- हेमंत पाल
आज सलमान ख़ान अपने कॅरियर के शिखर पर हैं। फिल्म की सफलता के लिए उनका नाम ही काफी होता है। लेकिन, उन्हें इस ऊंचाई तक पहुँचाने में जिसका सबसे ज्यादा योगदान रहा, वो है 'राजश्री' की फ़िल्में! पारिवारिक और संयुक्त परिवार की अवधारणा वाली फिल्मों से ही सलमान का कॅरियर संभला है। सलमान की पहली बड़ी कामयाब फिल्म 'मैंने प्यार किया' थी, जिसे 'राजश्री' के राजकुमार बड़जात्या उर्फ़ राज बाबू ने प्रोड्यूस किया था। उनके पिता ताराचंद बड़जात्या ने 'राजश्री' की नींव डाली थी, बाद में राज बाबू ने आगे बढ़ाया! अब, जबकि राज बाबू भी दुनिया को अलविदा कह गए, उनके बेटे सूरज बड़जात्या इसी परंपरा को आगे ले जा रहे हैं।
फ़िल्मी दुनिया में पारिवारिक, ग्रामीण, संयुक्त परिवार और दोस्ती के रिश्तों को आधार बनाकर फ़िल्में बनाने वालों में 'राजश्री' को हमेशा आगे रखा जाता है। 1947 से अभी तक इस कंपनी ने अपनी सोच और सामाजिक विचारधारा को कभी नहीं बदला! इस फ़िल्मी परिवार ने अभी तक 58 फ़िल्में बनाई है, जिनमें 20 फिल्मों निर्माण राज बाबू ने किया! लेकिन, अपने पिता की ही तरह उन्होंने भी अपना रास्ता नहीं बदला! राज बाबू ने 'राजश्री' के बैनर तले जो फ़िल्में बनाई उनमें पिया का घर, मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन, विवाह, मैं प्रेम की दीवानी हूँ और 'प्रेम रतन धन पायो' और हाल ही में आई 'हम चार' जैसी फ़िल्में हैं। उनकी बनाई आख़िरी फ़िल्म 'हम चार' हाल ही में रिलीज़ हुई!
इस फिल्म निर्माण कंपनी ने हमेशा ही समय और सोच के साथ अपने आपको बदला है। 'राजश्री' की फिल्मों में सामाजिक सरोकार और परिवार की ताकत को अहमियत दी जाती रही है। 60 के दशक में 'राजश्री' ने दो विकलांग दोस्तों की कहानी पर 'दोस्ती' बनाई थी! 'दोस्ती' को छह फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिले थे। इसी दोस्ती को आधार बनाकर उन्होंने 'हम चार' बनाई, जिसमें आज की बदलती दुनिया का अक्स नजर आता है। 'राजश्री' को जहां अभी तक पारिवारिक फिल्मों के लिए जाना जाता है, वहीं 'हम चार' में परिवार के बजाए दोस्ती को अहमियत दी गई! इसमें दोस्तों को एक परिवार की तरह दिखाया गया है। 'हम चार' फिल्म वस्तुतः परिवार की परिभाषा पर ही आधारित है। ये दोस्तों के अटूट बंधन को दर्शाती है। आज के समय में संयुक्त परिवार कम नजर आते हैं, ऐसे में दोस्त भी परिवार बन जाते हैं। यही कारण है कि फिल्मीं दुनिया में 'राजश्री' को ट्रेंड सेटर कहा जाता है! वे एक फिल्म बनाकर जिस तरह का ट्रेंड सेट कर देते हैं, बाकी फिल्मकार भी उसी का अनुसरण करते हैं।
राजश्री प्रोडक्शन 7 दशकों से हिंदी सिनेमा में सक्रिय रहा है। लेकिन, इस प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले जो भी फ़िल्में बनी उसमें घर, परिवार, रीति-रिवाज और उसमें भी संयुक्त परिवारों की ताकत को 'राजश्री' ने हमेशा दर्शाने की कोशिश की है। 'राजश्री' ने 71 सालों में 58 फिल्में बनाई है। राजश्री की किसी फिल्म में मारधाड़ या साजिशें नहीं देखी गईं! उनकी फिल्मों में परिवार और आपसी स्नेह का ही जिक्र होता आया है। यही कारण है कि उनकी फिल्में परिवार के साथ देखने वाली होती हैं। 1994 में रिलीज हुई 'हम आपके हैं कौन' और 1999 में रिलीज हुई 'हम साथ साथ हैं' को आज भी दर्शक भूले नहीं हैं। राजकुमार बड़जात्या के बाद ये फ़िल्मी घराना अपना रास्ता बदलेगा, ऐसे कोई आसार नहीं हैं! क्योंकि, राज बाबू अपने फ़िल्मी संस्कार सूरज बड़जात्या सौंप गए हैं और इस परंपरा को वे उसी शिद्दत से आगे बढ़ा भी रहे हैं।
