'जिस दिन बॉस इशारा करेंगे, कमलनाथ सरकार गिरा देंगे!' इस तरह के बड़बोले बयानबाज भाजपा नेताओं की अब बोलती बंद है! उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उनके दड़बे में सैंध कैसे लग गई! जिन लोगों को भाजपा बहला-फुसलाकर कांग्रेस से अपने खेमे में लाई थी, वे फिर कांग्रेस में क्यों और किस लालच में पहुँच गए? ऐसे बहुत सारे सवाल हैं, जिससे भाजपा के बड़े नेता परेशान है! यही कारण है कि जिन दो भाजपा विधायकों ने प्रतिबद्धता बदली, उन्हें समझाने की कोशिशें हो रही है! पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सारी कमान अपने हाथ में ले ली! पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को ये भी खबर मिली कि पार्टी के कुछ नेताओं के कारण विधायकों में असंतोष है! इस घटना के बाद शिवराजसिंह चौहान और गोपाल भार्गव जैसे बयानवीरों की जुबान पर ताले डालने के अलावा प्रदेश में पार्टी नेतृत्व भी बदला जा सकता है!
000
- हेमंत पाल
मध्यप्रदेश में 15 साल तक सत्ता का सुख भोगने वाली भाजपा की दाढ़ में सत्ता की मलाई ऐसी लग गई, उसे विपक्ष में बैठना रास नहीं आ रहा! जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, भाजपा नेताओं की नींद हराम है! ऐसे में दो विधायकों का भाजपा से टूटना उसे सहन नहीं हो रहा! पार्टी के बड़े नेता वो सुराख़ ढूंढने में लगे हैं, जहाँ से ये विधायक खिसककर कांग्रेस के पाले में चले गए! लेकिन, अब उन्हें इस बात की घबराहट ज्यादा है कि कुछ और विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं! कटनी के विधायक संजय पाठक को भी संदिग्ध नजरों से देखा जा रहा है। ये वही संजय पाठक हैं, जो भाजपा के राज में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे और उन्हें पार्टी ने मंत्री भी बनाया था। पाठक अभी इसे नकार रहे हैं, लेकिन, उनके इंकार में ज्यादा जोर दिखाई नहीं दे रहा! उनका तो यहाँ तक कहना है कि मेरा फैमिली बैकग्राउंड कांग्रेसी रहा है! मेरे पिता मंत्रीजी मंत्री रहे हैं, मैं भी कांग्रेस में रहा हूँ।' उनके खुद को कांग्रेसी बताने के जुमले का अर्थ तो यही है कि वे कांग्रेसी रहे हैं और रहेंगे!
मध्यप्रदेश विधानसभा में दंड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2019 के पक्ष में भाजपा के दो सदस्यों सहित कुल 122 विधायकों ने मतदान किया था। इनमें कांग्रेस और उनके सहयोगियों के अलावा कांग्रेस सरकार का समर्थन करने वालों में दो भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी (मैहर) और शरद कोल (ब्यौहारी) भी थे। अपने इन दो विधायकों के पाला बदलने से भाजपा बुरी तरह तिलमिला गई! भाजपा के बड़े नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्र ने का कहना है कि ये खेल कांग्रेस ने शुरू किया है। लेकिन, इसे खत्म भाजपा करेगी। ये स्वाभाविक भी है। क्योंकि, कुछ साल पहले भाजपा इन विधायकों को पुचकारकर अपने पाले में लाई थी, पर मौका मिलते ही वे बागड़ कूदकर भाग गए!
