Saturday, November 7, 2020

परदे पर हमेशा ठंडी रही दिवाली!

- हेमंत पाल

  दीपावली ऐसा त्यौहार है, जिसे अंतरिक्ष से भी जगमगाते देखा जा सकता है। न केवल हिन्दू धर्म के लोग बल्कि हर धर्म मानने वालों के लिए दिवाली किसी न किसी रूप में खुशियाँ लेकर आता है। हिंदी सिनेमा के पर्दे पर भी दिवाली के पर्व का उजास अनछुआ नहीं रहा! कुछ फिल्मों के गीतों व दृश्यों में दिवाली काफी अहम रही! कभी कथानक के महत्वपूर्ण दृश्य दिवाली की पृष्ठभूमि पर फिल्माए गए, तो कभी गीतों में दिवाली का उजास, खुशियां और भव्यता स्पष्ट दिखाई दी। सिनेमा में जिन त्यौहारों को कभी खुशी गम प्रकट करने का माध्यम बनाया जाता है, उनमें होली, राखी और करवा चौथ के अलावा दिवाली सबसे उल्लेखनीय है।
    त्यौहारों और फिल्म की पटकथा का लम्बा साथ रहा है। ब्लैक एंड व्हाइट के ज़माने से परदे पर दिवाली का उजियारा छाता रहा। लेकिन, धीरे-धीरे परदे से दिवाली गायब होने लगी। फिल्मों का स्वरूप और दर्शकों का नजरिया बदलने से दिवाली के प्रसंगों को पहले की तरह शामिल नहीं किया जाने लगा! फिर भी साल, दो साल में एकाध फिल्म तो ऐसी आ ही जाती है, जिसमें दिवाली के दृश्य या गीत दिखाई या सुनाई पड़ते हैं। जबकि, गुज़रे जमाने की कई फिल्में दिवाली के आसपास ही घूमती रहती थी। जयंत देसाई के निर्देशन में 1940 में आई 'दिवाली' इसी परम्परा की फिल्म थी! इसके बाद 1955 में गजानन जागिरदार की 'घर घर में दिवाली' और इसके सालभर बाद 1956 आई में दीपक आशा की 'दिवाली की रात' में भी दिवाली को विषय वस्तु बनाकर फिल्म बनाई गई थी।
   इसके बाद फ़िल्मो में गाहे-बगाहे दिवाली के प्रसंगों को जोड़ा तो गया, लेकिन इस त्यौहार को केंद्र में रखकर फ़िल्में बनाना लगभग थम सा गया। 2001 में अमिताभ बच्चन की कंपनी 'एबीसीएल' ने आमिर खान और रानी मुखर्जी को लेकर 'हैप्पी दिवाली' बनाने का प्लान किया था! लेकिन, बाद में 'एबीसीएल' का दिवाला पिटने के कारण यह योजना टल गई। जिन फिल्मों में दिवाली के दृश्यों को प्रमुखता से शामिल किया गया, उनमें 1961 में आई राज कपूर, वैजयंती माला की 'नजराना' थी! इस फिल्म में 'मेले है चिरागों के रंगीन दीवाली है' गीत लता मंगेशकर ने गाया था। यह ब्लैक एंड व्हाइट दौर की खुशनुमा दीवाली का गीत है। इसकी खासियत है कि शुरू से अंत तक इसमें दीवाली की आतिशबाजी और भरपूर रोशनी नजर आती है। यह गीत आज भी देखने पर जीवंत नजर आता है। 1962 में आई 'हरियाली और रास्ता' में भी दिवाली के दृश्यों में नायक, नायिका का विरह दर्शाया गया था। वैजयंती माला दिलीप कुमार की 'पैगाम' और 'लीडर' में दिवाली के जरिए फिल्म के किरदारों को जोड़ने का प्रयास किया था। 1972 में 'अनुराग' में भी आपसी भरोसे और विश्वास को दिवाली से जोड़कर दर्शाया था। इसमें कैंसर से जूझ रहे बच्चे की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए पूरा मोहल्ला दिवाली मनाने में जुट जाता है।
