Monday, November 13, 2017

कभी भी, कहीं भी मनोरंजन यानी 'वेब सीरीज'

- हेमंत पाल 

  आजादी से पहले और आजादी के बाद के कई सालों तक हमारे मनोरंजन का सिर्फ एक माध्यम था सिनेमा! जब भी किसी को लगता कि वो काम से थक गया है, उसके कदम सिनेमा की तरफ मुड़ जाते थे। फिर आया टेलीविजन का दौर। 80 के दशक के मध्य से टीवी ने अपने पंख फैलाए और घर के सदस्यों को एक कोने तक समेट दिया। तब से अभी तक टीवी की दुनिया में बहुत कुछ बदलता गया। फिर मोबाइल में फोन करने और सुनने के अलावा नए विकल्प खुले। दुनिया डिजिटल हुई तो घर के कोने में रखा बड़ा टीवी साढ़े पांच इंच के मोबाइल में समा गया! टीवी के दर्शक मोबाइल तक पहुँच गए। लेकिन, डिजिटल का अपना अलग आनंद है। यहीं से उपजा मनोरंजन का नया माध्यम 'वेब सीरीज!' अब आप कभी भी, कहीं भी मोबाइल फोन या लैपटॉप जरिए वेब सीरीज तक जा सकते हैं। 

  दरअसल, बड़े और छोटे परदे के बीच मनोरंजन का ये नया माध्यम मोबाइल की स्क्रीन पर उभर रहा है। ये गाने, गेम्स या फिल्में नहीं बल्कि सीरीज हैं। यानी सीरीयलनुमा छोटे-छोटे एपीसोड्स, जो सिर्फ ऑनलाइन ही उपलब्ध होते हैं। उन्हें मोबाइल, टैब या कम्प्यूटर पर ही देखा जा सकता है। ये सीरीज आज का यूथ बेहद पसंद करता है। इसका ट्रेंड इतनी तेजी से बढ़ा कि टीवी और फिल्मों के कई बड़े प्रोडक्शन हाउस भी वेब सीरीज बनाने में जुट गए। 
  अमेरिका में वेब सीरीज का चलन 2003 से है। लेकिन, हमारे देश में ये शुरुआती दौर हैं और इनके सब्जेक्ट यूथ तक सीमित हैं। लेकिन, उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में वेब सीरीज में हर किसी के लिए कुछ न कुछ होगा। इसमें दर्शकों के लिए मनोरंजन है, तो प्रोडक्शन हाउसेस के लिए पैसा भी! इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यशराज, इरोज-नाऊ और बालाजी जैसे कई बड़े प्रोडक्शन हाउस वेब सीरीज बनाने लगे। कई कंपनियां तो फिल्म और टीवी के कंटेंट को सीरीज बनाकर मोबाइल पर ले आई! अमेरिकी घरों में फिल्म और सीरियल पहुंचाने वाली कंपनी ने अनुराग कश्यप की ‘गैंग्स आफ वासेपुर’ को भी वेब सीरीज में तब्दील कर अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों तक पहुँचा दिया। 'यशराज' भी अपनी फिल्मों को इसी तरह उतारने की तैयारी में है। 
  समझा जा रहा है कि वेब सीरीज की पहुँच बहुत तेजी बढ़ेगी, क्योंकि कई कंपनियां इनमें बिजनेस की संभावनाएं देख रही हैं। इसे वेब क्रांति का नाम भी दिया जा रहा है। जैसे-जैसे वेब सीरीज के दर्शक बढ़ेंगे, उतनी ही तेजी से इसका बिजनेस बढ़ेगा। फिलहाल डिजिटल विज्ञापन का बाजार करीब 4 हज़ार करोड़ रुपए का है। वेब सीरीज को मिलने वाले विज्ञापनों से अब ये बाजार तेजी से बढ़ रहा है। यूवा  दर्शकों को हमेशा कुछ नया चाहिए और वेब सीरीज में वो उन्हें फ्री मिल रहा है। स्वाभाविक है कि इसके दर्शक तो बढ़ेंगे ही। लेकिन, वेब सीरीज के कंटेंट को हमेशा ताजा बनाकर रखना  है। क्योंकि, वेब या मोबाइल पर दर्शक का पूरा कंट्रोल होता है। वह मर्जी से अपना मनोरंजन चुन सकता है।
  फिल्म और टीवी के अलावा मनोरंजन के इस नए माध्यम का आसानी मिलने का है, जो न सिर्फ आसानी से उपलब्ध होगा, बल्कि समय की बाध्यता से भी मुक्त होगा। ये युवाओं को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं। लेकिन, भविष्य में ये दौर बदलेगा और हर उम्र को ध्यान में रखकर काम होगा। वेब सीरीज का टारगेट फिलहाल युवा केंद्रित है, इसलिए इसकी भाषा में खुलापन भी ज्यादा है। इसलिए इसे पारिवारिक मनोरंजन नहीं कहा जा सकता। लेकिन, मोबाइल पर होने से यह माध्यम निजी मनोरंजन से जुड़ा है और दर्शक अपनी समझ से कंटेंट का चुनाव कर सकते हैं। इसे फिल्म या टीवी का विकल्प समझना भी गलती होगी। वास्तव में वेब सीरीज की असली टक्कर तो अपने आप से है। यदि दर्शकों को बेहतर कंटेंट मिलता रहा तो वे इसमें बंध जाएंगे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो वेब सीरीज के दर्शकों के दिमाग से उतरने में देर नहीं लगेगी।
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