Saturday, July 27, 2019

दो जन्मों के बंधन का सुपरहिट फार्मूला!

- हेमंत पाल 

 ब से हिंदी फ़िल्में बनना शुरू हुई, कुछ विषयों पर फ़िल्में ज्यादा बनी। शुरुआत में धार्मिक फ़िल्में बनी, इसके बाद देश के विभाजन की त्रासदी को फिल्माया गया! फिर आया सामाजिक भेदभाव और अमीरी-गरीबी की खाई से जुड़ी कहानियों का दौर! जब सिनेमा को मनोरंजन की तरह समझा गया तो प्रेम और बदले की कहानियों को फिल्माया जाने लगा! इसी के साथ शुरू हुआ पुनर्जन्म की कहानियों का दौर! ये ऐसा फ़िल्मी फार्मूला है, जिसे हर समय के परिवेश के मुताबिक ढाला गया! यही कारण है कि बॉलीवुड में पुनर्जन्म काफी हिट कांसेप्ट है। जितनी उम्र पर्वतों, नदियों और आकाश की है, शायद उतनी ही उम्र पुनर्जन्म की कहानियों की भी होगी। 
    ब्लैक एंड व्हाइट से लगाकर मल्टीप्लेक्स के ज़माने तक इस फॉर्मूले का कई बार इस्तेमाल हुआ। एक जन्म से दूसरे जन्म तक फैली प्रेम कहानियों से लगाकर बदला लेने और डरावनी फ़िल्में तक ऐसी कहानियों पर बनी और पसंद की गईं! एक जन्म में बिछुड़े हुए दो प्रेमियों की अधूरी प्रेम कहानी दूसरे जन्म में पूरी होती है। इसके अलावा बदले की आग में जलते दो परिवारों का बदला दूसरे जन्म में पूरा होता है। सात जन्मों के बंधन और कर्मफल जैसी बातों पर किसी को भरोसा हो या नहीं! लेकिन, पुर्नजन्म पर आधारित बॉलीवुड की ये फ़िल्में दर्शक को ये यकीन जरूर दिला देती हैं कि अधूरी इच्छा पूरी करने के लिए पुनर्जन्म होता जरूर है!
  बॉलीवुड के इतिहास को खंगाला जाए, तो ब्लैक एंड व्हाइट के समय में पुनर्जन्म पर पहली बार बिमल रॉय ने ‘मधुमति’ और बाद में 'यहूदी' बनाई थी। 1958 में बनी 'मधुमति' को तो इस तरह की कहानियों पर बनी श्रेष्ठ फिल्म माना जाता है। दिलीप कुमार और वैजयंती माला के किरदारों को अलग-अलग समयकाल में गढ़ा गया था। 1968 में परदे पर आई सुनील दत्त, साधना और राजकुमार की फिल्म 'नीलकमल' भी पिछले जन्म की कहानी पर आधारित थी। इसमें राजकुमार को आत्मा की तरह प्रस्तुत किया गया था, जो अपनी मेहबूबा को गाना गाकर पुकारता है और वो (साधना) सबकुछ भूलकर खिंची चली आती है। कमाल अमरोही की ‘महल’ में भी जायदाद हड़पने के लिए पुनर्जन्म की कहानी गढ़ी गई थी! सुनील दत्त और नूतन की फिल्म ‘मिलन’ भी पुनर्जन्म की प्रेमकथा है। इसी विषय पर चेतन आनंद ने राजेश खन्ना, हेमा मालिनी और विनोद खन्ना को लेकर ‘कुदरत’ बनाई थी। 
    सत्तर के दशक के सुपरहिट हीरो राजेश खन्ना की 1976 में आई फिल्म 'मेहबूबा' का कथानक भी एक जन्म से दूसरे जन्म तक फैला था। 1980 में रिलीज़ हुई सुभाष घई की 'क़र्ज़' का आधार भी यही विषय थी l ये फिल्म भी प्रेम और हत्या के बदले  कहानी थी। सलमान खान जैसे बड़े सितारे ने भी 1992 में दो जन्मों की कहानी 'सूर्यवंशी' में अदाकारी की थीl फ़िल्म में सलमान खान का पुनर्जन्म होता है। शाहरुख़ खान और सलमान खान की जोड़ी वाली फ़िल्म 'करण अर्जुन' 1995 की सुपरहिट फ़िल्म रही थी। ये दो भाइयों करण और अर्जुन के पुनर्जन्म पर बनी बदले की कहानी थी, जिसे दर्शकों ने पसंद भी किया!  इसी साल आई संजय कपूर और तब्बू की फिल्म 'प्रेम' में भी दो जन्मों का बंधन दिखाया गया था।  
  2002 की फिल्म 'अब के बरस' हिट थी, जो पुनर्जन्म पर आधारित थी। इसमें आर्या बब्बर और अमृता राव मुख्य भूमिका में थेl जबकि, 2007 में रिलीज हुई 'ओम शांति ओम' दीपिका पादुकोण के करियर की पहली फ़िल्म भी पुनर्जन्म की कहानी पर बनी थी l इसमें शाहरुख़ खान मुख्य भूमिका में थेl 2012 में आई करिश्मा कपूर की कमबैक फिल्म 'डेंजरस इश्क़' की कहानी भी दो जन्मों से जुड़ी थी, जिसे विक्रम भट्ट ने निर्देशित किया। 2015 में आई फ़िल्म 'एक पहेली लीला' भी पिछले जन्म पर आधारित थी। 
  हाल के वर्षों में 2017 में आई सुशांतसिंह राजपूत और कृति सेनन की 'राब्ता' में भी दोनों के पुनर्जन्म के बारे में ही बताया थाl दिनेश विजन की ये फिल्म अपने कमजोर कथानक के कारण मात खा गई! क्योंकि, आज के दर्शक पुनर्जन्म की मनगढ़ंत कहानी को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। फिल्मकारों को अब इस फॉर्मूले को नया कलेवर देना होगा। 'बाहुबली' से लोकप्रिय हुए एक्टर प्रभास की आने वाली फिल्म 'साहो' के बारे में भी कहा जा रहा है कि ये फिल्म भी दो जन्मों की कहानी कहती है। लेकिन, अभी इसका खुलासा होना बाकी है! 
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