Monday, March 27, 2017

इतिहास को मनोरंजन बनाने का शगल


- हेमंत पाल 
  नए टीवी सीरियल 'शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह' को लेकर विवाद खड़ा हो गया। अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने इसमें इतिहास को तोड़ने का आरोप लगाया। कहा गया कि इसमें महाराजा रणजीत सिंह के जीवन आैर उनसे जुड़े तथ्यों को कथानक में सुविधा के मुताबिक बदला गया है। मामले की जांच के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को जांच करने को कहा गया है। इस तरह का विवाद नया नहीं है। ऐसे विवाद अकसर उठते रहते हैं, पर इनका कोई हल नहीं निकलता। 'जोधा-अकबर' सीरियल को लेकर भी काफी विवाद हुआ था। किन्तु, सीरियल खत्म जाने तक हुआ कुछ नहीं! संजय लीला भंसाली को अपनी बन रही फिल्म 'पद्मावती' को लेकर जरूर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पहले जयपुर और बाद में कोल्हापुर में उनकी फिल्म की शूटिंग को बाधित किया गया।
     इतिहास से जुडी फिल्मों और सीरियलों पर विवाद इसलिए उठते हैं क्योंकि निर्माता, निर्देशक इतिहास को दूषित और विकृत कर उसमें मनगढंत किस्से, कहानियां जोड़कर कथानक को प्रमाणित इतिहास बताने की कोशिश करते हैं। इतिहास को तोड़ने और मरोड़ने का जितना साहस पहले फिल्म और बाद में सीरियल लिखने वालों ने किया उतना और कोई नहीं कर सका! जोधा अकबर, महाराणा प्रताप, मीरा बाई, सम्राट अशोक जैसे सीरियल इसके प्रमाण हैं। बरसों पहले बनी फिल्म 'मुगले आजम' से ही इतिहास साथ खिलवाड़ करने का काम शुरू हो गया था। क्योंकि, ज्ञात इतिहास में अकबर की किसी पत्नी का नाम जोधा नहीं था। अकबर पर लिखे गए अकबरनामा के अलावा जहाँगीरनामा और अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने भी कहीं अकबर की किसी पत्नी का नाम जोधा नहीं लिखा। बाद में 'जोधा अकबर' पर बने सीरियल में भी यही दोहराया जाता रहा। जिस तरह चंदबरदाई के चारणी साहित्य 'पृथ्वीराज रासो' ने संयोगिता नाम का चरित्र गढ़कर जयचंद को गद्दार बना दिया। उसी तरह मुगले आजम, अनारकली, जोधा अकबर फिल्मों ने एक काल्पनिक पात्र जोधा बाई गढ़ दिया। अब ये लोगों के मानस से कभी निकल भी पाएगा, ये संभव नहीं लगता!    'मीरा बाई' पर बने सीरियल में भी यही खिलवाड़ हुआ। इस सीरियल में तो कई तथ्य ही बदल दिए गए। वृंदावन जा रही मीरा बाई के साथ मेड़ता शासक विरमदेव को जोधपुर के शासक मालदेव से छुपते दिखाया गया! मालदेव और वीरमदेव के बीच संघर्ष भी दर्शाया। घायल वीरमदेव मृत्यु से पहले मालदेव को मार देता है। जबकि, इतिहास बताता है कि मालदेव का निधन वीरमदेव की मौत के कई साल बाद हुआ था। वीरमदेव के बाद उसका बेटा जयमल सिंह मेड़ता का शासक बना था। उसने भी मालदेव से कई युद्ध किए। यदि मालदेव व वीरमदेव एक-दूसरे के हाथों मारे गए होते, तो मालदेव की जयमल के साथ लड़ाईयां कैसे होती? महाराणा प्रताप सीरियल के कथानक को दिलचस्प बनाने के लिए कई ऐतिहासिक तथ्य तोड़े-मरोड़े गए।
 ऐतिहासिक पात्रों के नाम और घटनाओं पर साम्य है, तो उसे मनोरंजन के लिए बदला जाना उचित नहीं है। डिस्क्लेमर लगाकर कोई निर्माता या निर्देशक इतिहास को दूषित करने के आरोप से बच नहीं सकता। अधिकांश दर्शक इतिहास को उनके सही रूप में नहीं जानते! ये संभव भी नहीं है। ऐसे में उन्हें वही सब सही लगता है जो फिल्म या टीवी परदे पर दिखाया जाता है। क्योंकि, टीवी सीरियल और फ़िल्में दर्शकों पर ख़ासा प्रभाव छोड़ते हैं। हर दर्शक इतिहास नहीं पढता! वह उन्हीं कहानियों को सच्चा इतिहास मानता है! जब कोई प्रमाणिक इतिहास बताता भी है, तो लोग उस पर भरोसा भी नहीं करते!
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