Tuesday, March 12, 2019

सत्ता खोने की पीड़ा और भाजपा का आर्तनाद!

- हेमंत पाल

     जब से मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनी है, भाजपा की रातों की नींद हराम है! छोटे कार्यकर्ता से लगाकर डेढ़ दशक तक सरकार चलाकर फुर्सत हुए शिवराजसिंह चौहान तक को हार पच नहीं रही! जिस दिन विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे, उस दिन से अभी तक भाजपा इस हड़बड़ी में है कि कब सरकार गिरे! भाजपा को किस बात की जल्दबाजी है, ये कोई समझ नहीं पा रहा! किनारे पर डूबने का दर्द उसे इतना ज्यादा है कि कमलनाथ सरकार उसकी आँखों में बुरी तरह खटक रही है! जब चौथी बार भाजपा की सरकार नहीं बनी, तो ये बात जमकर प्रचारित की गई कि वो जब चाहे कांग्रेस सरकार गिरा सकती है! लेकिन, ऐसा करना संभव नहीं लगा तो भाजपा ने कमलनाथ सरकार के फैसलों की आलोचना शुरू कर दी! ख़ास बात ये कि इस सारी नौटंकी का नेतृत्व शिवराज सिंह करते दिखाई दे रहे हैं, जिन्हें पार्टी ने किनारे कर दिया! दो महीने पुरानी सरकार से ऐसे सवाल-जवाब किए जाने लगे, जैसे सरकार का कार्यकाल पूरा होने वाला हो! किसानों की कर्ज माफ़ी पर सरकार को घेरा गया! छोटे-छोटे मामलों पर प्रलाप किया जाने लगा! लेकिन, लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही भाजपा की नौटंकी थम गई! अब जनता तय करेगी कि लोकसभा चुनाव में किसका पलड़ा भारी रखना है और किसे सबक सिखाना है! 
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  चुनाव में जनता जिसे चाहती है, उसे जिताती है, जिसे नहीं चाहती उसे बाहर का रास्ता दिखाने में भी देर नहीं करती! उसे कोई प्रचार, कोई लोभ और कोई आश्वासन प्रभावित नहीं करता! लेकिन, भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा चुनाव में अपनी हार हजम नहीं हो रही! क्यंकि, कांग्रेस से चंद सीटों से पिछड़ने से वो चौथी बार सरकार नहीं बना सकी! इसलिए उसे कांग्रेस फूटी आँखों नहीं सुहा रही! भाजपा ने कांग्रेस सरकार को परेशान करने के हर संभव प्रपंच शुरू कर दिए! इसलिए कि उसे भ्रम है कि वो कमलनाथ सरकार को जितना घेरेगी, लोकसभा चुनाव में उसकी स्थिति उतनी ही मजबूत होगी! उसे लग रहा है कि उसके ऐसे हंगामे उसकी ताकत बढ़ाने के साथ ही कांग्रेस को कमजोर करेंगे! लेकिन, वास्तव में ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा! लेकिन, लोगों को भाजपा की ये खीज साफ़ नजर आ रही है। जिन लोगों का राजनीति से कोई सरोकार नहीं है, उन्हें भाजपा की ये हठधर्मी रास नहीं आ रही!    
   भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदेश की कानून व्यवस्था के मुद्दे को लेकर भी पिछले दिनों पूरे प्रदेश में सड़कों पर हंगामा किया। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि जब से प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी, तब से अपराधी बेलगाम हो गए! इसी मुद्दे पर भाजपा ने पूरे प्रदेश में प्रदर्शन कर कांग्रेस सरकार के खिलाफ हल्लाबोल प्रदर्शन किया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कानून व्यवस्था को लेकर कमलनाथ सरकार पर हमला बोला! उन्होंने एक ट्वीट में लिखा 'कांग्रेस अब सरकार में है और पार्टी के नेताओं को जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिए। कमलनाथजी को अपने मंत्रियों को हिदायत देनी चाहिए कि वो गली-मोहल्ले के नेताओं जैसे बयान न दें। राज्य की कानून एवं व्यवस्था सरकार की जवाबदेही है। ऐसे में मंत्रियों को अफवाहें फैलाने से बचना चाहिए।' कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा बेवजह कानून व्यवस्था को मुद्दा बना रही है। भाजपा सरकार के समय मध्यप्रदेश की पहचान अपराध के लिए देश में 'टॉप स्टेट' के रूप में होती थी। वही भाजपा अब कानून व्यवस्था पर निशाना साध रही है। ये बात सही भी है कि महिला और बाल अपराध के मामलों में मध्यप्रदेश पिछले कई सालों से अव्वल रहा है! ऐसे में भाजपा का कांग्रेस पर निशाना साधने का कोई मतलब नहीं रह जाता! 
