- हेमंत पाल
भोपाल में पिछले साल हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि अगले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा वंशवाद के आधार पर नहीं, बल्कि योग्यता के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करेगी। यदि पार्टी अध्यक्ष की योग्यता वाली इस घोषणा को आधार माना जाए तो भी कुछ पार्टी नेताओं के बेटे तो वास्तव में योग्य भी हैं और वे राजनीति की बारीकियों से वाकिफ भी। क्योंकि, चुनाव जीतने के लिए जिस जनाधार की जरुरत होती है, वो इन्हें अपने पिता से विरासत में मिला है और राजनीति इनके रक्त में समय है। इसके अलावा इन उत्तराधिकारियों के पास धन-बल की भी कमी नहीं है।
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भाजपा नेताओं की नई पीढ़ी मध्यप्रदेश में जल्द ही राजनीति के मैदान में उतरने की तैयारी में है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो प्रदेश के कई बड़े नेताओं के बेटों का नवंबर 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव और अप्रैल-मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में राजतिलक होना लगभग तय है। वैसे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी अपने बेटे कार्तिकेय चौहान को कोलारस और मुंगावली उपचुनाव के प्रचार में उतारकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। इस नजरिए से इस बार के विधनसभा चुनाव कुछ ख़ास हैं। प्रदेश में पिछले तीन विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता संभालने वाली भाजपा के लिए राजनीति की नई पौध को सामने लाना जरुरी भी हो गया है। क्योंकि, इस बार भाजपा 70 पार वाले नेताओं को घर भेजना चाहती है, तो जरुरी है कि उस खाली जगह को नए चेहरों से भरा जाए! कुछ दिग्गज भाजपा नेताओं ने अपने बेटों को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने का पूरी तरह मन बना लिया है और इसकी तैयारी भी शुरू कर दी! हालांकि, इन नेताओं ने अपने राजनीतिक संन्यास का एलान नहीं किया है! ये अपने बेटों को समय पर विरासत सौंपकर उनका राजनीतिक भविष्य आसान करना चाहते हैं।
ऐसे नेताओं केंद्र स्तर पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और केंद्रीय पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी हैं, जिन्होंने अपने बेटों के राज्याभिषेक के लिए बिसात भी बिछा दी है। एक नेता सत्ता में है, दूसरा संगठन में! एक मालवा की राजनीति में अपना दम रखता है, दूसरे की राजनीति का गढ़ ग्वालियर-चंबल संभाग में है। वहीं मध्यप्रदेश सरकार के दो बड़े मंत्री जयंत मलैया और गोपाल भार्गव ने भी अपनी राजनीतिक विरासत के लिए उत्तराधिकारी तय कर दिए हैं। इस बात का इशारा इससे मिलता है कि इन चारों नेताओं के बेटों का संगठन की राजनीति में पदार्पण हो चुका है।
भारतीय जनता युवा मोर्चा की कार्यकारिणी में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र सिंह तोमर, राज्यसभा सदस्य प्रभात झा के बेटे त्रिशमूल झा, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह, मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव शामिल किए गए। 'राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद' में भी पांच नेता पुत्रों को जगह दी गई। इस सूची में विधायक और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश, मंत्री गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पुत्र देवेंद्र सिंह तोमर, सांसद नागेंद्र सिंह के पुत्र जयंत सिंह और जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया हैं!
