- हेमंत पाल
इन दिनों सरकारी टेलीविजन चैनल 'दूरदर्शन' दर्शकों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है। लॉक डाउन के कारण 25 से 30 साल पुराने वो सीरियल पुनर्प्रसारित किए जा रहे हैं, जिन्होंने कभी इतिहास रचा था। इनमें 'रामायण' और 'महाभारत' जैसे धार्मिक ग्रंथों पर बने सीरियल तो हैं ही, कुछ और भी ऐसे शो हैं जिनका कथानक मील का पत्थर साबित हुआ था! बच्चों के लिए बने शो जंगल बुक, मालगुडी डेज और शक्तिमान जैसे शो नई पीढ़ी के दर्शकों ने भी पसंद किए! लेकिन, सबसे ज्यादा लोकप्रिय शो में महिलाओं पर आधारित ऐसे चार शो थे, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन काम किया था। ये वो टीवी शो थे, जो घरेलू विवादों और सास-बहू के झगड़ों से बिल्कुल अलग थे! ये ऐसे प्रभावशाली सामाजिक सीरियल थे, जिन्होंने बरसों की मानसिकता को बदलने के साथ नए सोच को जन्म दिया।
ऐसे चुनिंदा सीरियलों में 'उडान' सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला शो था, जो आईपीएस अफसर कंचन चौधरी भट्टाचार्य के जीवन की सच्ची कहानी पर आधारित था। महिला सशक्तिकरण को दर्शाने वाला 'उडान' 80 के दशक के अंत में प्रसारित हुआ था। इस शो का केंद्रीय पात्र कल्याणी सिंह थी, जिसे कविता चौधरी ने निभाया था। मध्यमवर्गीय परिवार से होने के बावजूद वो लैंगिक भेदभाव से लड़ते हुए आईपीएस अफसर बन जाती है। सीरियल में एक सबल महिला की मुख्य भूमिका के अलावा शेखर कपूर ने भी एक ऐसी भूमिका निभाई थी, जो महिला अफसर को समकक्ष मानता है। जब यह शो प्रसारित हुआ था, तब किसी महिलाओं को पुलिस वर्दी में बहुत कम देखा जाता था! इस शो ने इस पेशे में आने के सपने देखने वाली कई महिलाओं को ताकत दी थी।
उपभोक्ता आंदोलन का प्रतीक बने सीरियल 'रजनी' का प्रसारण 1994 में शुरू हुआ था। इसमें 'रजनी' का किरदार निभाने वाली प्रिया तेंदुलकर उस समय हर भारतीय गृहिणी का चेहरा बन गई थी! पहले पद्मिनी कोल्हापुरे को ये किरदार ऑफर किया गया था, पर उनके इंकार के बाद प्रिया तेंदुलकर ने ये किरदार निभाया, जो प्रतिकूल सिस्टम के खिलाफ अपने तरीके से लड़ती है। इसमें परिवार की छोटी-छोटी समस्याओं, उपभोक्ताओं की परेशानियों को निशाना बनाया गया था। इस शो का असर कुछ ऐसा हुआ था कि लोग हर जागरूक महिला को रजनी कहने लगे थे। शो की विशेषता थी, कि गंभीर विषयों को भी बेहद सहजता से उठाकर उसे निराकरण तक पहुँचाया जाता था। इसमें 'रजनी' ऐसी गृहिणी होती है, जो सरकार में छाए ढीले रवैए के खिलाफ आवाज उठाती है। इसमें 80 के दशक में सरकारी दफ्तरों में होने वाली गड़बड़ियों को भी उठाया गया है।
महिला संघर्ष की एक कहानी 'शांति' में भी दिखाई गई थी! मंदिरा बेदी ने शांति की भूमिका की थी। इसमें फ़िल्मी दुनिया के दो दिग्गज और धनी भाई एक लड़की के साथ बलात्कार करते हैं! इसके साथ ही शुरू होती है मां-बेटी की न्याय की लड़ाई! कमजोर होने के बावजूद कैसे कोई औरत न्याय की लड़ाई जीत सकती है, ये 'शांति' ने ही उस दौर की महिलाओं को सिखाया था। इसे पहली बार 1994 में दोपहर के शो में प्रसारित किया गया था। आज भी इसे लोकप्रिय टीवी शो के रूप में पहचाना जाता है।
