Monday, July 15, 2019

भाजपा की खंडित होती शुचिता और आचरण की मर्यादा!


  राजनीति गंदगी का वो दलदल है, जहाँ बदनामी के छींटे उड़ते रहते हैं! ऐसे में नेताओं का बचे रहना बहुत मुश्किल है। बात सिर्फ चारित्रिक गंदगी की नहीं है! यहाँ बहुत से ऐसे लालच होते हैं, जो व्यक्ति को अपनी तरफ खींचते हैं! कोई धन देखकर अपना ईमान खो देता है! किसी को सुविधाओं के संसाधन भटका देते हैं! लेकिन, सबसे घृणित लालच है चरित्र की राह पर भटक जाना! राजनीति में शुचिता, संस्कार और मर्यादा की सबसे ज्यादा बात भाजपा ही ज्यादा करती रही है। ये जानते हुए भी कि ये संभव नहीं है! देशभर में ऐसी कई घटनाएं हुई जिनसे सामने आया कि भाजपा के नेता भी दूध के धुले नहीं है! आश्चर्य तो इस बात पर कि संघ से भाजपा में आए नेताओं पर सबसे ज्यादा उँगलियाँ उठती है। पार्टी में संगठन मंत्री वप पद है, जिन्हें संघ से पार्टी में लाया जाता है! ताजा मामला उज्जैन का है, जहाँ के भाजपा के संगठन मंत्री प्रदीप जोशी पर एक युवक से समलैंगिक संबंधों का आरोप लगा है। पार्टी ने उन्हें पद से हटा दिया, पर ये समस्या का हल नहीं है! जरुरत है कि इस तरह के अमर्यादित आचरण के कारणों को जानकर उनका स्थाई हल निकालने की! 
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- हेमंत पाल
    भाजपा हमेशा अपनी पार्टी का मूलमंत्र चाल, चरित्र और चेहरा बताती है! दावा करती है कि जो भी पार्टी से जुड़ा है उसका चरित्र बेदाग़ और निष्कलंक है! लेकिन, जिस तरह की घटनाएं बीते कुछ सालों में हुई है, वो इस दावे को सही नहीं बता रही! संजय जोशी कांड के बाद अभी तक ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है, जो संघ और भाजपा नेताओं की चारित्रिक कमजोरी की पोल खोलती हैं! उज्जैन भाजपा के संगठन मंत्री प्रदीप जोशी इस श्रृंखला में जुड़ने वाली नई कड़ी है। उनके एक युवक के साथ कथित समलैंगिक संबंधों का वीडियो और अश्लील चैट के सोशल मीडिया पर वायरल होने बाद भूचाल आ गया! आरोप ये भी है कि जिस युवक के साथ प्रदीप जोशी की चैट सामने आई, वो कुछ दिनों से लापता है। आशंका जताई जा रही है कि कहीं बदनामी छुपाने के लिए उसे रास्ते से हटा तो नहीं दिया गया! कांग्रेस ने भी इसे विपक्ष का अंदरुनी विवाद न मानते हुए आपराधिक कृत्य माना है! यदि वास्तव में युवक के लापता होने की खबर सही निकली तो इस पर कार्रवाई हो सकती है। 
    प्रदीप जोशी को पार्टी ने तीन साल पहले दूसरी बार उज्जैन के संगठन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी। संघ से भाजपा में भेजे गए जोशी करीब 18 साल से संभागीय संगठन मंत्री के पद पर काम कर रहे हैं। उज्जैन से पहले वे ग्वालियर में भी इसी पद पर थे। उनके बारे में चर्चित है कि वे अपने आसपास युवकों का जमघट बनाकर रखते हैं और उन्हें हमेशा नैतिकता का पाठ पढ़ाते थे। कार्यकर्ताओं के बीच वे मस्तमौला स्वभाव वाले नेता के रूप में लोकप्रिय रहे हैं। लोकसभा चुनाव के समय जब उनका पालतू कुत्ता खो गया था, तो उन्होंने आसमान सिर पर उठा लिया था। पार्टी के कई कार्यकर्ता शहर की गली-गली में उनके कुत्ते को खोजते रहे! बाद में खुद प्रदीप जोशी ने सोशल मीडिया पर भी अपने दुःख की दास्ताँ लिखी थी! जब उनके कुत्ते को खोज लिया गया, तो उज्जैन में भोज भी हुआ था! पार्टी की कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने भी उनकी कथित अश्लील हरकतों को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं से उनकी शिकायत की थी। युवक के साथ उजागर हुई अश्लील समलैंगिक चैट से पहले एक महिला के साथ भी उनका वीडियो वायरल होने की चर्चा रही है। उज्जैन से पहले प्रदीप जोशी ग्वालियर संभाग की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। संभव है कि वहाँ से भी उनकी ऐसी हरकतों की कहानी सामने आए!
