Sunday, February 11, 2018

फिल्म की सफलता किसी समीक्षा की मोहताज नहीं!


- हेमंत पाल 
 
 लोग फ़िल्म देखने का फैसले कैसे करते हैं? उनकी समीक्षाएं पढ़कर, उनके प्रचार से प्रभावित होकर, अपने पसंदीदा एक्टर की फिल्म है इसलिए, टाइम पास के लिए या फिर किसी और कारण से! इसके पीछे सबके अपने-अपने कारण होंगे! लेकिन, दर्शकों का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो फिल्म देखने से पहले समीक्षाएं पढ़ता है, जिन्होंने फिल्म देखी है उनकी सलाह भी लेता है। कई बार समीक्षाएं सही होती है, पर जरुरी नहीं कि दर्शक की पसंद से वे समीक्षाएं मेल खाएं! यही कारण है कि ऐसी फिल्मों की फेहरिस्त लम्बी है, जिन्हें समीक्षकों ने नकार दिया, पर वो दर्शकों की पसंद पर खरी उतरी! ब्लैक एंड व्हाइट के ज़माने से आज तक ऐसी कई फ़िल्में हैं जिनकी समीक्षकों ने जमकर आलोचना की, पर उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा बिजनेस किया!     
  ब्लैक एंड व्हाइट के दौर में 1943 में बनी अशोक कुमार के शुरूआती वक़्त की फिल्म 'किस्मत' देखकर समीक्षकों ने लिखा था कि फिल्म में अशोक कुमार को जिस तरह जेबकतरा और अपराधी बताया गया है, उसे देखकर युवाओं का सोच अपराधी बनने की तरफ मुड़ सकता है! लेकिन, दर्शकों ने उस फिल्म को बेहद पसंद किया और फिल्म ने उस समय एक करोड़ रुपए का बिजनेस किया था। राजकपूर की कालजयी फिल्म 'श्री-420' (1955) भी जबरदस्त आलोचना का शिकार हुई थी। इसे बकवास फिल्म तक लिखा गया था। लेकिन, इस फिल्म को दर्शकों ने हाथों हाथ लिया। राजकपूर के निर्देशन में बनी और सर्वकालीन सफल प्रेम कहानी 'बॉबी (1973) को समीक्षकों ने प्यार के घिसे पिटे फॉर्मूले पर बनी फिल्म बताकर नकार दिया था। पर, दर्शकों ने 'बॉबी' को सफलता की उस ऊंचाई पर पहुँचाया। 
  हिंदी फ़िल्मी दुनिया के इतिहास की सफलतम फिल्मों में दर्ज 'शोले' (1975) के बारे कहा गया था कि ये बुझे हुए अंगारे जैसी फिल्म है। बदले के फॉर्मूले पर बनी इस फिल्म में कुछ भी नया नहीं है। पर, 'शोले' ने जो चमत्कार किया, वो सब जानते हैं। जब अमिताभ बच्चन शिखर पर थे, उस वक़्त आई उनकी फिल्म 'मर्द' (1985) को बेकार और देशभक्ति के जबरन ठूंसे हुए फॉर्मूले की फिल्म बताया गया था। लेकिन, बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने धमाल किया था। सलमान खान की सफलतम फिल्म 'हम आपके है कौन' को भी आलोचकों ने नापसंद कर दिया था। कहा गया था कि ये किसी शादी के वीडियो से ज्यादा कुछ नहीं है। जबकि, ये फिल्म बॉलीवुड में 100 करोड़ रुपए कमाने वाली पहली फिल्म बनी। आमिर खान और करिश्मा कपूर की 1996 में आई फिल्म 'राजा हिंदुस्तानी' को समीक्षकों ने औसत दर्जे की फिल्म बताया था। जबकि, ये उस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई थी। 'गदर' (2001) भी जबरदस्त आलोचना का शिकार हुई थी। इसे देशभक्ति का पुराना फॉर्मूला और उत्तेजक फिल्म भी कहा गया था। पर, जब फिल्म परदे पर उतरी तो बॉक्स ऑफिस गरमा गया था।
  समीक्षकों ने 2008 में आई शाहरुख़ खान और अनुष्का शर्मा की जोड़ी वाली फिल्म 'रब ने बना दी जोड़ी' को अतार्किक और पुरानी प्रेम कहानी तो बताया ही था, इसके कुछ हिस्सों को बेवकूफियों से भरा बताया था। जबकि, इस फिल्म ने 90 करोड़ की कमाई की थी। सलमान खान की बॉडीगार्ड (2011) के बारे में कि इस फिल्म में कई खामियां हैं। यदि आप सलमान के फैन न हों, तो फिल्म नहीं देखना ही अच्छा है। पर, इस सलाह को दर्शकों ने झटक दिया और ये फिल्म बॉलीवुड के इत‌िहास की सबसे सफल फिल्मों में दर्ज हुई! राउडी राठौर (2012) के बारे में तो कहा गया था कि 'ये लाउड और मूर्खतापूर्ण घटनाओं से भरी फिल्म है। जबकि, अक्षय कुमार के दो दशक लंबे करियर में इस फिल्म ने सबसे शानदार ओपनिंग की थी। ग्रांड मस्ती (2013), 2 स्टेट (2014), और 'जय हो' भी ऐसी ही फ़िल्में हैं, जो समीक्षकों को पसंद नहीं आई थी, पर दर्शकों ने इन्हें सर पर चढ़ाया। दरअसल, फ़िल्में दर्शकों के लिए बनती हैं न कि समीक्षकों के लिए! इसलिए सच्ची सफल फिल्म वही है जो दर्शकों की नजरों में चढ़े!
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