इसके अलावा 1986 में प्रसारित हुआ 'एयर होस्टेस' उन लड़कियों के पेशेगत संघर्ष पर आधारित था, जो एयर होस्टेस की नौकरी में आती हैं। इस शो में मुख्य भूमिका कृतिका देसाई और किट्टू गिडवानी ने निभाई थी! इस सीरियल का कथानक का मकसद ये दिखाना था कि नौकरीपेशा लड़कियों की जिंदगी आसान नहीं होती! 'मृगनयनी' भी दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले ऐसे ही सीरियल में था जिसकी कहानी एक लड़की की खूबसूरती और उससे उपजी परेशानियों पर थी। इसमें पल्लवी जोशी ने मुख्य किरदार निभाया था। ये एक प्रसिद्द उपन्यास पर बनाया गया सीरियल था।
दूरदर्शन ने 'स्त्री शक्ति' नाम से एक ऐसा शो भी बनाया था, जिसमें मुश्किल हालातों में जीवन की जंग जीतने वाली महिलाओं की कहानी उन्हीं की ज़ुबानी दिखाई गई थी। ये महिलाएं बताती थीं कि मुश्किल हालातों का उन्होंने कैसे मुकाबला किया और हार नहीं मानी! 'मैं कुछ भी कर सकती हूँ' ये किसी टीवी शो का नाम नहीं लगता। 2014 में प्रसारित इस शो में युवा डॉ स्नेहा माथुर के जीवन के संघर्ष की कहानी दिखाई थी। वो मुंबई से अपना करियर छोड़कर अपने गांव प्रतापपुर में आकर काम करने का फैसला करती है। शुरूआती विरोध के बाद प्रतापपुर की महिलाएं अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करती हैं और विजयी होती हैं। इस शो के तीन सीज़न पूरे हो चुके हैं।
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इन दिनों सरकारी टेलीविजन चैनल 'दूरदर्शन' दर्शकों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है। लॉक डाउन के कारण 25 से 30 साल पुराने वो सीरियल पुनर्प्रसारित किए जा रहे हैं, जिन्होंने कभी इतिहास रचा था। इनमें 'रामायण' और 'महाभारत' जैसे धार्मिक ग्रंथों पर बने सीरियल तो हैं ही, कुछ और भी ऐसे शो हैं जिनका कथानक मील का पत्थर साबित हुआ था! बच्चों के लिए बने शो जंगल बुक, मालगुडी डेज और शक्तिमान जैसे शो नई पीढ़ी के दर्शकों ने भी पसंद किए! लेकिन, सबसे ज्यादा लोकप्रिय शो में महिलाओं पर आधारित ऐसे चार शो थे, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन काम किया था। ये वो टीवी शो थे, जो घरेलू विवादों और सास-बहू के झगड़ों से बिल्कुल अलग थे! ये ऐसे प्रभावशाली सामाजिक सीरियल थे, जिन्होंने बरसों की मानसिकता को बदलने के साथ नए सोच को जन्म दिया।
ऐसे चुनिंदा सीरियलों में 'उडान' सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला शो था, जो आईपीएस अफसर कंचन चौधरी भट्टाचार्य के जीवन की सच्ची कहानी पर आधारित था। महिला सशक्तिकरण को दर्शाने वाला 'उडान' 80 के दशक के अंत में प्रसारित हुआ था। इस शो का केंद्रीय पात्र कल्याणी सिंह थी, जिसे कविता चौधरी ने निभाया था। मध्यमवर्गीय परिवार से होने के बावजूद वो लैंगिक भेदभाव से लड़ते हुए आईपीएस अफसर बन जाती है। सीरियल में एक सबल महिला की मुख्य भूमिका के अलावा शेखर कपूर ने भी एक ऐसी भूमिका निभाई थी, जो महिला अफसर को समकक्ष मानता है। जब यह शो प्रसारित हुआ था, तब किसी महिलाओं को पुलिस वर्दी में बहुत कम देखा जाता था! इस शो ने इस पेशे में आने के सपने देखने वाली कई महिलाओं को ताकत दी थी।