   भाजपा का कहना है कि जिसका चरित्र साफ-सुथरा व उजला हो, चेहरा बेदाग हो वही पार्टी की सदस्यता लेने के काबिल है। लेकिन, पार्टी के कुछ चेहरे जिस तरह से सामने आए हैं, वो इस बात पुष्टि नहीं करते! प्रदीप जोशी ने अपनी कथित करतूतों से कई युवा नेताओं और कार्यकर्ताओं की चाल बिगाड़ दी। इस घटना ने उन युवकों का भरोसा भी तोड़ा है, जो राजनीति को गंभीरता से लेते हैं और आगे बढ़ना चाहते थे। अब उनका पार्टी के बड़े नेताओं पर विश्वास बनने में वक़्त लगेगा। क्योंकि, ऐसे नेताओं के सानिध्य में उनका शारीरिक और चारित्रिक शोषण तो होता ही है, उनकी जान पर भी बन आती है। ध्यान देने की बात ये कि सबकुछ सामने आने पर भी पार्टी के बड़े नेताओं मुँह में दही जम गया! ऐसे कई बड़े नेता जो हर मुद्दे पर बयानबाजी करने का मौका नहीं छोड़ते, इस मामले में छुपने की कोशिश कर रहे हैं! जबकि, हाल ही में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ये हिदायत दे चुके हैं कि पार्टी के नेताओं को गलत को गलत कहने से बचना नहीं चाहिए!
  पार्टी में ये पहली और आखरी घटना नहीं है! कई साल पहले गुजरात में पदस्थ पार्टी के नेता संजय जोशी पर भी ऐसे ही आरोप लग चुके हैं! मामला सामने आने पर उन्हें भाजपा से निष्कासित भी कर दिया गया था! इसके बाद मध्यप्रदेश के तत्कालीन वित्त मंत्री राघवजी वाला प्रसंग अभी भी लोग भूले नहीं है। इस मामले में भी ऐसा ही एक वीडियो सामने आया था, जिसमें राघवजी एक युवक के साथ अंतरंग दिखाई दिए थे। पार्टी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए उन्हें तत्काल मंत्री पद से हटा दिया था। प्रदीप जोशी को भी पार्टी ने उज्जैन से हटा दिया, पर वे पार्टी में हैं। ऐसे मामले के आरोपी को हटाकर कहीं और भेज देने से ये समझ लेना कि लोग घटना को बिसरा देंगे, गलत है! पहले भी ऐसी घटनाएं हुई है, जिसने भाजपा के चारित्रिक दावों को कलंकित किया है। सवाल यह कि भाजपा और संघ से जुड़े नेताओं को लेकर ऐसी ही लांछित करने वाली घटनाएं क्यों सामने आ रही है! जिस पार्टी की आचार संहिता और पहचान भारतीय संस्कृति, सभ्यता और संस्कार से जुडी रही हो, वहाँ ऐसी घटनाएं उसे नीचे देखने के लिए मजबूर करती है!    
  भाजपा अकेली ऐसी पार्टी है, जो हमेशा अपने सद्चरित्र का दावा करने से नहीं चूकती! ऐसे सद्चरित्र का दावा करने वाली भाजपा के नेताओं पर जब लांछन लगते हैं, तो सवाल उठता है कि क्या भाजपा को अपनी चाल, चरित्र और चेहरे को लेकर ऐसे दावे करना चाहिए? बेहतर हो कि पार्टी को लांछित करने वाली ऐसी घटना के सामने आने के बाद लीपापोती करने के बजाए अपने नेताओं के असली चरित्र को परखे या फिर ऐसे दावों से पीछा छुड़ा ले! इसे विपक्ष पर बदनाम करने की साजिश भी नहीं कहा जा सकता! क्योंकि, जो हुआ वो जगजाहिर है और उजागर करने वाले भी पार्टी कार्यकर्ता ही हैं! वास्तव में तो भाजपा ने अभी भी प्रदीप जोशी को पार्टी से बाहर नहीं किया है! मामले को जाँच के दायरे में लाकर इंतजार किया जा रहा है कि लोग इस घटना को भूल जाएँ! लेकिन, ये संभव नहीं लगता! क्योंकि, भाजपा में अब ऐसे कांड आम हो रहे हैं। 
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