   दीवाली के पटाखों के धमाकों के बीच गोलियों की आवाज दबाकर पूरे परिवार के खत्म करने का दृश्य अमिताभ को सितारा बनाने वाली फिल्म 'जंजीर' में प्रभावशाली ढंग से फिल्माया किया गया था। फिल्म का ये दृश्य नायक अमिताभ को सपनों में हमेशा दिखाई देता है। कमल हासन की 1998 में आई 'चाची 420' में कमल हसन की बेटी के दिवाली के दिन पटाखों से घायल होने का प्रभावशाली दृश्य था। आदित्य चोपड़ा की 'मोहब्बतें' (2000) में दिवाली काफी अहम् थी। करण जौहर की 2001 में आई मल्टी स्टारर सुपरहिट फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' का टाइटल सांग असल में एक दीवाली गीत है। इसमें जया बच्चन दीवाली की पूजा करते हुए यह गाती है! पारंपरिक वेशभूषा और दमकती रोशनी से इस गीत की पृष्ठभूमि में दीवाली का भरपूर उजास नजर आता है।
   दिवाली को पृष्ठभूमि में रखते हुए तैयार किए कुछ गानों को भी अपार लोकप्रियता हांसिल हुई। इन गीतों में 'नजराना' का गीत 'एक वो भी दीवाली थी' 'शिर्डी के सांई बाबा' का गीत 'दीपावली मनाई सुहानी' के अलावा 'खजांची' का आई दीवाली आई, कैसी खुशहाली लाई, 'पैगाम' का दीवाली गीत 'कैसे मनाएं हम लाला दिवाली' और कुछ साल पहले गोविंदा अभिनीत फिल्म 'आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया' का गाना 'आई है दिवाली, सुनो जी घरवाली' दिवाली को केंद्र में ही रखकर रचे गए गीतों में थे। एसडी बर्मन के संगीत से सजी फिल्म 'जुगनू' फिल्म का  गीत 'छोटे नन्हें मुन्ने प्यारे प्यारे रे' अपने समय में बेहद लोकप्रिय हुआ था। इसके अलावा 'नमक हराम' का राजेश खन्ना और अमिताभ पर फिल्माया गीत 'दिये जलते हैं फूल खिलते हैं' अपने बेहतरीन फिल्मांकन के लिए दर्शकों को आज भी याद है।
    कुछ समय से सिनेमा से दिवाली बिल्कुल ही गायब हो गई। लगता है दिवाली के दृश्यों और गानों से बॉलीवुड लगभग किनारा कर चुका है। इसलिए कि अब कथानक की विषय वस्तु में काफी बदलाव आ गया। सिनेमा के परदे पर त्यौहारों का मनाया जाना, बिकाऊ पटकथा की मांग पर निर्भर हो गया! फिल्मकार नई शैली के साथ प्रयोग करके कुछ नया करना चाहते हैं। वे बॉलीवुड के वैश्विक पटल पर पहुंचने के साथ वैश्विक सिनेमा के प्रशंसकों को लुभाने वाले विषयों पर फिल्म बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं। हर त्यौहार का बॉलीवुड कनेक्शन होता है। हमारी परंपराओं, व्रत-त्यौहारों को गीतों या फिल्मों के कथानक में पिरोकर दिखाया जाता रहा है। होली तो बॉलीवुड का सदाबहार त्यौहार है, लेकिन दीवाली कभी परदे का पसंदीदा त्यौहार नहीं बन पाया। दिवाली पर प्रदर्शित फिल्मों की सफलता लगभग सुनिश्चित मानी जाती है! किंतु, हाल के सालों में फिल्मों में ये त्यौहार लगभग भुला दिया गया। अभी तो बड़े परदे पर कोरोना का कहर जारी है! इसे देखते हुए इस साल तो बॉलीवुड की दीवाली पर सिनेमाघर के अंदर का अंधियारा ही हावी रहेगा! जो फिल्में इस साल दीपावली को प्रदर्शित करने के लिए तैयार की गई थी, उन्हें आगे बढाया जा रहा है। इस लिहाज से बॉलीवुड के लिए यह दीपावली सूनी और काली ही रहेगी।
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