उपभोक्ता आंदोलन का प्रतीक बने सीरियल 'रजनी' का प्रसारण 1994 में शुरू हुआ था। इसमें 'रजनी' का किरदार निभाने वाली प्रिया तेंदुलकर उस समय हर भारतीय गृहिणी का चेहरा बन गई थी! पहले पद्मिनी कोल्हापुरे को ये किरदार ऑफर किया गया था, पर उनके इंकार के बाद प्रिया तेंदुलकर ने ये किरदार निभाया, जो प्रतिकूल सिस्टम के खिलाफ अपने तरीके से लड़ती है। इसमें परिवार की छोटी-छोटी समस्याओं, उपभोक्ताओं की परेशानियों को निशाना बनाया गया था। इस शो का असर कुछ ऐसा हुआ था कि लोग हर जागरूक महिला को रजनी कहने लगे थे। शो की विशेषता थी, कि गंभीर विषयों को भी बेहद सहजता से उठाकर उसे निराकरण तक पहुँचाया जाता था। इसमें 'रजनी' ऐसी गृहिणी होती है, जो सरकार में छाए ढीले रवैए के खिलाफ आवाज उठाती है। इसमें 80 के दशक में सरकारी दफ्तरों में होने वाली गड़बड़ियों को भी उठाया गया है।
महिला संघर्ष की एक कहानी 'शांति' में भी दिखाई गई थी! मंदिरा बेदी ने शांति की भूमिका की थी। इसमें फ़िल्मी दुनिया के दो दिग्गज और धनी भाई एक लड़की के साथ बलात्कार करते हैं! इसके साथ ही शुरू होती है मां-बेटी की न्याय की लड़ाई! कमजोर होने के बावजूद कैसे कोई औरत न्याय की लड़ाई जीत सकती है, ये 'शांति' ने ही उस दौर की महिलाओं को सिखाया था। इसे पहली बार 1994 में दोपहर के शो में प्रसारित किया गया था। आज भी इसे लोकप्रिय टीवी शो के रूप में पहचाना जाता है।
इसके अलावा 1986 में प्रसारित हुआ 'एयर होस्टेस' उन लड़कियों के पेशेगत संघर्ष पर आधारित था, जो एयर होस्टेस की नौकरी में आती हैं। इस शो में मुख्य भूमिका कृतिका देसाई और किट्टू गिडवानी ने निभाई थी! इस सीरियल का कथानक का मकसद ये दिखाना था कि नौकरीपेशा लड़कियों की जिंदगी आसान नहीं होती! 'मृगनयनी' भी दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले ऐसे ही सीरियल में था जिसकी कहानी एक लड़की की खूबसूरती और उससे उपजी परेशानियों पर थी। इसमें पल्लवी जोशी ने मुख्य किरदार निभाया था। ये एक प्रसिद्द उपन्यास पर बनाया गया सीरियल था।
दूरदर्शन ने 'स्त्री शक्ति' नाम से एक ऐसा शो भी बनाया था, जिसमें मुश्किल हालातों में जीवन की जंग जीतने वाली महिलाओं की कहानी उन्हीं की ज़ुबानी दिखाई गई थी। ये महिलाएं बताती थीं कि मुश्किल हालातों का उन्होंने कैसे मुकाबला किया और हार नहीं मानी! 'मैं कुछ भी कर सकती हूँ' ये किसी टीवी शो का नाम नहीं लगता। 2014 में प्रसारित इस शो में युवा डॉ स्नेहा माथुर के जीवन के संघर्ष की कहानी दिखाई थी। वो मुंबई से अपना करियर छोड़कर अपने गांव प्रतापपुर में आकर काम करने का फैसला करती है। शुरूआती विरोध के बाद प्रतापपुर की महिलाएं अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करती हैं और विजयी होती हैं। इस शो के तीन सीज़न पूरे हो चुके हैं।
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