- हेमंत पाल
सौंदर्य बोध का अपना अलग ही नजरिया है। कहते हैं कि सौंदर्य देखने वाले की आँखों में होता है। यदि कारण है कि प्रेम को सौंदर्य से जोड़कर देखा जाता है। जब किसी को किसी से प्रेम हो जाता है तो वो उसे दुनिया में सबसे खूबसूरत लगता है। फिर वो खूबसूरत हो या नहीं! शायद यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपने प्रदेश प्रेम में इतना वशीभूत हो गए कि यहाँ की सड़कों की तुलना अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन की सड़कों से कर दी! ये सच होता तो लोग इस बयान पर खुश भी होते! पर, इस बयान की जिस तरह धज्जियाँ उड़ी, उससे सच सामने आ गया। प्रदेश की सड़कों से जुड़े आंकड़े और सड़क हादसों की सच्चाई भी बताती कि मुख्यमंत्री ने जो दावा किया वो गलत था। प्रदेश की सड़कों के प्रति ये उनका छद्म नजरिया और महज सौंदर्य बोध था।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के अमेरिका में सडकों को लेकर दिए गए बयान ने भूचाल ला दिया! शुरू में लगा कि ये बात उनके मुँह से अचानक निकल गई होगी! लेकिन, वे प्रदेश लौटकर भी अपने बयान पर कायम रहे। मुख्यमंत्री ने यह दावा भी कर दिया कि अमेरिका की वाशिंगटन की 92 फीसदी सड़कें खराब हैं। अपनी बात को सही साबित करने शिवराज सिंह ने ये भी कहा कि मैं यह बात पूरी गंभीरता से कहना चाहता हूँ कि मैं अमेरिका मध्य प्रदेश की ब्रांडिंग करने गया था। लेकिन, यहीं भ्रम भी उत्पन्न होता है कि ये बात सिर्फ ब्रांडिंग के नजरिए से कही गई थी या इसमें कुछ सच्चाई भी है? क्योंकि, उन्होंने मध्यप्रदेश की बेहतर सड़कों के उदाहरण में इन्दौर हवाई अड्डे से सुपर कॉरिडोर सड़क से शहर की और जाने वाली सड़क का जिक्र किया! जबकि, ये 10-12 किलोमीटर की ऐसी सड़क है कुछ समय पहले बनी है जो यदा-कदा ही उपयोग आती है। ये आम रास्ता भी नहीं है और ये इंदौर का ही एक हिस्सा है।
इस सड़क के सौंदर्य बोध से अभिभूत होकर मुख्यमंत्री ने वाशिंगटन की सड़कों की तुलना पूरे मध्य प्रदेश से कर दी, ये बात किसी के गले नहीं उतरी। इसके अलावा उन्होंने दबी जुबान से इंदौर-भोपाल और इंदौर-मंदसौर जाने वाली सड़क का भी नाम लिया। जबकि, ये दोनों ही सड़कें कहीं से भी वाशिंगटन की एक गली की सड़क से भी बेहतर नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने जब अमेरिका में प्रदेश की सड़कों के बारे में तारीफों के पुल बांधे तब क्या उनके जहन में इंदौर-अहमदाबाद की दुर्दशा ख्याल नहीं था? ये सड़क सात साल पहले बनना शुरू हुई थी, पर आज भी अधूरी है। पिछले साल कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया ने संसद में भी ये मुद्दा उठाया था। उस दौरान सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 31 जुलाई 2016 तक सड़क का काम पूरा होने की बात कही थी, लेकिन ये अभी तक भी पूरा नहीं हुआ। 1 जून को कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया ने अपना जन्मदिन न मनाते हुए कार्यकर्ताओं के साथ एनएच-59 हाइवे पर धरना-प्रदर्शन किया था। सांसद ने सड़कों की दुर्दशा को लेकर अधिकारियों के सामने रोष भी जताया था, लेकिन न कुछ होना था और न हुआ!
