- हेमंत पाल
दुनिया में कोरोना वायरस का आतंक है। हर व्यक्ति कोरोना से बचाव के लिए दूरियां बनाकर चलने को मजबूर है! लेकिन, जब इस वायरस का असर ख़त्म होगा और लोग सामान्य स्थिति में लौटेंगे, तब भी क्या लोगों में एक-दूसरे के प्रति घबराहट बरक़रार रहेगी? निश्चित रूप से इस सवाल का जवाब यही होगा कि लोग पहले की तरह सामान्य व्यवहार तो नहीं करेंगे! लोगों में अज्ञात भय बना रहेगा और इसका सीधा असर मनोरंजन की दुनिया पर भी पड़ेगा। सिनेमा और टीवी मनोरंजन पर इससे प्रभावित होना शुरू भी हो गया है। घर बैठे लोगों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म को पसंद करना शुरू कर दिया और ये असर आगे भी बरक़रार रहना तय है।
अभी तो कहा नहीं जा सकता कि बॉलीवुड का बदला चेहरा कैसा होगा? क्योंकि, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। लेकिन, सिनेमा के दर्शकों का भरोसा जल्द नहीं लौटेगा! संक्रमण के भय से लोग सिनेमा हॉल में आने से बचेंगे। ऐसी स्थिति में फिल्मों की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। बॉक्स ऑफिस के आंकड़े जो अभी तक करोड़ों में पहुँचते थे, वो नीचे आ जाएंगे। जो दर्शक पहले दिन-पहला शो देखने का मूड बनाकर घर से निकलते थे, वे सिनेमा घरों से दूर रहेंगे। फिल्मों की रिलीज के साथ उसके बिजनेस का अंदाजा लगाने के अनुमान भी बिगड़ेंगे! सौ और दो सौ करोड़ क्लब के बिजनेस का सपना देखने वालों को मायूसी ही हाथ लगेगी। कुछ बड़े सिनेमा घरों ने इस आशंका को भांपते हुए कुछ महीनों के लिए सिनेमा घरों की बैठक व्यवस्था में बदलाव करने की भी तैयारी कर ली! संभव है कि सिनेमा घरों में भी सोशल डिस्टेन्सिंग का ध्यान रखा जाए और दर्शकों में दूरी को तवज्जो दी जाए!
दरअसल, मनोरंजन की दुनिया का असल मुद्दा है, लॉक डाउन में दर्शकों का डिजिटल प्लेटफार्म की तरफ झुकाव! सिनेमा घरों के बंद होने और टीवी पर सीरियलों के थम जाने से सारे दर्शक डिजिटल प्लेटफार्म की तरफ मुड गए! जो दर्शक अभी तक इससे अंजान थे, वे भी मोबाइल फोन की छोटी स्क्रीन के आकर्षण में आ गए! वेब सीरीज के चक्कर में वे दर्शक भी उलझ गए, जो अब तक इससे परहेज करते आए थे। कहानियों में नयापन, फिल्मों जैसा निर्माण और मनोरंजन की इस नईदुनिया ने कई दर्शकों की मनःस्थिति को बदल दिया। ये ऐसी असामान्य परिस्थिति है, जिसने दर्शकों के सामने नएपन का बस यही विकल्प छोड़ा था! इसके अलावा यह तन्हाई का ऐसा मनोरंजन है, जो सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहतर है।
कोरोना संक्रमण के कारण फिल्मों की निर्धारित रिलीज का रुकना और उनमें से कई फिल्मों का डिजिटल प्लेटफार्म पर आना भी बदलाव का इशारा है। कोरोना हादसे से ठीक पहले रिलीज हुई 'इंग्लिश मीडियम' के बारे में कहा जा रहा था कि इसे बाद में फिर रिलीज किया जाएगा! लेकिन, निर्माता का यह विचार बदलने में देर नहीं लगी और ये फिल्म 'नेटफ्लिक्स' पर रिलीज कर दी गई! परेश रावल के बेटे आदित्य रावल भी अनुराग कश्यप निर्देशित नई फिल्म ‘बमफाड़’ से एक्टिंग के मैदान में उतर रहे थे! ये फिल्म भी रिलीज होने की लाइन में थी, लेकिन अब ये भी 'जी-फाइव' पर दिखाई दे रही है। इससे पहले भी ऐसा हो चुका है! सुभाषचंद्र बोस के जीवन पर एकता कपूर ने बहुत खूबसूरत फिल्म बनाई थी, पर इसे उन्होंने अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म 'अल्ट-बालाजी' पर दिखा दिया।
वास्तव में ये आने वाले कल का सच है। डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए फिल्में बनाना कल की सच्चाई होगी। नेटफ्लिक्स, अमेजॉन, हॉटस्टार, जी-फाइव, मैक्सप्लेयर जैसे प्लेटफॉर्म ने तो इसके लिए कमर कस ली है। डिजिटल प्लेटफॉर्मों की खासियत है कि वेब सीरीज के लिए कोई स्टार कलाकार की जरुरत नहीं होती! लेकिन, इनका कंटेंट दर्शक को प्रभावित करता है! जो भी वेब सीरीज सफल हुई हैं, उनकी खासियत है कि उनके कंटेंट में नयापन होता है। पहली सफल वेब सीरीज 'परमानेंट रूममेट' को आज भी इसे देखने वाले याद करते हैं! इसे 'टीवीएफ' ने रिलीज़ किया था। इसी डिजिटल प्लेटफार्म की 'ट्रिपलिंग' भी चर्चित रही! लेकिन, नेटफ्लिक्स की 'सेक्रेड गेम्स' की सफलता ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए!
अभी तक जो लोग भारत में सिनेमा घरों के भविष्य को लेकर चिंतित थे, उन्हें शायद लॉक डाउन के दौरान जवाब मिल गया होगा! ये सच है कि सिनेमा घरों में फिल्म देखना सिर्फ मनोरंजन नहीं होता! पर, अब ये दृष्टिकोण बदलेगा! बड़े कलाकारों की जो फिल्में रिलीज होंगी, वे डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज की जाएंगी। डिजिटल प्लेटफॉर्म का एक सबसे बड़ा फ़ायदा ये होगा कि फिल्म के फ्लॉप होने की आशंका में उन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज करना आसान होगा। 'कलंक' जैसी महँगी फिल्म से आहत करण जौहर ने कुछ दिनों पहले सुशांतसिंह राजपूत की फिल्म 'ड्राइव' को 'नेटफ्लिक्स' पर परोस दिया था। इसलिए कि यदि ये फिल्म सिनेमाघरों में लगती तो पानी भी नहीं मांगती!
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