Sunday, July 21, 2019

'बाबू मोशाय, आनंद कभी नहीं मरता!'

- हेमंत पाल 

  फिल्म  इंडस्ट्री में कई बड़े-बड़े स्टार हुए हैं, लेकिन सभी को अपने दौर में वो ख्याति नहीं मिली, जो फिल्म इतिहास पन्नों पर चंद अभिनेताओं के खाते में दर्ज है! याद किया जाए तो दिलीप कुमार, देवआनंद, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन ही ऐसे सर्वकालिक अभिनेता हैं, जिनके प्रति दर्शकों की दीवानगी चरम पर रही! इनकी हर फिल्म को देखने का जुनून जो इनके दौर में था, ऐसा कहीं दिखाई नहीं देता! आज की फ़िल्में तो अच्छी कहानी, अच्छे डायरेक्शन, अच्छे संगीत या एक्शन की वजह से ही चलती है! कोई दर्शक सिर्फ कलाकार के प्रति दीवाना होकर फिल्म देखे, ऐसा सुनने में कम ही आता है! आज सलमान खान और आमिर खान जैसे लोकप्रिय अभिनेताओं की फ़िल्में भी फ्लॉप होती है, क्योंकि दर्शक उसमें अच्छी कहानी ढूंढता है!
  सौ साल से ज्यादा पुरानी फिल्म इंडस्ट्री में चार-पाँच ही ऐसे अभिनेता हुए हैं, जिनका अपना स्टारडम था! लेकिन, इनमें भी किसी एक का नाम चुना जाए तो सिर्फ राजेश खन्ना का ही है। उनके प्रति दीवानगी का जो दौर था, वो और किसी अभिनेता की किस्मत में नहीं आया और न शायद आ सकता है! हंसमुख चेहरे, लुभावनी मुस्कान और चंचल शरारतों वाले इस अभिनेता की लड़कियां तो जबरदस्त दीवानी थीं। खून से उन्हें चिट्ठी लिखने और उनकी कार पर लिपस्टिक के दाग के कई किस्से मशहूर हैं। राजेश खन्ना ने अपने दौर जो लोकप्रियता पाई, आज के अभिनेता तो उसकी कल्पना भी नहीं सकते! उन्होंने अपने करियर में लंबे समय तक सुनहरा दौर देखा है। वे अकेले ऐसे अभिनेता हैं, जिन्‍होंने लगातार 16 सुपरहिट फिल्‍में दी! उनका यह रिकॉर्ड बरकरार है।अभी तक कोई और अभिनेता ये कमाल नहीं कर सका! अमिताभ बच्चन भी नहीं, जिन्हें तीन पीढ़ियों का हीरो माना जाता है।
   कहा जाता है कि सफलता के शिखर पर जगह बहुत कम होती है, वहाँ लम्बे समय तक टिके रहना मुश्किल है! यही सब राजेश खन्ना के साथ भी हुआ! यासिर उस्मान की किताब 'राजेश खन्ना: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडियाज फर्स्ट सुपरस्टार' में जाने-माने पटकथा लेखक सलीम खान ने कहा था, 'ये जो शोहरत की शराब है, इसका नशा अलग है और बहुत गहरा है. जैसे-जैसे शोहरत बढ़ती है पैसा बढ़ता है यह डबल नशा है। यह नशा अगर ज्‍यादा हो जाए तो कोई भी आदमी लड़खड़ा का गिर सकता है।' ये बात सच भी थी! स्टारडम के नशे ने राजेश खन्ना को बेपरवाह, बदजुबान और घमंडी बना दिया था! वे फ़िल्मी सफलता को चिरस्थाई समझने का भ्रम पाल बैठे थे! यही कारण था, कि जिस तेजी से राजेश खन्ना ऊंचाई पर पहुंचे, उतनी ही तेजी से वे नीचे भी आ गए! फ़िल्मी दुनिया में सफलता के मद का सबसे सटीक उदाहरण राजेश खन्ना ही है और असफलता की गर्त का भी!
  राजेश खन्‍ना ने अपनी फ़िल्मी करियर में कई बेहतरीन फिल्में की! आनंद, कटी पतंग, आराधना, मेरे जीवन साथी, दाग, हाथी मेरे साथी और अमर प्रेम जैसी कई फिल्में उनके फिल्मी सफर के मील का पत्थर हैं। उन्होंने करीब 170 फिल्मों में काम किया। लेकिन, अमिताभ बच्चन के साथ 'नमक हराम' करने के बाद उनका ग्राफ गिरने लगा था। इस फिल्म में अमिताभ उनसे बाजी मार ले गए थे। राजेश खन्ना की अमिताभ से कोई प्रतिद्वंदिता नहीं रही! दोनों की फिल्मों पसंद करने वाले भी अलग थे! राजेश खन्ना रोमांटिक फिल्मों के बेताज बादशाह थे और अमिताभ युवा आक्रोश का प्रतीक! लेकिन, वक़्त ने राजेश खन्ना का साथ नहीं दिया! रोमांस के सामने आक्रोश ने बाजी मार ली और राजेश खन्ना अपनी सफलता की यादों के साथ अकेले रह गए! यही वो कारण था कि वे शराब में डूब गए और सबकुछ गँवा बैठे! जीवन के अंत तक वे उस सफलता को याद करते रहे, जो उनके हाथ से निकल गई थी! उनकी फिल्म 'आनंद' का में एक डॉयलाग था 'बाबू मोशाय, आनंद कभी नहीं मरता ...!' ये बात कुछ हद तक सच भी साबित हुई! राजेश खन्ना आज भी मी‍ठी सी याद की तरह चाहने वालों के दिल में बसे हैं।
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