Thursday, September 10, 2015

पूर्ण विराम : आदेश श्रीवास्तव 'मोरा पिया मोसे बोलत नाही।'



- हेमंत पाल 
  उनका नाम जरूर आदेश था, पर नाम के अनुरूप उन्होंने शायद किसी को कभी आदेश दिया नहीं होगा! वे संगीत की स्वर लहरियों की तरह सुरीले थे! लेकिन, मौत के क्रूर पंजो से कोई कब बचा है! आदेश श्रीवास्तव भी बच नहीं सके! ब्लड कैंसर ने इस संगीतकार को तब अपने चाहने वालों से छीन लिया, जब उनके खजाने से कई सुमधुर धुनें बाहर आना बाकी थी! आदेश पिछले करीब सवा महीने से मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में कैंसर के इलाज के लिए भर्ती थे! दुखद बात ये कि उनके जन्मदिन की रात उनकी मौत भी हुई! उनका जन्म 4 सितंबर 1966 को जबलपुर में हुआ था। इस बीमारी का इलाज वे पहले अमेरिका में करवा भी चुके थे, ठीक भी हो रहे थे! पर, अचानक कैंसर पलटकर लौट आया और आदेश को अपने साथ ले गया! 12-12 लाख रुपए के इंजेक्शन भी उन्हें बचा नहीं सके! उन पर किसी इलाज का असर नहीं हो रहा था। उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कीमियोथेरेपी भी बंद कर दी थी। क्योंकि, बीमारी पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था।
   परदे की दुनिया पर भले ही सभी मिल जुलकर काम करते हों, पर मुसीबत में आदमी अकेला ही रह जाता है! आदेश के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था! पहली बार 2010 में जब उन्हें इस बीमारी का पता चला, इंडस्ट्री के लोगों ने उनसे मुंह फेर लिया था। आदेश ने एक पत्रकार से कहा भी था कि बीमार पड़ना कितना बुरा होता है, ये मुझे अब पता चल रहा है। जिनके साथ मैंने सालों काम किया, वे अब मुझसे दूर हो गए! उनके इस रुख ने मुझे इस बीमारी से ज्यादा दर्द दिया! उनकी फिल्म 'वेलकम बेक' पिछले हफ्ते ही परदे पर उतरी है! पर फिल्म के नाम की तरह उनका 'वेलकम बेक' नहीं हुआ! आज विजेता अकेली रह गई! कहीं न कहीं उनके जहन में आदेश का कम्पोज़ ये गाना गूंज रहा होगा 'मोरा पिया मोसे बोलत नाही।'
   आदेश ने चलते चलते, बाबुल, बागवान, कभी खुशी कभी गम, राजनीति जैसी कई हिट फिल्मों को अपने संगीत से सजाया था। उन्हें 2000 में आई जेपी दत्ता निर्देशित अभिषेक बच्चन और करीना कपूर की डेब्यू फिल्म 'रिफ्यूजी' के लिए बेस्ट बेक ग्राउंड म्यूजिक के लिए आइफा अवॉर्ड भी मिला था। आदेश के स्वस्थ होने की कामना उनके चाहने वालों ने तो की, पर शायद तब तक वक़्त निकल चुका था! 
   आदेश को पहली बार 1993 में 'कन्यादान' से फिल्म इंडस्ट्री में चांस मिला था। लेकिन, फिल्म रिलीज ही नहीं हो पाई थी। फिर 'आओ प्यार करें' का गाना 'हाथों में आ गया जो कल रुमाल आपका ...' काफी लोकप्रिय हुआ था। इसी गाने ने आदेश को बतौर संगीतकार पहचान दिलाई। इसके बाद फिल्म 'शस्त्र' का गाना क्या अदा क्या जलवे तेरे पारो चार्टबस्टर में शामिल हो गया। 1998 में फिल्म 'अंगारे' में उनका संगीत हिट हुआ। म्यूजिक कंपोज करने के अलावा आदेश ने कई हिट गाने भी गाए हैं। उन्होंने शावा शावा और मोरा पिया मोसे बोलत जैसे हिट गाने गुनगुनाए। उन्होंने फिल्म कुंवारा, तरकीब, शिकारी और बस इतना सा ख्वाब है में अपने काम के लिए काफी सराहा गया। आदेश ने करीब 100 फिल्मों में संगीत दिया। आदेश इंडस्ट्री में अमिताभ बच्चन के काफी करीब थे। आदेश की पत्नी विजेता संगीतकार जोड़ी 'जतिन-ललित' की बहन हैं। 'कुमार गौरव साथ 'लव स्टोरी' से विजेता ने भी बॉलीवुड में कदम रखा, पर बाद में उनकी फिल्में नहीं चली।
  अपने रोमांटिक गीतों के लिए मशहूर संगीतकार और गायक आदेश श्रीवास्तव ने अमिताभ से लेकर शाहरूख खान और रणबीर कपूर तक के लिए संगीत रचा। ‘बागबान’ में अमिताभ, हेमा मालिनी पर फिल्माया गया भावुक गीत ‘मैं यहां तू वहां’ हो, शाहरूख की फिल्म ‘चलते चलते’ का ‘सुनो ना सुनो ना’ हो या रणबीर की ‘राजनीति’ का ‘मोरा पिया मोसे बोलत नाही’ गाना! 
  संगीत से जुड़े एक टीवी रियलिटी शो के दौरान मैंने आदेश को जितनी तन्मयता से बतौर मेंटर काम करते देखा, वो अचरज करने वाला था! एक-एक नवोदित गायक को वे संगीत की बारीकियां सिखाते थे! उनका कहना था कि यही फिल्म संगीत को आगे लेकर जाएंगे, इन्हें आज नहीं तराशा तो कल फिल्म संगीत का क्या होगा? इनमें से कई तो आज फिल्मों में गा भी रहे हैं! लेकिन, उन प्रतिभाओं को तराशने वाला ही आज चला गया!   
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आदेश के 10 सुपर हिट कम्पोज़ गीत 

-  मोरा पिया मोसे बोलत नाही (राजनीति)
- क्या अदा क्या जलवे तेरे पारो (शस्त्र)
- सोणा सोणा दिल मेरा सोणा (मेजर साहब)
- बहुत खूबसूरत गजल लिख रहा हूँ (शिकारी)
- किसका चेहरा अब मैं देखूं (तरकीब)
- ये हवाएँ जुल्फों में तेरी गुम हो जाएँ (बस इतना सा ख्वाब है)
- से शावा शावा माहियां (कभी ख़ुशी कभी गम)
- सुनो ना सुनो ना सुन लो ना (चलते चलते)
- मैं यहाँ तू वहां (बागवान)
- चली चली फिर चली चली, चली इश्क़ कि (बागबान)
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