जब विपक्ष और मीडिया ने मुख्यमंत्री के इस बयान का छिद्रान्वेषण किया तो शिवराज सिंह ने कहा कि विपक्ष के हमारे मित्रों को हर चीज में राजनीति दिखती है। ये बात समझ से परे है कि जब कोई राजनीतिक व्यक्ति खुद की तारीफ में झूठे कसीदे काढ़ेगा तो उस पर क्या टिप्पणी भी नहीं की जा सकती? भोपाल लौटकर मुख्यमंत्री ने दावा किया कि प्रदेश में पिछले कुछ वर्षो में लगभग 1.5 लाख किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण हुआ है। लेकिन, इसमें से कितने किलोमीटर सड़कें विश्वस्तरीय हैं? पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्वीट के साथ राजधानी भोपाल की सड़कों की कुछ फोटो भी मुख्यमंत्री के दावे के बाद पोस्ट किए। सिंधिया ने लिखा कि कोई इनकी आंखों की पट्टी उतारे! शिवराजसिंह चौहान आंखे खोलिए और सच का सामना कीजिए, ये हकीकत है।
सवाल ये भी उठता है कि जब प्रदेश की सड़कें वाशिगटन से अच्छी है तो फिर सड़क हादसे क्यों हो रहे हैं? इसका दोषी कौन है?मध्यप्रदेश में सड़क हादसों में रोज औसतन 27 लोगों की जान क्यों जाती है? इसलिए मुख्यमंत्री का दावा किसी के गले नहीं उतर रहा। जबकि, सरकार ने प्रदेश को 2020 तक सड़क दुर्घटना मुक्त करने का दावा किया है। देश में सड़क दुर्घटनाओं के मामले में तमिलनाडु के बाद मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर है। प्रदेश में हर 10 मिनट में एक सड़क हादसा होता है और हर घंटे एक की मौत होती है। कुछ साल पहले तक इस मामले में मध्य प्रदेश चौथे स्थान पर था। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में प्रस्तुत जानकारी में बताया गया कि 2014 से 2016 के बीच प्रदेश में कुल 1,32,498 सड़क दुर्घटनाएं हुर्इं। इसमें 28,911 लोगों की जान गई। वहीं देश में इस अवधि में 4,72,029 दुर्घटनाओं में 1,51,689 लोग मारे गए। गृह राज्य मंत्री द्वारा पेश रिपोर्ट के मुताबिक, मप्र में 2016 में 51,941 सड़क हादसे हुए, जो गत वर्ष की अपेक्षा 12.72 प्रतिशत ज्यादा है। इसमें 9,861 लोगों की मौत हुई।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के अमेरिकी दावे के बाद उनको ट्रोल करने वालों ने उनके निर्वाचन क्षेत्र बुधनी से गुजरने वाले हाईवे तक की फोटो पोस्ट की। कुछ समय पहले इस सड़क से ऋषि कपूर ने भी सफर किया था और सड़क की हालत पर जमकर खिंचाई की थी। ऐसे ही शिवपुरी की सड़कों के बारे में हेमामालिनी ने टिप्पणी की थी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निर्वाचन क्षेत्र विदिशा को बीना से जोड़ने वाली टोल रोड के फोटो भी वायरल हो रहे हैं। भोपाल को आसपास के जिलों से जोड़ने वाली अधिकांश सड़कें भी बदतर हालत में हैं। इंदौर से खंडवा जाने वाली सड़क तो जानलेवा है। धार जाने वाली सड़क भी आधी बदतर है। झाबुआ के आसपास की तो करीब सारी सड़कें गड्ढ़ों में उतर गई!
सड़कों को लेकर मध्य प्रदेश हमेशा ही बदनाम रहा है। 2003 से पहले दिग्विजय सिंह सरकार के दौरान भी प्रदेश की सबसे ज्यादा छीछालेदर सड़कों को लेकर ही होती थी। आज भी हालात बहुत बेहतर नहीं हैं। लोक निर्माण विभाग, मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण, ग्रामीण यांत्रिकी विभाग इन तीनों ने मिलकर प्रदेश में घटिया सड़कों का जंजाल बुन दिया है। लोक निर्माण विभाग की बनाई 63,637 किमी सड़क और ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण द्वारा बनाई 15,200 सड़कों की आज हालत बदतर है। प्रदेश में शहरों और ग्रामीण क्षेत्र की करीब 4 हज़ार किमी सड़कें तो खराब हैं ही राष्ट्रीय राजमार्ग और प्रदेश राजमार्ग की 1600 किमी सड़कें बदतर है। प्रदेश के कई जिलों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से तैयार सड़क नेटवर्क तो लगभग ख़त्म हो चुका है। लेकिन, सरकार का पूरा ध्यान सिर्फ शहरी क्षेत्र की सड़कों को सुधारने में हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से तैयार सड़कों में से 140 सड़कें तो पूरी तरह ख़त्म हो चुकी। इन सड़कों की बदहाली की रिपोर्ट तो प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुँच गई!
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़कों के निर्माण के लक्ष्य में भी मध्यप्रदेश पीछे है। सन 2016-17 में प्रदेश के पास 6200 किमी की सड़क बनाने का लक्ष्य था, लेकिन ये समय पर पूरा नहीं हो पाया! यही नहीं बसाहटों को जोडऩे के मामले में भी मध्यप्रदेश काफी पीछे है। पिछले वित्त वर्ष में 2450 बस्तियों को सड़कों से जोड़ऩे का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन, ये लक्ष्य भी पूरा नहीं हुआ। आंकड़ों की नजर से देखा जाए तो मध्यप्रदेश अभी लक्ष्य से आधा काम भी नहीं हो पाया। फिर भी मुख्यमंत्री का ये दावा कि हमारी सड़कें वाशिंगटन से बेहतर हैं, मजाक से ज्यादा नहीं लगता। लेकिन, चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ने विपक्ष को बैठे-ठाले एक गरमागरम मुद्दा थाली में परोसकर दे दिया। तय है कि अब सड़क के नाम पर सड़क पर राजनीति होगी!
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