प्रदेश की राजनीति में अच्छा-खासा दम ख़म रखने वाले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भाजपा की राजनीति में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के खास सिपहसालारों में गिने जाते हैं। समझा जा रहा है कि उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय अगले विधानसभा चुनाव में पिता की महू विधानसभा सीट से उम्मीदवार बन सकते हैं। आकाश की महू में राजनीतिक सक्रियता से इस बात के संकेत भी मिले हैं। ये संभावना इसलिए आंकी जा रही है कि राष्ट्रीय राजनीति में कद बढ़ से कैलाश विजयवर्गीय अब राज्य की राजनीति से दूर होना चाहते हैं। 2013 में आकाश के जन्मदिन पर कैलाश विजयवर्गीय सोशल साइट्स पर आकाश को विरासत सौंपे जाने की घोषणा भी की थी। उन्होंने 'फेसबुक' और 'ट्विटर' पर अपनी इस इच्छा का इजहार भी कर दिया था। बाद में औपचारिक रूप से कोई घोषणा नहीं हुई, पर इससे ये स्पष्ट हो गया कि भविष्य में कैलाश विजयवर्गीय की राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी आकाश को ही बनना है।
मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने भी अपने बेटे के राजनीतिक पदार्पण की तैयारी कर ली है। जहां तक अभिषेक की राजनीतिक सक्रियता की बात करें तो बुंदेलखंड इलाके में अभिषेक पिता की राजनीतिक विरासत एक तरह से संभाल चुके हैं। हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी के नियम के चलते वो अपने बेटे को लोकसभा चुनाव चाहकर भी नहीं लड़वा पाए थे। क्योंकि, पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए नियम बना दिया था कि किसी मंत्री के परिवार के सदस्य को टिकट नहीं दिया जाएगा। जबकि, वे बुंदेलखंड की तीन लोकसभा सीट सागर, दमोह और खजुराहो में से कही भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे। पिछले विधानसभा चुनाव में तो अपने पिता के प्रतिनिधि के तौर पर वोट मांगने के लिए वो ही विधानसभा क्षेत्र रहली में जनसंपर्क में सक्रिय रहे थे। पिता के प्रतिनिधि के तौर पर अभिषेक भार्गव ने ही वोट मांगे थे। लेकिन, माना जा रहा है कि गोपाल भार्गव अपने बेटे को लोकसभा पहुंचाना चाहते हैं और मध्यप्रदेश की राजनीति में खुद सक्रिय रहना चाहते हैं।
केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के बेटे देवेन्द्र सिंह तोमर भी पिता की विरासत संभालने के लिए तैयार हैं। नरेन्द्र तोमर का मध्यप्रदेश की सत्ता और संगठन में खासा दखल है और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी नरेन्द्र सिंह तोमर और संगठन में उनकी राय का विशेष महत्व है। ग्वालियर-चंबल की राजनीति में दबदबा रखने वाले नरेन्द्रसिंह तोमर के बेटे का काफिला किसी मंत्री से कम नहीं होता। उनका स्वागत मंत्री की तरह ही होता है और कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेता भी देवेन्द्र सिंह तोमर के इर्द गिर्द नजर आते हैं। मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री जयंत मलैया ने अपनी विरासत बेटे सिद्धार्थ को सौंपे जाने की तैयारी चल रही है। क्योंकि, विधानसभा चुनाव के समय जयंत मलैया करीब 72 साल के हो चुके होंगे। पार्टी में 70 पार को चुनाव का टिकिट न दिए जाने का फार्मूला लागू होने के कारण जयंत मलैया किनारे हो सकते हैं। ऐसे में वे विधानसभा चुनाव अपने बेटे को लड़वा सकते हैं। जयंत मलैया खुद भी चुनावी राजनीति से अलग होना चाहते हैं और 2013 में उन्होंने इसकी घोषणा भी कर दी थी! 2013 के विधानसभा चुनाव में पूरी जिम्मेदारी उनके अमेरिका में पढ़े बेटे सिद्धार्थ के कंधों पर ही थी।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के बेटे त्रिशमूल झा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय, मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र सिंह तोमर, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बेटे मंदार महाजन, मंत्री हर्ष सिंह के बेटे विक्रम सिंह, पूर्व मंत्री करणसिंह वर्मा के बेटे विष्णु वर्मा, कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन के बेटे मौसम बिसेन, वनमंत्री गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार, राज्यसभा सदस्य सत्यनारायण जटिया के बेटे राजकुमार जटिया, लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे सुधीर यादव, मंत्री माया सिंह के बेटे पितांबर सिंह टिकट पाने वालों की लाइन में हैं। लेकिन, इनमें से कौन पार्टी की विचारधारा पर खरा उतरता है, अभी ये तय होना बाकी है! ये भी जरुरी नहीं कि सभी नेता अपनी विरासत सौंपने की अपनी कोशिशों में कामयाब हों जाएं!
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