भाजपा को भी ये सोचना चाहिए कि कांग्रेस ने वही किया, जो कभी भाजपा ने उसके साथ किया था। अब मातम मनाने से कुछ नहीं होने वाला, जो होना था वो चुका! मुद्दे की बात तो ये है कि भाजपा के दिल्ली दरबार ने अभी तक दोनों विधायकों को पार्टी से निकालने का फैसला नहीं किया, बल्कि अगले सत्र तक सोचने का मौका दिया है! भाजपा का ये बदला रूप इसलिए दिखाई दे रहा, क्योंकि पार्टी वक़्त की नजाकत समझ रही है! लेकिन, पार्टी को उन बड़बोले नेताओं की जुबान पर भी लगाम लगाना चाहिए जो 'बॉस जब इशारा करेंगे कमलनाथ की सरकार गिरा देंगे' जैसे बयान देकर राजनीतिक माहौल बिगाड़ रहे हैं। प्रदेश की राजनीति के बदले हालात से कांग्रेस का उत्साह भी चरम पर है। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने कहा कि भाजपा के लोग चाहें, तो सपने देखते रहें! लेकिन, कमलनाथ ने साबित कर दिया है कि पूरे मध्यप्रदेश में वही एकमात्र शेर हैं।
भाजपा के दो विधायकों के कांग्रेस का समर्थन करने के बाद कुछ कथित नेताओं का उत्साह बल्लियों उछल रहा है। बयानबाजी से सुर्ख़ियों में रहने वाले कंप्यूटर बाबा भी दावा करने वालों में शामिल हो गए कि चार भाजपा विधायक उनके संपर्क में है! वो जल्दी ही कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। ये दावा कितना सच होगा, ये सभी जानते हैं! लेकिन, कांग्रेस को ऐसे बयानबाजों से निजात पाना जरुरी है। वैसे भी इस तरह की राजनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक हल्ला बोलकर नहीं की जाती। नारायण त्रिपाठी और शरद कोल के यू-टर्न की प्लानिंग कितनी गोपनीयता से अंजाम तक पहुंची, ये सबने देखा है! ऐसे में पार्टी के लिए जरुरी है कि ऐसे हवाबाजों को काबू में रखा जाए! कम्प्यूटर बाबा खुद भी भाजपा का स्तुतिगान करते-करते कांग्रेस में कूदे हैं! परिवहन मंत्री गोविंदसिंह राजपूत और खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का भी कहना है कि अभी तो शुरुआत है! कई और भाजपा विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं!
इस राजनीतिक हादसे के बाद भाजपा के गोपाल भार्गव और शिवराजसिंह चौहान जैसे बड़बोले नेता खामोश हैं। यहाँ तक कि दोनों बागी विधायकों पर कार्रवाई को लेकर भी पार्टी इंतजार की मुद्रा में है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह का तो यहाँ तक कहना है कि अभी भी कुछ नहीं बदला! सब कुछ अनुकूल है और कंट्रोल में है! पार्टी अभी दोनों विधायकों के खिलाफ जल्दबाज़ी में कार्रवाई भी नहीं करना चाहती! दोनों बागियों को मनाने की कोशिश की जाएगी और अगले सत्र तक का समय भी दिया जाएगा। वास्तव में तो ये भाजपा की राजनीतिक शैली नहीं है! लेकिन, उसके सामने नई मज़बूरी ये है कि उसे भी अपने एक-एक संदिग्ध विधायक को संभालना है। भाजपा नहीं चाहती कि उसका एक भी गलत कदम कांग्रेस को अपना खूंटा गाड़ने का मौका दे दे! लेकिन, इसके लिए पार्टी को सबसे पहले हड़बड़ी से मुक्ति पाना होगा और अनर्गल बयानबाजी को बंद करना होगा! सबसे ज्यादा जल्दबाजी में तो शिवराजसिंह लग रहे, जो 8 महीने की सरकार से 5 साल का हिसाब मांग रहे हैं!
डेढ़ दशक तक सरकार चलाकर फुर्सत हुए शिवराजसिंह चौहान ऐसे नेता हैं जिनको प्रदेश में पार्टी की हार से अपच हो गया! जिस दिन विधानसभा चुनाव के नतीजे आए और भाजपा को सत्ता नहीं मिली! उस दिन से आज तक वे इस हड़बड़ी में हैं, कि कब सरकार गिरे! लेकिन, उनके साथ पार्टी भी हड़बड़ी क्यों दिखा रही, ये कोई समझ नहीं पा रहा! किनारे पर डूबने का दर्द उसे इतना ज्यादा है कि कांग्रेस सरकार उसकी आँखों में खटक रही! बार-बार ये प्रचारित किया जा रहा वो जब चाहे कांग्रेस सरकार गिरा सकती है! लेकिन, अभी तक वो ऐसा नहीं कर सकी और हाल ही में जो हुआ वो उसने उसे तोड़ भी दिया है। उधर, प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कटाक्ष था कि जब तक मंत्रियों के बंगले पुतेंगे, तब तक यह सरकार गिर जाएगी। लेकिन, मंत्रियों के बंगले पुत गए और कमलनाथ-सरकार ने दो भाजपा विधायकों को बगावत करने पर मजबूर कर दिया! अब, आगे क्या होना है ये देखना दिलचस्प होगा!
--------------------------------------------------------------------------------