   भाजपा के तेवर पहले दिन से कमलनाथ सरकार के खिलाफ काफी तीखे रहे हैं। कांग्रेस सरकार को घेरने के साथ ही उसे गिराने के लिए पूरा जोर लगाने की कोशिशें भी की गई, पर लगा नहीं कि कुछ हुआ! भाजपा लोकसभा चुनाव में प्रदेश में ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश में भी है। प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने तो साफ़ कहा भी कि केंद्र में मोदी-सरकार की वापसी और मध्यप्रदेश में लोकसभा की ज्यादा सीट आते ही प्रदेश में कमलनाथ की सरकार चली जाएगी। उनका कटाक्ष था कि जब तक मंत्रियों के बंगले पुतेंगे, तब तक यह सरकार गिर जाएगी। उन्होंने भाजपा को बहुमत न मिल पाने के दुख पर कार्यकर्ताओं ढाढस बंधाते हुए ये भी कहा कि प्रदेश में अल्पमत की सरकार है, यह जुगाड़ वाली सरकार है। यह सरकार उस मानव शरीर जैसी है, जिसमें गुर्दे दूसरे के, हृदय दूसरे का, लिवर दूसरे का है। ऐसी सरकारें ज्यादा दिन नहीं चलती और न टिकाऊ होती हैं। 
  जबकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि उनकी सरकार पूरे पांच साल चलेगी। वे अपने कार्यकाल का हिसाब भी देंगे, जो भाजपा 15 साल बाद भी नहीं दे पाई! कमलनाथ को यह बात इसलिए कहनी पड़ी कि भाजपा की तरफ से बार-बार कहा जाता रहा है, कि यह सरकार कुछ ही महीनों में गिरने वाली है। आजकल भाजपा के बड़े से लेकर छोटे नेता तक अपने जुबानी हमलों से कांग्रेस सरकार गिरने की कामना करते नजर आते हैं। ऐसी कामना करने में सबसे आगे हैं, शिवराजसिंह चौहान! वे हर मंच से कमलनाथ सरकार किसानों की कर्ज माफी के नाम पर भ्रमित करने को लेकर कोसते दिखाई देते हैं। भाजपा ने अपने 'धिक्कार दिवस' आयोजन में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में लाया गया प्याज भी सड़कों पर बिखरकर अपने विरोध को तमाशे का रंग दिया। भाजपा ने आरोप लगाया कि राज्य कि कांग्रेस सरकार में किसानों को प्याज के सही दाम नहीं मिल रहे हैं।  
  भाजपा ने कांग्रेस को एक और षड़यंत्र रचकर घेरने का हथकंडा किया है। पार्टी ने 'प्रवास कार्यक्रम' शुरु किया है। इसके जरिए पार्टी कमलनाथ सरकार के खिलाफ अभियान चलाएगी। प्रदेश भाजपा अध्य़क्ष राकेश सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बाकी बड़े नेता अलग-अलग जिलों में जाकर सरकार की नीतियों के खिलाफ जनसभा करेंगे। भाजपा नेता रोजाना दो स्थानों पर ऐसी सभा करेगी। पिछले दिनों भाजपा अध्यक्ष ने भी कांग्रेस सरकार को जमकर कोसा और कहा कि कमलनाथ सरकार ने जनता के साथ विश्ववासघात किया है। प्रदेश के किसान अभी भी कर्ज माफी का इंतजार कर रहे हैं। वहीं प्रदेश के किसी भी युवा को अब तक बेरोजगारी भत्ता नहीं मिला! कांग्रेस किसानों के साथ सिर्फ राजनीति कर रही है।
  असलियत यह है कि प्रदेश में भाजपा की स्थिति अंदर से काफी कमजोर है। जमीनी कार्यकर्ताओं की बात सुनने के लिए प्रदेश कार्यालय में पदाधिकारी तक नहीं मिलते। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह हर मंच पर जबरन पार्टी का नेतृत्व करते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने अपना गुट ही बना लिया। क्योंकि, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह संगठन चलाने में पूरी तरह नाकारा ही साबित हुए! गोपाल भार्गव को नेता प्रतिपक्ष जरूर बनाया गया, परंतु अभी तक वे उभरकर सामने नहीं आ सके। वे प्रदेश के नेता बनने के बजाए बुंदेलखंड तक सीमित होकर रह गए! कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा जैसे नेता भी सही मौके का इंतजार कर रहे हैं। जबकि, भाजपा के केंद्रीय संगठन के निर्देश थे, कि लोकसभा चुनाव से पहले भोपाल में कमलनाथ सरकार के खिलाफ प्रभावी रैली की जाए, ताकि माहौल बने! लेकिन, ऐसा कुछ हो नहीं सका! दिल्ली में बैठे नेता ये भी चाहते थे कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में भाजपा की छवि एक प्रभावी विपक्ष की बनना चाहिए। पर, इसके लिए जरूरी था कि पार्टी आक्रामकता के साथ सरकार के खिलाफ आंदोलन करे, लेकिन भाजपा गली-मोहल्लों तक ही सीमित रही! पार्टी ने सभी विधायकों से कहा है कि वे अपने क्षेत्र की छोटी-छोटी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर स्थानीय स्तर पर जोरदार आंदोलन करें। इस सबके पीछे पार्टी की सोच थी कि जनता को ये अहसास कराया जाए कि भाजपा ही उनकी खैरख्वाह है! भाजपा जो कुछ कर रही है, उससे उसे स्वांतः सुखाए मिल रहा हो, पर लोग अब ऐसी राजनीति से उबने लगे हैं। 
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