Friday, March 17, 2017

... जब परदे पर होली से बदला कथानक

- हेमंत पाल
     होली और सिनेमा का रिश्ता बहुत गहरा है। ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने से आज तक ऐसी कई फ़िल्में याद की जा सकती है, जिनके कथानक में होली एक महत्वपूर्ण कड़ी बनी! कभी होली ने प्यार के रिश्ते को मजबूत किया तो कभी होली की हुड़दंग फिल्म में दुश्मनी का कारण भी बनी! गौर करने वाली बात ये भी कि सिनेमा में जब भी होली के त्यौहार दिखाया गया कथानक में मोड़ जरूर आया! सिनेमा का इतिहास टटोला जाए तो संभवतः 1944 में पहली बार अमिय चक्रवर्ती ने दिलीप कुमार के साथ 'ज्वार भाटा' में होली दृश्य फिल्माया था। उसके बाद फिल्मों में होली दिखाने का चलन आया! किसी घटना को अंजाम देने के लिए भी होली को सहारा बनाया जाने लगा।
  फ़िल्म 'शोले' में रामगढ़ पर खूंखार डकैतों के हमले से अनजान गांव वाले होली पर पर झूमते नज़र आते हैं। यहीं डाकुओं का पहला सामना जय और वीरू से होता है! 'जख्मी' में सुनील दत्त होली पर डफ़ली बजाते हुए दुश्मनों को चुनौती देते हैं। बासु चटर्जी की फ़िल्म 'दिल्लगी' में धर्मेन्द्र होली गीत गाते हुए हेमा मालिनी को रिझाते हैं। राजेश खन्ना और स्मिता पाटिल 'आखिर क्यों' में होली का एक सीन रिश्तों में नई पैचीदगी खड़ी कर देता है।
   राजेश खन्ना और आशा पारेख की फ़िल्म 'कटी पतंग' में भी होली गीत के जरिए सामाजिक कुप्रथाओं पर चोट की गई थी! विधवा होने के कारण आशा पारेख होली नहीं खेलती, लेकिन राजेश खन्ना होली पर 'आज न छोड़ेंगे हमजोली' गाते हुए उसे रंग देते हैं। 'सिलसिला' में अमिताभ बच्चन और रेखा के बीच का रिश्ता होली के दिन ही सामने आता है। 'रंग बरसे ...' गाते हुए अमिताभ भांग के नशे में इतना मस्त हो जाते हैं कि संजीव कुमार और जया भादुड़ी की मौजूदगी को ही भुला देते हैं। इसके बाद तो फिल्म की कहानी ही बदल जाती है। मीनाक्षी शेषाद्रि और सनी देओल की फिल्म 'दामिनी' में तो होली के दिन की एक घटना ही फिल्म को आगे बढ़ाती है। होली के दिन मीनाक्षी की नौकरानी के साथ जो होते दिखाया गया है, वही फिल्म का केंद्र बिंदू था!
   बहुत सी ऐसी फिल्में हैं जिनमें या तो गीतों के सहारे या फिर किसी भी अच्छी-बुरी घटना को अंजाम देने के लिए होली के दृश्य दिखाए गए। फिल्म 'होली' में आमिर खान को कैंपस में राजनीति के माहौल में होली खेलते दिखाया गया। 'डर' में शाहरूख खान चैलेंज देकर जूही को होली के दिन रंग लगाने में कामयाब हो जाता है। 'मोहब्बतें' में होस्टल के सभी लड़के अपनी प्रेमिकाओं के साथ गुरूकुल से निकालकर होली मनाने में सफल होते है। इसके अलावा भी कई ऐसी फ़िल्में हैं जिसमें होली दृश्यों के बाद कथानक अचानक बदला! फागुन, मदर इंडिया, वक़्त, जख्मी, मशाल, कटी पतंग, बागबान, दीवाना, मंगल पांडे, आखिर क्यों, दिल्ली हाईट्स जिनमें होली सिर्फ त्यौहार के रूप में नहीं फिल्माया गया, बल्कि कथानक हिस्सा बनी!
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