Sunday, June 26, 2016

अमिताभ और ऋषि, कोई है इनके जैसा?

हेमंत पाल
  हर सफल फिल्म कलाकारों का एक दौर होता है! इस दौर के बाद उन्हें याद करने वाले प्रशंसक कम होते जाते हैं। लेकिन, कुछ परदे की दुनिया के सितारे ऐसे होते हैं जिनकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ती! जिन्हें परिवार की तीन-तीन पीढ़ियां पसंद करती है! 100 साल के हिंदी फिल्मों के इतिहास में ऐसे कम ही एक्टर्स हुए हैं जो बरसों तक अपना जलवा बिखेरते रहे! ऐसे दो एक्टर्स में अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर भी हैं! परिवार के दादा और पिता के दिनों में जो एक्टर्स परदे की पहली पसंद थे, आज उनके पोते भी उनकी फिल्मों के दीवाने हैं। क्योंकि, उनके अभिनय जादू ही कुछ ऐसा रहा! कई बरस पहले एक फिल्म आई थी 'अमर, अकबर, एंथोनी' जिसमें तीन नायक थे! अमिताभ बच्चन के साथ ऋषि कपूर और विनोद खन्ना! 80 के दशक की इस फिल्म के दो कलाकार अमिताभ और ऋषि आज भी बड़े परदे पर ख़म ठोंककर बैठे हैं! वो भी नई भूमिका, नई पहचान और नए तेवरों के साथ! जबकि, उनके समकालीन कलाकार न जाने कहाँ खो गए! 
   इस फिल्म में अमिताभ एक्शन हीरो के किरदार में थे और ऋषि रोमांटिक हीरो बने थे! आज दोनों नायक किरदार बदलकर सामने हैं! अमिताभ ने एक्शन करना छोड़ दिया और गंभीर रोल अपना लिए! उधर, ऋषि कपूर ने परदे  रोमांस छोड़कर निगेटिव और अन्य भूमिकाओं में अपने आपको ढाल लिया! किसी भी एक्टर के लिए पहचान के विपरीत भूमिकाएं निभाकर दर्शकों के दिल में जगह बना लेना आसान नहीं होता! पर, ये दोनों एक्टर ऐसा कर सके, ये बड़ी बात है!      
   ऋषि कपूर ने जो किया वो मुश्किल चुनौती थी! बॉबी, खेल खेल में, दूसरा आदमी और कभी-कभी में दिलफेंक युवा के किरदार में दर्शकों के दिलों पर छा जाने वाला ये एक्टर एक लम्बा ब्रेक लेने के बाद अपने आपको बदलकर सामने आया! 'अग्निपथ' में रउफ लाला, 'डी डे' में दाऊद, 'सनम रे' में खिसका हुए दादाजी', 'कपूर एंड संस' में भी दादा, 'हॉउसफुल-2' में कॉमेडी रोल और 'बेशरम' में एक खाऊ पुलिसवाला! इसके अलावा ऑल इस वेल, स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर और औरंगजेब में भी ऋषि नई तरह के किरदार में दिखाई दिए! याद भी किया जाए तो ऐसे एक्टर कम ही याद आएंगे, जिन्होंने अभिनय की दूसरी पारी में दर्शकों के सामने अपने अभिनय का लोहा मनवाया हो!   
 अमिताभ बच्चन की तो बात अलग है! इस अभिनेता को तो फ़िल्मी दुनिया में अपने जीवंत अभिनय के लिए याद किया जाता है! ये वो व्यक्ति है, जो सिर्फ एक्टर नहीं, अपनी जीवटता के लिए पूरी पीढ़ी के लिए प्रेरणा है! 70 दशक में जब 'जंजीर' आई, गुस्सैल पुलिसवाले के रोल में अमिताभ ने दर्शकों के दिल में जगह बना ली! उसके बाद तो इस अभिनेता ने अपने समकालीनों को मीलों पीछे छोड़ दिया! दीवार, जमीर, कुली, डॉन, कालिया, लावारिस और शोले जैसी फिल्मों ने पूरी पीढ़ी को विद्रोह का पाठ पढ़ाया! जबकि, आज वे तीन, वजीर, पीकू, पा में अपने अभिनय से घर के हर सदस्य की पसंद बन गए! भूतनाथ सीरीज बच्चों के दिलों को जीता, पा और पीकू से नई पीढ़ी के दिलों में जगह बनाई और 'वजीर' के बाद 'तीन' में गंभीर अभिनय से बुजुर्गों को अपना लिया! आशय यह कि अमिताभ सिर्फ एक्टर नहीं हैं, वे तो जैसे दर्शकों की जिंदगी में शुमार हो गए! याद कीजिए वो वक़्त जब 'कुली' की शूटिंग में अमिताभ घायल हुए थे और पूरा देश उनके स्वस्थ्य होने की प्रार्थना कर रहा था! क्या ऐसा प्यार फिर कभी दिखाई दिया?
  मुद्दे की बात ये है कि अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर दो ही आज ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने तीन पीढ़ियों का मनोरंजन ही नहीं किया, उनके दिलों पर भी राज किया! ये दोनों मेरे पहले वाली पीढ़ी की भी पसंद बने, मेरे भी रहे और मेरे बाद वाली पीढ़ी के भी हैं! अभिनय में इतनी वैरायटी कितने कलाकारों में देखने को मिलती है? ज्यादातर एक्टर दर्शकों की पसंद की वजह से टाइप्ड से हो जाते हैं! राजकुमार, शम्मी कपूर और नाना पाटेकर को ही याद कीजिए! इनकी हर फिल्म में इनका अंदाज एक जैसा ही दिखेगा! पर, अमिताभ और ऋषि ने इस मिथक को तोड़ डाला! नीतू सिंह के साथ दर्जनों फिल्मों में रोमांटिक रोल करने वाला चॉकलेटी हीरो ऋषि कपूर आज 'अग्निपथ' में रऊफ लाला और 'डी डे' में दाऊद बन गया! कुछ ऐसे ही किरदार अमिताभ के भी नाम हैं! 'पा' का प्रोजेरिया पेशेंट और 'पीकू' में कब्जियत से परेशान पिता का किरदार अमिताभ के अलावा कौन कर सकता है? याद करके देखिए, ऐसे किरदार निभाने वाला कोई और कलाकार याद आए तो?
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