Wednesday, June 8, 2016

बहुत कुछ कहती है, मायावती की ये ‘व्हिप’

 - हेमंत पाल 

 राजनीति ऐसा खेल है, जिसमें कब, कहाँ उलटफेर का समीकरण बन जाए कहा नहीं जा सकता! प्रतिद्वंदी को मात देने के लिए उसके राजनीतिक दुश्मन से दोस्ती गांठने का कोई मौका नहीं छोड़ा जाता! मध्यप्रदेश में राज्यसभा की एक सीट को लेकर पेंच है! अपने उम्मीदवार विवेक तन्खा को जिताने को लेकर कांग्रेस ने जो चाल चली, उसने भविष्य की एक राजनीति की तरफ जरूर इशारा जरूर कर दिया! मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पास 57 विधायक हैं, उन्हें एक की जरुरत थी! मायावती ने अपनी पार्टी बसपा के 4 विधायक उनको झोली में डाल दिए! ऐसे में भाजपा ने जो शतरंज की बिसात बिछाई थी, उसे मायावती ने एक झटके में बिखेर दिया! अब बसपा के चारों विधायक राज्यसभा उम्मीदवार के लिए कांग्रेस उम्मीदवार विवेक तन्खा का समर्थन करेंगे। मायावती ने बकायदा 'व्हिप' भी जारी की! यही कहानी पहले उत्तराखंड में हो चुकी है! वहां भी बसपा के 2 विधायकों ने कांग्रेस की हरीश रावत खिलाफ हुए शक्ति परीक्षण में कांग्रेस का साथ दिया था!
  ये तो ख़बरों की दुनिया में पुरानी बात हो गई! नई बात ये है कि मायावती और कांग्रेस में क्या कोई सियासी खिचड़ी पक रही है? क्या दोनों की स्वार्थ के लिए एक-दूसरे की तरफ बढ़ रहे हैं? दरअसल, दोनों में बढ़ती नजदीकियां किसी बड़ी राजनीतिक खबर की तरफ इशारा कर रही हैं! कहीं ऐसा तो नहीं कि ये 'दोस्ती' अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव को लेकर है? उत्तराखंड के बाद मध्यप्रदेश में भी जिस तरह मायावती ने कांग्रेस की मदद की, वो सहज नहीं है! राजनीति में निस्वार्थ भाव से कभी ऐसा होते देखा नहीं गया! उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार को मुसीबत के वक़्त मायावती ने ही मदद की! जब 9 कांग्रेसी विधायकों ने पार्टी से विद्रोह कर दिया था, तब विधानसभा में शक्ति परीक्षण भाजपा के 2 विधायकों ने ही सरकार को बचाने में जोर लगाया! अब यही काम मध्यप्रदेश में राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए किया गया!
   उत्तरप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है! इस बार का चुनाव आसान नहीं दिख रहा! हमेशा की तरह इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच ही निर्णायक मुकाबला होता नहीं दिख रहा! सत्ता में बैठी समाजवादी पार्टी वापसी कर सकेगी, इसे लेकर संदेह गड्ढा अब गहरी खाई बन चुका है! पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन अप्रत्याशित रहा था! लेकिन, विधानसभा चुनाव में भी वो चमत्कार हो सकेगा, संदेह कीड़ा यहाँ भी बिलबिला रहा है! मायावती अकेले के दम पर उत्तरप्रदेश फतह कर सकेगी, ये दावा भी कमजोर है! लोकसभा चुनाव में 20% वोट पाकर भी मायावती का कोई उम्मीदवार चुनाव जीत नहीं सका था! जहाँ तक कांग्रेस की बात है, तो वो कहीं दौड़ में ही दिखाई नहीं दे रही! यदि उसे जमीन पकड़ना है तो किसी कंधे का सहारा तो लेना ही पड़ेगा! इसके अलावा उत्तरप्रदेश में अजित सिंह जैसे कई छोटे-छोटे दलों का दलदल है!
    यदि गठबंधन की बात करें तो अभी तक लग रहा था कि भाजपा और बसपा ही समाजवादी पार्टी के खिलाफ साथ आ सकते हैं! लेकिन, जिस तरह मायावती और कांग्रेस नजदीक आ रहे हैं, ये संभावना किसी दूसरी दिशा में मुड़ती लग रही है! उत्तराखंड के बाद मध्यप्रदेश में जिस तरह मायावती ने अपने विधायकों का कांग्रेस के समर्थन के लिए उपयोग किया है, इन दोनों के बीच ही कोई खिचड़ी पकती दिखती है! क्योंकि, यदि भाजपा और बसपा  सियासी समीकरण बनते हैं तो मुस्लिम वोट बसपा से खिसककर सपा की झोली में गिर सकता है! मायावती को ऐसे में सरकार विरोधी लहर का भी फ़ायदा नहीं मिलेगा। ये हुआ तो मायावती की राजनीति के लिए आत्मघाती होगा। भाजपा और सपा तो खैर कभी साथ आ ही नहीं सकते! ऐसे में भाजपा के खिलाफ बनने वाले किसी भी मोर्चे से कांग्रेस जरूर जुड़ सकती है! इस सारे परिदृश्य को देखकर ये संभावना प्रबल है कि कांग्रेस और बसपा या तो गठबंधन बनकर उत्तरप्रदेश का चुनाव लड़ेंगी या फिर सीटों लेकर कोई समझौता होगा! आखिर मायावती की ये 'व्हिप' कुछ तो कहती है!
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