-अलग नाम सुनाई देने लगे हैं। लेकिन, ये दावा कोई नहीं कर रहा कि शिवराज सिंह चुनाव तक बने रहेंगे और अगला विधानसभा चुनाव पार्टी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ेगी। राजनीति को समझने और राजनीतिक हलचल पर नजर रखने वालों का भी मानना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया से बगावत करवा के भाजपा ने शिवराज सिंह को चौथी बार सत्ता भले सौंप दी हो, पर पार्टी को अभी भी भरोसा नहीं है, कि वे आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिला सकते हैं। दमोह उपचुनाव में भाजपा की हार ने कई समीकरण बदल दिए। लेकिन, सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यही है कि शिवराज के बाद कौन? विकल्प के रूप में कई नाम सामने आ रहे हैं, पर किसी एक नाम पर जोर नहीं दिया जा रहा!
धार में पत्रकारों के एक कार्यक्रम में 15 अगस्त में जो हुआ, वो भी इस मामले में गौर करने वाली बात है। धार के सांसद छतरसिंह दरबार ने इस कार्यक्रम के मंच से गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को 'प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री' कहकर संबोधित किया। सांसद ने सहजता से या नरोत्तम मिश्रा को खुश करने के लिए इस संभावना को व्यक्त किया, ये नहीं कहा जा सकता। लेकिन, उन्होंने प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री बताकर इस चर्चा को एक बार हवा जरूर दे दी। बाद में नरोत्तम मिश्रा ने बात को संभालते हुए शिवराज सिंह को ही मुख्यमंत्री बताया और इस बात की सफाई दी। लेकिन, ऐसा पहली बार नहीं हुआ। करीब महीनेभर पहले भी नरोत्तम मिश्रा ने अपनी तरफ से ऐसी ही सफाई देकर बात को ठंडा किया था। क्योंकि, तब भी उनकी सक्रियता को देखते हुए ये समझा जा रहा था कि जो नेता शिवराज सिंह के बाद मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं, उनमें नरोत्तम मिश्रा का नाम सबसे आगे है।
इस बात से इंकार नहीं कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी शिवराज सिंह को लेकर निश्चिंत नहीं है। जिस तरह की राजनीतिक हलचल सतह के नीचे चल रही है, ये समझा जा रहा है कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन अवश्यंभावी है। पिछले तीन कार्यकाल की तरह शिवराज सिंह भी आराम की स्थिति में नहीं हैं। ये भी कहा जा रहा है कि कई मामलों में उन्हें केंद्रीय नेतृत्व निर्देशित करता है और उन्हें वही फैसले लेना भी पड़ते हैं। ऐसे में तय है कि पार्टी कभी भी कोई बड़ा फैसला ले सकती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद दिल्ली में बैठे भाजपा नेता जिस तरह उन्हें तवज्जो दे रहे हैं, वो भी शिवराज सिंह के कमजोर होने का संकेत है। बतौर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को कई ऐसे फैसले भी लेना पड़ रहे हैं, जो वे लेना नहीं चाहते। लेकिन, अभी इस बात की कोई संभावना नहीं लग रही कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश की सत्ता सौंपी जा सकती है।
शिवराज सिंह के बाद प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन हो सकता है, इस संभावना को लेकर कई नाम हवा में हैं। राजनीतिक अनुभव और मध्यप्रदेश में उनके संपर्कों को लेकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर का नाम कई बार सामने आया। देखा जाए तो चुनाव के नजरिए से वे सबसे सही चेहरा भी हैं। दो बार उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भाजपा ने प्रदेश में सरकार भी बनाई! इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नाम की भी चर्चा चलती रहती है। लेकिन, वे पार्टी को चुनाव जितवा सकते हैं, इस बात में संदेह है। इसके अलावा जो नाम सबसे ज्यादा सामने आता है, वो गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का ही है। उनके साथ सबसे बड़ी खामी यह है कि ग्वालियर इलाके से बाहर उनका नेटवर्क कमजोर है। शायद यही कारण है कि वे इन दिनों पश्चिमी मध्यप्रदेश में ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। इंदौर का प्रभारी मंत्री बनने के बाद वे अपने संपर्कों का दायरा बढा रहे हैं। इंदौर में भी वे लगातार पुराने भाजपा नेताओं से मिल रहे हैं। ऐसे में धार के सांसद का नरोत्तम मिश्रा को भावी मुख्यमंत्री कहकर संबोधित करना कुछ तो संकेत देता ही है।
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