Wednesday, February 22, 2023

ये माफ़ी नहीं, कुमार विश्वास की अहंकारोक्ति ज्यादा!

 - हेमंत पाल 

    देश के जाने-माने कवि और हिंदी के प्रोफ़ेसर कुमार विश्वास उज्जैन में तीन दिन की रामकथा कर रहे हैं। लेकिन, 'राम कथा' के पहले दिन ही दिन वे विवादों में आ गए। अभी दो दिन और कथा का आयोजन होना है। इस कथा के दौरान उन्होंने ने 'संघ' को लेकर ऐसा कुछ कह दिया कि बवाल मच गया। अपनी विवादित टिप्पणी के बाद से वे भाजपा और आरएसएस के निशाने पर आ गए। भाजपा के नेताओं ने चेतावनी दी, कि अगर कुमार विश्वास ने माफी नहीं मांगी, तो उनकी राम कथा नहीं होने जाएगी। इस चेतावनी के बाद कुमार विश्वास ने एक वीडियो जारी करके माफ़ी मांगी। लेकिन, इसमें उनकी माफ़ी का अंदाज अजीब है। उनकी भाषा में बेहद अहंकार से भरा है और पूरी बातें कुतर्कों से भरी और सलाह देने वाली है।  
    गलती करना या हो जाना मानवीय स्वभाव है और गलती करके माफ़ी मांगना बड़प्पन है। अफ़सोस के साथ माफ़ी मांगने का अपना अलग नजरिया होता है। जिसमें विनम्रता के साथ जाने-अनजाने में भूल से कहीं गई अपनी बातों पर खेद जताया जाता है। इसके अलावा माफ़ी मांगने वाला यह भी दर्शाने की कोशिश करता है, कि उससे जो गलती हुई, उसे नजर अंदाज किया जाए और आगे मैं इस बात का ध्यान रखूंगा कि ऐसा कोई प्रसंग नहीं आएगा, जिससे किसी के दिल को ठेस पहुंचे। लेकिन, कुमार विश्वास ने जो वीडियो जारी किया, वो माफ़ी के निर्धारित सामाजिक मापदंड़ों पर कहीं खरा नहीं उतरता।  
    उज्जैन में हो रहा राम कथा का ये कार्यक्रम मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा कराया जा रहा है। यानी ये शुद्ध रूप से सरकारी आयोजन है, जिसमें सरकारी खर्च पर कुमार विश्वास को 'रामकथा' बांचने के लिए बुलाया गया है। देखा जाए तो संस्कृति विभाग ने भी कुमार विश्वास को बुलाकर गलती ही की! क्योंकि, न तो उनकी पहचान राम कथा वाचक की है और न वे बिना विवाद के कोई बात करते हैं। ऐसे ढेरों प्रसंग हैं, जिनमें कुमार विश्वास ने विवादास्पद बातें की और फिर उसे कुतर्क और गोलमाल तरीके से सही ठहराने की कोशिश की! इस बार भी उन्होंने 'माफ़ी' और 'क्षमा' जैसे दो शब्दों का उल्लेख किया, ताकि उनकी बात भी सही साबित हो और माफ़ी समझा जाए!
      आज की उज्जैन की घटना भी उससे अलग नहीं है। यदि उनके वीडियो को गंभीरता से देखा और सुना जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि उन्हें अपनी बातों पर कतई अफ़सोस नहीं है और न उनका इरादा सीधे-सीधे माफ़ी मांगने का है। उन्होंने वीडियो में अपनी बात की शुरूआत ही अपने बीमार होने, गला ख़राब होने से की है। उससे ऐसा लग रहा है मानो वे सरकार और जनता पर कोई अहसान कर रहे हों। जबकि, इस रामकथा वाचन का उन्होंने अच्छा खासा पैसा लिया है। सामान्यतः माफ़ी मांगने वाला व्यक्ति कम शब्दों में अपनी बात ख़त्म करता है और खेद व्यक्त करता है। लेकिन, कुमार विश्वास ने पूरे 2 मिनट 19 सेकंड तक अपनी बात की सफाई दी, फिर दो बार 'माफ़ी' और 'क्षमा' बोला! इस पूरे वीडियो में वे 'विघ्न संतोषी' और ये कहने से भी नहीं चूके कि 'राम की कथा को कौन भंग करता है, यह भी ध्यान रखिएगा!' इसका सीधा सा भावार्थ तो यही हुआ कि कथा भंग करने की धमकी देने वाले ही विघ्न संतोषी हैं।
रामकथा अच्छे लोग भंग नहीं करते! 
     इस वीडियो में कुमार विश्वास ने बेहद शालीनता से धमकी भी दी कि 'मैं जो बोल रहा हूं, उसे उसी अर्थ में समझे जो मैं बोल रहा हूं। अगर आप उसे किसी और अर्थ में समझेंगे तो उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं।'  उनके वीडियो में एक और बात है जो उनके अहंकार के साथ उनके रामकथा में निपुणता दर्शाती है। उन्होंने कहा कि 'मैं भगवान राम से प्रार्थना करूंगा कि जिन्होंने भी यह विघ्न संतोष पैदा किया है, ईश्वर उनकी बुद्धि की मलिनता को दूर करें।' कोई माफ़ी मांगने वाला भला आपत्ति लेने वाले को विघ्न संतोषी कहने के साथ उसकी बुद्धि को मलिन तभी कहेगा, जब उसे अपने ज्ञान पर अहंकार होगा, जो कि कुमार विश्वास में साफ़ नजर आता है।            
