हेमंत पाल
अटलबिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति कि वे शख्सियत थे, जिनकी काबलियत का लोहा उनके विरोधी भी आजतक मानते हैं। उन्होंने राजनीति को कभी पेशा नहीं समझा! देशहित के आगे उन्हें राजनीति करना कभी पसंद नहीं था और न उन्होंने कभी ऐसा किया! यही कारण है कि उनके नाम शायद कोई राजनीतिक विवाद दर्ज नहीं है। जगजाहिर है कि वे उतनी ही राजनीति करते थे, जितना जरुरी होता था। वक़्त बिताने के लिए उनके पास बहुत से शौक थे! उनका कॅरियर पत्रकारिता से शुरू हुआ था! वे कविता लिखते थे। उनकी कई कविताओं के एलबम भी निकले। लेकिन, उन्होंने अपने शौक को कभी छुपाया नहीं! वे फुरसत में फ़िल्में देखते थे।
अटलजी की पसंदीदा फिल्मों में देवदास, बंदगी और 'तीसरी कसम' को गिना जाता है। इंग्लिश फिल्मों में उनकी फेवरेट फिल्म थी द ब्रिज ऑन द रिवर क्वाय, बॉर्न फ्री और 'गांधी' थी। अटलबिहारी वाजपेयी को 'बंदिनी' फिल्म का एसडी बर्मन का संगीतबद्ध किया और उनकी ही आवाज में गाया गीत ओ रे मांझी ... बेहद पसंद था। बताते हैं कि 'कभी कभी' फिल्म का मुकेश और लता मंगेशकर का गाया 'कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है ... गाना भी वे अकसर सुनते थे। लता मंगेशकर, मुकेश के अलावा उन्हें मोहम्मद रफ़ी भी पसंद थे।
अटलजी के शौक में कविता, साहित्य के बाद तीसरा रिश्ता फिल्मों से ही रहा! उन्हें कौनसा एक्टर पसंद था, ये बात तो कभी सामने नहीं आई, पर एक्ट्रेस हेमामालिनी के वे खासे प्रशंसक थे। जब वक़्त मिलता वे हेमा की फिल्में देखते थे। खुद अटलजी ने कभी सार्वजनिक रूप से अपनी पसंद का इजहार नहीं किया, पर एक कार्यक्रम में हेमा मालिनी ने जरूर कहा था कि अटलजी को 1972 में आई फिल्म 'सीता और गीता' इतनी पसंद आई थी। उन्होंने इसे फिल्म को करीब 25 बार देखा था। जब हेमा मालिनी पहली बार अटलजी से मिली, तब वे उनसे खुलकर बात नहीं कर पाए और संकोच में रहे! तब अटलजी के संकोच का खुलासा वहाँ मौजूद एक महिला ने हेमा मालिनी से किया था। बताया कि अटलजी ने आपकी फिल्म ‘सीता और गीता’ कई बार देखी है, वे आपकी एक्टिंग को पसंद करते हैं, इसलिए अचानक आपको सामने देखकर हिचकिचा गए!
साहित्य पढ़ने और कविताएं करने में भी अटलजी की रुचि रही। उन्होंने कई बार मंचों से भी कविता की, पर मंचीय कवि नहीं रहे! उनकी कविताओं को बॉलीवुड के कई दिग्गजों ने भी आवाज दी। जब वे प्रधानमंत्री बने उस दौर में उनकी कविताओं पर कई म्यूजिक एलबम बनाए गए। इन एलबम को लता मंगेशकर, जगजीत सिंह, हरिहरन, पद्मजा जग और शंकर महादेवन ने भी आवाज दी। लता मंगेशकर ने भी उनकी कविताओं को अपने सुरों में पिरोया है। जगजीत सिंह ने अटलजी की कविताओं को अपने एलबम 'नई दिशा' में भी लिया था। 1999 में आए इस एलबम को 'बेस्ट नॉन फिल्म लिरिक्स कैटेगरी' में स्क्रीन अवॉर्ड दिया गया था। राजनीति में होते हुए, मनोरंजन जगत का यह अवॉर्ड पाने वाले अटलजी पहले व्यक्ति थे। लेकिन, व्यस्तता के चलते वे इस समारोह में शामिल नहीं हो पाए थे। बाद में उन्हें उनके आवास पर इस सम्मान से नवाजा गया। अटलजी ने खुद कभी किसी फिल्म में काम नहीं किया, पर मनमोहन सिंह के जीवन पर बन रही फिल्म में अभिनेता रामवतार उनकी भूमिका में जरूर नजर आएंगे।
बॉलीवुड के कई सितारे अटलजी के प्रशंसक रहे हैं। कई फिल्मों में भी उनकी शख्सियत को दिखाने की कोशिश भी की गई! लेकिन, लता मंगेशकर और अटलबिहारी वाजपेयी के बीच एक बहुत ही दिलचस्प वाकया हुआ था, जिसका जिक्र लेखक यतींद्र मिश्र ने अपनी किताब 'लता सुरगाथा' में किया है। लताजी ने बताया कि अटलजी प्रेम और आदर से भरे राजनेता रहे हैं। एक बार मैंने उनसे मजाक में कहा कि अटलजी, आपके नाम की अंग्रेजी की स्पेलिंग को उलटकर पढ़िए तो मेरा नाम लता बनता है। इस बात पर वे खिलखिलाकर हंस पड़े थे।
अटलजी उन नेताओं में से थे, जिनका सेंस ऑफ़ ह्यूमर अद्भुत था। जाने-माने कॉमेडियन जॉनी लीवर हमेशा अपने जोक्स में अटलजी के भाषण की स्टाइल कॉपी किया करते रहते हैं। एक बार जॉनी लीवर का अटलजी से सामना हो गया तो जॉनी लीवर घबरा गए! उन्हें लगा कि कहीं कॉपी करने की वजह से उन्हें कुछ सुनना न पड़े! लेकिन, जो हुआ वो जॉनी लीवर के लिए अविस्मरणीय बन गया। जॉनी को देखते ही अटलजी ने अपने अंदाज में सामने से सभी को हटाते हुए हाथ खोलकर कहा 'अरे ... मेरा पार्टनर आ गया यार' और फिर मुझे गले लगा लिया। लेकिन, अब अटलजी सिर्फ यादों और किस्सों में ही बचे हैं और हमेशा यहीं बने रहेंगे!
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