Tuesday, October 27, 2020

'महाराज' किस बात पर इतना खफा!

   मध्यप्रदेश में हो रहे उपचुनाव के केंद्र बिंदू ज्योतिरादित्य सिंधिया इन दिनों बेहद गुस्से में हैं। इतना गुस्सा हैं कि देखने वाले भी आश्चर्य कर रहे हैं। ये पहली बार हो रहा कि इस भद्र राजनेता को इतना गुस्से में देखा गया! सामान्यतः वे सहजता से भाषण देते हैं! चुनाव प्रचार के मंच पर वैसे उनकी भाव भंगिमाएं जरूर बदलती देखी गईं! उनके भाषण के क्लाइमेक्स तक पहुँचते-पहुँचते उनकी आवाज अकसर तेज हो जाती है! ये हमेशा होता है, लेकिन इन दिनों वे कुछ ज्यादा ही उत्तेजना में हैं। बोलते-बोलते उनका गुस्सा इतना उग्र हो जाता है कि वे आपा खो रहे हैं! ये सवाल पूछा जाने लगा है कि क्या आखिर उन्हें इतना गुस्सा क्यों आ रहा! छाती ठोंकने वाला उनका ये अंदाज क्या दर्शा रहा है! वास्तव में 'महाराज' की ये उग्रता कांग्रेस के खिलाफ है या भाजपा के! कांग्रेस पर उनका गुस्सा स्वाभाविक है, पर यदि ये भाजपा पर नाराजी है, तो उसके भी कारण बताए जा रहे हैं।   
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- हेमंत पाल
 