माफ़ी वाले वीडियो में ये कहा 
     कुमार विश्वास ने अपने बयान पर एक वीडियो जारी करके सफाई दी। उन्होंने कहा कि कथा प्रसंग में मैंने मेरे कार्यालय में काम करने वाले एक छोटे बालक के बारे में यह टिप्पणी की थी। संयोग से वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में काम करता है, पढ़ता लिखता कम है और बोलता ज्यादा है। मैंने उससे कहा था कि तुम पढ़ा लिखा करो 'वामपंथी कुपढ़ हैं और तुम अनपढ़ हो!' सिर्फ इतनी सी बात मैंने कही थी, वह भी एक प्रसंग में। लेकिन, इसे कुछ विघ्न संतोषी लोगों ने ज्यादा ही फैला दिया। कुमार विश्वास ने आगे कहा कि आज मुझे कुछ समाचार मिले और बताया गया कि कुछ लोग इस कथा को भंग करने वाले हैं। आपसे आग्रह है कि राम की कथा को कौन भंग करता है, यह भी ध्यान रखिएगा! 
       मैं उज्जैन के लोगों से अनुरोध करता हूं कि वहां पहुंचे और मैं जो बोल रहा हूं, उसे उसी अर्थ में समझे जो मैं बोल रहा हूं। अगर आप उसे किसी और अर्थ में समझेंगे तो उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं। फिर भी आपकी सामान्य बुद्धि में से यह प्रसंग किसी और तरीके से चला गया हो, तो उसके लिए मुझे माफ करें, क्षमा करें। कुमार विश्वास ने आगे कहा कि मैं आज प्रांगण में भगवान राम से प्रार्थना करूंगा कि जिन्होंने भी यह विघ्न संतोष पैदा किया है, ईश्वर उनकी बुद्धि की मलिनता को दूर करें। भगवान से जुड़े, प्रभु श्रीराम से जुड़े! मैं पुनः स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरा कथन मेरे कार्यालय में काम करने वाले एक बालक के बारे में था। ऐसी बातें जो मेरे पिता भी मुझसे कहते हैं कि तुम बड़े मूर्ख हो। मेरे पिता संघ के बड़े पदाधिकारी थे, मेरे भाई भी हैं। ऐसी बातें तो सभी बोलते हैं।  लेकिन, मैंने उस लड़के से बोला, क्योंकि वह आयु में बहुत छोटा बच्चा है इसलिए बोल दिया और आपको अपना मानकर सूचित कर दिया। 
इस बात पर विवाद पनपा   
    कुमार विश्वास ने कहा कि 'संघ' के लिए काम करने वाले एक युवक ने बजट के पहले मुझसे पूछा कि बजट कैसा होना चाहिए! तो कुमार विश्वास इस सवाल पर संघ के कार्यकर्ता को कहा 'जहां वामपंथी कुपढ़ है अर्थात पढ़े लिखे तो है लेकिन उन्होंने सही शिक्षा नहीं ग्रहण की! वहीं दूसरी तरफ आरएसएस यानी संघ अनपढ़ है। उन्होंने इस पूरे परिप्रेक्ष्य में रामायण का भी उदाहरण दिया। यह भी कहा कि भगवान राम के समय कौन सा बजट पेश किया जाता था! दरअसल, कुमार विश्वास ने रामराज्य को लेकर संघ के स्वयंसेवक पर निशाना साध दिया, जिसमें वे फंस गए! 
पहले भी माफ़ी मांग चुके 
   कुमार विश्वास पर कवि सम्मेलन के दौरान एक मुस्लिम धर्मगुरु पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का भी आरोप लगा था, जिस पर उन्होंने माफ़ी मांग ली थी। 2008 में केरल की नर्सों पर दिए अपने विवादित बयान पर भी वे माफी मांग चुके हैं। उन्होंने नर्सों के बारे में कुछ ऐसा कह दिया था कि महिला आयोग ने भी उस पर टिप्पणी की थी। बेंगलुरु में तो नर्सों ने तो सड़क पर उतरकर कुमार विश्वास के खिलाफ प्रदर्शन किया था। केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने तब अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर कुमार विश्वास से माफी मांगने को कहा था। जब मामला बढ़ गया तो कुमार विश्वास ने माफी मांग ली। इसलिए उज्जैन की घटना नई नहीं है। कुमार विश्वास पहले विवाद खड़ा करते हैं, फिर अपने अंदाज में माफ़ी भी मांग लेते हैं, जैसा उन्होंने आज किया!
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