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आज सलमान ख़ान अपने कॅरियर के शिखर पर हैं। फिल्म की सफलता के लिए उनका नाम ही काफी होता है। लेकिन, उन्हें इस ऊंचाई तक पहुँचाने में जिसका सबसे ज्यादा योगदान रहा, वो है 'राजश्री' की फ़िल्में! पारिवारिक और संयुक्त परिवार की अवधारणा वाली फिल्मों से ही सलमान का कॅरियर संभला है। सलमान की पहली बड़ी कामयाब फिल्म 'मैंने प्यार किया' थी, जिसे 'राजश्री' के राजकुमार बड़जात्या उर्फ़ राज बाबू ने प्रोड्यूस किया था। उनके पिता ताराचंद बड़जात्या ने 'राजश्री' की नींव डाली थी, बाद में राज बाबू ने आगे बढ़ाया! अब, जबकि राज बाबू भी दुनिया को अलविदा कह गए, उनके बेटे सूरज बड़जात्या इसी परंपरा को आगे ले जा रहे हैं।
फ़िल्मी दुनिया में पारिवारिक, ग्रामीण, संयुक्त परिवार और दोस्ती के रिश्तों को आधार बनाकर फ़िल्में बनाने वालों में 'राजश्री' को हमेशा आगे रखा जाता है। 1947 से अभी तक इस कंपनी ने अपनी सोच और सामाजिक विचारधारा को कभी नहीं बदला! इस फ़िल्मी परिवार ने अभी तक 58 फ़िल्में बनाई है, जिनमें 20 फिल्मों निर्माण राज बाबू ने किया! लेकिन, अपने पिता की ही तरह उन्होंने भी अपना रास्ता नहीं बदला! राज बाबू ने 'राजश्री' के बैनर तले जो फ़िल्में बनाई उनमें पिया का घर, मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन, विवाह, मैं प्रेम की दीवानी हूँ और 'प्रेम रतन धन पायो' और हाल ही में आई 'हम चार' जैसी फ़िल्में हैं। उनकी बनाई आख़िरी फ़िल्म 'हम चार' हाल ही में रिलीज़ हुई!
इस फिल्म निर्माण कंपनी ने हमेशा ही समय और सोच के साथ अपने आपको बदला है। 'राजश्री' की फिल्मों में सामाजिक सरोकार और परिवार की ताकत को अहमियत दी जाती रही है। 60 के दशक में 'राजश्री' ने दो विकलांग दोस्तों की कहानी पर 'दोस्ती' बनाई थी! 'दोस्ती' को छह फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिले थे। इसी दोस्ती को आधार बनाकर उन्होंने 'हम चार' बनाई, जिसमें आज की बदलती दुनिया का अक्स नजर आता है। 'राजश्री' को जहां अभी तक पारिवारिक फिल्मों के लिए जाना जाता है, वहीं 'हम चार' में परिवार के बजाए दोस्ती को अहमियत दी गई! इसमें दोस्तों को एक परिवार की तरह दिखाया गया है। 'हम चार' फिल्म वस्तुतः परिवार की परिभाषा पर ही आधारित है। ये दोस्तों के अटूट बंधन को दर्शाती है। आज के समय में संयुक्त परिवार कम नजर आते हैं, ऐसे में दोस्त भी परिवार बन जाते हैं। यही कारण है कि फिल्मीं दुनिया में 'राजश्री' को ट्रेंड सेटर कहा जाता है! वे एक फिल्म बनाकर जिस तरह का ट्रेंड सेट कर देते हैं, बाकी फिल्मकार भी उसी का अनुसरण करते हैं।
राजश्री प्रोडक्शन 7 दशकों से हिंदी सिनेमा में सक्रिय रहा है। लेकिन, इस प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले जो भी फ़िल्में बनी उसमें घर, परिवार, रीति-रिवाज और उसमें भी संयुक्त परिवारों की ताकत को 'राजश्री' ने हमेशा दर्शाने की कोशिश की है। 'राजश्री' ने 71 सालों में 58 फिल्में बनाई है। राजश्री की किसी फिल्म में मारधाड़ या साजिशें नहीं देखी गईं! उनकी फिल्मों में परिवार और आपसी स्नेह का ही जिक्र होता आया है। यही कारण है कि उनकी फिल्में परिवार के साथ देखने वाली होती हैं। 1994 में रिलीज हुई 'हम आपके हैं कौन' और 1999 में रिलीज हुई 'हम साथ साथ हैं' को आज भी दर्शक भूले नहीं हैं। राजकुमार बड़जात्या के बाद ये फ़िल्मी घराना अपना रास्ता बदलेगा, ऐसे कोई आसार नहीं हैं! क्योंकि, राज बाबू अपने फ़िल्मी संस्कार सूरज बड़जात्या सौंप गए हैं और इस परंपरा को वे उसी शिद्दत से आगे बढ़ा भी रहे हैं।
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