   सोशल मीडिया पर इन दिनों उपचुनाव के कई रंग नजर आ रहे हैं! इसी माहौल में लोगों को ज्योतिरादित्य सिंधिया के कुछ आक्रामक वीडियो दिखाई दिए! मंच पर भाषण देते सिंधिया उर्फ़ 'महाराज' आपा खोते नजर आ रहे हैं। कभी वे अपनी छाती जोर-जोर से ठोंकते हैं तो कभी पोडियम पर मुक्के मारते हैं। ऐसा करते समय उनकी आँखे बड़ी हो जाती है। आवाज में जबरदस्त तेजी आ जाती है। उनकी आवाज इतनी तेज होती है, कि चुनाव सभा की भीड़ में भी सन्नाटा छा जाता है। लोगों को पहली बार उनका ये गुस्सा दिखाई दिया। डबरा के छिमक गाँव में एक चुनावी सभा में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की इमरती देवी पर की गई 'आइटम' वाली टिप्पणी के बाद तो ज्योतिरादित्य सिंधिया बुरी तरह बिफर गए! उन्होंने मंच से इमरती देवी के अपमान को बदला लेने और सबक सिखाने की चुनौती मतदाताओं को बिल्कुल फ़िल्मी अंदाज में दी। सिंधिया ने अपना जो तेवर दिखाया, वो उनका नया रूप था। इमरती देवी भी सिंधिया की आत्मीयता से इतनी भाव-विभोर हो गई कि आँसू पोंछने लगी। जब इमरती देवी मंच पर सुबकने लगी तो सिंधिया ने उन्हें संभालते और गले लगाते नजर आए! बोले कि डबरा का ये चुनाव इमरती देवी नहीं मैं लड़ रहा हूं! लोगों को 'महाराज' पहले कभी चुनावी मंच पर इतने गुस्से में नहीं दिखे।
     इसके बाद ग्वालियर (पूर्व) सीट पर भाजपा उम्मीदवार और अपनी बगावती टीम के सदस्य मुन्नालाल गोयल के समर्थन में हुई सभा में भी उनका ऐसा ही आक्रामक रूप लोगों ने देखा। यहां भी कांग्रेस और कमलनाथ सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने अपने भाषण में आँखे चौड़ी की, छाती ठोंकी और कमलनाथ और कांग्रेस को धमकाया! इस जबरदस्त परफॉमेंस वाले दृश्यों ने मतदाताओं को कितना प्रभावित किया, ये तो बाद में पता चलेगा! लेकिन, सिंधिया के इस गुस्से के और भी मंतव्य ढूंढे जा रहे हैं। सिंधिया के ऐसे तेवर ने उपचुनाव के प्रचार में आखिरी हफ्ते में सियासी पारा काफी ऊपर चढ़ा दिया। गुस्से के पीछे के कारण ढूंढने और 'महाराज' की राजनीति को नजदीक से समझने वालों का मानना है, कि चुनावी भाषणों की बातों से अमूमन वे इतना नहीं बिफरते! इसके पीछे कोई और कारण है, जो उन्होंने आपा खोया! यह भी हो सकता है भाजपा के किसी व्यवहार ने उन्हें इस गुस्से के लिए मजबूर किया हो! 
    कांग्रेस के नेता और ग्वालियर-चंबल इलाके के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का ये गुस्सा इमरती देवी पर की गई कथित टिप्पणी को लेकर नहीं है। बल्कि वे भाजपा के पोस्टरों, होर्डिग्स और प्रचार वाहनों से खुद के फोटो गायब होने को लेकर ज्यादा खफा हैं। भाजपा ने जिस तरह उन्हें अकेला छोड़ दिया, वे उसे सहन नहीं कर पा रहे! ये बात गलत भी नहीं है। लोगों ने इस बात को महसूस किया कि प्रचार के इस दौर में ज्योतिरादित्य अकेले पड़ गए। कई चुनाव सभाएं उन्हें अकेले ही करना पड़ रही है। संभव है, ये गुस्सा ऐसे ही कारणों की कोख से जन्मा हो! लेकिन, मंच पर डॉयलॉग के साथ सिंधिया का कभी छाती और कभी पोडियम ठोंकना मतदाताओं को आकर्षित कर रहा है! यही कारण हैं कि उनके वीडियो हर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। वे यह कहना भी नहीं भूलते कि मुझमें बड़े महाराज का खून है, अगर कोई किसानों, महिलाओं और नौजवानों के साथ गद्दारी करेगा, तो सिंधिया उसे मैदान में आकर धूल चटाएगा। निश्चित रूप से उनकी ये टिप्पणी कमलनाथ की तरफ है। 
    ग्वालियर-चंबल इलाके की 16 सीटों पर हो रहे चुनाव प्रचार में मतदाता पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया का ये जोशीला अंदाज और नई शैली का भाषण देख और सुन रहे हैं। ख़ास बात ये भी है कि वे कई मंचों से भाजपा को छोड़ सिंधिया घराने से लोगों के पुराने संबंधों का हवाला देते हुए अपने समर्थक उम्मीदवार को वोट देने की अपील कर रहे हैं। वे चिल्ला-चिल्लाकर यह जताना नहीं भूल रहे कि ये भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवार के बीच का चुनाव नहीं, बल्कि मेरा चुनाव है। ग्वालियर, बमोरी, दिमनी, भांडेर और डबरा की चुनावी सभाओं में उनका आक्रामक रूप ज्यादा सामने आया। वे मौजूद लोगों से ये हुंकारा भराना भी नहीं भूलते, कि ग्वालियर-चंबल इलाके में सिंधिया परिवार का झंडा हमेशा बुलंद रहेगा! बार-बार सिंधिया परिवार का जिक्र शायद भाजपा की उपेक्षा के कारण ही किया जा रहा है।
   इस उपचुनाव पर भाजपा की शिवराज सरकार के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक करियर और उनके घराने का दबदबा भी दांव पर लगा है। उनके साथ विधायकी और मंत्री पद छोड़कर आए लोगों के लिए यह उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया। उन्होंने इमरती देवी की चुनाव सभा में जो बोला उसे बमोरी की सभा में भी दोहराया। सिंधिया कई जगह बोले कि उम्मीदवार और पार्टी को नहीं, सिर्फ मुझे देखें। सिंधिया के भाषणों के शब्द, तेवर और निशाना लगभग एक जैसा है। वे सिंधिया परिवार के मान-सम्मान के साथ अपना झंडा बुलंद रखने की भी अपील करते दिखाई दे रहे हैं। उनकी गुस्सैल भाषण शैली अच्छी-खासी तालियां भी बटोर रही हैं। वे कभी तीखी भाषा बोलते हैं, तो कभी मसखरी करते हुए कमलनाथ की खिल्ली उड़ाने का मौका भी नहीं चूकते! मंच से कई बार इशारों और मौन से भी वे बहुत कुछ कह जाते हैं। उन्होंने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की 'बड़ा भाई-छोटा भाई' की जोड़ी पर भी टिप्पणी की। 
   ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सिंधिया परिवार के दबदबे से इंकार नहीं किया जा सकता! पहले के चुनाव में कभी इस परिवार पर इतनी ज्यादा उंगलिया नहीं उठी जितनी इस बार! सिंधिया ने जब प्रचार शुरू किया तो उन्होंने देखा कि लोग उनसे नाराज हैं। अपने परिवार के प्रभाव वाले इलाकों में सिंधिया को कई जगह 'गद्दार वापस जाओ' और काले झंडों का भी सामना करना पड़ा था। दरअसल, सिंधिया का मिजाज ऐसा नहीं है, कि वे अपना ऐसा खुला विरोध सहन कर सकें! पर, जब ऐसा होता दिखाई दिया तो भाजपा को भी चिंता हुई! पार्टी को अंदाजा नहीं था कि जिस इलाके में सिंधिया परिवार की तूती बोलती थी, वहां जनता ख़म ठोंककर विरोध में खड़ी हो जाएगी! संभवतः इसके बाद पार्टी ने अपनी रणनीति बदली और प्रचार तंत्र का तरीका बदला! उन्हें स्टार कैंपेनर की लिस्ट में 10वां नंबर दिया गया। इतने प्रतिष्ठा वाले चुनाव में प्रचार सामग्री से 'महाराज' के फोटो गायब होना, उनके और समर्थकों के लिए एक बड़ा इशारा माना जा सकता है। 
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